Saturday, November 8, 2025

भारतीय हॉकी के 100 वर्ष (1925–2025): स्वर्ण, संघर्ष और सम्मान की शताब्दी

 हॉकी की स्थापना भारत में कब और किसने की


स्थापना का वर्ष: लगभग 1885


स्थापना करने वाले: ब्रिटिश सेना (British Army) के अधिकारियों ने


स्थान: कलकत्ता (अब कोलकाता)



ब्रिटिश सैनिक अपने साथ यह खेल भारत लाए, जो उस समय इंग्लैंड में बहुत लोकप्रिय था। उन्होंने भारत में भी हॉकी खेलना शुरू किया और धीरे-धीरे यह भारतीय युवाओं में प्रसिद्ध हो गया।



भारत में हॉकी के संगठित रूप की शुरुआत


1925 में भारत की पहली हॉकी टीम को न्यूज़ीलैंड दौरे पर भेजा गया।


1928 में भारत ने पहली बार ओलंपिक (एम्स्टर्डम) में हिस्सा लिया — और स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीता।

यह भारत की अंतरराष्ट्रीय हॉकी में शानदार शुरुआत थी।




इंडियन हॉकी फेडरेशन (IHF) की स्थापना


स्थापना वर्ष: 1925


मुख्यालय: गया था कलकत्ता में, बाद में दिल्ली में स्थानांतरित हुआ।


उद्देश्य: पूरे भारत में हॉकी को संगठित रूप से बढ़ावा देना और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन करना।


हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल कैसे बना


हालांकि आधिकारिक रूप से भारत सरकार ने किसी खेल को “राष्ट्रीय खेल” घोषित नहीं किया है, फिर भी हॉकी को लंबे समय तक भारत का “राष्ट्रीय खेल” माना गया।

इसका कारण है —


भारत की ओलंपिक में लगातार सफलताएँ (1928–1956 तक 6 स्वर्ण पदक)


ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ


और जनता में इस खेल के प्रति गहरा लगाव।


संक्षेप में


बिंदु विवरण


खेल का नाम फील्ड हॉकी (Field Hockey)

भारत में आगमन ब्रिटिश सैनिकों के माध्यम से (1885 के आसपास)

संगठित संस्था इंडियन हॉकी फेडरेशन (1925)

पहला अंतरराष्ट्रीय मैच भारत बनाम न्यूज़ीलैंड, 1926

पहला ओलंपिक स्वर्ण 1928, एम्स्टर्डम

प्रमुख खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद, बलबीर सिंह, रूप सिंह आदि


IHF (Indian Hockey Federation) यानी भारतीय हॉकी महासंघ की स्थापना वर्ष 1925 में हुई थी। 

यह भारत में हॉकी को संगठित रूप से चलाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कराने वाली पहली संस्था थी।




IHF की स्थापना से जुड़ी मुख्य जानकारी

विषय विवरण

पूरा नाम Indian Hockey Federation (IHF)
स्थापना वर्ष 1925
स्थापना स्थान गया था गोवालियर (Gwalior) में एक बैठक के दौरान, बाद में इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया
स्थापना का उद्देश्य भारत में हॉकी खेल को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करना, नियम बनाना और राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ आयोजित करना
पहले अध्यक्ष A.G. Noehren (एक ब्रिटिश अधिकारी)
पहले सचिव Pankaj Gupta
पहली अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला भारत ने IHF के गठन के बाद 1926 में न्यूजीलैंड का दौरा किया — यह भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय हॉकी यात्रा थी।





महत्व

IHF ने 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारत की टीम को भेजा, जहाँ भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीता।

IHF के नेतृत्व में भारत ने 1928 से 1956 तक लगातार छह ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते — यह हॉकी का “स्वर्ण युग” कहलाता है।


आगे का विकास

2008 में IHF को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण निलंबित कर दिया गया।

