Tuesday, January 4, 2022

असमय आ रहे गुस्सा को नियंत्रित किया जा सके समय समय पर व्यायाम अवस्य करे इससे भी मन शांत रहता है

गुस्सा क्यों आता है?


सहनशीलता की कमी ही गुस्सा का मुख्या कारण है. 

विषय को न समझना भी गुस्सा का कारण हो सकता है. समझ की कमी भी गुस्सा का कारण होता है. विषय वस्तु को पूरी तरह से नहीं समझ आने पर भी गुस्सा आता है. कोई कार्य अपने समय पर पूरा नहीं हुआ तो भी गुस्सा आता है. किसी कार्य में व्यवधान आने पर भी गुस्सा आता है. किसी कार्य में मन का ठीक से नहीं लगने पर भी गुस्सा आता है. मन के अनुसार कोई कार्य नहीं हुआ तो भी गुस्सा आता है.

 

गुस्सा मन का एक नकारात्मक भाव है जिसे बुद्धि विवेक से कार्य लेने पर और सहज बोध अपनाने पर गुस्सा कम होने लग जाता है.

किसी कार्य में मन का लगाना बहूत जरूरी है मन को समझे और बुद्धि विवेक से कार्य करे तो गुस्सा कम होने लग जाता है. मन जिद्दी होता है. इसलिए मन में थोडा उदार भाव लाये इससे मन का दायरा बढेगा. इसका मतलब ये नहीं की जिस बात से गुस्सा आ रहा है उसके बारे में सोचे, कुछ ऐसा भी सोचे जिससे मन को अच्छा और प्रसन्नता महशुस हो तो गुस्सा कम होने लग जाता है.  

 

हर्बल और ऑर्गेनिक तेल सिर पर लगाने से दिमाग ठंडा रहता है.

खासकर जो तेल ठंडा महशुश कराये ऐसे तेल सिर में जरूर लगाना चाहिए. जिससे असमय आ रहे गुस्सा को नियंत्रित किया जा सके समय समय पर व्यायाम अवस्य करे इससे भी मन शांत रहता है. मन के शांति के लिए मैडिटेशन सबसे अच्छा जरिया है, रोज करने से मन शांति से रहने देता है.

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार. ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है

ज्ञान का महत्त्व क्या है? ज्ञान अंतहीन है. 


ज्ञान मे जितना डूबा जाये उतना ही कम है. 

ज्ञान कोई मायने नहीं रखता है की किसी के पास कम ज्ञान और किसी के पास ज्यादा ज्ञान है. ज्ञान के मायने कम नहीं है. ज्ञान ही है की हम बोलते है, सुनते है, समझते है, स्वाद लेते है, देखते है, महशुस करते है. ये सभी शारीरिक ज्ञान है. मानसिक ज्ञान भाव, मोह, आकर्षण, प्रत्याकर्सन, सुख, दुःख ये भी ज्ञान ही है. इससे बढ़कर जीवन के विकाश में प्राप्त करने वाले जानकारी ज्ञान ही है. सोचना समझना, कल्पना करना, प्रेरित होना, ज्ञान के ही रूप है.  

 

अतिरिक्त ज्ञान क्या कहलाता है?

ज्ञान किसी भी प्रकार के जानकारी को ही कहते है. कम जानकरी वाले इन्सान अपने जीवन को संतुलत कर के जिता है. अपने जीवन में वही विषय वस्तु को महत्व देता है जो जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी है. इससे बढ़कर जिनमे अच्छी जानकारी और विशेषता होता है वो अपने जीवन को खुल कर जीते है. हर प्रकार के पावंदी और रुकावट को उनमे दूर करने की खासियत होता है. जिससे वे बहुआयामी होते है. जिनसे लोग अपने उलझे सवाल या मुसीबत में विचार विमर्स करते है. ऐसे लोग विचारक भी होते है. अपने काम और व्यवस्था में ज्ञान के अच्छे जानकारी के वजह से बहूत सफल भी होते है. समय और विशेषता के अनुसार वे अपने काम का नेतृत्व करते है और लोगो को उनके काम से और ज्ञान से मदद मिलता  है. इसे ही अतिरिक्त ज्ञान भी कहा जाता है.

 

ज्ञान की प्रकृति का कोई अंत नहीं है. 

ज्ञान की प्रकृति ज्ञान ही है जो विशेषग्य भी बनता है. किसी वस्तु के निर्माण में गुणवत्ता कायम करना बहूत बड़ी बात है. ये सभी उच्च ज्ञान के कारण ही होता है. वे विशेष और महत्वपूर्ण जानकारी वाले होते है. वे आविष्कारक भी होते है. 

 

ज्ञान के एकीकरण से संबंधित समस्याएं क्या हैं?

