समय और अवस्था मे चीज़े छोटी हो या बड़ी भरी हो या हल्का मायने नहीं रखता है
समय और अवस्था मे चीज़े छोटी हो या बड़ी भरी हो या हल्का ये मायने नहीं रखता है।
जब जहा किसी चीज़ की जरूरी होती है तो उसको उपलब्ध कराना ही पड़ता है।
जब कोई विशेष महत्वपूर्ण काम में ब्यस्त होते है।
सारा चीज़ उपक्रम उपलब्ध होने के बाद भी कुछ न कुछ चीज़ जब रह जाता है।
तब वह समय और अवस्था कोई माये नहीं रखता है। फिर मायने वही छोटी चीज़ रह जाता है।
भले वह काम कितना भी महत्वपूर्ण क्यों नहीं हो।
महत्त्व तो जो उस चीज़ का होता है। जो वहा से गायब है। कारण वही रह जाता है।
काम नही पूरा हुआ सबकुछ तो बिगड़ गया।
काम महत्वपूर्ण है। चीज़े छोटी हो या बड़ी ध्यान उसपर लगना ही चाहीये।
ध्यान बराबर होगा तो कोई कोई भी चीज़ भूलने का सवाल ही नहीं होगा।
फिर काम अपने समय में कायदे से पूरा हो जायेगा।
बाते छोटी हो या बड़ी यदि वो अच्छा है तो सबको अच्छा लगता है
बाते छोटी हो या बड़ी यदि वो अच्छा है। तो सबको अच्छा लगता है। महत्वपूर्ण तब होता है। जब बाते एक छोटी चीज़ की तरह महत्वपूर्ण होकर जब लोगो को अच्छा लगता है। तब बहुत वाहवाही होता है। तब सब लोग उस ब्यक्ति को पसंद करते है। मान सम्मान देते है। जब किसी व्यक्ति का बात कुछ बुरा हो भले ही वो छोटी बात ही क्यों न हो। तब वह छोटी चीज़ नुखिले तिनके की तरह सुनाने वाले के दिल में चुबने लगता है।
आज के समय में अच्छी बात हो तो सबको अच्छा लगता ही है। पर किसी का एक छोटा बुरा बात भी लोगो को बुरा लग जाता है। और वो बात लोगो में जहर की तरह फ़ैल जाता है। इसका परिणाम उस बात को बोलने वाले को भुगतना पड़ता है। होना तो ये चाहिए की मन अच्छी बाते स्वीकार करे। यदि कोई बुरी बात है। तो मन से कभी नही लगाना चाहिए। किसी के बुरे बात पर प्रतिक्रिया करने से अच्छा है। कि एक अच्छा नागरिक होने के नाते समझाना चाहिये। कि ऐसी बात से लोग को बुरा लगता है। बात विचार सौहाद्रपूर्ण होना चाहिये। जो सबको अच्छा लगे।
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