उसके बाद 2011 में एक नई संस्था Hockey India (HI) का गठन किया गया, जो अब भारत में हॉकी की आधिकारिक शासी संस्था है।


भारतीय हॉकी के 100 साल (1925–2025): गौरव, संघर्ष और स्वर्ण युग की गाथा

भारत में हॉकी का इतिहास केवल खेल का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और एकता की पहचान भी है। 1925 से 2025 तक के इन 100 वर्षों में भारतीय हॉकी ने स्वर्णिम सफलताओं से लेकर कठिन दौर तक सब देखा।


प्रारंभिक दौर: हॉकी का भारत आगमन (1880–1925)

1885: ब्रिटिश सेना ने हॉकी को भारत में खेलना शुरू किया।

1886: कलकत्ता (अब कोलकाता) में पहला हॉकी क्लब “कलकत्ता हॉकी क्लब” स्थापित हुआ।

1908: बंगाल, बॉम्बे और पंजाब में हॉकी प्रतियोगिताएँ होने लगीं।

1925: भारत में हॉकी को संगठित रूप देने के लिए Indian Hockey Federation (IHF) की स्थापना 7 नवंबर 1925, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में की गई।


यही दिन भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होने का आधार है — 7 नवंबर 2025।


अंतरराष्ट्रीय सफर की शुरुआत (1926–1932)

1926: IHF के गठन के बाद भारत की पहली टीम न्यूज़ीलैंड दौरे पर गई — यह भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला थी।

1928: भारत ने पहली बार एम्स्टर्डम ओलंपिक में भाग लिया।

कप्तान: जयपाल सिंह मुंडा

भारत ने सभी मैच जीते और पहला स्वर्ण पदक जीता।

ध्यानचंद ने अपने शानदार खेल से दुनिया को चकित कर दिया।




स्वर्ण युग की शुरुआत (1932–1956)

1932 (लॉस एंजेलिस ओलंपिक): भारत ने 37–1 से अमेरिका को हराया — अब तक की सबसे बड़ी जीत।

1936 (बर्लिन ओलंपिक): हिटलर की उपस्थिति में भारत ने जर्मनी को 8–1 से हराया — यह मैच इतिहास में अमर हुआ।

1948 (लंदन ओलंपिक): स्वतंत्र भारत का पहला ओलंपिक — भारत ने इंग्लैंड को 4–0 से हराकर स्वर्ण जीता।

1952 (हेलसिंकी): भारत ने नीदरलैंड को 6–1 से हराकर फिर स्वर्ण जीता।

1956 (मेलबर्न): भारत ने पाकिस्तान को 1–0 से हराकर लगातार छठा स्वर्ण पदक जीता।

यह कालखंड (1928–1956) भारतीय हॉकी का स्वर्ण युग कहलाया।


प्रतिस्पर्धा और बदलाव का दौर (1960–1980)

1960 (रोम): भारत को पहली बार पाकिस्तान ने हराया (1–0), और रजत पदक मिला।

1964 (टोक्यो): भारत ने फिर वापसी की — पाकिस्तान को 1–0 से हराकर स्वर्ण जीता।

1968 (मेक्सिको): भारत को कांस्य पदक मिला।

1972 (म्यूनिख): फिर से कांस्य पदक।

1975 (कुआलालंपुर): भारत ने विश्व कप (World Cup) जीता — पाकिस्तान को 2–1 से हराया।

1980 (मॉस्को): भारत ने आखिरी बार ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता।



गिरावट और संघर्ष (1981–2000)

1980 के बाद भारत की हॉकी में लगातार गिरावट आई।

1984 (लॉस एंजेलिस): भारत 5वें स्थान पर रहा।

1990 के दशक में कृत्रिम (AstroTurf) मैदानों की शुरुआत हुई — भारत के खिलाड़ी इस बदलाव के लिए तैयार नहीं थे।

