Wednesday, January 12, 2022

बाइक चलाते समय कभी भी मोबाइल फ़ोन नहीं इस्तेमाल करना चाहिए और नहीं गाड़ी चलते समय हैडफ़ोन से कोई भी संगीत सुनना चाहिए

हेलमेट बाइकर्स के लिए कम कीमत का ब्लूटूथ हेडसेट

 

वैधानिक कारन बताऊ तो बाइक चलाते समय 

कभी भी मोबाइल फ़ोन नहीं इस्तेमाल करना चाहिए और नहीं गाड़ी चलते समय हैडफ़ोन से कोई भी संगीत सुनना चाहिए. इससे पीछे से आने वाले गाड़ी के हॉर्न नहीं सुनाई देते है. ड्राइविंग के समय चौकाने हो कर रहन पड़ता है. संगीत सुनाने से इसमे गड़बड़ी भी आ जाती है. सबसे अच्छा है की बाइक चलते समय मोबाइल का इस्तेमाल करना है तो लोकेशन को समझने के लिए कर सकते है. पर संगीत बिलकुल भी नहीं सुनना चाहिए. इससे चालक के वाहन को और दुसरे वाहन पर सवार जिंदगी को भी खतरा है.

 

एक कहावत कहा गया है "महंगा रोये एक बार और सस्ता रोये बारम्बार"

सस्ता सामान कभी उपयोग नहीं करा चाहिए इसके गुणवत्ता में डिफेक्ट और कमी हो सकती है. एक बार खर्च करे और अच्छा हैडफ़ोन ले जिससे लम्बे समय तक ठीक से चलता रहे ब्रांडेड सामान का ही उपयोग करे.

 

कोई भी सामान अच्छा गुवात्ता वाला ही ठीक होता है. 

खासकर इलेक्ट्रॉनिक सामान जिसके तरंगे भी खतरनाक होते है. हो सकता है सस्ता सामान से उत्पन्न असंतुलित तरंग कान में घुसकर मस्तिष्क को नुकशान पहुचाये. इसलिए हेड फ़ोन को बहूत सोच समझकर ही खरीदना चाहिए. ब्लूटूथ की वायरलेस तरंगे से चलते है जो की स्वस्थ के लिए बेहद खतरनाक भी हो सकता है. तरंगे संतुलित और अच्छे से संगठित किया गया है और उसके फ्रीक्वन्सी सही है तो मस्तिष्क को नुकसान नहीं पहुचायेगा.

 

सजग रहे सतर्क रहे अच्छे सामान का उपयोग करे. वाहन चलते समय हैडफ़ोन का कभी उपयोग नहीं करे.

बंदरिया बाबा के कहे अनुसार कोई भी व्यक्ति मालिक के आज्ञा के बगैर कुछ नहीं कर सकता है मनुष्य जीवन ज्ञान प्राप्त करने के लिए है

रहस्य से भरा बंदरिया बाबा


पीलीभीत का रहने वाला बंदरिया बाबा 

दो साल पहले बहराइच जिला के मिहीपुरवा सुजौली थाना रामगाँव में मोटर साइकिल से आकर एक दिन पीपल पेड़ के उपार चढ़ कर बिल्कुली उची छोटी के फुनगी पर बैठ गये. इसको देखने के लिए लोगो की भीड़ जुटाने लग गई. जहा कोई पक्षी भी अपना घोसला नहीं बनाते है. प्रशासन के कारवाही के बाद उन्हें उतरना पड़ा और उनहे सुजौली थाना में बंद कर दिया.

 

बंदरिया बाबा इसके बाद 

इलाहबाद के खासाह मोहम्मदपु के विस्नुपुर्वा गाँव मेहसी में भी ऐसे ही पीपल के पेड़ पर चढ़ गये. पहले जैसा फिर पेड़ के उची छोटी पर रात भर रहे. वहा पूजा आरती हवन किये और पूरा रात पेड़ पर ही रहे. इसके निगरानी में प्रशासन पूरी रात वही रही की बाबा कही गिर नहीं जाये या कोई अप्रिय घटना न हो. ऐसा होने के बाद लोगो वहा भी बाबा को देखने जुटने लगे.

 

बंदरिया बाबा पुनः चार महीने के बाद 

फिर बहराइच जिला के मिहीपुरवा सुजौली थाना में रामगाँव में पहुचे और पुनः वैसे ही पेड़ पर चढ़ कर पूजा अर्चना किये. बात चर्चा तब आया जब बंदरिया बाबा दोबारा बहराइच पहुचे. खुद को पीलीभीत का रहने वाला बताने वाला बाबा खुद के बारे में कुछ नहीं बताये. सिर्फ बताये की वे हनुमान जी के भक्त है और उनकी मर्जी से वे पीपल के पेड़ पर चढ़े थे. बंदरिया बाबा के इस आश्चर्यजनक कारनामा से लोग उन्हें प्रेत बाबा, भूत बाबा, नट बाबा, बंदरिया बाबा इत्यादि बुलाने लगे.

 

बंदरिया बाबा के कहे अनुसार 

कोई भी व्यक्ति मालिक के आज्ञा के बगैर कुछ नहीं कर सकता है. मनुष्य जीवन ज्ञान प्राप्त करने के लिए है. उन्होंने यहाँ तक कहा की टट्टी में पालने वाला कीड़ा भी मेरे से आगे है. मै तो हनुमान जी का एक छोटा भक्त हूँ. उनके मर्जी से ही पेड़ पर रहता हूँ. उन्होंने ये भी बात कहा की समाधी के बगैर कोई भी मनुष्य ज्ञान हासिल नहीं कर सकता है. उसके बाद चाहे तो पेड़ तो क्या हवा में भी रुक सकता है. मालिक के मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है.

 

बंददिया बाबा के कारनामे 

प्रशासन को भी उनके कारनामे पर पूरा विस्वास हो गया. श्रद्धा और विश्वास से बंदरिया बाबा को देखने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ने लगे. बाबा से पूछा गया की बाबा आप चार महिना काहा थे तो उन्होंने बताया की बद्री नारयण हिमालय में था और यहाँ से चित्रकूट जाना है.

 

एक आम इन्सान के जैसा दिखने वाला बंदरिया बाबा

बंदरिया बाबा  के पास इतने अद्भुत शक्ति को देखने के लिए लोगो में चर्चा होने लग गया. मिहीपुरवा सुजौली के पास ही एक हनुमा मंदिर में रहने लगे और वही एक अशोक के पेड़ के निचे अपना स्थान बाबा बना लिया. रात को उसी पेड़ की छोटी पर रहने लगे पूरा रात पेड़ की छोटी पर ही रहते थे. कुछ दिन बाद वो वह से चले गए.

Post

Two types of meditation for both types of meditation to happen automatically a little effort has to be made in the beginning, later meditation happens automatically

Meditation of the divine Meditation is done in many ways  Meditation is tried in the beginning, later meditation happens automatically. Me...