Thursday, June 19, 2025

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार. ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है

  

ज्ञान का महत्त्व क्या है? ज्ञान अंतहीन है. 

अपने ज्ञान मे जितना डूबा जाये उतना ही कम है. 

ज्ञान का महत्त्व बहूत मायने रखता है की किसी के पास कम ज्ञान और किसी के पास ज्यादा ज्ञान है.

खुद के ज्ञान का  मायने मतलब बहूत है.

ज्ञान ही है की हम बोलते है, सुनते है, समझते है, स्वाद लेते है, देखते है, महशुस करते है. ये सभी शारीरिक ज्ञान है.

मानसिक ज्ञान भाव, मोह, आकर्षण, प्रत्याकर्सन, सुख, दुःख ये भी ज्ञान ही है.

इससे बढ़कर जीवन के विकाश में प्राप्त करने वाले जानकारी ज्ञान ही है.

सोचना समझना, कल्पना करना, प्रेरित होना, ज्ञान के ही रूप है.  

ज्ञान का महत्त्व मे अतिरिक्त ज्ञान क्या कहलाता है?

ज्ञान किसी भी प्रकार के जानकारी को ही कहते है.

कम जानकरी वाले इन्सान अपने जीवन को संतुलत कर के जिता है.

अपने जीवन में वही विषय वस्तु को महत्व देता है जो जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी है.

इससे बढ़कर जिनमे अच्छी जानकारी और विशेषता होता है वो अपने जीवन को खुल कर जीते है.

हर प्रकार के पावंदी और रुकावट को उनमे दूर करने की खासियत होता है.

जिससे वे बहुआयामी होते है.

जिनसे लोग अपने उलझे सवाल या मुसीबत में विचार विमर्स करते है.

ऐसे लोग विचारक भी होते है.

अपने काम और व्यवस्था में ज्ञान के अच्छे जानकारी के वजह से बहूत सफल भी होते है.

समय और विशेषता के अनुसार वे अपने काम का नेतृत्व करते है और लोगो को उनके काम से और ज्ञान से मदद मिलता  है.

इसे ही अतिरिक्त ज्ञान भी कहा जाता है.

ज्ञान की प्रकृति का कोई अंत नहीं है. 

ज्ञान की प्रकृति ज्ञान ही है जो विशेषग्य भी बनता है.

किसी वस्तु के निर्माण में गुणवत्ता कायम करना बहूत बड़ी बात है.

ये सभी उच्च ज्ञान के कारण ही होता है.

वे विशेष और महत्वपूर्ण जानकारी वाले होते है.

वे आविष्कारक भी होते है. 

ज्ञान के एकीकरण से संबंधित समस्याएं क्या हैं?

ज्ञान भले सकारात्मक हो या नकारात्मक पर वो ज्ञान ही है.

इसमे समझ का अंतर होता है. संसार में बहुआयामी भाव वाले मनुष्य भी होते है.

जब किसी ज्ञान का प्रसारण किसी अच्छे विद्वान के द्वारा किया जाता है तो लोगो के विचार जरूरी नहीं की समान हो.

इसके पीछे कारण है लोगो का अपना अपना समझ.

इस कारन से ज्ञान के एकीकरण में समस्याए उत्पन्न होते है.

ज्ञान में समय और हालात के अनुसार समय समय पर जानकार और ज्ञानी परिवर्तन चाहते है. 

ज्ञान उत्पन्न समस्या को कम करने के लिए नए विकल्प लोगो को देते है.

जिससे सबका जीवन सुलभ होता है. पर होता क्या है?

हरेक मनुष्य का समझ एक जैसा नहीं होता है.

ये मन की प्रकृति है. जिसके कारण लोग अपने अपने अनुसर उस विचार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करते है.

कुछ लोगो को अच्छा तो कुछ लोगो की अच्छा नहीं लगता है.

यही सभी समस्याए ज्ञान के एकीकरण में उत्पन्न होते है.

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार.

ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है.

होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है तो उसको समझे बगैर प्रतिक्रिया नहीं दे.

यदि नहीं मानते है तो कोई बात नहीं पर दूसरो को नहीं मानने के लिए प्रेरित नहीं करे.

ज्ञान का महत्त्व मे ज्ञान का आयाम असीमित है.

लोग के समझ पर आधारित है की उसको लोग कैसे समझते है.

इस बहुआयामी दुनिया में लोगो के मन के भाव भी अलग अलग है.

यदि कोई विद्वान, विचारक या ज्ञानी कोई विचार प्रस्तुत करता है तो पहले समझे.

उस समझ से अपने समझ को परिस्कृत करे. मानना या नहीं मानना लोगो का अपना मत है.

सुझाये बात विचार को नहीं मानने के लिए दूसरो को प्रेरित कभी नहीं करे.

यदि बात सही तो समझने वाले को प्रेरणा अपने आप मिल जाता है.

 

  ज्ञान का महत्त्व 

ज्ञान के स्रोत में सवाल गजब का तब होता है जब ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

  

ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

 

अपने ज्ञान से जुड़े सवाल गजब का तब होता है जब कुछ ऐसे सवाल उठ जाये की आखिर क्या जवाब दिया जाये। ज्ञान के विकाश में प्रश्न शानदार तो तब बनता है जब तक की सोच मस्तिस्क में प्रबल न हो। आखिर वसा ज्ञान के विकाश में किस प्रकार योगदान देता है। मै तो समझता हूँ की ज्ञान की जड़ ही वासा है। मन का भाव, विवेक बुध्दी, कल्पना, सोचना, समझना, सुख, दुःख. हसना, रोना, प्रगति, अवनति, ये सब क्या है? इस सबको किस भाषा से समझेंगे? तो सही उत्तर मिलता है। ज्ञान, सब ज्ञान ही है। महत्त्व, आभास, सम्बेदना, सुखद पल, जैसा जीवन में आगमन या पारगमन होता है। तो मनुष्य को उसका ज्ञान होता है।

ज्ञान को समझा जाये तो ज्ञान का कोई भी परिभाषा आज तक कोई पुरा नहीं कर सका है। ज्ञान अनन्त है। जिसका कोई अंत ही नही है। जिसको कोई नही आज तक समझ पाया। ज्ञान कहा से आया और कहा तक जायेगा। मै तो ज्ञान को एक घटना समझता हूँ। जो स्वत ही घटित होता है। जैसा प्रयास करेंगे वैसा ही फायदा या नुकसान होगा। निर्णय तो मन को लेना होता है। मन को क्या पसंद है। सब तो ज्ञान ही है। जैसा इच्छा होता है। ज्ञान का परिणाम भी वैसा ही होता है। 

 

  ज्ञान के विकास 

ज्ञान के विकास में वसा कैसे योगदान देता है? 

अपने ज्ञान के अनुसार योग का मतलब जुड़ना होता है। जब कुछ जीवन में जुड़ता है। और कुछ जीवन से दूर जाता है। आना जाना चलता रहता है। और जो रुक जाता है। वो समझ ले की वो उसका अपना घर है। रास्ता कौन दिखाता है? मन, बुध्दी और कल्पना तीन महत्वपूर्ण विकल्प है। मन काल्पना को हवा देता है।, कल्पना का परिणाम बुध्दी पर पड़ता है। बुध्दी मन के अनुरूप होता जाता है। वैसे ही वसा एक तत्व है। मिट्टी तत्व उसका पहचान है। वासा का परिणाम चिकनाहट, मोटापा, चर्बीदार, मेद, उपजाऊ, स्थूल, मोटा ताजा जिसे जो समझ में आये। कोई रोक टोक नहीं है। मन के अनउपयुक्त उर्जा जो मन में पनपते है। जिसका कोई उपयोग नहीं किया जाता है।

