चाटो चाटो पेपर चाटो – कविता
चाटो चाटो पेपर चाटो,
पढ़ लो बेटा बैठ के बाटो।
इम्तिहान की घंटी बजने वाली,
किताबों से अब दोस्ती गाठो।
कल तुम ही कहोगे सबको,
“ये नंबर कैसे आ जाते?”
लेकिन आज जो पेपर चाटो,
कल सपने सच हो जाते।
मम्मी बोली—“ध्यान लगाओ!”
पापा बोले—“कमरे में बैठो!”
पर मोबाइल ने कहा—“आओ!”
अरे छोड़ो उसको, पेपर चाटो!
भविष्य अपना खुद बनाना,
रोज़ थोड़ा-थोड़ा घिस जाते।
मेहनत की पगडंडी वाले,
आख़िर ऊँचे पर्वत चढ़ जाते।
तो चाटो चाटो पेपर चाटो,
ज्ञान का दीपक आज जलाओ,
जितना पढ़ोगे उतना बढ़ोगे,
सपनों को पंख लगाओ।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ज्ञान का प्याला भर-भर गाटो।
किताबों की दुनिया में जाकर,
सपनों का आकाश उठाकर लाटो।
सुबह-सुबह जब सूरज निकले,
नए इरादे संग ले आए,
पन्नों की सरसराहट सुनकर,
मन में नई उमंग जगाए।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
आलस को तुम दूर भगाओ।
जो मन कहे—“थोड़ा सो लेते?”
उसे हंसकर “नहीं!” बताओ।
रात-रात भर पढ़ते बच्चे,
कल की दुनिया बदलेंगे,
आज की मेहनत की सीढ़ियाँ,
भविष्य के शिखर चढ़ेंगे।
कितने डॉक्टर, कितने इंजीनियर,
कितने लेखक बन जाते हैं,
कितने कलाकार दुनिया में
मेहनत से ही छा जाते हैं।
कहते-कहते दादी अम्मा,
अपनी चश्मा ठीक लगातीं,
“बेटा पढ़ना जीवन धन है,
ज्ञान कभी कम न हो पाती।”
दादाजी भी हुक्का रखते,
और कहानी एक सुनाते—
“मैंने जीवन में जितना पाया,
सब पढ़कर ही घर पहुँचाते।”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
कितना सुंदर, कितना प्यारा।
कागज़ पर ये नन्हे अक्षर,
ज्ञान का सागर को सँवारा।
अक्षर-अक्षर मोती जैसे,
पन्ना-पन्ना खान समान।
जो इसे मन से पढ़ लेता,
उसके कदम चूमे जहाँ।
कभी-कभी किताबें बोलें,
धीरे से कानों में कहतीं—
“हमें उठा लो, हमें पढ़ो,
हमसे भी दोस्ती रखतीं।”
मोबाइल का जादू भी कितना,
मन को बस खींचता जाता।
वीडियो के रंगीन छलावे में,
समय चुपचाप निकल जाता।
पर जो बच्चे समझदार हों,
समय की कीमत जान लेते,
थोड़ा खेलें, थोड़ा पढ़ लें,
जीवन की परख पहचान लेते।
पापा कहते—“सपना बड़ा रखो,
पर मेहनत उससे भी बड़ी।”
मम्मी कहती—“दिल लगाकर पढ़ो,
किस्मत होगी साथ खड़ी।”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
मन में सपना, आँखों में आग।
पढ़ाई ही वो नाव है बेटा,
जो पार लगाए हर अनुराग।
कल जो टीचर समझाएँ तुमको,
आज ही उसका रियाज़ करोगे,
कल सवाल अचानक आए तो,
आसानी से जवाब दोगे।
परीक्षा केवल डर नहीं है,
ये तो खुद को परखने का दिन।
मेहनत का फल मिलेगा तुमको,
जब पाओगे अच्छे अंक गिन-गिन।
