Wednesday, June 18, 2025

आध्यात्म क्या है।

  

आध्यात्म क्या है? ईश्वर की साधना से सही रास्ते पर चलने का ज्ञान मिलता है।

अपने मन के अंदर झकने से पता चलता है की हम कहा तक सही और गलत है। गलत और असत्य चीज को निकालने कला आध्यात्म से जुड़ा है। मन के घृणापन, दुख, गंदी भावनाए से खुद को बचाकर जीवन जीने की कला सत्य के रास्ते पर चलने से मिलता है। प्यार, दुलार, आदर, सत्कार करने की भावना आध्यात्म सिखाता है। अपने ईस्ट देव के भक्ति भावना से मन को सलतापन मिलता है जिसका पालन अपने वास्तविक जीवन मे करते है।

 

ईश्वर की साधना से सही रास्ते पर चलने का ज्ञान मिलता है।

मन के अंदर भरे हुए गंदगी से छुटकारा पाने का रास्ता मिलता है। जीवन के निर्वाह मे सही रास्ते पर चलने का ज्ञान मिलता है। आपसी व्यवहार मे सरलता का व्याख्या आध्यात्म से सीख जाता है।

 

ईश्वर साधना मात्र मन को सकारात्मक और संतुलित करने का माध्यम है। साधना मे अपने ईस्ट देव से कुछ मांगने से मन का भाव बढ़ता है। जिससे मन संसार के अच्छे बुरे मोह मे इंसान फसते जाता है। साधना के दौरान सरल रहना चाहिए जैसे वो सब खुशी हमे प्राप्त है जो परमात्मा ने हमे दिया है। इससे मन का सलतापन बढ़ता है। मन के सहज होने से मन मे अच्छे ख्याल आते है। विचार साफ और संतुलित होता है। मन के गंदगी के साफ होने के साथ जीवन का प्रकाश बढ़ता है। जिससे जीवन का आयाम बढ़ते जाता है।

 

मन के दुखी होने से निष्ठुरता का विकाश होता है। जिससे मन जिद्दी और अड़ियल होते जाता है। ये सभी नकारात्मक प्रवृत्ति है।  जिससे मन जीवन को दुख की ओर धकेलते जाता है।

 

आध्यात्म की साधना मे जरूरी नहीं की ध्यान ही किया जाए।

मन के भाव को सहज कर के व्यवहार करने से मन सकारात्मक होता है। कम, क्रोध, लोभ, मोह, माया के त्याग से मन शांत होता है। दुशरो को तकलीफ न देखर उसको खुशी देने से अपना अन्तर्मन उत्साहित होता है। जरूरत पड़ने पर सही के लिए अड़ियल रहना ही जीवन का संतुलन है। बाहरी उथल पुथल से मन को बचाकर रखने से जीवन मे निडरता का आभास होता है। सही के लिए गलत से लड़ना पड़ता है। दुखी मजलूम को मदद करने से हृदय उत्साहित रहता है। जीवन मे जो भी उपलब्ध है उससे दूसरों को मदद करने से ही जीवन सकारात्मक रहता है।

 

आध्यात्म क्या है खुद के लिए सोचने से जीवन मे मोह बढ़ता है। जो की नकारात्मक प्रवृत्ति है। खुशी और उत्साह बगैर लालच कर के जो जीवन मे प्राप्त होता है वो नीव का पत्थर कहलाता है। सकारात्मक प्रवृत्ति ही सबसे बड़ा आध्यात्म है।

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