Saturday, June 21, 2025

सज्जन व्यक्ति अपने निष्ठा और सत्य के बल पर सुख और दुःख से भरे दोनों रास्ते पर चलते है

  

सज्जन व्यक्ति को चाहे करोड़ों दुष्ट लोग मिलें फिर भी वह अपने भले स्वभाव को नहीं छोड़ता है.

 

स्वभाव सरल और व्यवहार सहज सज्जन व्यक्ति का होता है.

इंसान के मन में लालच और दूसरो से कुछ लेने की भावना नहीं होते है.

यदि इंसान किसी से कुछ लेते है तो उनको वापस करने का वादा जरूर करते है.

जब तक इंसान अपने ऊपर लगे कर्ज के बोझ को नहीं उतार लेते है तब तक उनका मन शांत नहीं होता है.

भले सज्जन व्यक्ति के जीवन में कुछ उपलब्धि मिले या नहीं मिले पर वो मन, कर्म और वचन से सुद्ध जरूर होते है.

 

शुद्धता और निर्मलता सज्जन व्यक्ति के पहचान होते है.  

चाहे कोई भी कुछ कह दे उससे उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

अच्छा और उचित विचार लेना और देना इंसान का परम कर्तव्य होता है.

कोई उसे बुरा भला कहे, भद्दी बात कहे तो भी उनके अन्दर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

लाख गन्दगी के बिच में भी सज्जन व्यक्ति को छोड़ दिया जाये तो इंसान के मन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

शुद्धता पवित्रता निर्मलता के गुण से ही इंसान के गुण और व्यवहार में निखर लाता है. सांसारिक जीवन में सत्य है.

इंसानके पास धन सम्प्पति भले कम अर्जित करे पर अपने जीवन को किसी गलत कार्य में लगने नहीं देते है.

संतुलित जीवन के ज्ञान से परिपूर्ण सज्जन व्यक्ति मन से प्रसन्नचित और व्यवहार में इमानदार जरूर होते है.

जिसपर कोई भी व्यक्ति बेझिजक विश्वास कर सकता है.

अपने अनुभव से सज्जन व्यक्ति अपने चाहने वाले के मन में बस जाते है.

 

संतुलित सोच समझ से सज्जन व्यक्ति के किसी भी जरूरी कार्य में रुकावट नहीं आता है.

इंसान अपने जीवन में संतुलित समझ के साथ जीते है.

सत्य और संतुलन पर निष्ठा रखते है.

असत्य, मिथ्या, पाखंड, धोखादारी, दूसरो के साथ छल कपट उनके जीवन में रंच मात्र भी नहीं होता है.

इस कारन से सज्जन व्यक्ति के कोई दुश्मन या बुरा चाहने वाला जल्दी नहीं होता है.

मन के संतुलित भाव से उनके जीवन परिपूर्ण होते है.

सही और गलत की परख उनके जीवन की मुख्या विशेषता होता है.

सही को अपनाना और गलत से दूर रहना सरल व्यक्ति के जीवन का वास्तविक अर्थ है.

अपने ज्ञान और गुण के माध्यम से गलत राह पर चलने वाले को सही ज्ञान ऐसे व्यक्ति जरूर देते है.

भले गलती करने वाला उनके बात को समझकर गलती करना छोड़े या अपने राह पर चलते रहे इससे इंसान को कोई फड़क नहीं पड़ता है.

 

सज्जनता का कर्म ही होता है सही रास्ते पर चलाना.

सज्जन व्यक्ति अपने निष्ठा और सत्य के बल पर सुख और दुःख से भरे दोनों रास्ते पर चलते है.

जीवन की सच्चाई सुख और दुःख दोनों में निहित है.

लालच, बुरे कर्म से दूर रहने वाला व्यक्ति ही अपने उच्चतम मुकाम तक पहुच पाता है.

सत्य और उचित के लिए अपने जीवन को न्योछावर करने की काविलित सिर्फ सज्जन व्यक्ति में ही होते है.

निडरता से भरे इंसान  किसी से डरते नहीं है.

सत्य बात को उजागर करने की सामर्थ सिर्फ इंसान के अन्दर ही होता है.

इसलिए ऐसे व्यक्ति को सरल और सहज भी कहा जाता है.