1998 (बैंकॉक एशियाई खेल): भारत ने 32 साल बाद स्वर्ण पदक जीता।


नया युग और पुनर्जागरण (2000–2020)

2008: भ्रष्टाचार के कारण Indian Hockey Federation (IHF) निलंबित कर दी गई।

2009: Hockey India (HI) नामक नई संस्था का गठन हुआ, जो अब आधिकारिक शासी निकाय है।

2010 (दिल्ली): भारत में हॉकी विश्व कप का आयोजन हुआ।

2014: एशियाई खेलों में भारत ने स्वर्ण जीता (पाकिस्तान को हराकर)।

2016 (रियो): भारत क्वार्टर फाइनल तक पहुँचा।

2018: भारत ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीती।


नई चमक: ओलंपिक में पुनः गौरव (2021–2025)

2021 (टोक्यो ओलंपिक):

भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।

कप्तान: मनप्रीत सिंह

कोच: ग्राहम रीड

यह जीत नए युग की शुरुआत थी।


2023: भारत ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

2024: हॉकी इंडिया ने देशभर में “हॉकी@100” अभियान शुरू किया।


हॉकी के 100 वर्ष (2025): सम्मान और उत्सव

7 नवंबर 2025:

भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होंगे — 1925 से 2025 तक का गौरवशाली सफर।

इस दिन पूरे देश में “राष्ट्रीय हॉकी शताब्दी समारोह” मनाया जाएगा।

ध्यानचंद, बलबीर सिंह, रूप सिंह, उदय शंकर, मनप्रीत सिंह और रानी रामपाल जैसे खिलाड़ियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

भारत सरकार और हॉकी इंडिया “100 Years of Indian Hockey Glory” थीम के तहत विशेष आयोजन कर रहे हैं।


महान खिलाड़ी जिन्होंने भारत को गौरव दिलाया

मेजर ध्यानचंद (1905–1979) – हॉकी के जादूगर

रूप सिंह – ध्यानचंद के भाई और ओलंपिक हीरो

बलबीर सिंह सीनियर – 3 ओलंपिक स्वर्ण (1948, 1952, 1956)

अशोक कुमार, अजित पाल सिंह, मनप्रीत सिंह, रानी रामपाल  आधुनिक युग के नायक



उपलब्धियाँ एक नजर में

वर्ष प्रतियोगिता पदक

1928 ओलंपिक (एम्स्टर्डम) 🥇 स्वर्ण
1932 ओलंपिक (लॉस एंजेलिस) 🥇 स्वर्ण
1936 ओलंपिक (बर्लिन) 🥇 स्वर्ण
1948 ओलंपिक (लंदन) 🥇 स्वर्ण
1952 ओलंपिक (हेलसिंकी) 🥇 स्वर्ण
1956 ओलंपिक (मेलबर्न) 🥇 स्वर्ण
1964 ओलंपिक (टोक्यो) 🥇 स्वर्ण
1975 हॉकी विश्व कप 🏆 विजेता
1980 ओलंपिक (मॉस्को) 🥇 स्वर्ण
2021 ओलंपिक (टोक्यो) 🥉 कांस्य
2023 एशियाई खेल 🥇 स्वर्ण




निष्कर्ष: एक सदी का गौरव

7 नवंबर 1925 से लेकर 7 नवंबर 2025 तक, भारतीय हॉकी ने:

8 ओलंपिक स्वर्ण

1 विश्व कप

और अनेकों एशियाई खिताब जीते।

इन 100 वर्षों में हॉकी ने भारत को न केवल खेल की शान दी, बल्कि राष्ट्रीय गर्व और एकता का प्रतीक भी बना।
2025 में मनाई जा रही यह “हॉकी की शताब्दी” उस अमर यात्रा का उत्सव है जिसने भारत को दुनिया के खेल मानचित्र पर चमकाया।


भारतीय हॉकी के 100 वर्ष (1925–2025): स्वर्ण, संघर्ष और सम्मान की शताब्दी

हॉकी का प्रारंभिक इतिहास (1880–1925)

