Tuesday, August 17, 2021

पहनावे और वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार पहचान अच्छा बनता है। लोग जुड़ते भी है नामची लोग तो दिखावे पर बहुत पैसा भी खर्च करते है

मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है

सोच समझकर देखा जाये  आज के समय में मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है।  पहनावा अच्छा होना चाहिए।  वेशभूषा बेहतरीन होना चाहिए।  ऊपर से नीचे तक उच्च कोटि का दिखावा होना चाहिए।  महिलाओं में तो पहनावे की खूबसूरती के बहुत ज्यादा चलन है। और होना भी चाहिए। खूबसूरती से व्यक्तित्व में निखार आता है।  आज के समय में समाज जीवन में खूबसूरती का बहुत ज्यादा चलन भी है।  पहनावे से लोग अपना दिखावा करते है। अपनी काबिलियत कितनी अहेमियत रखता है।  पहनावे और वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है।  लोगो में पहचान अच्छा बनता है।  लोग जुड़ते भी लगते है।  नामची लोग तो दिखावे पर बहुत पैसा भी खर्च करते है। 


पहनावे और खूबसूरती से लोगों का काम धंधा पनपता है

पहनावे और खूबसूरती के दौर में सोचे उन लोगों का काम धंधा पनपता है। जो पहनावे और खूबसूरती के व्यापार में शामिल होते है।  उनके घर परिवार भी कही न कही उनके पहनावे और दिखावे पर ही चलते है।  इसके लिए सहर में बड़े से बड़े दुकान खुलते है।  दुकान के सजावटी में लाखो खर्च होते है।  इससे उन कामगार और कारीगर का घर परिवार चलता है।  जो ऐसे सजावटी के काम धंदे में जीवन यापन करते है।  कई बार तो ये सोचता हूँ कि काश ये सब न होता तो और कितने लोगो को दिक्कत होती।  समय के हिसाब से बेरोजगरी ऐसे भी है।  इस माध्यम से लोगो का गुजर बसर तो हो रहा है।  कही न कही देखा जाय तो सब एक दूसरे से जुड़े हुए है। एक दूसरे के रोजी रोजगार के माध्यम ही तो है।


संसार में खुश रहने का हक़ सबको है 

मन कभी कभी सोचता है। लोग ये सब बाते क्यों नहीं समझते?  लोग क्यों नहीं एक दूसरे से जुड़ कर सद्भाव से रहते है?  इससे तो सबका विकाश ही होगा।  नया निर्माण होगा। नए उद्योग धंधे पनपेंगे।  लोगो का रोजी रोजगार का माध्यम भी तो खुलेगा।  जो लोग बेरोजगार है।  उनको कोई काम धंधा भी तो मिल जायेगा।  उनको भी तो संसार में खुश रहने का हक़ है।  संसार उनके लिए भी तो है। 

लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए

दिमागी बात यही कहना चाहूंगा।  जैसे हम बाहरी दिखावे के माध्यम से अपने आप को अच्छा बताने के होर में लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए है  इसके लिए तहेदिल से धन्यवाद है।  उन सभी को जो कही न कही रोजगार के माध्यम में साथ दे रहे है। उन सभी को धन्यवाद है


मनुष्य का मन साफ सुथरा सब को अच्छा ही लगेगा

दिमागी सोच की बात यही कहूंगा। जिस तरीके से हमसब साज सज्जा करते है।  बाहरी दिखावा करते है।  खुद को अच्छा दिखने के लिए।  वैसे ही मन में पड़े जो कुछ भी गंदगी है। जो हम किसी को बता नहीं सकते है। हम स्वीकार करते है।  हमारे अंदर भी कुछ न कुछ जरूर है।  जिसको एक एक करके बहार निकल दिया जाये। त हम सब एक दूसरे से जुड़ते जायेंगे।  क्यों न इस तरफ भी थोड़ा प्रयास किया जाए।  ये बात सबके लिए कह रहा हूँ।  सिर्फ प्रयास कर रहा हूँ।  सफलता में तो आपको साथ देना है।  फिर न कोई दिक्कत, न पड़ेशानी, न बेरोजगारी होगा। फिर तो सब खुश ही रहने लगेंगे। क्योकि गन्दगी तब किसी के अंदर नहीं रहेगा।  सब का मन साफ सुथरा हो जायेगा।  फिर तो सब को अच्छा ही लगेगा 

समय चक्र मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर सबको ज्ञान और व्यावहार के संग्रह में परिभाषित करता है ज्ञान का सागर और यही जीवन यापन भी है

समय चक्र बलवान होता है आज ख़ुशी  तो कल दुःख फिर से ख़ुशी और फिर दुःख ऐसा जीवन चक्र है 