भले जीवन का रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो पर इंसान के व्यवहार में कोई अंतर नहीं होता है.  

सज्जन व्यक्ति

सच्चे मन की कल्पना में सोच समझ से यथार्थ से परिचय के लिए संतुलित जीवन का होना बहुत जरूरी हैं.

  

सच्चे मन की कल्पना स्वतः होते है. 

अपने सच्चे मन की कल्पना अस्तित्व की पहचान कराता है.

इसमें किसी प्रकार का कोई जोर जबरदस्ती नहीं होता है.

ये तब प्रकाश में आता है जब मन शांत हो एकाग्र हो.

किसी प्रकार का कोई उथल पुथल का भाव नही हो.

कर्म को प्रधानता देता हो. स्वबलंबी हो. कर्मठ हो. आदर्शवादी हो.

ब्यक्ति का मन पवित्र होता है.

उनके समझदारी में निष्पछता होन चाहिए है.

इसलिए ऐसे ब्यक्ति अपने नियम के दायरे के बहार कभी नहीं जाते है.

चाहे यथार्थ में या कल्पना. वे जो भी सोचते है या है वास्तविकता से परे नहीं होता है.

इसलिए उनका कल्पना सोच समझ सच्चे होते है. जो आगे चलकर पुरे भी होते है.

सच्चे मन की कल्पना की सोच में अस्तित्व की पहचान एक मर्यादित ब्यक्ति के लिए है. जो वही करता जो सोचता है. 

उनका सोचना या कल्पना वही तक होता है. जो पूरा हो सके.

इससे उनको अपने जीवन का पूरा ज्ञान होता है.

ऐसे ब्यक्ति के जीवन में एक तो कार्य क्षमता बहुत होते है.

जिससे वो अपने वर्त्तमान को संभलकर रखते है.

भविष्य की कल्पन ऐसे ब्यक्ति न के बराबर करते है. वर्त्तमान को सही रखने के लिए उनके पास संतुलित विवेक बुद्धि होते है. जिससे वो मन से नियंत्रण में रखते हुए स्वयं में संतुलित होकर संतुष्टि से रहते है. इसलिए उनका अस्तित्व की पहचान होते रहता है.

जीवन में सोच समझ से यथार्थ से परिचय के लिए संतुलित जीवन का होना बहुत जरूरी हैं. 

संतुलित ब्यक्ति को पता होता है. की सब कुछ सोच समझ पर निर्भर होता है. अपने सोच समझ के बहार जाने का मतलब विवेक बुद्धि को ख़राब करना होता है. जब जरूरी विषय विमर्श करते है. तो परिणाम निश्चित ही मिलता है. अपने जरूरी क्रिया कलाप करने से ही यथार्थ से परिचय होता है.

सच्चे मन की कल्पना

सक्रिय कल्पना में सोच समझ विवेक बुद्धि स्वभाव मिलनसार और जागरूक ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है

  

सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है

कल्पना में सोच समझ सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व रखता है। 

खास करके ऐसे ब्यक्ति के लिए जो सकारात्मक होते है। 

जो ब्यक्ति कई क्षेत्र में अपने खास स्वभाव और ब्यक्तित्व के वजह से अपनी ख्याति प्राप्त किया है। 

उनका सोच, समझ, विवेक, बुद्धि, स्वभाव मिलनसार और जागरूक होते है। 

ऐसे ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है।

 

सक्रीय कल्पना करने के लिए मन सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए

सक्रीय कल्पना करने के लिए मन को अच्छी तरह से सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए।  

मन, सोच, समझ, बुध्दी, विवेक सकारात्मक और संतुलित होना आवश्यक है। 

जिससे अपने सोच समझ के दौरान कल्पना में स्पष्ट चित्रण हो सके। 

जब कल्पना सहज होने लगता है।  तब जैसी कल्पना करते है।

मन का स्वभाव भी वैसा ही होने लगता है। 

इससे मन कल्पना के अनुसार कार्य में लग जाता है।

कार्य सटीक और जल्दी होने लगता है। 

ऐसे सक्रीय कल्पना के लिए प्रयास बारम्बार करना पड़ता है।

जब तक की मन सहज भाव में कल्पना न करे।

वैसे इस प्रयास में सबको सफलता नहीं मिलता है। 

सक्रीय कल्पना के लिए एकाग्रता का निरंतर प्रयास करने वाले को ही सक्रीय कल्पना में सफलता मिलता है।

  कल्पना में सोच समझ 

सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

  

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है. मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही सोचे तो हर कार्य सफल होगा। 

विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है. 