सपनों के रंग भरने वाले,
मेहनत की तूलिकाएँ होतीं।
भाग्य नहीं कुछ देता बेटा,
कोशिश रोज़ कमाई होती।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
सपनों की दुनिया अब मत टालो,
एक-एक पन्ना पढ़ जाओ,
भविष्य की सीढ़ी चढ़ जाओ।
जब तुम खुद पर विश्वास रखोगे,
कदम तुम्हारे आगे बढ़ेंगे।
जो आज पसीना बहाओगे,
कल मोती बनकर झरेंगे।
रातों की नींदें कुर्बान करो,
पर दिल में उमंग बनाए रखो,
जो भी बनना चाहते हो तुम—
उस मंज़िल की राह पकड़े रखो।
स्कूल की घंटी बजते ही,
नए अध्याय खुल जाते हैं।
दोस्तों संग पढ़ने बैठो,
शब्द नए खिल जाते हैं।
कभी-कभी पढ़ाई कठिन लगे,
थोड़ा सिर भारी हो जाए,
पर जो रुक जाए वो हार गया,
जो चल दे वो जीत दिखाए।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
मत कह देना—“कल पढ़ लेंगे!”
आज किया थोड़ा-थोड़ा,
कल पहाड़ जीत लेंगे।
हर पन्ने में नया उजाला,
हर सब्जेक्ट में नई कहानी,
कभी गणित में जोड़ घटाना,
कभी विज्ञान की रूहानी।
इतिहास में वीरों की बातें,
भूगोल में धरती का नक्शा।
अंग्रेज़ी में भाषा की लय,
कविताओं में मन का बक्शा।
पन्नों के इस बड़े जहाज़ को,
ज्ञान के सागर में तैरा दो।
मन को थामो, ध्यान लगाओ,
और अंत में बस इतना गाओ—
चाटो चाटो पेपर चाटो,
अपने सपनों को सच कर डालो,
मेहनत की किरनें चमक उठें,
पढ़ाई से दुनिया जीत निकालो।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
सपने अपने ऊँचे बाँटो।
पन्नों में संसार बसा है,
दिल में जोश का दीप जलाओ।
किताबों की ये पगडंडी,
धीरे-धीरे पर्वत बनती,
हौसले की छतरी लेकर,
मेहनत की बारिश में चलती।
सुबह-सुबह जब चिड़िया गाएँ,
पत्तों पर ओस चमक जाए,
किताबें भी फुसफुसाएँ तब—
“चलो, हमारी दुनिया में आओ भाई!”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
जितना पढ़ो उतना ज्ञान बढ़े।
हर अक्षर छोटी सी ज्योति,
जो मन की अंधेरी रात हरें।
नानी कहती—“जब मैं छोटी,
दीपक टिमटिम रोशनी में,
मैंने अक्षर गिन-गिन पढ़े,
और पहुँच गई बड़ी मंज़िल में।”
दादा कहते—“मेहनत बेटा
किस्मत को खुद लिखवा लेती है।
जो पढ़ने में मन लगा ले,
वो दुनिया जीत दिखा देती है।”
पर मोबाइल?
मोबाइल तो शैतान बड़ा!
रंग-बिरंगे खेल दिखाकर,
समय को धीरे-धीरे खा जाता।
कभी रील, कभी गेम बुलाए,
मिनट पिघलकर घंटे बनाए।
पर समझदार बच्चे जानते—
सपने मेहनत से ही आए।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
अक्षर-अक्षर ज्ञान तुम्हारा।
कागज़ का हर एक टुकड़ा,
बन सकता है भाग्य सितारा।
जब बैठो पढ़ने, मन डगमगाए—
“क्या इतना पढ़ना ज़रूरी है?”