कल्पना में घटना को घटित होने दिया जाता है। जिनसे हमेशा वेपरवाह रहते है।

सोच ऐसी होती है। सब सोचते जाते है। कार्य के नाम पर कुछ नहीं होता है। बस घटना को सोच सोच कर सुख या दुःख महशुस करना होता है। जिसका वास्तविक जीवन में कोई स्थान ही नही होता है, बल्कि उसका कोई उपयोग भी नहीं होता है। घटना मन में घटित होता रहता है। जब सोच से मन पर तबरतोर प्रभाव पड़ता है। जब सोच के प्रभाव से मन तुरंत सुख दुःख को महशुश कर लेता है। तो क्या अनउपयुक्त घटना का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ेगा। चिंता फिक्र में तो शरीर गलकर चिता हो जाता है। ये प्रत्यछ उदहारण है।

बहूत लोग ऐसे घटना के ज्ञान को देखते और समझते भी है।

अनउपयुक्त घटना का ज्ञान भी इन्ही में से है। जो मन में बस गया अपना घर बना लिया। मनोबल से बहूत लोग सुख दुःख के भाव को कम कर लेते है। किसी को अपने मन के अन्दर क्या चल रहा है। भनक भी नहीं लगने देते है। मन का भाव उस घटना को स्वीकार कर लेता है। तब मन में वेदना कम होता है। बाहर दूसरो को नजर नहीं आता है। ऐसे घटना के बारम्बार होने से वसा तत्व अनउपयुक्त घटना से बढ़ भी सकता है। ज्ञान के विकास में वसा अनउपयुक्त घटना से निर्मित उर्जा को अपने अन्दर ले भी सकता है। ज्ञान के दृष्टी से उर्जा का उपयोग होना चाहिए। उर्जा को एक आयाम से दुसरे आयाम में परिवर्तित किया जा सकता है। उर्जा को कभी भी नस्त नहीं किया जा सकता है। वो कही न कही अनपयुक्त उर्जा असर दिखायेगा ही।

ज्ञान के रमना में संपत्ति वास्तविक सुहावना होना चाहिए ज्ञान के पार्क है तो रमना मन मोहक भी होना चाहिए फूलो के बाग़ में है तो खुशबूदार भी होना चाहिए

  

ज्ञान के रमना में संपत्ति खरीदने के क्या फायदे हैं

 

अपने ज्ञान के पार्क में संपत्ति वास्तविक है की सुहावना होना चाहिए। ज्ञान के रमना है। तो रमना मन मोहक भी होना चाहिए। फूलो के बाग़ में है तो खुशबूदार भी होना चाहिए। फलो के बाग़ में है तो मीठा रसीले भी फल भी खाने को मिलाना चाहिए। बगीचे में पेड़ पौधे झाड़ पतवार होना लाजमी है। दूर से खुबसुरत भी दिखे दिखावा अच्छा होना चाहिए।  बाग़ में बागवान भी होना चाहिए।

 

  ज्ञान के पार्क 

अपने ज्ञान के रमना में तो सब उपलध है 

ज्ञान के नजरिये से जीवन को देखे तो अच्छा दिखने के लिए सबसे पहले मनकर्मवचन से सकारात्मक जरूर होना चाहिए। मन शीतल और मोहक होगा तो खुशबूदार अपने आप हो जायेगा। मन को शीतल करने के लिए जितने भी कूड़ा कड़कत मन में है निकल फेके। नाही तो यही झाड़ और पतवार बन जायेंगे। इसलिए झाड़ और पतवार को हमेशा साफ़ करते रहिये। ताकि ज्ञान के पार्क में पेड़ पौधे ठीक से उग सके। मन की शीतलता ज्ञान को सिचता है। जिससे मन आकर्षक होता है। खुशबूदार फुल कि तरह सबके बिच आकर्षण का केंद्र बनता है। ऐसे ब्यक्ति के ज्ञानसोच समझविवेक बुध्दि से निकले ज्ञान मीठे रसीले फल की तरह उपयुक्त और फायदेमंद ही होते है। ऐसे ज्ञान के पार्क के बागवान निष्ठावान ब्यक्ति ही होते है।

 

जीवन का ज्ञान अच्छाई के लिए ही होना चाहिए। 

संसार में हरेक वस्तु को ख़रीदा जा सकता है। प्राकृतिक देन को कभी खरीद नहीं सकते है। ज्ञानकल्पनासोचसमझबुध्दी विवेक ये सभी प्रकृति के देन है। इसको सजगतासहजतानम्रतास्वभाव से जीवन में स्थापित किया जाता है। संसार का कोई भी कीमत इसका लगा ले और प्राकृतिक गुण को खरीद ले। ऐसा कोई हो तो हमें भी बताये। हम भी बहूत उत्सुक है। ज्ञान रूपी ये गुण अब बाज़ार में मिल रहे है। इसलिए ज्ञान के पार्क में संपत्ति खरीदने का मेरे नजर में कोई सवाल ही नहीं है। पर ज्ञान के पार्क में संपत्ति को अपने जीवन में स्थापित कर सकते है।

ज्ञान का आयाम कोई न कोई तथ्य से जुड़ा होता है

  

तथ्यात्मक ज्ञान और विशेषताएं

ज्ञान का आयाम कोई न कोई तथ्य से तथ्यात्मक ज्ञान जुड़ा होता है.

जब तक तथ्यात्मक ज्ञान का समझ सार्थक नहीं होता है तब तक उसका तथ्य उजागर नहीं होता है.

ज्ञान के तथ्य को समझे तो जैसे कोई काम कर रहे है. 

उसमे होने वाला क्रिया कलाप में हर जगह कोई न कोई तथ्य जुड़ा होता है.

जिसको पूरा करने से वो कार्य पूरा होता है.

कार्य को पूरा करने के लिए कई प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होता है.

सभी ज्ञान के मेलजोल से जो आयाम बनता है उससे वो कार्य पूरा होता है. यद्यपि कार्य को मानव ही पूरा करता है पर जब तक समुचित ज्ञान का आयाम का अभ्यास न हो तो वो कार्य कही न कही रुक सकता है और आगे बदने में दिक्कत महशुश होने लगता है कारन ज्ञान का सही तरीके से उपयोग नहीं होना. एक कार्य को पूरा करने के लिए लगे ज्ञान में कई प्रकार के तथ्य होते है सबके अपना अपना विशेषता है. सभी का क्रम और अनुशासन भी बिगड़ जाने से कार्य में गड़बड़ी आता है. तथ्य के क्रम में परिवर्तन कभी नहीं करना चाहिए. ज्ञान उससे भी जुड़ा हुआ है.

 

तथ्य का अपना अनुशासन होता है वही से ज्ञान उजागर होता है.

  तथ्यात्मक ज्ञान 

ज्ञान इसलिए जरूरी है. जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है

  

ज्ञान के कई रूप होते है 

ज्ञान के कई रूप होते है ज्ञान कई तरह से प्राप्त किया जा सकता है.

कोई किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है. 

तो कोई सुनी सुनाई बात के माध्यम से भी ज्ञान प्राप्त करता है. 

पर वे सच्चे पारखी होते है, जो सुनी सुनाई बात से ज्ञान प्राप्त करता है.

जो कोई भी यदि सही संस्कार के बिच रहा हो.

उसका आचरण अच्छा हो तो उसकी परख अच्छी होती है.

उसको पता होता है कि सही क्या है?  गलत क्या है? उसकी ज्ञान की गहराई बहुत अच्छी होती है.  

ज्ञान के कई रूप जो व्यक्ति किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त  करते है 

ज्ञान के मामले में उसकी सोच सीमित होती है.

जो व्यक्ति किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है.

उसकी सोच असीमित होती है. क्योंकि उस के हर सोच में गुरु की विद्या होती है.

गुरु उसके हर जगह मददगार होते है. यदि वो व्यक्ति कही पर फस जाता है.

तो वो गुरु की मदद से निकलने में या निर्णय लेने में हर जगह गुरु मदत करते है.

ये बात सिर्फ शिक्षा से ही जुड़े हुए नहीं है.

हमें तो जीवन के हर मोड़ पर ज्ञान की आवश्यकता होती है.

ताकि हम कही फसे नहीं या बिखरे नहीं. ये नियम तो रोज ही होते है.