सकारात्मक सोच समझ ज्ञान के दृष्टि मन और बुद्धि का आयाम है जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है. सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है. सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है. जिससे मस्तिष्क शांत और सक्रीय होता हैसकारात्मक सोच विवेक बुध्दी को मजबूत बनता हैसकारात्मक सोच के साथ जो भी  कार्य होता हैउस कार्य को करने से मन में हर्स और उल्लास का महल पैदा होता हैजिससे कार्य को करने में मन लगा रहता हैकिसी भी कार्य के सफलता के पीछे सबसे पहले मन का स्थिर होना अति आवश्यक हैमन के स्थिर रहने से से काम काज में मन लगता है.

सकारात्मक सोच समझ मे मन को स्थिर रखने के लिए सकारात्मक होना जरूरी है. सकारात्मक होने के लिए सोच को सकारात्मक रखना ही पड़ेगा तभी मन स्थिर होगा. एक तो सबसे बड़ी बिडम्बना है की मनुष्य का अचेतन मन, सचेतम मन से ज्यादा सक्रीय है. अवचेतन मन, अचेतन मन और सचेतम मन से कही ऊपर होता है जिसका सीधा संपर्क कल्पना से होता है. सचेतन को बढ़ाने का एक मात्र तरीका है. मन को एकाग्र भाव में स्थिर रखना. जब तक सोच और कल्पना सकारात्मक नहीं होगा. तब तक किसी एक विषय पर काफी समय रुकन बहूत मुश्किल है. इसलिए बेहतर है की अपने सोच को सकारात्मक करे तभी एकाग्रता का विकास होगा और जीवन में उन्नति होगी. एकाग्रता का मतलब है किसी एक विषय पर लम्बे समय तक रुकना. एकाग्रता एक सकारात्मक भाव है.

सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. 

एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है.

 

सकारात्मक संकल्प शक्ति से ही इच्छा शक्ति बढ़ता है सकारात्मक संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ा योगदान होता है

  

सकारात्मक संकल्प शक्ति के बारे में  कभी सोचा है

मन के सकारात्मक संकल्प शक्ति खुद से जुड़ा हुआ है।

सकारात्मक संकल्प शक्ति अपने जीवन का हिस्सा है  अपने बारे में क्या जानते है? कभी हमने सोचा है की हम क्या है? हम कहा है?  क्यों हम अपने पर इतना गर्व करते है? किस बात के लिए गर्व करते है? हम ऐसा कर सकते है! हम ये सब भी कर सकते है! यहाँ तक की हम कुछ भी चाहे वो सब कर सकते है! आखिर इतना गर्व आखिर क्यों? ऐसा नहीं होना चाहिए।

यदि हम ऐसा सोचते है। दुनिया बहुत बड़ी है। हम तो दुनिया को इतना भी नहीं देखे है।

इतना भी हमारे पास समय नहीं है। पूरी दुनिया देख सके और समझ सके।

याद रहे की हम उत्पन्न हुए है। एक न एक दिन हमें मिटना भी है।

ये बात एक बार मन में घर कर जाय तो हमारी इच्छा सुधर जाएगी।

हम अभी जो कर रहे है। उससे और भी अच्छा कर सकते है।

हमारी इच्छा शक्ति सही होनी चाहिए।

हम और भी तो क्या जो चाहे वो अच्छा से अच्छा कर सकते है।

सकारात्मक संकल्प शक्ति में इच्छा शक्ति सकारात्मक होता है

सकारात्मक संकल्प शक्ति ज्ञान है हम अपने घमंड के मधमस्त हो कर बहुत सरे इच्छा को मन में पाल लेते है। जिससे भविष्य में अनिच्छा ही नजर आता है। क्योकि इच्छा सब पुरे नहीं होते है। इच्छा पूरा होता है जो कारगर हो। जिस इच्छा में कर्म की भावना हो। जो इच्छा सकारात्मक हो।