पर दिल के अंदर एक आवाज़,
धीमे से कहती—
“हाँ, यही तो मुश्किल घड़ी है।”
समय जैसे बहती नदिया,
बह जाएगी, रुकती नहीं।
पर जो समय थाम लेता है,
उसकी किस्मत झुकती नहीं।
दिन में थोड़ा, रात में थोड़ा,
पढ़ने की आदत बन जाती।
धीरे-धीरे मुश्किल बातें,
आसानी में बदल जातीं।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
कल परीक्षा आने वाली।
आज मेहनत हो जाएगी,
कल मुस्कान चमकने वाली।
स्कूल का मैदान याद करो,
दोस्तों के संग हँसी के पल,
टीचर की डाँट भी याद आती—
पर सबसे प्यारा— सीखना कल।
विज्ञान के प्रयोग बताते,
कैसे चलता हर दम संसार।
गणित कहता—“सोचो गहरी,
दिमाग़ बनाओ तेज़ धार!”
इतिहास में वीर खड़े मिलते,
गाथाएँ लेकर शान भरी।
भूगोल में नदियों का जाल,
पर्वत, महासागर, धरती धरी।
अंग्रेज़ी के नए शब्द जैसे
आसमान में उड़ते पंछी,
जितना पकड़ो, उतना सीखो,
ज्ञान की पोटली कभी न कच्ची।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
हर दिन थोड़ा आगे बढ़ो।
घरवालों का सपना पूरा,
मेहनत से तुम आज करो।
जब रात के 11 बज जाएँ,
थोड़ी थकान छा जाए अगर,
तो पानी पीकर फिर से बैठो,
सपनों का कर लो सुंदर सफ़र।
मेज़ पर रखी पेंसिल, रबर,
कॉपी कहती—“चलो शुरू!”
किताबों के पन्ने बोलें—
“हम हैं ना! सब होगा ठीक!”
फिर धीरे-धीरे याद हो जाए,
कठिन अध्याय भी सरल लगे।
जो चीज़ समझ नहीं आती,
दूसरे दिन टीचर से पूछो ठगे।
मेहनत की लाठी साथ रहेगी,
कभी तुम्हें गिरने न देगी।
परीक्षा में हर प्रश्न तुम्हें
देखते ही पहचान लेगी।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ये मंत्र तुम्हारा आज बना लो।
पढ़कर तुम भी ऊँचे उड़ना,
सपनों को पंख लगाकर हिलो।
जब रिज़ल्ट के दिन सुबह-सुबह
दिल की धड़कन बढ़ती जाए,
वहीं चमकती मेहनत की रोशनी
चेहरे पर मुस्कान बनाए।
मम्मी की आँखें नम हो जाएँ,
पापा के होंठ दुआ पढ़ें।
गर्व भरा ये पल देख-सुनकर,
हवा भी गीत खुशी के गुनगुनाएँ।
कहानी यहीं नहीं रुकती,
जीवन तो अब शुरू हुआ।
हर क्लास में नई चुनौती,
हर साल नया लक्ष्य हुआ।
कभी छोटे-छोटे फेलियर आएँ,
मन टूटे थोड़ा, उदास लगे।
पर फिर याद आए ये मंत्र—
“पेपर चाटो, आगे बढ़ो,
कठिनाई से कौन डरता है भला?”
ज्ञान की गागर भरते-भरते,
एक दिन तुम शिखर पर जाओगे।
जिस दिन अपने सपने पूरे हों,
दुनिया को मुस्कान दिखाओगे।
और अंत में बस इतना समझो,
मेहनत ही जीवन की पूँजी है।
जो पढ़ाई को अपना ले ले,
उसे सफलता मज़बूती देती है।
तो बच्चो, सपने बुन लो,
मन में नई उमंग जगाओ।
और हर सुबह, हर दोपहर
बस इतना गाना गाओ—
किताबों का दीप जला लो।
मेहनत की मिसाल बनो तुम,
सपनों को सच में ढालो!
