Saturday, June 21, 2025

विश्लेषणात्मक दिमाग में मन सकारात्मक होना चाहीये दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है सकारात्मक शब्द नकारात्मक शब्द अकारक शब्द होते है।

  

विश्लेषणात्मक दिमाग मे मन क्या है?

मन क्या है? अपना दिमाग सकारात्मक होना चाहीये।

अपने दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है। कुछ सकारात्मक शब्द होते है।

कुछ नकारात्मक शब्द होते है। कुछ  अकारक शब्द होते है।

जो ब्यर्थ में अपने  दिमाग को चलते रहते है। मन  उसके अनुरूप अपने दिमाग पर प्रभाव डालता है। 

मन में एकाग्रता होना चाहिए। जिससे सूझ बुझ कर निस्कर्स निकल सके की क्या होना चाइये।

अपने मन को किस तरफ चलना चाइये। दिमाग अपने सोच समझ को नियंत्रित करता है।

मन के भाव के हिसाब से दिमाग के विश्लेषण पर प्रभाव डालता है।

दिमाग अपने लिए ऊर्जा का क्षेत्र होता है।

हर प्रकार के मन के भाव का दिमाग में विश्लेषण होता है। 

मन के भाव के अनुसार दिमाग विश्लेषण करके मन को नियंत्रित करता है।

उसका प्रभाव अपने मन पर पड़ता है। मन का उड़ान बहुत तेज होता है।

मन में उत्पन्न होने वाला एक एक शब्द दिमाग में संग्रह होता है। 

मन का जैसा भाव होता है। वैसा ही दिमाग का विश्लेषण कर के शब्द को उजागर करता है। 

 

कभी कभी मन में कोई पुराना यादगर याद आता है।

तो उससे जुड़े हुए शब्द अपने दिमाग में विश्लेषण करने लगते है।

कभी ऐसा होता है की कुछ समय पहले की बात भूल जाते है।

याद करने पर भी याद नहीं आता है।

कोर्शिस करने पर भी दिमाग में विश्लेषण के दौरान कुछ याद नहीं आता है।

दिमाग को संकेत मन से मिलता है।

मन के आधार पर ही दिमाग विश्लेषण कर के शब्द उभरता है। 

 

मन में जो भी चलता है दिमाग उसका विश्लेषण करता है।

अपने मन दिमाग के चलाने का माध्यम होता है।

क्रिया कलाप में जो हम करते है।

जो शब्द मन ग्रहण करता है।

वैसा ही शब्द दिमाग विश्लेषण करता है।

बाकि बात विचार हमें याद नहीं रहता है।

दिमाग क्रिया कलाप के प्रत्येक शब्द को संग्रह कर के रखता है।

मन में जैसा भाव आता है। दिमाग वैसा ही भाव को विश्लेषण कर के मन में प्रसारण करता है।

वैसा प्रभाव हमरे मन पर पड़ता है। परिणाम मन जिस तरफ चलता है। 

दिमाग चलते हुए मन को उस तरफ ही परिणाम देता है।  

 

मन कैसे चलता है?

मन के चलने का मतलब एक घटना होता है।

जो घटित होता है। जब हम सक्रिय होते है।

तो सब नियंत्रण में होता है। जब हम सक्रिय नहीं होते है।

 मन अनियंत्रत हो कर कुछ न कुछ खुरापात करते रहता है।

इंसान स्वयं मन के चलन को कभी नहीं समझ सका है।

मन का चलना ऐसी घटना है। जो स्वयं घटित होते रहता है।

इसको जितना नियंत्रण में करना चाहेंगे उतना ही तेज प्रवाह से भागता है।

मन के उठाते हुए विचार कहा से कहा जाता है। आगे पीछे क्या होगा।

कुछ नहीं कहा जा सकता है। मन अविरल प्रवाह से चलता जाता है।

एक ही मार्ग है। मन के प्रवाह को रोकने के लिए।

मन को किसी काम या किसी ऐसे क्रिया में ब्यस्त कर ले।

जो स्वयं को अच्छा लगता हो। उस कार्य क्रिया में खुद पारंगत हो।

तब मन उस ओर जब मन ठहर कर ब्यस्त होना पसंद करता है। 

 

दिमागी सोच का मतलब मन क्या है?