घर परिवार में, काम धंधे में, समाज में, दोस्तों में, जान पहचान में, किसी व्यवहार में, रस्ते पर, बहुत से ऐसे मौके है, जहा हर जगह  ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है. 

कल्पना करे ज्ञान नहीं होगा तो क्या होता? ज्ञान के बगैर हर जगह हम फसते रहेंतेज्ञान के बगैर मुसीबत में जाते रहेंते. 

इसलिए ज्ञान बहुत जरूरी है.  सोच समझ कर निर्णय लेना होता है की हमें ज्ञान किस प्रकार का लेना है. 

ज्ञान का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से भी हो सकता है

ज्ञान के माध्यम से ये जरूरी है कि हर व्यक्ति को हर प्रकार का ज्ञान होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो हर जगह फसता जायेगा. जहा पर जैसा ज्ञान जरूरी है.  वैसे ही इस्तेमाल करे तो सब ठीक रहेगा. अब मान लीजिये की हम अपने काम धंधे में कोई मेहनत का काम कर रहे है. यदि सोचेंगे की कार्यालय में बैठ कर कोई काम करे और उस ज्ञान के पीछे भागेंगे तो क्या होगा. कल्पना का परिणाम अच्छा नहीं होगा. क्योंकि तब न मन से वो अपने काम प ध्यान दे पायेगा और न मन लगातार नए काम के तरफ ध्यान दे पायेगा. जहा वो समय भी नहीं दे पा रहा हो. तब न ये होगा.  न वो होगा.  तब वहाँ एकाग्रता भांग होने का डर हो जायेगा. और अंत में दोनों ही काम बिगड़ जायेंगा. 

ज्ञान इसलिए जरूरी है क्योकि ज्ञान के कई रूप होते है।

ज्ञान के स्त्रोत जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होना चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है. इसके लिए अपने मन में सोचे की मन वास्तव में क्या कल्पना करना चाह रहा है. यदि मन की आवाज सुनाने में सक्षम  है. उसकी वास्तविकता को समझ रहे है. तो उस तरफ जरूर जाय. सफलता आपका इंतजार कर रहा है.  

अच्छी ज्ञान की परिभाषा 

ज्ञान मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाती है. उसी ज्ञान के माध्यम से हर जगह सफलता मिलती है. हर रस्ते में मार्गदर्शन मिलता है. उसके पास हर बात का जवाब होता है. वही सच्चा ज्ञानी है.
 
   ज्ञान के कई रूप 

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है

  

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है जब जलता है तो प्रकाश उत्पन्न होता है जिससे लोगो को रोशनी मिलती है उसी को गैस बत्ती के मेन्टल कहते है।  

जीवन के प्रकाश में जलना 

जलना क्या होता है? जलना सिर्फ ब्यर्थ और बेकार नहीं होता है जैसा लोग समझते है, जलना उसको भी कहा है जो ज्ञान की तलाश में कोई शोध करता है कुछ प्रकाशित करता है कुछ लोगो को ज्ञान कराता है, इससे वस्तुविक कोई फायदा नहीं होता है पर लोगो को बहुत कुछ दे जाता है। ज्ञान के प्रकाश में ही सब कुछ की प्राप्ति होता है, वही आविष्कार कहलाते है कही न कही शोध करते  हुए  कुछ न कुछ खो कर ही पाये है, ऐसे ही सबकुछ आज दुनिया नहीं प्राप्त हुआ है,  शोधकर्ता ने अपने पुरे जीवन को कोई एक विषय पे अपने दिल और दिमाग को लगाकर, केंद्रित करके जो शोध किये है, आज उसी से हम सबका जीवन सहज हो गया है। 

 जीवन का पहला उपलब्धि पहला शोध पहला आविष्कार

हम अपने जीवन को कैसे समझते हैं, क्या करते हमारा दिमाग किस तरफ  जाता है, क्या हम अच्छा या बुरा सोचते हैं, वास्तविक जीवन के प्रकाश में सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक ही सोच होता है जो कि कोई विरले ही उस समझ को शोध में परिवर्तित करता है और वो परिपक़्व  हो कर उजागर भी करता है, वो दुनिया के सामने एक मिशाल भी कायम करता है, सबसे पहली शोध दुनिया में चक्कर की हुई थी वो भी अनायश जो एक पहलु में आकर पुरा हो गया और एक बहुत बड़ी शोध बन गया, वही गोलनुमा चक्र बन गया।  

एक ब्यक्ति कोई सामान घसीट कर ले जा रहा था  

तभी अचानक एक गोलनुमा वास्तु पर  वो समान सरकने लगा साथ में वो भी गोल गोल घुमने लगा और समान सहज तरिके से आगे बढ़ गया तब उस ब्यक्ति ने एक वास्तु को  एक गोलनुमा आकर देकर उसका उपयोग सुरु कर दिया।
बाद में परिवर्तन दर परिवर्तन विकास करता हुआ 
वही गोलनुमा वास्तु आज गाड़ी के पहिये बनकर, माशिनो के गोलनुमा आकार के पुरजे बनकर गाड़ी, कल कारखाने और अनगिनत बहुत सारे उपकरण, यहां तक की रोजमर्रा के जीवन उपयोग होने वाले बहुत सरे बस्तु बन गए जिसपे आज पूरा  दुनिया चलता है।

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है.

  

रिश्ते का महत्व

दोस्तों किसी से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रहना चाहिए.  इससे स्वयं खुद का भी मन व्यथित रहता है. भले लोग अपने हो या पराये ये मायने नहीं रखता है. किसी को जानते या पहचानते है तो कही न कही आत्मीयता से जरूर जुड़े हुए है. तभी कभी कवल उनका याद भी आता रहता है. जब किसी अपने या पराये से नाराज हो जाते है तो वो सदा याद रहते है. ऐसे लोगो का याद हरदम मन में रहता है जिनसे नाराज होते है. नाराजगी एक नकारात्मक गुण है जो सकारात्मक गुण से ज्यादा सक्रीय होता है. भले उनसे आप नाराज रहे पर उनकी याद सदा आपके मन में रहेगा ही. इसलिए नाराजगी ठीक है पर उतना ही की वो नाराजगी अपने मन में न बैठ जाये. इससे खुद का भी दिमाग ग्रसित होने लग जाता है. इसलिए सभी के साथ नाराजगी छोडिये और मिलजुल कर रहिये.

   रिश्ते का महत्व 

रिश्ते का महत्व मे ताली दोनों हाथ से बजता है. रिस्तो में इस बात का भी ध्यान रखिये.

एक तरफ़ा सम्बन्ध कभी मत रखिये.  आप चाहे तो मदद कर सकते है, पर उतना ही जो उचित हो और किसी प्रकार का अपना नुकसान नहीं होता हो.  यहाँ तक ठीक है. जब सामने वाला अपको कोई महत्त्व नहीं दे रहा है. तो उससे मतलब रखना बिलकुल ठीक नहीं है.  ऐसे व्यक्ति को दिल से निकल देना चाहिए. ये नुकसान दायक होता है. आप मदद करते जा रहे है.  वो किसी भी प्रकार से आपके लायक ही नहीं है तो वो मदद किस काम का. जबरदस्ती रिश्ता कभी ठीक नहीं होता है.  भले अपने से हो या पराये से रिश्ता दोनों तरफ सामान और आदर्श होना चाहिए, तभी वो रिश्ता महत्त्व रखता है.

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है.

रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है. उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है. ये बात उतना ही सही है, जैसे जहा कई बर्तन हो तो आपस में टकराते भी है. वैसे ही रिश्ता भी होता है. कभी ख़ुशी तो कभी नाराजगी पर वो नाराजगी नहीं समझ का फेर होता है और कुछ नहीं होता है. 

जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं।

  

जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है 

जीवन में छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं। या कोई उपकरण बना रहे हैं। 

जिसमे बहुत सारे समान लगते हैं। उसमे से कोई छोटी चीज़ें भी बाकी रह जाता है  तो वो काम पूरा नहीं होता है।

बात सिर्फ उपकरण बनाने का नहीं है।  घर में रोजमर्रा में भी बहुत से ऐसे काम होते हैं। 

जिनके छोटी चीज़ें बहुत होते हैं। उनको एक कर के मिलाकर उस काम को पूरा किया जाता है।

उसमे से कोई वस्तु या कोई छोटी चीज़ें छुट जय तो दिमाग खराब हो जाता है।

किया धरा सारा काम बेकार हो जाता है।

बहुत जरूरी कम हो तो उसके लिए छोटी चीज़ें के वजह से वो काम ही खराब हो जाता है। 

नौकरी या सेवा  में है तो छोटी चीज़ें के कारण से नौकरी जाने का भी खतरा रहता है। 

क्योकी उससे उनका ब्यापार जुड़ा होता है।

छोटी चीज़ें का जीवन में या कल्पना में

सोच समझ में जो सोचने में उसके बारे में विचार करने में भी कोई न कोई छोटी चीज़ें होता ही है। इसलिए कल्पना में भी बात का ख्याल रखा जाता है। की कोई भी महत्वपूर्ण  छोटी चीज़ें छूटे नहीं चाहे वो कोई बड़ा चीज़ें हो या छोटी चीज़ें हो। कल्पना में भी छोटी चीज़े बहुत महत्वपूर्ण स्तान रखता है। क्योकी मनुष्य जैसा  कल्पना करता है।  उसके अनुरुप ही कार्य करता है। सही कहा गया है।  जैसी सोच होते हैं  वैसा वर्ताव भी होता है। और वैसा काम काज भी होता है। सकारातमक मन की उपज सकारातमक ज्ञान को बढ़ावा देता है। जिससे जीवन सार्थक होता है।  काम काज व्यवहार और लेने दें में हर जगह किसी भी प्रसार का कोई भी अनुभव बाकी नहीं रहना चाहिए।  भले उससे जुड़ा हुआ कोई छोटी चीज़ें या बड़ी चीज़ें हो। इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

 

जीवन में छोटी चीज़ें

जीवन को कैसे देखते हैं? जीवन की मुख्य मात्रा क्या हैं? जीवन को सबसे पहले ज्ञान (Knowledge) के माध्यम से समझना चाहिए

  

जन्म से मृतु तक समय को जीवन कहते है 

बचपन में हस खेल कर बच्चे पढाई लिखाई करके मस्ती सरारत करते हुए रहते है। अपना जीवन बिताते हुए आगे बढ़ते है। किशोरावस्था में सही, गलत, अच्छा, बुरा सब प्रकार के ज्ञान को समझते हुए आगे बढ़ते है। शिक्षा प्राप्त करते है। जीवन के रंग को समझते है। जिंदगी में आगे बढ़ाते है। युवावस्था में जीवन के जिम्मेवारी को समझते है। घर परिवार के देख रेख, काम काज, लोग समाज में उठना बैठना सब प्रकार के ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करते है।

अपने जीवन के साथ जीवन संगिनी को प्राप्त कर के साथ साथ जीवन बिताते है। नए पीढ़ी के साथ आगे बढ़ते है। प्रौढ़ावस्था में जीवन के उतर चढ़ाव को समझते है। अपने अग्रज को अपने ज्ञान और अनुभव से शिक्षा देते है। समाज घर परिवार के देख रेख करते है। जीवन ब्यतित करते हुए आगे बढ़ते है। वृद्धावस्था में सब प्रकार के दुःख सुख का अनुभव करते है। एक एक कर के अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरो को देकर अपने जीवन के समापन की और बढ़ते है। बाद में मृतु को प्राप्त करते है। इस तरह से जन्म से मृतु तक जीवन ब्यतित होता है।    

 

 

आप जीवन को कैसे देखते हैं?

अपने जीवन को सबसे पहले ज्ञान के माध्यम से समझना चाहिए। जीवन का सबसे बड़ा मूल्य शिक्षा और ज्ञान ही होता है। जिसपर जीवन का विकाश तरक्की उन्नति आधारित होता है। जीवन में शिक्षा और ज्ञान यदि भरा हुआ है तो सफलता उससे कभी दूर नहीं रहेगा। समझदारी जीवन में लोगो के बिच में कार्य ब्यवस्था में अनुभव को दर्शाता है। सरलता सहजता जीवन में सुख दुःख के समय अपने जीवन को किस तरह ब्यतित करते है। मुस्किल के समय और हार्स उल्लास में जीवन को सहज और सजग कैसे रखना है। बहूत ही उपयोगी गुण दर्शाता है। जीवन में अपने कार्य ब्यवस्था के तरफ  सक्रियता जिम्मेवारी को दर्शाता है। घर परिवार बच्चो बुजुर्गो के प्रति जिम्मेवारी बहूत जरूरी है। मनुष्य के जीवन के लिए, सदाचार सद्भाव जीवन के संरचना में बहूत अहेमियत रखता है।       

 

जीवन की मुख्य मात्रा क्या हैं?

जीवन के मुख्य मात्र १० प्रतिशत ही होते है। आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार मनुष्य सक्रीय चेतन मन १० प्रतिशत होते है। बाकि ९० प्रतिशत अचेतन होते है। सचेतन मन की सक्रियता जीवन के लिए विकाश और सफलता का कारण है। इसलिए जीवन की मुख्य मात्रा १० प्रतिशत सक्रिय मन हैं।

जीवन के विकाश और उन्नति के लिए अतिआवश्यक है ज्ञान श्रीष्ठाचार सिखाता है अदब सिखाता है आचरण सिखाता है व्यवहार सिखाता है

  

विषयों के ज्ञान के बिना एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति सफल कैसे हो जाता है?

 

ज्ञान जीवन के विकाश और उन्नति के लिए अतिआवश्यक है ज्ञान श्रिस्ताचार सिखाता हैअदब सिखाता है आचरण सिखाता है। व्यवहार सिखाता है बातचित करने की कला सिखाता हैकोई भी विषय का ज्ञान अपने ज्ञान को बढ़ाने का ही काम करता हैज्ञान प्राप्त करने के लिए विषय एक माध्यम होता है। जिससे जीवन में ज्ञान का विकाश होता है

  जीवन के विकाश 

 

जीवन में ज्ञान के प्रभाव से रहन सहन में सृस्ताचार, अदब, आचरण, व्यवहार, सरलता, सहजता, निर्भीकता, जिज्ञासा जैसे महान गुण जीवन में स्थापित होते हैजो ब्यक्ति को सफल और निर्भीक बनाता हैइसलिए विषयों के ज्ञान के बिना एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति सफल हो जाता है

जीवन के मुख्य गुण क्या हैं? जीवन के मुख्या गुण सरलता सहजता एकाग्रता संतुलित सोच समझ

  

जीवन के मुख्य गुण क्या हैं?

अपने जीवन के मुख्य गुण सरलता, सहजता, एकाग्रता, संतुलित सोच समझ, विवेक बुध्दी पूर्ण कार्य और कर्तब्य, सौम्यता, करुना, जरूरी कल्पना, शांति, बौद्धिक, चंचलता, अपने कार्य में गतिमान, गतिशीलता, निर्भीक, संतुलन, अमीरी, गरीबी, सुख, दुःख, अपनापन, कोमलता, सम्मानित, जानकर, ज्ञानी, निर्मलता, गंभीरता ऐसे बहूत से सकारात्मक गुण है।

जीवन के गुण में नकारात्मक गुण भी होते है कठोरता, निर्ममता, संकुचितपना, निर्दैता, निष्ठुरता, दरिद्रता, असहज, असंतुलित सोच समझ, विवेकहीनता, बुध्दिहीन, मतलावी, मन की कल्पनो में डूबना, कर्म हीनता।  

जीवन के मुख्य गुण

क्या पिछले जन्म (Past life) मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है?

अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। जो की इस बात को प्रमाणित करे की क्या पिछले जन्म मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है। कई जगह देखा गया है। पुनर्जन्म कही भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला है। 

जीवन के प्रेरणा स्त्रोत तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है. जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है

  

प्रेरणा स्त्रोत जीवन के तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है.