चाटो चाटो पेपर चाटो,
मेहनत का दीपक फिर से जला दो।
कल जो पन्ने छूट गए थे,
आज वही सब पूरा कर लो।
धीरे-धीरे चलने वाली
ये पढ़ाई कोई दौड़ नहीं।
पर जो धैर्य से आगे बढ़े,
उसकी मंज़िल खोए कहीं?
कभी-कभी तो बारिश में भी
किताबें खुद बुलाती हैं।
खिड़की के पास रखकर उनको,
बूँदों संग मुस्काती हैं।
पन्नों पर गिरती बूँदों में
ज्ञान की खुशबू महक उठे।
कागज़ की स्याही जैसे
मौसम से बातें कर उठे।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
बारिश में भी मत रुक जाना।
आज जो मेहनत कठिन लगे,
वो कल ताज बनकर चमक जाना।
शाम ढले जब सूरज सोए,
लाल किरणें घर भर जाएँ,
किताबों की पंक्तियाँ बोलें—
“आओ, थोड़ा समय हमें भी दिलवाओ भाई!”
नीले आसमान में तारे
चुपके से तुमको देखते।
वे भी जानते—रातों में
मेहनती बच्चे कब लेखते।
टीचर की आवाज़ याद आ जाए,
“बच्चों—ये प्रश्न ज़रूर आएगा!”
तुम हँसकर पन्ना पलट दो—
“हाँ सर, अब तो ये रटा-पक्का है!”
दादी की अलमारी के अंदर
पुरानी किताबें सोतीं क्या?
नहीं! वो तो तुमको देख-देख
अपनी यादें तुममें भरतीं क्या!
उनमें लिखी पुरानी स्याही
जैसे इतिहास सुनाती है।
कहती—“हर पीढ़ी मेहनत से ही
अपनी दुनिया बनाती है।”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
समय को पकड़ लो मजबूती से।
क्योंकि समय वही साथ रहेगा
जो तुम थामो जिम्मेदारी से।
एक दिन जब कॉलेज जाना,
नई राहों पर कदम पड़े,
तो आज की मेहनत याद आकर
दिल में गर्व भरकर गढ़े।
कैंपस में बड़ा मैदान,
हवा में उड़ती उम्मीदें,
लाइब्रेरी में नई किताबें,
जीवन की अनगिनत गूँजें।
पर वहाँ भी यही मंत्र
तुम्हारा साथी बन जाएगा—
“पेपर चाटो, ध्यान लगाओ,
ज्ञान ही जीवन का सहारा बन जाएगा।”
और आगे जब नौकरी में
नई चुनौतियाँ सामने आएँगी,
फिर तुम अपनी पुरानी पढ़ाई
को याद कर-कर मुस्कुराएँगे।
क्योंकि वही पढ़ी बातें
तुम्हें फिर से राह दिखाएँगी।
मशीनों के बीच, लोगों के साथ,
तुम्हारी मेहनत पहचान बनाएगी।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ये सिर्फ़ शब्द नहीं—आधार है।
हर सपने का, हर मंज़िल का,
हर जीत का, हर उपहार का सार है।
जब भविष्य में अपने बच्चों को
तुम कहानी सुनाने बैठोगे,
ये पन्नों की महक
उनको भी राह दिखाने आएगी।
तुम कहोगे—
“देखो बेटा, एक समय ऐसा था,
जब मैं भी रात-रात पढ़ता था।
थकता था, टूटता था,
पर हार कभी नहीं मानता था।”
बच्चा मुस्कुराकर तुमसे पूछेगा—
“पापा/मम्मी, इतनी ताकत आती कहाँ से?”
तुम हंसकर बोलोगे—
“यही से—
चाटो चाटो पेपर चाटो से!”