ज्ञान भले सकारात्मक हो या नकारात्मक पर वो ज्ञान ही है. इसमे समझ का अंतर होता है. संसार में बहुआयामी भाव वाले मनुष्य भी होते है. जब किसी ज्ञान का प्रसारण किसी अच्छे विद्वान के द्वारा किया जाता है तो लोगो के विचार जरूरी नहीं की समान हो. इसके पीछे कारण है लोगो का अपना अपना समझ. इस कारन से ज्ञान के एकीकरण में समस्याए उत्पन्न होते है.

ज्ञान में समय और हालात के अनुसार समय समय पर जानकार और ज्ञानी परिवर्तन चाहते है. 

ज्ञान उत्पन्न समस्या को कम करने के लिए नए विकल्प लोगो को देते है. जिससे सबका जीवन सुलभ होता है. पर होता क्या है? हरेक मनुष्य का समझ एक जैसा नहीं होता है. ये मन की प्रकृति है. जिसके कारण लोग अपने अपने अनुसर उस विचार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करते है. कुछ लोगो को अच्छा तो कुछ लोगो की अच्छा नहीं लगता है. यही सभी समस्याए ज्ञान के एकीकरण में उत्पन्न होते है.

 

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार.

ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है तो उसको समझे बगैर प्रतिक्रिया नहीं दे. यदि नहीं मानते है तो कोई बात नहीं पर दूसरो को नहीं मानने के लिए प्रेरित नहीं करे. ज्ञान का आयाम असीमित है. लोग के समझ पर आधारित है की उसको लोग कैसे समझते है. इस बहुआयामी दुनिया में लोगो के मन के भाव भी अलग अलग है. यदि कोई विद्वान, विचारक या ज्ञानी कोई विचार प्रस्तुत करता है तो पहले समझे. उस समझ से अपने समझ को परिस्कृत करे. मानना या नहीं मानना लोगो का अपना मत है. सुझाये बात विचार को नहीं मानने के लिए दूसरो को प्रेरित कभी नहीं करे. यदि बात सही तो समझने वाले को प्रेरणा अपने आप मिल जाता है.

प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

बुद्धि और बुद्धिमान

मनुष्य को बुद्धिमान होना ही चाहिए.

जीवन निर्माण में मनुष्य के जन्म के साथ दिमाग भी मिला हुआ है, जिसकी देन बुद्धि है. सकारात्मक मन के भाव में अच्छा और तीक्ष्ण बुद्धि होता है. मन में किसी भी प्रकार के कुंथित्पना बुद्धि में विकार ला सकता है जिससे मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता है, जिसकी उपज विक्क्षिप्त बुद्धि होता है. जिससे कोई भी कार्य सफल नहीं होता है. किसी भी कार्य को सफल होने के लिए बुद्धि सकारात्मक होना चाहिए.

 

हिंदी में प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

किसी एक विषय पर काम करने के लिए यदि पेचीदा विषय है तो बहूत सोच समझकर काम करना होता है. जहा विषय एक है और उसे पूरा करने के लिए कई लोगो की जरूरत है तो वहा किसी न किसी ऐसे जानकार का नेतृत्व जरूरी हो जाता है. साथ में जानकर होने के साथ विशेषग्य भी हो तो उनका नेतृत्व बहूत जरूरी होता है. जरूरी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कार्य से सभी व्यक्ति विश्वासपात्र होना चाहिए. तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना चाहिए. सभी हाजिर जवाब व्यक्ति होना चाहिए. कार्य बिलकुल संतुलित और बताये हुए मार्गदर्शन से ही करना चाहिए. कार्य के लिए मनोनीत सभी व्यक्ति के अन्दर समन्वय सामान होना चाहिए. इसमे बेहद जरूरी है की कोई भी व्यक्ति किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझे. अपने मार्गदर्शक के हरेक बात का अनुशरण करना चाहिए. एक दुसरे के संपर्क में हमेशा रहना चाहिए. स्वयं पर पूर्ण विस्वास होना चाहिए.       

 

प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकासकर्ता के रूप में किसे श्रेय दिया गया है?

1916 में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक टर्मेन ने बिने के बुद्धि परीक्षण को अपने देश की परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर इसका उचित प्रकाशन किया. यह परीक्षण स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहलाता है. जिस परीक्षण का संशोधन स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टर्मेन ने किया था. इस आधार पर इस परीक्षण को स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहा गया है. प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकाशकर्ता के रूप में अमेरिका के प्रोफेसर टर्मेन को श्रेय दिया गया है.