प्रेरणा स्त्रोत जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है.

जिनके ज्ञान से अपने जीवन को लाभान्वित करता है.

कल्पना का प्रभाव ऐसा होता है की जिसके जीवन किसी के मिल जय तो ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में भर जाता है.

जिनके जीवन में ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में स्थापित हो गया.

समझ लीजिये उनका जीवन सफल है. किसी का जीवन में बहुत कुछ लाता है.

प्रेरणा स्त्रोत विज्ञान के विषय में सुरु में जिन विज्ञानिको ने जो आविस्कर किया.

उससे प्रेरणा लेकर उनके बाद आने वाले विज्ञानिको ने दिन प्रति दिन आविस्कारो को बढ़ाते हुए आज हम सब के लिए जीवन सुलभ कर दिया है.

यदि आज के समय में हम लोग किसी भी क्षेत्र में कुछ करना कहते है.

तो सभी कही न कही विज्ञान के ही देन है.

इसलिए हमलोगों के लिए सबसे बड़ा विज्ञान ही है.

भले लोग इस बात को माने या न माने.

चाहे दुनिया के किसी भी क्षेत्र में जा कर देखे.

सब जगह विज्ञान के ही आविस्कर है.

जो दुनियाभर के विज्ञानिको ने ही किया है.

आज के समय में तो सबसे बड़ा प्रेरणा के स्त्रोत वैज्ञानिक ही है.

अविष्कारक ही सृष्टि के जननी होते है. जिस तरह कोई व्यक्ति सिर्फ ज्ञान से पूरा सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है.

जब तक की अच्छा अनुभव नहीं प्राप्त हो अनुभव ही ज्ञान का विस्तार करता है. नए सृजन का निर्माण करता है. ज्ञान का अनुभव भी होते है. सिर्फ अपने लिए ही नहीं अपितु अपने ज्ञान का अनुभव दूसरो के लिए भी बनता है. जो दुनियाभर के विज्ञानिको ने ही किया है आज के समय में तो सबसे बड़ा प्रेरणा के स्त्रोत वैज्ञानिक ही है. किसी के जीवन में बहुत कुछ लाता है.

  प्रेरणा स्त्रोत 

जीवन के उतार चढ़ाव में कल्पना का बहुत बड़ा महत्त्व होता है जिनके मनोबल कमजोर होता है जिनके पास आत्मबल और मनोबल मजबूत होता है उनके मन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है।

  

जीवन के उतार चढ़ाव में कल्पना का बहुत बड़ा महत्त्व होता है।   

अपने जीवन के उतार चढ़ाव में आखिर किसी भी असफलता का कारन क्या होता है। सबसे पहले सोचना चाइये की कहाँ क्या कमी रह गया है।  कहाँ पर क्या करना था और क्या हो गया है।   यही सोच विचार जब करते है तो उसको कल्पना कहा जाता है। मनुष्य चाहे किसी भी स्तर पर क्यों न हो  चाहे काम धंदा ब्यापार, समाज के बिच रहना बात बिचार करना, पढाई लिखाई, खेल कूद, उन्नति अवनति हर क्षेत्र में ब्यक्ति विकास करने के लिए कुछ न कुछ विचार करता है। उस सोच समझ को ही कल्पना कहते है।

 

जीवन के उतार चढ़ाव मे सबसे गहन सोच कल्पना तब होता है 

जब किसी का बहुत बड़ा नुकशान होता है मगर उस समय ज्यादाकर लोग विवेक बुद्धि के आहात होने के वजह से लोग कल्पनातीत भी हो जाते है। जिनके अंदर मनोबल कमजोर होता है या एकाग्रता का अभाव होता है। बहुत ज्यादा नुकशान होने से लोग नकारात्मक भी सोच लेते है या कल्पना में नकारात्मक भाव आता है  इसका मुख्य कारण मनोबल का कमजोर होना ही होता है  जो एकाग्रता को भंग  कर देता है। 

मन तो वास्तव में ऐसा होना चाइये की जो दुःख में हतोत्साहित न हो और सुख में उत्तेजना न हो  दोनो ही स्तिथि में सम रहने से जीवन में स्थिरता का निर्माण होता है। विवेक बुद्धि सक्रिय होता है  जीवन में सरलता और सहजता आता है  जो ब्यक्ति को निर्भय बनता है  आत्मबल और मनोबल मजबूत करता है।

 

मन पर अक्सर दो प्रकार का प्रभाव होता है 

एक सकारात्मक दूसरा नकारात्मक सकारात्मक प्रभाव वाले लोग अच्छे होते है। उनके अंदर ज्ञान होता है  उनका सोच समझ विचार कल्पना सब संतुलित होते है। वे कभी कल्पनातीत नहीं होते है सकारात्मक ब्यक्ति के बात विचार करने का ढंग सौम्य होता है  जो सबको अच्छा लगता है। 

 

जिनके मन में नकारात्मक प्रबृत्ति होता है  

ऐसे ब्यक्ति के मन एक जगह नहीं ठहरते है  उनके मन बिचलित रहते है  ऐसे ब्यक्ति अपने मन के पीछे भागता है  मन जैसा करता  है  उस और भागता है ऐसे ब्यक्ति के मन पर कोई नियंत्रण नहीं होता है  इसके पीछे मुख्या कारण है  ज्यादाकर कल्पनातीत रहना  जो कभी पूर्ण हो नहीं सकता है  उस विषय या कार्य के बारे में ज्यादा सोच विचार कल्पना करना  इससे बुद्धि विवेक कमजोर रहता है।   

मन में हमेशा उथल पुथल रहता है ऐसे ब्यक्ति ज्यादा तर्क वितर्क करता है 

स्वाभाविक है ज्यादा तर्क वितर्क से बनाबे वाला काम भी बिगड़ सकता है  किसी भी काम में सफलता या परिणाम तक पहुंचने के लिए सटीक सोच की आवश्यकता होता है जब कोई काम समझ कर करने पर भी पूरा नहीं होता है तो स्वाभाविक है  तर्क वितर्क उत्पन्न ही होगा  इसलिए मन में नकारात्मक प्रबृत्ति कभी नहीं होनी चाइये।   

  

बहुत ज्यादा सोचना या कल्पना करना भी उचित नहीं होता है 

इससे मन के भाव में बहुत फड़क पड़ता है  भले सरे सोच सकारात्मक ही क्यों न हो  सोच विचार के साथ किया गया कल्पना ही फलित होता है  बहुत जायदा सोचना या कल्पना करने से मस्तिष्क के साथ साथ मन पर भी बहुत असर होता है  जिससे स्वस्थ भी ख़राब हो सकता है  ऐसा तब होता है  जब सूझ बुझ कर किया गया कार्य या किसी विषय पर निर्णय के वजह से वह सब  ख़राब  हो जाता है  जिससे बर्बादी का कारण बन जाता है नाम मन मर्यादा प्रतिष्ठा सब  दाव पर लग जाता है 

जब की इस बर्बादी के पीछे कारण कुछ और होता है  उस समय जो सोच समझ या कल्पना में विचार कुछ नही हो पता है  बहुत सोच विचार करने पर भी कोई जवाब नहीं मिल पता है  तब लोग कुछ गलत कदम भी उठा लेते है  जिनके मनोबल कमजोर होता है  जिनके पास आत्मबल और मनोबल मजबूत होता है  उनके मन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है।     

जीवन की सुंदरता में उच्च ब्यक्तित्व की पहचान में मन के ज्ञान का पहचान बड़ा स्थान रखता है

  

