Tuesday, August 10, 2021

ज्यादाकर मन में समय के नकारात्मक भाव ही नजर आते हैं कुछ ही बाते जो अच्छे होते हैं वो बाते सकारात्मक होते है बारंबर याद करने को मन करता है

जिन चीजों से मुझे आप से नफरत है


जब आपके मन में झाकते है तो बहुत कुछ जीवन में समझ में आने लग जाता है

जब अपने मन में झाकते है। बहुत कुछ समझ में आने लग जाता है।  ज्यादाकर मन में समय के नकारात्मक भाव ही नजर आते हैं। कुछ ही बात जो अच्छे होते हैं। जो बाते सकारात्मक होते है। उन्हें बारंबर याद करने को मन करता है। जो बात मन को अच्छे नहीं लगते हैं। उन बातो से किनारा करना कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है।  तब गुसा भी ऐसा ही आता है।  जब कुछ पुरानी बात मन को झकझोर देता है।  तब नकारात्मक बाते ही मन में उठने लगते हैं।  ऐसा मन का प्रबृत्ति होता है।

 

वास्तविक जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है

अक्सर जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है। इसके पीछे कार ये है की ज्यदाकर मिलाने जुलने वाले लोगो का भावना कोई कोई इच्छा से जुड़ा होता है। ज्यादाकर लोगो की इच्छा नकारात्मक ही होते है।  जिसका प्रभाव दोनों के मन पर पड़ता है। जिसके कार बात सुनाने वाला और बात कहने वाला दोनों के मन पर नकारात्मक इच्छा का प्रभाव पड़ता है।  इसलिए कल्पना के दौरान या कोई विशेष कार्य के लिए कुछ सोचते है। तो उससे जुड़ा हुआ भावना चरितार्थ होता है। इस प्रकार के जो नकारात्मक बाते जब मन में उठाते है। तो गुस्सा भी बहुत आता है। साथ में अपने सोच और कल्पना पर अपना प्रभाव डालता है।

 

जीवन में उन्नति के लिए प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है

जीवन की प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है।  वास्तव में सकारात्मक सोच में स्वयं के इच्छा के लिए कोई जगह नहीं होता है यदि स्वयं के लिए कुछ  सोचते है। वह सोच के भावना में या कल्पना में लालच भी आता है। जो की एक निम्न प्रबृत्ति है। जिससे स्वयं के इच्छा  कुछ सोचना या कल्पना करना पूरी तरह से सार्थक नहीं होता है।  इसलिए सोच या कल्पना में कुछ प्राप्त करना चाहते है। तो कल्पना में जिस विषय पर सोच रहे है। मन का झुकाव उसी विषय वस्तु पर होना चाहिये। जिससे उस विषय वस्तु के कार्य में पूरा सफलता मिले। जब वह कार्य सफल हो जाता है। तब उस कार्य के परिणाम से फायदा मिलता है।  वही वास्तविक सफलता होता है। इसलिए कभी भी सोच और कल्पना में अपनी इच्छा को उजागर नही होने देना चाहिए।   

समय और अवस्था कोई माये नहीं रखता सिर्फ मायने वही छोटी चीज़ का रह जाता है भले वह काम कितना भी महत्वपूर्ण क्यों नहीं हो

चीज़े छोटी हो या बड़ी भरी हो या हल्का मायने नहीं रखता है


चीज़े छोटी हो या बड़ी भरी हो या हल्का ये मायने नहीं रखता है। जब जहा किसी चीज़ की जरूरी होती है। तो उसको उपलब्ध कराना ही पड़ता है। जब कोई विशेष महत्वपूर्ण काम में ब्यस्त होते है। सारा चीज़ उपक्रम उपलब्ध होने के बाद भी कुछ न कुछ चीज़ जब रह जाता है। तब वह समय और अवस्था कोई माये नहीं रखता है। फिर मायने वही छोटी चीज़ रह जाता है। भले वह काम कितना भी महत्वपूर्ण क्यों नहीं हो। महत्त्व तो जो उस चीज़ का होता है। जो वहा से गायब है। कारण वही रह जाता है। काम नही पूरा हुआ सबकुछ तो बिगड़ गया। काम महत्वपूर्ण है। चीज़े छोटी हो या बड़ी ध्यान उसपर लगना ही चाहीये। ध्यान बराबर होगा तो कोई कोई भी चीज़ भूलने का सवाल ही नहीं होगा। फिर काम अपने समय में कायदे से पूरा हो जायेगा। 