फिर दोनों मिलकर हँस पड़ेंगे,
और घर में ज्ञान की रोशनी फैलेगी।
यही पढ़ाई का असली धन है—
जो पीढ़ियों में चलता रहता है।
और आज…
जब तुम ये कविता पढ़ रहे हो,
मेहनत की आवाज़ बुला रही है।
कह रही है—
“चलो! समय उड़ रहा है,
आज भी कुछ नया सीखना है!”
तो उठो, किताब उठाओ,
मन में लक्ष्यों की आग जगाओ।
और अपने सपनों के मंदिर में
आज भी दीप जला जाओ।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
आदत ये अब जीवन बन जाए।
हर दिन थोड़ा, हर दिन बढ़कर,
ज्ञान तुम्हारा कवच बन जाए।
जब तक सपने भीतर जलते,
तब तक रास्ते खुलते रहते।
मेहनत कभी धोखा देती क्या?
नहीं!
वो तो हमेशा साथ रहती।
अंत में बस यही कहना—
जीवन का असली साथी यही है।
पढ़ाई से जो दूरी रखे,
वो मुश्किल में गिरना तय है।
पर जो आज मेहनत से
माथे पर पसीना बहाता है—
कल सफलता की मालाओं में
सिर अपना ऊँचा उठाता है।
और तुम भी कर सकते हो,
हाँ!
तुम ही वो चमकता सितारा हो,
जिसके सपने दूर चमक रहे,
जिसकी मेहनत जगमगा रही।
बस गाते रहो, दोहराते रहो—
किस्मत को खुद लिख डालो।
भविष्य तुम्हारा इंतज़ार करे,
आज को मेहनत से संभालो।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
आसमान से ऊँचा लक्ष्य बनाओ।
जहाँ नज़रें जाती रुक जातीं,
वहीं से आगे कदम बढ़ाओ।
आज की छोटी कोशिशें ही
कल बड़े चमत्कार बनें।
जो पढ़ाई के सूरज को पकड़े,
उसके दिन उजाले घनें।
सुबह की ठंडी हवा में
किताबों की खुशबू बस जाए।
जैसे फूलों से निकल कर
ज्ञान हवा में घुल जाए।
जब घर में सब सो जाएँ,
और खिड़कियाँ मौन हो जाएँ,
किताबें तब बात करतीं—
“हम तुमसे दोस्ती चाहें!”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
रातों में भी मत थक जाना।
जो पन्नों की दुनिया में खोया,
उसने किस्मत को साधा जाना।
कभी समझ न आए सवाल,
कभी दिमाग़ उलझ जाए,
कभी लगे—
“बस अब नहीं होता!”
तो मुस्कुराकर आगे बढ़ जाएँ।
क्योंकि कठिनाई वो पहाड़ है,
जिसके पीछे मीठा फल होता।
जो चढ़ता है उसकी धड़कन
एक दिन दुनिया में ढोल होता।
स्कूल का बैग जब भारी लगता,
कंधों पर जैसे पर्वत हो,
पर वही बैग कल एक दिन
तुम्हारा गौरव–धरम–धन हो।
स्कूल की घंटी, टीचर की आवाज़,
दोस्तों की शरारत—सब यादें।
पर सबसे प्यारी होती वो कॉपी
जिसमें सपनों की नींव बिछा दी जाए।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
हर नाकामी सीख बन जाए।
जो कल समझ में नहीं आया,
वो आज सरल समाधान बन जाए।
पेपर चाटने का मतलब केवल
रटने भर से नहीं होता—
ये मतलब है मन लगाकर
हर अध्याय को समझना सच्चा।
जो बच्चा हर विषय को
अपना साथी बना ले,
वो जीवन के कठिन मोड़ पर भी
कभी पीछे न रह जाए।
अब एक नई दुनिया की बात,
जहाँ कंप्यूटर, मशीनें, ज्ञान अपार।
जो पढ़ाई में निपुण होगा,
वही बनेगा भविष्य का सितार।
डॉक्टर का स्टेथोस्कोप चमके,
इंजीनियर की मशीनें चलें,
वैज्ञानिक की खोज नई हो,
अंतरिक्ष में रॉकेट निकलें—
इन सबका आधार यही है—
पन्नों की दुनिया में डूबना।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
भविष्य को खुद आकार दो।
मेहनत से जो जीत मिले,
उसे खुद का अधिकार दो।
एक दिन ऐसा भी आएगा
जब मंच पर तुम्हारा नाम होगा।
भीड़ ताली बजाएगी,
गर्व से भरा हर इंसान होगा।
वहाँ जब तुम खड़े रहोगे,
चमकती आँखों वाले लोगों के बीच,
तब याद आ जाएगा—
ये सब शुरू हुआ था
एक छोटे से पन्ने से,
एक छोटी सी आदत से,
एक मंत्र से—
“पेपर चाटो!”