जीवन के वास्तविक सुंदरता

जीवन में वास्तविक सुंदरता पुरुषार्थ के आने के साथ ही नजर आता है।

तन की सुंदरता उनके आकर्षण को दर्शाता है।

ब्यक्ति की पहचान और रुतवा कितना बड़ा है। 

आकर्षक होने से लोग उनके तरफ आकर्षित हो रहे है। 

ब्यक्ति को बाहरी दिखावे पर अवस्य ध्यान देना चाहिये। 

व्यक्तित्व उनके रुतवा को दर्शाता है।  जितना साफ सुथरा परिवेश होता है।

व्यक्तित्व का रुतवा उतना ही आकर्षण को दर्शाता है। 

मन के साफ होने से उच्च ब्यक्तित्व की पहचान

अपने मन के साफ होने अछे ब्यक्तित्व की पहचान होता है।

मन जितना साफ़ होता है। जीवन में सरलता और सहजता उतना ही बढ़ता जाता है। 

मन से साफ होने से अनगिनत फयदे है। 

लोगो के किसी भी प्रकार के बात विचार का असर मन पर नहीं होता है।

कोई भी बात विचार सूझ बुझ समझदारी से होता है। 

बात विचार का प्रभाव  लोगो पर पड़ता है। 

लोगो के बिच में सौहार्द्र बढ़ता है। लोग आत्मीयता से जुड़ते  है। 

मन के साफ होने से मन में सारलता निवास होता है।

जिससे लोगो के बात विचार को समझने की क्षमता होता है।

लोगो के बात विचार का उचित निर्णय लेने में मन सक्षम होते है। 

अपने जीवन की सुंदरता करुणा, सरलता, सहजता में बहुत बड़ा स्थान

जीवन की सुंदरता में करुणा का भी बहुत बड़ा स्थान है।

मन में करुणा का भाव होने से तन मन की सुंदरता चरितार्थ होता है।

करुणा बच्चो के प्रति माता का प्यार दुलार बहुत होता है।

ऐसे स्वभाव के ब्यक्ति के बात विचार आकर्षक और मोहक होते है।

करुणा के स्वभाव से ब्यक्ति का मन बहुत साफ सुथरा होता जाता है। 

ब्यक्तित्व का स्तर बहुत उच्च होता है। 

जीवन के उन्नति में परोपकार, उदारता, दयावान, दानशीलता, दयावान, सत्कर्म है 

जीवन के उन्नति में परोपकार, उदारता, दयावान, दानशीलता, से बड़ा कर्म सायद ही कोई हो।

जिनके मन में परोपकार की भावना होते है।  

उदारता के गुण ब्यक्ति के जीवन में दुसरो के प्रति बहुत अनुराग उत्पन्न करता है।

दयावान, दानशीलता जैसे गुण वाले ब्यक्ति सदा दुसरो के अच्छाई के लिए ही कर्म करते है।

ऐसा समझे की उनका सबकुछ दुसरो के लिए ही होता है।

किसी के भी दुःख तकलीफ पड़ेशानी में सदा साथ देते है। ऐसे ब्यक्ति के भावना सदाचारी होते है।  

  जीवन की सुंदरता 

जीवन की आधारशिला माता पिता ही बच्चो के पालक माता पिता है भले सांसारिक ज्ञान में कोई न कोई मतभेद उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

  

जीवन के आधारस्तम्भ जीवन की आधारशिला

जीवन की आधारशिला माता पिता ही होते है।

बच्चो के पालक माता पिता ही होते है।

भले सांसारिक ज्ञान में कोई न कोई मतभेद हो।

उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

बड़े और गुरुजन भी मदत करते है। ज्ञान कभी भी छुपा नहीं रहता है।

जैसा हाल जैसा माहौल हो तो धोखे खा कर भी लोग सीखते है।

इसलिए जीवन ही एक संघर्ष है।

माता पिता के द्वारा शिक्षा ज्ञान जीवन की आधारशिला

बच्चे जन्म से ही माता पिता के लाडले होते है।

उनका भरण पोषण माता पिता करते है ये तो जगत विख्यात है।

सिर्फ भरण पोसन ही नहीं उनका देखभाल छोटे से बड़ा होना।

घरेलु शिक्षा फिर पाठशाला में शिक्षा सब में हर जगह माता पिता के ही देख रेख में होते है।

भले ही पाठशाला के ज्ञान का माध्यम अध्यापक हो भूमिका तो माता पिता के ही है।

आगे चलकर उच्च महा विद्यालय की पढाई पूरा करवाना।

जब तक की कही नौकरी धंदा नही लग जाता है। तब तक हर प्रकार से देख रेख माता पिता का ही होता है।

बच्चो के लिए माता पिता का संघर्ष

संघर्ष भरे माता के जीवन में क्या क्या बीतता है। किस किस रस्ते से गुजर कर। ये सभी इच्छाएं माता पिता पूर्ति करते है। कभी कभी ऐसे हालात भी होते है। जिसका अपने बच्चो को किसी प्रकार का शिक्षा और ज्ञान में व्यवधान नहीं आने देते है। हर बुरे हालत कों स्वयं पर झेलते है। अपने बच्चो को रत्ती भर भी तकलीफ नहीं होने देते है। ये सभी क्या है? संघर्ष ही तो है। संघर्ष तो जीवन जीने के लिए हर किसी को करना पड़ता है।

होनहार बच्चे का संघर्ष

संघर्ष तो उस होनहार बच्चे के लिए भी है। जो ज्ञानी और समझदार बच्चे है। माता पिता के दिए हुए ज्ञान से उनका आत्मज्ञान आत्मबल बढ़ता है। जिससे आगे चलकर अपने पढाई लिखाई में दिन रात मेहनत कर के आगे बढ़ते है। इससे ज्ञान तो बढ़ता ही है। मन की एकाग्रता का निर्माण होता है। मन की एकाग्रता से जीवन को सरल और सहज करने में बहुत मदत मिलता है।

जीवन की सरलता और सहजता के मुख्य द्वार एकाग्रता ही है। किसी एक माध्यम में गुजर बसर से मिलता है। संघर्ष के लिए एकाग्रता का जीवन में होना बहुत महत्त्व है। एकाग्रता जीवन में स्थापित हो जाए। तो चाहे जितनी भी मुसीबत या परेशानी जीवन आता है। उस ब्यक्ति के मानसिकता में कोई फड़क नहीं पड़ता है। अपने उद्देश्य पर सजग हो कर चलते ही रहता है। अपने जीवन का निर्वाह करते रहता है। संघर्ष भरे जीवन के ये पहचन है।

   जीवन की आधारशिला 

जीवन का अस्तित्व मव सक्रिय कल्पना से मन सकारात्मक है तो ब्यक्ति के बुद्धिमान होने से सोच समझ सकारात्मक ही होंगे

  

जीवन का अस्तित्व में सक्रिय कल्पना 

सक्रिय कल्पना मे अपने जीवन का अस्तित्व में कल्पना के संसार में मनुष्य का जीवन का अस्तिव कल्पना के संसार में मनुष्य का जीवन पनपता है। 

कल्पना चाहे छोटा हो या बड़ा हर कोई कल्पना के संसार में विचरण करता है। 

कल्पना के अनुरूप अपना कार्य करता है। 

जीवन में आवश्यक कार्य के लिए चिंतन करता है। कार्य के प्रति सक्रीय रहता है। 

जीवन में सक्रियता तो देता ही है। साथ में मन मस्तिष्क को भी सक्रीय बनाये रखता है।

चुस्ती फुर्ती से कल्पना सक्रीय होता है। 

जीवन की सक्रियत रहने के लिए सबसे पहले शरीरमनबुद्धिविवेक का  सक्रीय होना जरूरी है।

 शरीर चुस्त दुरुस्त रहेगा तो मन में भरपूर सकारात्मक ऊर्जा होगा। 

मन सकारात्मक होगा तो ब्यक्ति बुद्धिमान बनेगा। 

बुद्धिमान ब्यक्ति के सोच समझ सकारात्मक ही होंगे। 

लिहाजा ऐसे ब्यक्ति के कल्पना भी सक्रीय होगे। 

जीवन का अस्तीत्व में सक्रीय कल्पना तब ज्यादा फायदेमंद जब वो सकारात्मक हो

जीवन का अस्तीत्व सक्रीय कल्पना तब ज्यादा फायदेमंद होता है जब ब्यक्ति उस तरफ पुरे मन से कार्य करता है ऐसा न हो की कल्पना का संसार बना लिए और कार्य के नाम पर कुछ नहीं किये तब कल्पना का दुश्य परिणाम ही निकलता है कल्पना वही तक सही है जहा तक कल्पना के अनुरूप कार्य करे कल्पना कोई भी हो बहुत सक्रीय होते है  कल्पना का पूरा प्रभाव मन और मस्तिष्क पर पड़ता है यदि कल्पना के अनुसार सक्रीय हो कर कल्पना से जुड़े कार्य में ब्यस्त है तो इससे सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा सक्रीय कार्य समय पर पूरा होगा