मन के उठाते सवाल या भाव को दिमाग दो भाग में कर दता है।

एक भाग सकारात्मक दूसरा भाग नकारात्मक होता है

दिमागी सोच का मतलब मनके उठाते ख्यालात को उर्जा प्रदान करता है

जिस ब्यक्ति में घटित हो रहा है।

उस ब्यक्ति को उसके सवाल के जवाब मिलते है।

साथ में उसके होने वाले प्रभाव के बारे पता चलता है।

जो मन को अच्छा लगता है।

सकारात्मक है। और जो बुरा महशुश होता है। नकारात्मक है।

सोचने वाले को स्वयं निर्णय लेना होता है।  उसको किस रास्ते पर चलना है।

अक्सर लोग मन से मजबूर होकर के ही चलते रहता है।

जब की दिमाग हमेशा उसके परिणाम के बारे में सचेत  करता रहता है।

मन से मजबूर लोग दिमाग की नहीं सुनते है।

दिमागी सोच सटीक निर्णय लेने में सक्षम है।

मन का प्रवाह दिमागी सोच को विखंडित कर सकता है।

सही निर्णय दिमाग का होता है।  

 

मन के प्रकार मे मन क्या है?

अपने मन के प्रकार में बाहरी मन संसार में भटकता है।

अंतर्मन मन अपने  मन के भीतर होता है।

जो बाहरी मन के क्रिया कलाप को संग्रह कर के उसको सक्रिय करता है। 

अंतर्मन बाहरी मन से ज़्यादा सक्रिय होता है।

अवचेतन मन अंतर्मन को आदे देने में सक्रिय होता है।

अवचेतन मन के माध्यम से स्वयं में परिवर्तन कर सकते है। एक अचेतन मन होता है।

जो सिर्फ चलता रहत है। जब हम सक्रिय नहीं रहते है।

अपने  सक्रिय न रहने का पहचान अचेतन मन है।

अचेतन मन का ज्यादा चलना अपने  मन मस्तिष्क में विकार उत्पन्न करता है। 

मानव मस्तिष्क सोच प्रक्रिया मे मन क्या है

जब अपने मन में कोई सवाल उठा है। तो उसके तरंगे दिमाग को जाते है।

दिमाग उसका विश्लेषण कर के मन को तरंगे देता है।

जिससे मन में उठाने वाले सवाल का परिणाम मिलता है।

साथ में मन के प्रभाव से हम किस ओर जायेंगे तो हमें क्या परिणाम मिलेगा।

स्वयं को निर्णय लेना होता है। हमें किस ओर जाना है।

मानव मस्तिष्क में सोच प्रक्रिया के सभी सवाल का परिणाम होता है। 

 

मन क्या है?

मन घटना है। हम जीतना सक्रिय रहेंगे। मन उतना सक्रिय रहेगा।

हमारा सक्रिय नही रहना मन का भटकन है।

मन के भटकन से हमें बचना है। हमें सदा सक्रिय रहना है। 

क्या सोच रहा है

मन कभी खली नहीं रहता है।

उचित या अनुचित कुछ न कुछ चलता ही रहता है।

किसी विषय वस्तुके बारे में सोचने की प्रक्रिया में जब हम उचित विषय कार्य पर जोर देते है।

तब जो प्रक्रिया चलता है। उसको दिमाग के सोचने की प्रक्रिया होता है।

सक्रिय होने पर दिमाग कार्य करता है।  

दिमाग बनाम मन

दिमाग बनाम मन  बहुत अच्छा शब्द है। जब सक्रियता प्रभावित होता है।

तब बहोत जरूरी विषय पर मन टिकने लगता है। और दिमाग को साथ देता है।

मन के गहराई से जो सवाल उठाते है। वो बहुत सक्रिय होते है।

तब मस्तिष्क के दोनों भाग एक जैसा कार्य करता है।

हा नकारात्मक भावना के लिए कोई जगह नहीं होता है।

सवाल से उत्पन्न सवालो का चक्र मष्तिस्क में चलता है।

दिमाग बनाम मन होता है तब हर सवाल का सटीक रास्ता मिलता है।

ऐसे ब्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होते है।

दिमाग के उच्तम सोच वाले ब्यक्ति होते है। 

जो नकारात्मक सोच समझ वाले ब्यक्ति होते है। वो  विक्छिप्त होते है। 

  मन क्या है 

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