दिल में ये लहर उठेगी—
“काश आज दादी देखतीं!
काश आज मास्टरजी सुनते!
काश आज किताबें बोल पातीं!”
पर वो सब मुस्कुराएँगी,
वे यादें तुम्हें आशीष देंगी,
क्योंकि उन्होंने ही तो तुम्हें
किताबों से दोस्ती करवाई।
और तब तुम खुद तय कर लोगे—
अपने बच्चों को, और दुनिया को,
यही मंत्र आगे सिखाओगे—
“मेहनत की राह मुश्किल है,
पर जीत बड़ी शान की है।
किताबें कभी धोखा न दें,
ये जीवन की सच्ची जान हैं।”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
जिस दिन तुम ये समझ गए,
उस दिन तुम केवल छात्र नहीं—
सफलता के योद्धा बन गए।
कदमों में दुनिया होगी,
आँखों में रोशनी होगी,
दिमाग़ में ज्ञान बहता होगा,
दिल में ऊर्जा उभरती होगी।
और आगे की कहानी यहीं से शुरू—
जहाँ तुम रहोगे विजेता,
जहाँ मेहनत तुम्हारी तलवार,
और किताबें तुम्हारी ढाल होंगी।
आने वाला कल तुम्हारा है,
बस आज को पकड़ लो।
पढ़ाई से जो दोस्ती कर लो,
जीवन की हर लड़ाई जीत लो।
और इस पूरे महाकाव्य के अंत में
बस यही अंतिम महा-मंत्र
मेहनत से दुनिया जीत लो।
पन्नों की आग से जलकर,
अपने सपनों को मीत लो!
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ज्ञान की ज्योति फिर से जलाओ।
पन्नों का पर्वत सामने है,
हिम्मत की राहें खुद बनाओ।
अब तक तुमने सीढ़ियाँ चढ़ीं,
अब पर्वत की बारी है।
सपनों का सूरज सामने है,
बस मेहनत की तैयारी है।
कभी लगता—“क्यों पढ़ूँ इतना?”
मन पूछे सवाल अनोखे,
पर जवाब किताबों में छिपा—
“क्योंकि भविष्य तुम्हारी आँखों में सोखे।”
पेपर चाटना केवल शब्द नहीं,
एक तपस्या सा कर्म है।
जो मन से इसे अपनाए,
उसका जीवन गरिमामय धर्म है।
रात की नीरवता में जब
पेड़ भी सो जाते हैं,
तुम्हारी जलती स्टडी-लैम्प
सितारों में भी जगह पाते हैं।
किताबों की पंक्तियाँ चमकें,
स्याही जैसे नृत्य करे,
राज़ हजारों इन पन्नों में,
जो मन से पढ़े वही समझे।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
हर दिन थोड़ी मेहनत लिख दो।
कठिन अध्याय, मुश्किल बातें—
इन्हें जीतकर शोहरत लिख दो।
अब एक दृश्य सोचो—
घड़ी ने बारह बजा दिए,
पूरे घर में शांति,
पर तुम्हारी कॉपी पर
नए अक्षर गढ़ रहे भविष्य।
तुम्हारी आँखें थक जातीं,
पर दिल कहता—“आगे बढ़!”