बाते छोटी हो या बड़ी यदि वो अच्छा है तो सबको अच्छा लगता है

 

बाते छोटी हो या बड़ी यदि वो अच्छा है। तो सबको अच्छा लगता है। महत्वपूर्ण तब होता है। जब बाते एक छोटी चीज़ की तरह महत्वपूर्ण होकर जब लोगो को अच्छा लगता है। तब बहुत वाहवाही होता है। तब सब लोग उस ब्यक्ति को पसंद करते है। मान सम्मान देते है। जब किसी व्यक्ति का बात कुछ बुरा हो भले ही वो छोटी बात ही क्यों न हो। तब वह छोटी चीज़ नुखिले तिनके की तरह सुनाने वाले के दिल में चुबने लगता है। आज के समय में अच्छी बात हो तो सबको अच्छा लगता ही है। पर किसी का एक छोटा बुरा बात भी लोगो को बुरा लग जाता है। और वो बात लोगो में जहर की तरह फ़ैल जाता है। इसका परिणाम उस बात को बोलने वाले को भुगतना पड़ता है। होना तो ये चाहिए की मन अच्छी बाते स्वीकार करे। यदि कोई बुरी बात है। तो मन से कभी नही लगाना चाहिए। किसी के बुरे बात पर प्रतिक्रिया करने से अच्छा है। कि एक अच्छा नागरिक होने के नाते समझाना चाहिये। कि ऐसी बात से लोग को बुरा लगता है। बात विचार सौहाद्रपूर्ण होना चाहिये। जो सबको अच्छा लगे।

खुद की कल्पना करो कल्पना के साम्राज्य में बहुत कुछ समाहित है जीवन के एक एक छन कल्पना से घिरा हुआ है

खुद की कल्पना करो

कल्पना के साम्राज्य में बहुत कुछ समाहित है। जीवन के एक एक छन कल्पना से घिरा हुआ है। जैसा सोचते है वैसा करते है। सोच कल्पना ही रूप है। कल्पना तो करना ही चाइये। प्रगति का रास्ता तो कल्पना से ही खुलता है। जब तक कल्पना नहीं करेंगे मन में उस चीज के लिए भावना नहीं उठेगी। सांसारिक कल्पना के साथ साथ खुद की भी कल्पना करना चाइये। इसके बगैर ज्ञान अधुरा भी रह सकता है।  सांसारिक कल्पना में सकारात्मक और नकारात्मक कल्पना दोनों ही होते है। कुछ इच्छा पूर्ण होते है। कुछ इच्छा बाकी रह जाते है। यद्यपि कल्पना के अनुरूप कार्य भी करते है। सांसारिक कल्पना संतुलित है या असंतुलित इसका ज्ञान स्वयं के बारे में कल्पना करने से ही पता चलेगा। नहीं तो कल्पना कल्पनातीत भी हो सकता है।  फिर वो इच्छा कभी भी पूरा नहीं हो पायेगा। जैसे संतुलन घर में, बहार, समाज में, लोगो के बिच, काम धंधा में बना के रखते है। वैसे ही कल्पना को भी संतुलित बनाकर रखना चाहिए। स्वयं के बारे में कल्पन करने से एक एक चीज के बारे में ज्ञान होगा। पता चलेगा की कहाँ पर क्या गलती हो रहा है। क्या सही चल रहा है। किस ओर सक्रीय होना चाहिए। जो गलत हो रहा है। कौन से कार्य गतिविधि को बंद कारना होगा। ये चीजें का एहसास खुद के बारे में कल्पना करने से ही होगा। जीवन में संतुलन बनाये रखने के साथ साथ अपने कल्पना को भी संतुलित रखना चाहिये।  

चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है।

कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है

कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है। चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो। काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो। उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है। जिस काम के तजुर्बे में शामिल है।  उसकी बारिकियत को जितना आका जय उतना ही कम है। कोई भी तजुर्बा जिसके गहराई में पहुंचे तो काम काज के ज्ञान का समझ और तजुर्बा ज्यादा बढ़ता है। बस कमी तो यही है की सही मार्गदर्शन करने वाला। या तो कम है। या कोई उन तक पहुंच ही नहीं पता है। वास्तव में यदि किसी को सही मार्गदर्शन करने वाला मिल जाय। और उनकी रह पर चल कर उनके समझ और ज्ञान पर भरोसा कर के सीखते रहे। तो फिर किसी जानकारी की कमी नहीं रहेगी। 


कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है

कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है। मन लगाकर यदि किसी भी काम को जानकर के सानिध्य में करे। तो उसकी गहराई में जाकर नए रूप रंग को दे सकते है।  इससे अपना ज्ञान और भी बढ़ेगा। जब तक किसी काम में अपना मन लगा लेते है। और मन वास्तव में लगकर जब काम करने लग जाता है। इससे मन की एकाग्रता का विकास होता है। सोचने समझने की शक्ति बढ़ता है।  जिससे शरीर कभी थकता नहीं है कोई बाहरी बातचित से उसमे रूकावट नहीं पड़ता है।  मन लगातार अपने काम में ब्यस्त रहता है।  इससे अपना ज्ञान और बढ़ता जाता है।  बाद में मन को काम काज करने की आदत लग जाती।


ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है

ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है। बहुत बड़ी कर्म की परिभाषा है। जिस रस्ते पे चलकर सब अपने योग्यता को प्राप्त करते है। समाज में घर परिवार में देश में अपना नाम करते है।  


काम छोटा हो या बड़ा ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं

अब बात ये रहा काम छोटा हो या बड़ा। ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं उसका भी महत्व है। एक सफाई कर्मचारी दिन भर झाड़ू मा कर रोड की सफाई करता है। उसमे भी वही ज्ञान है। जिसने मन लगाकर अपना काम किया। तो साफसुथरा जल्दी हो जाता है। और जिसने मन नहीं लगाया तो जल्दी सफाई भी नहीं होती है। सब बिखड़ा बिखड़ा सा नजर आता है। साफ सफाई देख कर अपने को भी उतना ही अच्छ लगता है। जितना सफाई कर्मचारी को क्योंकी वो उसका काम है। उसका कर्म है। और उस काम में उसका मन भी लगता है। इसलिए वो सबको अच्छ लगता है। और वही जब सब बिखड़ा बिखड़ा सा रहत है। तब वो किसी को अच्छा नहीं लगता है। 


कर्म के ही रूप है 

वैसेही जब कोई बहुत बड़ा विख्यात ब्यक्ति अपने काम काज को अच्छे तारीके से करता है। तो वो सब लोग और जान कल्याण के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। वही उलट यदि उनसे कोई गलत काम हो जाती है। जिसमे मन अच्छे से नहीं लगा हुआ होता है। तो उसका परिणाम उलट जाता है। जिससे लोगो का बड़ा नुकसान होता है। समाज का भी नुकसान होता है। जिसका खामियाजा उनसे जुड़े हुए सब को भुगतना पड़ता है। ये सब कर्म के ही रूप है।  

 

कोई भी काम करे सोच समझ कर करे

इसलिए कभी भी कोई भी काम करे। सोच समझ कर करे। भूल होने की स्थिति में किसी किसी जानकर से मदत जरूर ले। ताकि गड़बड़ी का कोई नामोनिशान ही हो। अच्छा काम करे। मन लगाकर करे। मन लगाकर किया हुआ काम सफलदाई सिद्ध होती है। जिससे सबको अच्छा लगता है।  

Post

Uneducated women are still many such families in the city or village

   Education is very important for girls The beloved daughter of the parents. Women education  today's time is progressing step by step ...