समय चक्र कितना बलवान होता है। समय के चक्र के बारे में संज्ञान होना चाहिए 

समय चक्र में आज ख़ुशी है तो कल दुःख फिर से ख़ुशी और फिर दुःख ऐसा जीवन चक्र है इससे क्या होता है? यही जीवन का वास्तविक चक्र है। जिसे सभी को मानना पड़ता है। समय चक्र को समझना ही पड़ता है। बच्चा  जन्म लेता है। तब बाल्यावस्ता में होता है। फिर किशोरावस्ता में जाता है। आगे चलकर युवावस्था  आता है।  फिर उसके बाद अधवेशावस्ता में जाता है। फिर वृद्धावस्ता में जा कर अपने अंतिम चरण मृत्यु को प्राप्त करता है। यही तो जीवन चक्र है। इसी में मनुष्य अच्छा बुरा सुख दुःख सब भोगविलास करता है कभी अकेले तो कभी साथ में जीवन व्यतीत करता है बचपन में माता पता के साथ रहना उसके बाद  पत्नी के साथ रहकर एक लम्बा जीवन ब्यतीत करता है। फिर बाद में अपने अपने बल बच्चों के साथ और पोता पोती के साथ समय गुजारता है अंत में मृत्यु को प्राप्त कर के अपने उस घर को जाता है। जहाँ से ज्ञान पाने के लिए आया होता है। अब ये सवाल उठ रहा है की मनुष्य का जीवन है क्या? उसका क्या अस्तित्व है? बहुत बड़ा अस्तित्व है। समझा जाए तो वही जीवन चक्र एक से दूसरे को जोड़ता है। एक दूसरे से सब को जुडाहुआ है ताकि एक का ज्ञान दूसरे को मिले जो अनजान है। ज्ञान कही छुपा नहीं रहता है। तर्क वितर्क में ज्ञान उत्पन्न हो ही जाते है। वही मनुष्य को मनुष्य से जोड़कर सबको ज्ञान और व्यावहार के संग्रह में परिभाषित करता है। जीवन यापन होता है। ज्ञान प्राप्त कर के मनुष्य एक एक दिन अपने उसी स्थान पर पहुंचेंगे। जहा से यहाँ आये थे।  हम क्यों नहीं इस समय का सदउपयोग करे। एक दूसरे का साथ दे। उनका अच्छा ज्ञान हमें मिले। अपना अच्छा ज्ञान उनको मिले। इससे सबका समय अच्छा होने लगेगा ये ज्ञान का सागर और यही जीवन यापन भी है। बाकि सर्वोच्च ज्ञान में जन्म से मृत्यु और मृत्यु के बाद क्या बचता है। ज्ञान ही तो रह जाता है।

समय चक्र जीवन के कल्पना में आधार स्तंभ में ज्ञान हर पड़ाव पर आवश्यक है। 

समय चक्र मनुष्य के जीवन के कल्पना में सबसे बड़ा आधार स्तंभ ज्ञान ही होता है। ज्ञान का जीवन में हर पड़ाव पर आवश्यक होता है। बुद्धि विवेक के विकाश के साथ साथ जीवन में संतुलन और सहजता के लिए ज्ञान बहुत जरूरी है नहीं तो ज्ञान के अधूरेपन से जीवन में उथलपुथल भी सकता है। आमतौर पर बाल्यावस्ता से ही ज्ञान का विकाश शुरू कर देना चाहिए जिससे सोचने समझने की क्षमता बात विचार करने की क्षमता प्राप्त हो। आगे चलकर जीवन में आने वाली कठिनायों  को पार करने होते है जीवन के रूकावट को दूर करने के लिए भी इंसान को बुद्धि विवेक से बहुत मेहनत करना पड़ता है। जीवन के उतार चढ़ाओ में हर मोर पर हर रस्ते पर चाहे काम धंधा होसेवा भाव हो, दुनियादारी हो, समाज में उठना बैठना हो, घर परिवार में सब जगह बुद्धि  विवेक, सूझ बुझ की बहुत आवश्यकता होता है। इसलिए ज्ञान जीवन में बहूत आवश्यक है ज्ञान जीवन चक्र में संतुलन को बनाये रखता है  


समय चक्र को कभी भी अपने जीवन में कम नहीं आकना चाहिए।

माना की अपने जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा है। तरक्की के दौर से भी गुजर रहे है पर इस समय के ज्ञान को बनाये रखने के लये अपने जीवन में उतना ही सक्रियता बरक़रार रखना होगा। हरेक विषय वस्तु के प्रति भी उतनी ही जागरूकता जरूरी है और उसमे कभी भी कमी नहीं आने दे। समय हमें बहूत कुछ देता है उसे संभलकर रखना चाहिए। जरूरत और उपयोगिता के अनुसार ही अपने अर्जित धन खर्च करना चाहिए। मन पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है। मन कब किस ओर खीच लेगा कुछ कह नहीं सकते है। अपने पास सब कुछ है तो अपने मन पर भी नियंत्रण बहूत जरूरी है जिससे में सफलता फलता फूलता रहे। घमंड कभी भी नहीं करना चाहिए। दूसरो के निरादर से सदा बचना चाहिए। ये सभी ऐसे दुर्गुण है जो इन्सान से एक दिन सब कुछ छीन भी सकता है।  


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