ज्ञान का महत्त्व क्या है? ज्ञान अंतहीन है.
ज्ञान मे जितना डूबा
जाये उतना ही कम है.
ज्ञान कोई मायने नहीं रखता है की किसी के पास कम ज्ञान और किसी
के पास ज्यादा ज्ञान है. ज्ञान के मायने कम नहीं है. ज्ञान ही है की हम बोलते है,
सुनते है, समझते है, स्वाद लेते है, देखते है, महशुस करते है. ये सभी शारीरिक
ज्ञान है. मानसिक ज्ञान भाव, मोह, आकर्षण, प्रत्याकर्सन, सुख, दुःख ये भी ज्ञान ही
है. इससे बढ़कर जीवन के विकाश में प्राप्त करने वाले जानकारी ज्ञान ही है. सोचना
समझना, कल्पना करना, प्रेरित होना, ज्ञान के ही रूप है.
अतिरिक्त ज्ञान क्या कहलाता है?
ज्ञान किसी भी प्रकार के जानकारी को ही कहते है. कम जानकरी
वाले इन्सान अपने जीवन को संतुलत कर के जिता है. अपने जीवन में वही विषय वस्तु को
महत्व देता है जो जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी है. इससे बढ़कर जिनमे अच्छी जानकारी
और विशेषता होता है वो अपने जीवन को खुल कर जीते है. हर प्रकार के पावंदी और
रुकावट को उनमे दूर करने की खासियत होता है. जिससे वे बहुआयामी होते है. जिनसे लोग
अपने उलझे सवाल या मुसीबत में विचार विमर्स करते है. ऐसे लोग विचारक भी होते है.
अपने काम और व्यवस्था में ज्ञान के अच्छे जानकारी के वजह से बहूत सफल भी होते है.
समय और विशेषता के अनुसार वे अपने काम का नेतृत्व करते है और लोगो को उनके काम से
और ज्ञान से मदद मिलता है. इसे ही
अतिरिक्त ज्ञान भी कहा जाता है.
ज्ञान की प्रकृति का कोई अंत नहीं है.
ज्ञान की प्रकृति ज्ञान ही है जो विशेषग्य भी
बनता है. किसी वस्तु के निर्माण में गुणवत्ता कायम करना बहूत बड़ी बात है. ये सभी
उच्च ज्ञान के कारण ही होता है. वे विशेष और महत्वपूर्ण जानकारी वाले होते है. वे
आविष्कारक भी होते है.
ज्ञान के एकीकरण से संबंधित समस्याएं क्या हैं?
ज्ञान भले सकारात्मक हो या नकारात्मक पर वो ज्ञान ही है. इसमे
समझ का अंतर होता है. संसार में बहुआयामी भाव वाले मनुष्य भी होते है. जब किसी
ज्ञान का प्रसारण किसी अच्छे विद्वान के द्वारा किया जाता है तो लोगो के विचार
जरूरी नहीं की समान हो. इसके पीछे कारण है लोगो का अपना अपना समझ. इस कारन से ज्ञान
के एकीकरण में समस्याए उत्पन्न होते है.
ज्ञान में समय और हालात के अनुसार समय समय पर जानकार और ज्ञानी परिवर्तन
चाहते है.
ज्ञान उत्पन्न समस्या को कम करने के लिए नए विकल्प लोगो को देते है. जिससे
सबका जीवन सुलभ होता है. पर होता क्या है? हरेक मनुष्य का समझ एक जैसा नहीं होता है.
ये मन की प्रकृति है. जिसके कारण लोग अपने अपने अनुसर उस विचार पर क्रिया या
प्रतिक्रिया करते है. कुछ लोगो को अच्छा तो कुछ लोगो की अच्छा नहीं लगता है. यही
सभी समस्याए ज्ञान के एकीकरण में उत्पन्न होते है.
ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार.
ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए
की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है तो उसको समझे बगैर प्रतिक्रिया नहीं दे. यदि
नहीं मानते है तो कोई बात नहीं पर दूसरो को नहीं मानने के लिए प्रेरित नहीं करे.
ज्ञान का आयाम असीमित है. लोग के समझ पर आधारित है की उसको लोग कैसे समझते है. इस
बहुआयामी दुनिया में लोगो के मन के भाव भी अलग अलग है. यदि कोई विद्वान, विचारक या
ज्ञानी कोई विचार प्रस्तुत करता है तो पहले समझे. उस समझ से अपने समझ को परिस्कृत
करे. मानना या नहीं मानना लोगो का अपना मत है. सुझाये बात विचार को नहीं मानने के
लिए दूसरो को प्रेरित कभी नहीं करे. यदि बात सही तो समझने वाले को प्रेरणा अपने आप
मिल जाता है.