कल्पना के अनुसार कार्य में सक्रियता नहीं है तो मन सुस्त होने लगेगा

मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा बाद में मन भी नकारात्मक होने लग जायेगा सक्रियता सकारात्मकता को बढ़ाता है  सुस्तपना नकारात्मक प्रबृति है कार्यहीनता भी नकारात्मक प्रबृति है कर्महिनाता से बिलकुल बचकर रहना चाहिये  मस्तिष्क ऊर्जा का क्षेत्र है मस्तिस्क मन से प्रभावित होता है मन का लगना सकारात्मक प्रबृति है मन का किसी कार्य में नहीं लगना नकारात्मक प्रबृति है

कल्पना सक्रीय है जब कल्पना सक्रीय होता है

तब मन भी सक्रीय होता है परिणाम मस्तिष्क में दिमाग भी सक्रीय होता है मन सुस्त पड़ गया तो जरूरी नहीं की कल्पना और दिमाग भी सुस्त पड़ेगा वो चलता ही रहेगा मनुष्य सचेतन में रहता है जिसे सचेत मन कहते है कल्पना अवचेतन मन की प्रकृति है अवचेतन मन का संपर्क अंतरमन से है सचेत मन सक्रीय नहीं रहा तो अचेतन को बढ़ा देगा जो नकारात्मक प्रबृति है

सक्रिय कल्पना  मे मस्तिष्क में दिमाग के दो भाग होते है

ऊर्जा की दृस्टि से समझा जाए तो दिमाग में दो प्रकार के ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसे सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा कहते है मन के स्वभाव से ऊर्जा कार्य करता है मन की जैसी प्रकृति होगा ऊर्जा वैसा कार्य करेगा मन और उर्जा का संगम होता है इसलिए मन सदा सकरात्मक होन चाहिए।

  सक्रिय कल्पना 

जीवन और मन के लिए सफल जीवन के लिए बुद्धि विवेक का प्रभाव मन पर पड़ना चाहिए

  

जिंदगी जीवन और मन की सच्चाई है.

कल्पना मन का श्रोत है. मन कुछ और कहता है पर जीवन जिम्मेदारी का नाम है.

संघर्स जीवन के लिए है. जब की मन ख्याली पुलाव खाते रहता है.

दिन रात मेहनत करना चाहता है पर मन उसे ऐसा करने से रोक भी सकता है.

जीवन सच्चाई यथार्थ ही होता है पर मन आडम्बर भी कर सकता है.

 

जीवन के जरीय मन को नियंत्रित किया जा सकता है.

मन के जरिये चल रहे जीवन में परिवर्तन करना आसन नहीं होता है.

मन का संसार आज तक कोई नहीं समझ पाया है.

जीवन को समझने का प्रयास करे तो मन जरूर समझ में आने लग जाता है.

 

जीवन का सच्चा मददगार बुद्धि विवेक ही होता है.

अपना मन चाहे जितना सोचे पर कार्य तो जीवन में बुद्धि विवेक से ही करना चाहिए. समृद्धि के लिए मन को जीवन के अनुसार ही चलाना चाहिए. ज्यादा मन का बढ़ना समृद्धि के रास्ते में रोरा भी अटका सकता है. जीवन का सफल संघर्स तो मन पर नियंत्रण पाना ही होता है. जीवन के उत्थान के लिए मन पर नियंत्रण बहूत जरूरी है.

 

मन को उस ओर जरूर व्यस्त रखे जो जीवन यापन में कार्य कर रहे है.

मन लगाकर कार्य करना और अपने अस्तित्व को बनाये रखने में बुद्धि विवेक हर जगह साथ देता है. जीवन में कभी भी ऐसा कुछ नहीं करे की जिससे बुद्धि विवेक में कोई विकार आये. मन का भरोसा नहीं करना चाहिए, मन का तो आकर, विकार और निराकार भी होता है. पर जीवन के लिए बुद्धि विवेक एक आधार स्तम्भ होता है.

 

सफल जीवन के लिए बुद्धि विवेक का प्रभाव मन पर पड़ना चाहिए.

ऐसा कभी नही हो की मन का प्रभाव बुद्धि विवेक पर पड़े. मन स्वयं का अपना होता है पर जीवन के अंश बहूत लोगो से जुड़ा होता है जिससे जीवन चलता है. जीवन के उत्थान और सफलता के लिए बुद्धि विवेक को सक्रीय करना ही अच्छा है. 

जीवन और मन

जीवंत कल्पना जीवन के विकास के लिए कुछ योजना वर्त्तमान में क्या चल रहा बिता हुआ समय कैसा आने वाला भविष्य कैसा हो तरक्की उन्नति और विकास कैसे हो?

  

जीवंत कल्पना खुशहाल जीवन के कल्पना में मनुष्य अपने अस्तित्व में आना

खुशहाल जीवन के कल्पना में।  जब मनुष्य अपने अस्तित्व में आता है। 

अपने जीवन के विकास के लिए कुछ योजना बनता है।

वर्त्तमान में क्या चल रहा है। बिता हुआ समय कैसा था

आने वाला भविष्य कैसा होगा?

तरक्कीउन्नति और विकास कैसे हो?

जब ब्यक्ति ऐसा कुछ विचार कर के सोचता है। 

भविष्य के जीवन के लिए खुशहाली की कामना करता है।

मनुष्य को करना ही चाहिये।

जब तक मनुष्य सोचेगा नहीं तब तक कुछ करने का भावना जागेगा नहीं।

सोचना कल्पना करना किसी निर्माण के बुनियाद से काम नहीं होता है।

जीवंत कल्पना में युवावस्था में अक्सर लोग जीवन में आकर्षण के लिए जीवंत कल्पना करते है

युवावस्था में अक्सर लोग सकारात्मक सोच रखते है। जीवन में आकर्षण के लिए खासकर ऐसे युवा जीनके कोई प्रेमिका हो प्रसन्नचित मन के लिए  युवा जीवंत कल्पना करते है।  हालाकि कल्पना की दृस्टि से देखा जाए। तो उचित नहीं है। सोच समझ और कल्पना में जितना मनुष्य सरल और सहज हो कर संतुलित कल्पना करेगा।  उतना ही अच्छा है।  मन को  मनोरंजक करना। उतना ही तक ठीक है। बस वो कल्पना हो। कल्पनातीत नही होना चाहिए। क्योकि ये सब के दायरे में ही आते है। बहुत ज्यादा सक्रीय होते है। बहुत तेज गति से दिल और दिमाग पर प्रभाव डालते है।

अपने मनदिलदिमागविवेकबुद्धिसोचसमझ के विकास और संतुलन के लिए करे तो  उपयोगी है।  जिस विषय या कार्य पर सक्रिय होते है। कार्य की सफलता के लिए। जब सक्रीय हो कर विचार करते है। 

मनुष्य को करना ही चाहिये। जब तक मनुष्य सोचेगा नहीं तब तक कुछ करने का भावना जागेगा नहीं। सोचना कल्पना करना किसी निर्माण के बुनियाद से काम नहीं होता है।

युवावस्था में अक्सर लोग सकारात्मक सोच रखते है। जीवन में आकर्षण के लिए खासकर ऐसे युवा जीनके कोई प्रेमिका हो प्रसन्नचित मन के लिए  युवा जीवंत कल्पना करते है।

जीआरसी का काम को पश्चिमी देश में प्रीकास्ट कहते है. कही कही पर जी. आर. सी. वर्क को जी. ऍफ़. आर. सी. वर्क भी कहते है. GRC और GFRC में ज्यादा अंतर नहीं होता है

  

जीआरसी डिजाईन आज के आधुनिक समय में वाइट सीमेंट और सिलिका सैंड से बना पादर्थ है

 

जी आर सी डिजाईन जिसमे वाटर प्रूफिंग के लिए सोलुसन को मिश्रित कर के बनाया जाता है. 