 

शिक्षा में बुद्धि परीक्षण के लाभ

शिक्षा मन से कापी और किताब से पढने और लिखने से होता है. जब तक पढाई के समय समय पर परीक्षा नहीं होगा, तब तक न बच्चे में जिम्मेवारी आएगी और न उनका बुद्धि बढेगा. निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में पदोन्नति परीक्षा माध्यम होता है. परीक्षा में प्राप्त अंक सामान्य अंक से कम होने पर पदोन्नति नहीं होता है. और एक साल फिर उसी कक्षा में बैठना पड़ता है. परीक्षा बच्चे का बुद्धि विवेक का एक परिक्षण है. जिसके प्रभाव से बच्चे में बुद्धि विवेक और जिम्मेवारी बढ़ता है. परीक्षा न केवल बुद्धि का विकाश करता है बल्कि बच्चे को स्वयं पर नियंत्रण करने का तरीका और ज्ञान भी सिखाता है.

कौशल जहां जानना और सोचना समझना सफल प्रदर्शन के मुख्य निर्धारक हैं

कौशल ज्ञान सीखना दो प्रकार से प्रचलित है.

एक पुस्तक पढ़कर, लिखकर और विद्वान ब्यक्ति के ज्ञान से भरी बाते को सुनकर अपने ज्ञान को बढाया जाता है. जिसे शिक्षा कहते है. दूसरा होता है अध्ययन जिसमे लिखने पढने के साथ प्रयोग और कुछ करने की भूमिका हो ज्ञान सीखना कहते है. वास्तविक ज्ञान में मानव जीवन में जब तक कुछ करने की क्षमता नहीं होगा, तब तक वो एक सफल इन्सान नहीं बनेगा. प्रयोग और वस्तु निर्माण ही उसे उपार्जन का माध्यम दे सकता है. सेवा और वस्तु के निर्माण में जब योग्यता बढ़ता है तो उसे कौशल कहते है. कौशल एक पूर्ण ज्ञान हो सकता है, वही तक जहा तक वो वस्तु सफल तरीके से निर्मित हो. बारिकियत और गुणवत्ता का कोई अंत नहीं होता है. ऐसे कौशल वाले महान पुरुस होते है. कौशल हर क्षेत्र में होता है. विशेषता और गुणवत्ता बढ़ने से उसका स्तर उचा होता है. यही कौशल है.

 

कौशल जहां जानना और सोचना समझना सफल प्रदर्शन के मुख्य निर्धारक हैं.

ज्ञान अनंत है. सोचने और समझने से ज्ञान बढ़ता है. इससे कुछ निर्माण करते है तो वो उसके कौशल का पहचान बनता है. किसी विषय वस्तु के अच्छी पहचान और हरेक पहलू को दर्शाना जिससे देखने वाले को उसके बारिकियत का अंदाजा लगा सके तो उसे विशिस्थ कौशल कहते है. जिसके लिए परिश्रमी व्यक्ति दिन-रात मेहनत कर के कुछ सीखते है और अपने कार्य में पारंगत होते है. तभी गुणवत्तापूर्ण कौशल जीवन में स्थापित होता है. इसके लिए मन की एकाग्रता है के साथ जानने, सोचने, समझने का अच्छा ज्ञान होना अतिआवश्यक है. तभी अपने कौशल के प्रदर्शन को लोगो के बिच प्रदर्शित कर सकते है. यही कौशल का ज्ञान है.  

 

सह छात्रों की सोच कौशल

विद्याथी एक समूह में तभी होते है जब सबके विचार और सोच एक जैसे होते है. जब एक साथ कई विद्याथी ज्ञान और शिक्षा के बारे में विचार विमर्स करते है, तो सभी के बात विचार में जो सहमति बनता है वो उत्क्रिस्थ होता है. जो सभी के लिए गुणकारक भी होता है. इससे भी कौशल का निर्माण होता है. सोच भी एक ज्ञान है. जब कई लोग के विचार से एक मजबूत बिंदु मिलता है वही सटीक निश्कर्ष निकालता है. इसलिए सह छात्रों की सोच कौशल का काम करता है.

Real life knowledge TV channels in India contribute for better knowledge?

How do channels contribute to better knowledge in India?

 

Real life education and knowledge should never fall short. 

You can get it by any means. It is not necessary that knowledge is available only from schools and colleges, but education is definitely received from them, but knowledge is located in the entire universe. You can get knowledge from wherever you want. Only medium and knowledgeable should be mixed properly.

 

Real better knowledge for people get knowledge even by making mistakes. 

As long as human does not make mistakes in effort and effort, then there will be no realization of correct knowledge. Once a Sikh has got the right knowledge of a mistake, he will never make a mistake again in life. It can also be called education. Just as children make repeated mistakes and reprimand the teacher by reprimanding them, even those who do not understand the chapter begin to understand in a few days. This is reality. A lot of knowledge is gained even by the use of power.

 

Really similarly for better knowledge many types of knowledge are also available to be seen and recited from TV channels.

Through news, the country gets to see and hear the news of the world. Discovery, Animal Planet, nature and life, animals and birds about the world's programs are seen, which continues day after night one after the other. By watching and listening to the many channels available for spiritual knowledge, peace of mind and divine knowledge increases.

 

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