भारत में हॉकी का इतिहास अंग्रेज़ों के शासनकाल से जुड़ा हुआ है। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश सैनिक अपने मनोरंजन और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए हॉकी खेलते थे। धीरे-धीरे यह खेल भारतीयों के बीच भी लोकप्रिय होने लगा।

1885 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में भारत का पहला हॉकी क्लब स्थापित हुआ  कलकत्ता हॉकी क्लब
इसके बाद बंबई (अब मुंबई), पंजाब और चेन्नई (मद्रास) में भी हॉकी क्लब खुलने लगे।

1908–1913 के बीच भारतीय विश्वविद्यालयों और सेना के दलों में हॉकी मैच आम हो गए।
हालाँकि, तब तक यह खेल बिना किसी राष्ट्रीय संगठन या मानक नियमों के खेला जाता था।

इसी असंगठित स्थिति को दूर करने के लिए, भारत के कुछ खेल प्रेमियों ने एक राष्ट्रीय संस्था की आवश्यकता महसूस की।
यह विचार बाद में “Indian Hockey Federation (IHF)” की स्थापना का कारण बना।

IHF की स्थापना (7 नवंबर 1925, ग्वालियर)

📅 7 नवंबर 1925 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में भारतीय हॉकी इतिहास का स्वर्णिम दिन आया 
इस दिन Indian Hockey Federation (IHF) की स्थापना की गई।

मुख्य उद्देश्य:

  • हॉकी को संगठित रूप देना
  • एक राष्ट्रीय टीम का गठन
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करना

पहले अध्यक्ष: A. G. Noehren
पहले सचिव: पंकज गुप्ता

IHF ने तुरंत कार्य शुरू किया और 1926 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय टीम बनाई। यही वह क्षण था जिसने भारत को विश्व हॉकी मंच पर पहुँचाया।

अंतरराष्ट्रीय सफर की शुरुआत (1926–1928)

1926 में भारत की पहली हॉकी टीम न्यूज़ीलैंड दौरे पर गई।
टीम ने शानदार प्रदर्शन किया —21 में से 18 मैच जीते।
यह यात्रा भारतीय हॉकी की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की शुरुआत थी।

दो वर्ष बाद, 1928 में एम्स्टर्डम ओलंपिक में भारत ने पहली बार भाग लिया।
कप्तान थे  जयपाल सिंह मुंडा, और सबसे बड़ा सितारा बने मेजर ध्यानचंद

भारत ने सभी मैच जीते और पहला स्वर्ण पदक जीता।
ध्यानचंद ने इतने गोल किए कि उन्हें “हॉकी का जादूगर” कहा जाने लगा।

स्वर्ण युग की स्थापना (1928–1956)

1928 से 1956 तक का दौर भारतीय हॉकी का स्वर्ण युग कहलाता है।
भारत ने इस काल में लगातार 6 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते।

🥇 1932, लॉस एंजेलिस ओलंपिक

भारत ने अमेरिका को 24–1 से हराया — आज तक की सबसे बड़ी जीतों में से एक।

🥇 1936, बर्लिन ओलंपिक

एडॉल्फ हिटलर की उपस्थिति में भारत ने जर्मनी को 8–1 से हराया।
ध्यानचंद ने अकेले 3 गोल किए और जर्मनी की सेना ने उन्हें खेलने का प्रस्ताव दिया!