जीआरसी का काम मे मजबूती के लिए फाइबर ग्लास के मैट का बहूत ज्यादा इस्तेमाल ही जी. आर. सी. डिजाईन को मजबूती और टिकाऊ बनता है.

बेहद खुबसूरत फिनिशिंग के लिए सफ़ेद सीमेंट का इस्तेमाल किया जाता है।

जो काले वाले सीमेंट से ज्यादा मजबूत और बारीक़ होता है.

धलाई को मजबूत बनाने के लिए सिलिका सैंड उपयोगी होता होता है.

घर के बहार और अन्दर के सजावटी वस्तु को बनाने के लिए मिट्टी और प्लास्टर से डिजाईन को बनाया जाता है.

सांचे को बनाने के लिए फाइबर ग्लास का इस्तेमाल होता है.

आमतौर पर तयार मॉल अफेद रंग का  निकालता है

जिसे पालिश पेपर से सफाई और सफ़ेद सीमेंट के बने पुट्टी के भाराइ के बाद मनमोहक फिनिशिंग डिजाईन में आता है.

किसी भी प्रकार के जी. आर. सी. डिजाईन के लिए संपक सबसे पहले डिज़ाइनर से करना चाहिए.

आर्किटेक्ट स्वयं एक आर्टिस्ट होता है. जिसके समझ से डिजाईन डिजाईन के उभार को समझकर मॉडल को बनता है.

सब तारीके से सुसज्जित डिजाईन ही बिल्डिंग और घर में लगता है. प्रोडक्शन करने वाले डिजाईन नहीं कर सकते है। 

वे सिर्फ डिजाईन के मोल्ड को बाजार से खरीदकर उत्पादन कर सकते है और फिनिशिंग और फिटिंग करते है.

आकर और डिजाईन को नए रूप और रंग देने की काबिलियत डिज़ाइनर के पास ही होता है.

जो की कम से कम मिटटी के खुबसूरत डिजाईन को आकर और उभार के अनुसार रूप देकर डिजाईन को सुसज्जित कर सके.

 

  जीआरसी का काम 

जीआरसी का काम को पश्चिमी देश में प्रीकास्ट कहते है. 

जीआरसी का कामको कही कही पर जी. आर. सी. वर्क को जी. ऍफ़. आर. सी. वर्क भी कहते है. GRC और GFRC में ज्यादा अंतर नहीं होता है. इंडस्ट्रियल कार्य करने वाले इसे GFRC कहते है, जब की हाथ से काम करने वाले इसे GRC वर्क कहते है या GRC डिजाईन कहते है. डॉन एक ही है.इंडस्ट्रीज में बड़े बड़े आकर के सांचे में आधुनिक मशीन से ढलाई स्प्रे से किया जाता है जिसमे उच्च क्षमता के हवा के प्रेसर के साथ स्प्रे में GFRC मटेरियल को भर कर सांचे में धलाई किया जाता है.

 

शादी के सजावट में उपयोग होने वाले फाइबर ग्लास GRC और GFRC के सामग्री के डिज़ाइनर और निर्माता विस्वविख्यात उद्यम पिछले १५ साल से एक्सपोर्ट मार्किट में सप्लाई करने वाले एक मात्र डिज़ाइनर 

 

Ramnath Kalarathi Enterprise

For designing of wedding mandap stage in fiberglass and stage set up

Grc design work for construction and house interior exterior designing work

durgakalarathi@gmail.com

https;//www.weddingmandapdesigner.com

चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है।

  

कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है

हमेशा कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है।

चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो। काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो।

उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है। जिस काम के तजुर्बे में शामिल है। 

उसकी बारिकियत को जितना आका जय उतना ही कम है।

कोई भी तजुर्बा जिसके गहराई में पहुंचे तो काम काज के ज्ञान का समझ और तजुर्बा ज्यादा बढ़ता है।

बस कमी तो यही है की सही मार्गदर्शन करने वाला। या तो कम है।

कोई उन तक पहुंच ही नहीं पता है। वास्तव में यदि किसी को सही मार्गदर्शन करने वाला मिल जाय

उनकी रह पर चल कर उनके समझ और ज्ञान पर भरोसा कर के सीखते रहे। तो फिर किसी जानकारी की कमी नहीं रहेगी। 

कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है

कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है।

मन लगाकर यदि किसी भी काम को जानकर के सानिध्य में करे।

तो उसकी गहराई में जाकर नए रूप रंग को दे सकते है। 

इससे अपना ज्ञान और भी बढ़ेगा। जब तक किसी काम में अपना मन लगा लेते है।

मन वास्तव में लगकर जब काम करने लग जाता है। इससे मन की एकाग्रता का विकास होता है।

सोचने समझने की शक्ति बढ़ता है।  जिससे शरीर कभी थकता नहीं है

कोई बाहरी बातचित से उसमे रूकावट नहीं पड़ता है। 

मन लगातार अपने काम में ब्यस्त रहता है।  इससे अपना ज्ञान और बढ़ता जाता है। 

बाद में मन को काम काज करने की आदत लग जाती।

ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है

ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है। बहुत बड़ी कर्म की परिभाषा है। जिस रस्ते पे चलकर सब अपने योग्यता को प्राप्त करते है। समाज में घर परिवार में देश में अपना नाम करते है।  

काम छोटा हो या बड़ा ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं

अब बात ये रहा काम छोटा हो या बड़ा। ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं उसका भी महत्व है। एक सफाई कर्मचारी दिन भर झाड़ू मार कर रोड की सफाई करता है। उसमे भी वही ज्ञान है। जिसने मन लगाकर अपना काम किया। तो साफसुथरा जल्दी हो जाता है। और जिसने मन नहीं लगाया तो जल्दी सफाई भी नहीं होती है। सब बिखड़ा बिखड़ा सा नजर आता है। साफ सफाई देख कर अपने को भी उतना ही अच्छ लगता है। जितना सफाई कर्मचारी को क्योंकी वो उसका काम है। उसका कर्म है। और उस काम में उसका मन भी लगता है। इसलिए वो सबको अच्छ लगता है। और वही जब सब बिखड़ा बिखड़ा सा रहत है। तब वो किसी को अच्छा नहीं लगता है। 

कर्म के ही रूप है 

वैसेही जब कोई बहुत बड़ा विख्यात ब्यक्ति अपने काम काज को अच्छे तारीके से करता है। तो वो सब लोग और जान कल्याण के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। वही उलट यदि उनसे कोई गलत काम हो जाती है। जिसमे मन अच्छे से नहीं लगा हुआ होता है। तो उसका परिणाम उलट जाता है। जिससे लोगो का बड़ा नुकसान होता है। समाज का भी नुकसान होता है। जिसका खामियाजा उनसे जुड़े हुए सब को भुगतना पड़ता है। ये सब कर्म के ही रूप है।  

कोई भी काम करे सोच समझ कर करे

इसलिए कभी भी कोई भी काम करे। सोच समझ कर करे। भूल होने की स्थिति में किसी न किसी जानकर से मदत जरूर ले। ताकि गड़बड़ी का कोई नामोनिशान नही हो। अच्छा काम करे। मन लगाकर करे। मन लगाकर किया हुआ काम सफलदाई सिद्ध होती है। जिससे सबको अच्छा लगता है।  

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जीवन क्यों दुखी रहता है।

परमात्मा दिया हुआ मानव जीवन सुख दुख से घिरा रहता है मानव जीवन में सुख दुख दोनों बारी बारी आता है। परमात्मा ने मनुष्य को अंतहीन दुख और बेपनाह...