सपने कहें—“रुकना नहीं!”
मेहनत कहे—“तुम कर सकते हो!”
भविष्य की कुर्सी पर बैठा
तुम्हारा सफल संस्करण
आज तुम्हें देख मुस्कुरा देगा—
“शाबाश बच्चे!
तुम सही रास्ते पर चल रहे हो।”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ये बात आज समझ ले लो—
मेहनत के पसीने से बढ़कर
कोई इत्र नहीं होता!
जो छात्र रातों में पढ़ता,
वही दिन में चमक दिखाता।
जो पढ़ाई की धुन में खोता,
वही समय का मूल्य समझ पाता।
अब पढ़ाई का रास्ता बदलता,
नया जमाना डेटा का है।
कंप्यूटर की स्क्रीन चमकती,
रोबोटिक्स, साइंस—सब नया है।
जो आगे बढ़ना चाहे,
उसके पास यही हथियार—
किताबें, ज्ञान, सीख,
और पेपर चाटने का अमृत-मंत्र।
सोचो—
एक दिन तुम लैब में होगे,
बड़ी मशीनें तुम्हारे इशारे पर,
कोड की लाइनों में भविष्य,
तुम्हारी उँगलियों में शक्ति।
सोचो—
एक दिन तुम डॉक्टर बनोगे,
सफ़ेद कोट पहन अलग चमक,
मरीज की जान बचाना
तुम्हारे ज्ञान का वरदान।
सोचो—
एक दिन तुम अंतरिक्ष में जाओगे,
सितारों के बीच उड़ते हुए।
और जब नीचे देखोगे,
तो याद आएगा—
“यही सब शुरू हुआ था
एक पन्ने से…
एक किताब से…
एक मंत्र से—
चाटो चाटो पेपर चाटो!”
चाटो चाटो पेपर चाटो,
ये सिर्फ़ पढ़ाई नहीं—
ये वह ऊर्जा है
जो इंसान को इंसान से महान बनाती है।
अब एक कहानी जोड़ते हैं—
एक छोटा बच्चा था,
नाम उसका उज्ज्वल।
स्कूल में ठीक-ठाक चलता,
पर सपने?
आसमान को छूने वाले।
उसे कोई सुपरपावर नहीं मिली,
ना किसी जादूगर का आशीर्वाद।
सिर्फ़ एक चीज़ मिली—
पढ़ाई की भूख।
वो रात में पढ़ता,
दिन में पूछता,
गलती करता,
सीखता,
फिर आगे बढ़ता।
लोग हँसते—
“इतना पढ़कर क्या होगा?”
वो मुस्कुराता—
“अभी नहीं बताऊँगा।”
साल बीते…
वही उज्ज्वल एक दिन
देश का सबसे बड़ा साइंटिस्ट बना।
दुनिया उसके काम पर तालियाँ बजाती।
और जब पूछा गया—
“तुम्हें इतना सब कैसे मिला?”
उज्ज्वल ने कहा—
“आज एक बात याद आ रही है—
मेरी दादी हर दिन कहती थीं—
चाटो चाटो पेपर चाटो।
तभी किस्मत तुम्हें चाटेगी।
यही सच था।”
तो बच्चो,
उज्ज्वल कोई चमत्कार नहीं था।
वो आप ही में से कोई हो सकता है।
बस एक कदम—
एक मंत्र—
एक आदत चाहिए।
चाटो चाटो पेपर चाटो,
कभी न कहना—“मैं नहीं कर सकता।”
क्योंकि किताबें कहती हैं—
“मेहनत करने वाला
हमेशा जीत सकता है!”
और अब—
इस महाकाव्य भाग के अंतिम छोर पर
एक अंतिम, विराट, जीवन-बदल देने वाली पंक्ति