Sunday, May 18, 2025

जीवन जब धाराशाही होता है।

आज देखा मैने ऐसी चिताओं को जलते जिसमे 20 साल की खून पसीने की की कमाई समाई थी।
देखा दहकते उन् जज्बतो को जिसमे मन मेहनत और कलाओं के संगम को धाराशाही को कर धू धू होते हुए।
सपने सजोए थे उन मिल्कियत से जिसे कमाया था दो दशकों में दो साल होने को है अभी भी चिताओं के भस्म पड़े है।
तब रंगीन मिजाज हुआ करता था अपने कर्मों देख देख कर आज वीरान मन से मिल्कियत के काली रख को देख रहा हूँ।
छलकती आंखों के आशु तो सुख गए पर मन के एहसास अभी बाकी है मन तब दम तोड़ देता है जब उस श्मशान भूमि पर कदम रखता हूँ।
भूल जाता हूँ उस भगवान को जिन्हें तन मन धन से श्रद्धा रखता था आज हर दिन एक श्राद्ध के समान है जब उस कर्म भूमि पर कदम रखता हूँ।
दुख तो तब भी हुआ था जब माता के भक्ति के समय अपने पिता के अन्त्येष्टि और श्राद्ध कर रहा था अब तो दुख अपने चरम सीमा पर है जब रोज रोज अपने कर्म के फल के बने चिताओं के राख को देखता हूँ।
भक्ति विहीन कर्म विहीन होकर अब अपने अरमानों के हत्याओं को देख कर अब न कोई आश बचा है राख के बीच टटोलते अस्ति के अंश को दिन प्रति दिन उभरते देखता हूँ।
माता की भक्ति बरी निराली है बेटा भले मां को भूल जाए पर भक्तिमय माता अपने बच्चे को नहीं भूलती है।
जीवन की तान को खींच खींच कर माता ही बच्चे को संभालती है दुख की मात्रा बढ़ा बढ़ा कर मेरे साज को संभालती है ।
माता के दिल में करुणा माया दया बच्चे के लिए कभी खत्म न हुआ है बच्चे का दिल दुख दुख दूसरों के प्रति दया माया करुणा जगाती है।
सत्य कहा है गुरु ज्ञानी जिसने ने न कभी दुख दर्द सहा वो कहा दुख दर्द को समझेगा माता भक्त आज मैं रीति रिवाजों से भक्ति विहीन हुआ आज माता की भक्ति विहीन को कर कण कण में दुख दर्द के समझने के काबिल हूँ

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The importance of respect in life is very big, it keeps humanity connected with each other.

   At all times in life, while walking on some or the other path, someone definitely comes across. People do meet to inquire about the way o...