🥇 1948, लंदन ओलंपिक

भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला ओलंपिक —
भारत ने इंग्लैंड को 4–0 से हराकर स्वर्ण जीता।
यह जीत केवल खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान की विजय थी।

🥇 1952, हेलसिंकी ओलंपिक

भारत ने नीदरलैंड को 6–1 से हराया।
बलबीर सिंह सीनियर ने 5 गोल दागे — आज तक का रिकॉर्ड।

🥇 1956, मेलबर्न ओलंपिक

भारत ने पाकिस्तान को 1–0 से हराकर लगातार छठा स्वर्ण पदक जीता।
यह भारतीय हॉकी की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि थी।

स्वर्ण से रजत की ओर (1960–1975)

1960 (रोम ओलंपिक) भारत को पहली बार पाकिस्तान ने हराया (1–0)।
1964 (टोक्यो ओलंपिक) भारत ने वापसी की और स्वर्ण जीता।
1968 (मेक्सिको) और 1972 (म्यूनिख) भारत को कांस्य पदक मिला।

फिर आया 1975 का हॉकी विश्व कप (कुआलालंपुर) 
भारत ने पाकिस्तान को 2–1 से हराया और विश्व विजेता बना।

इस जीत ने साबित किया कि भारत अब भी विश्व हॉकी का शेर है।

गिरावट का दौर (1980–2000)

1980 (मॉस्को ओलंपिक)  भारत ने आखिरी बार ओलंपिक स्वर्ण जीता।
उसके बाद कृत्रिम घास (AstroTurf) के आने से भारतीय खेल शैली प्रभावित हुई।

भारतीय हॉकी में गिरावट आने लगी 

  • 1984 से 2000 तक भारत कोई ओलंपिक पदक नहीं जीत सका।
  • संगठनात्मक विवाद और राजनीति ने खेल को नुकसान पहुँचाया।
  • यूरोपीय देशों ने आधुनिक तकनीक से हॉकी में बढ़त बना ली।

हालाँकि 1998 बैंकॉक एशियाई खेलों में भारत ने स्वर्ण जीतकर नई उम्मीद जगाई।

नया युग  Hockey India का गठन (2008–2010)

2008 में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते Indian Hockey Federation (IHF) को निलंबित कर दिया गया।
इसके बाद 2009 में नई संस्था Hockey India (HI) की स्थापना हुई।

Hockey India ने महिला और पुरुष दोनों टीमों को एक ही प्रशासनिक ढाँचे में लाया।
इससे भारतीय हॉकी को नई दिशा मिली।

2010 में दिल्ली में हॉकी विश्व कप का आयोजन हुआ —
हालाँकि भारत जीत नहीं सका, लेकिन घरेलू समर्थन ने नए जोश का संचार किया।

पुनर्जागरण का दौर (2010–2020)

इस काल में भारत ने हॉकी के मैदान पर दोबारा मजबूती पाई।

  • 2014 एशियाई खेल: भारत ने पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
  • 2016 (रियो ओलंपिक): भारत क्वार्टर फाइनल तक पहुँचा।
  • 2018: भारत ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीती।

इस अवधि में भारतीय हॉकी में फिटनेस, कोचिंग और खेल विज्ञान पर विशेष ध्यान दिया गया।

टोक्यो ओलंपिक की ऐतिहासिक वापसी (2021)

टोक्यो ओलंपिक 2021 (जो 2020 में होने थे, पर COVID के कारण टले) भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक रहे।

  • पुरुष टीम:
    भारत ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
    कप्तान मनप्रीत सिंह, कोच ग्राहम रीड
    मैच में भारत ने जर्मनी को 5–4 से हराया।

  • महिला टीम:
    भारत ने पहली बार सेमीफाइनल तक पहुँचकर इतिहास रचा।
    कप्तान रानी रामपाल, कोच शोर्ड मारिन

इस सफलता ने पूरे भारत में हॉकी के पुनर्जन्म की भावना जगा दी।

आधुनिक युग की ओर (2022–2025)

2022 में भुवनेश्वर और राउरकेला में विश्व कप हुआ — भारत ने क्वार्टर फाइनल तक पहुँच बनाई।
2023 एशियाई खेल (हांगझोऊ) में भारत ने स्वर्ण पदक जीता और 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।

अब 2025 में भारत “हॉकी@100” अभियान चला रहा है, जिसके अंतर्गत:

  • 7 नवंबर 2025 को राष्ट्रीय हॉकी शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है।
  • ध्यानचंद और सभी दिग्गजों को श्रद्धांजलि दी जा रही है।
  • स्कूलों, विश्वविद्यालयों और राज्यों में हॉकी लीग आयोजित हो रही हैं।

 महिला हॉकी का उत्कर्ष

भारतीय महिला हॉकी की यात्रा भी प्रेरणादायक रही है।

  • 1974: भारत ने पहली बार महिला विश्व कप में हिस्सा लिया।
  • 1980: महिला टीम ने ओलंपिक में प्रवेश किया।
  • 2002: भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  • 2021 टोक्यो ओलंपिक: भारत चौथे स्थान पर रहा — यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

रानी रामपाल, सविता पुनिया, नीलिमा डेविड, वंदना कटारिया जैसी खिलाड़ियों ने भारत का नाम रोशन किया।

महानायक – ध्यानचंद और बलबीर सिंह

मेजर ध्यानचंद (1905–1979) को “हॉकी का जादूगर” कहा जाता है।
उन्होंने 3 ओलंपिक (1928, 1932, 1936) में भारत को स्वर्ण दिलाया और 400 से अधिक गोल किए।
उनकी याद में भारत सरकार ने 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया।

बलबीर सिंह सीनियर (1924–2020) भारत के दूसरे स्वर्णिम युग के नायक थे।
उन्होंने 3 ओलंपिक स्वर्ण जीते और 1952 में 5 गोल का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

खेल के वैज्ञानिक और तकनीकी बदलाव

पुराने ज़माने में हॉकी प्राकृतिक घास पर खेली जाती थी।
1970 के दशक में AstroTurf (कृत्रिम मैदान) आने से खेल की गति और तकनीक बदल गई।
भारत को शुरुआती कठिनाइयाँ आईं, पर अब भारतीय खिलाड़ी इस पर दक्ष हो चुके हैं।

GPS, Video Analysis, Diet Management और AI-Training जैसे आधुनिक तकनीकें अब भारतीय हॉकी का हिस्सा हैं।

भारत की उपलब्धियाँ (1928–2025)

प्रतियोगिता कुल पदक विवरण
ओलंपिक 🥇 8 स्वर्ण, 🥈 1 रजत, 🥉 3 कांस्य कुल 12 पदक
विश्व कप 🏆 1 विजेता (1975)
एशियाई खेल 🥇 4 स्वर्ण
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी 🥇 कई बार विजेता

100 वर्ष की भावना – एक शताब्दी का उत्सव

7 नवंबर 1925 से 7 नवंबर 2025 तक —
भारतीय हॉकी की यह शताब्दी केवल खेल की कहानी नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की यात्रा है।

इन सौ वर्षों में भारत ने:

  • औपनिवेशिक युग से स्वतंत्र भारत तक की यात्रा तय की,
  • ध्यानचंद से मनप्रीत तक की पीढ़ियाँ देखीं,
  • और विश्व खेल मंच पर सम्मान की पुनर्स्थापना की।

2025 का यह वर्ष भारतीय हॉकी के लिए पुनर्जन्म, प्रेरणा और सम्मान का वर्ष है।

समापन

भारतीय हॉकी की यह 100 साल की यात्रा बताती है कि संघर्षों के बावजूद गौरव कभी समाप्त नहीं होता
मेजर ध्यानचंद से लेकर मनप्रीत सिंह और रानी रामपाल तक — हर पीढ़ी ने इस खेल को सम्मान दिया है।

2025 में जब भारत “हॉकी की शताब्दी” मनाएगा, तब यह केवल एक खेल का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गर्व का उत्सव होगा।

जय हॉकी! जय भारत! 



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भारतीय हॉकी के 100 वर्ष (1925–2025): स्वर्ण, संघर्ष और सम्मान की शताब्दी

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