जिस इच्छा में किसी और के लिए कोई गलत भवन न हो। कोई इच्छा किसी और के मान मर्यादा को ठेस नही पंहुचा रहा हो। ऐसा इच्छा सकारात्क इच्छा कहलाता है। जो जरूर पूरा होता है। निस्वार्थ सेवा भाव से जो कार्य किया जाता है। जिसमे स्वयं के लिए कोई फायदा नहीं होता है।

ऐसा कार्य करने से मन प्रफुल्लित होता है। जिससे कार्य छमता और संकल्प शक्ति बढ़ता है। किसी भी कार्य या सेवा को पूरा करने लिए के सकारात्मक संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ा योगदान होता है।  शक्ति से ही इच्छा शक्ति बढ़ता है।

सकारात्मक संकल्प शक्ति से अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होता है

सकारात्मक संकल्प शक्ति के जरिये कभी भी अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होता है। अनैतिक इच्छा इंसान की गर्क की ओर ले जाता है। जो बिलकुल भी उचित नहीं है। आमतौर पर लोगो के अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होते है। जो ऐसे भावना रखते है। उनके बुद्धि विवेक सकरात नहीं रहते है। उनके हर बात विचार में गुस्सा, तृष्णा, लालच, ठगी का भावना नजर आता है।

कई बार लोग अपने शक्ति के घमंड और आत्मविश्वास में ऐसे निर्णय ले लेते है। जिसमे ऐसी नकारात्मक भावनाए होते है। जिससे मस्तिष्क में विकार आने का दर हो जाता है। जिससे बुद्धि विवेक विक्छिप्त होने लगता है। गुस्सा मस्तिष्क में सवार रहता है। गुस्सा बहुत कुछ बिगड़ सकता है।

स्मरण शक्ति पर प्रभाव डालता है। जिससे सकारात्मक ज्ञान का हनन होता है। संकल्प शक्ति कमजोर होकर समाप्त हो जाते है। ब्यक्ति निम्न से निम्नस्तर तक गिर जाता है। इसलिए ऐसे भावनाये को मन पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

सकारात्मक जीवन के प्रेरणादायक के बारे में कहूँ तो मनुष्य के जीवन में तरक्की का बहुत बड़ा कारण प्रेरणा स्त्रोत होता है, जो की किसी ऐसे ब्यक्ति से मिलता है

  

जीवन के प्रेरणा स्रोत

(Self motivation quotes)

सकारात्मक जीवन के प्रेरणा स्रोत (Self motivation quotes) के बारे में जानकारी

जीवन के प्रेरणा स्रोत मनुष्य के जीवन में तरक्की का बहुत बड़ा कारण प्रेरणा स्त्रोत होता है, जो की किसी ऐसे ब्यक्ति से मिलता है जिससे कुछ सिख के, प्रेरणा लेकर कर अपने क्षेत्र में उन्नति करता है, लोगो के बिच में सराहनीय कार्य करता है, सामाजिक कार्य हो या अपने काम काज, ब्यापार के विस्तार में बहुत अच्छा काम करता है,  ये सभी क्रिया कलाप अपने जीवन के प्रेरक वक्ता के प्रेरक विचार से प्रेरित होकर सीखता है, अपना विस्तार करता है,  वही ब्यक्ति उसके प्रेरणा स्त्रोत कारन बनता है।

सकारात्मक जीवन के प्रेरणा स्रोत (Self motivation quotes) उद्धरण में प्रेरणा 

प्रेरणादायक ऐसे ही एक कलाकार का जिक्र है  जो की उस समय स्कूल में पढता था और  पढाई लिखाई में रहता था,  तब तक उसके जीवन का कोई उद्देश्य भी होता है वो ज्ञान नहीं था,  आम तौर पर सभी के जीवन में कोई न कोई दोस्त होते है या कई दोस्त होते है,  उसने किसी से दोस्ती नहीं किया था, उसके पिता अच्छे कलाकार थे,  मिटटी के मूर्ति के अच्छे कलाकार थे, अपना काम काज करते थे, उनके जीवन में कला का ही महत्व था  इसलिए वे सकारात्मक जीवन के उद्धरण और प्रेरणादायक कला के प्रेमी थे, उनके एक मित्र पेंटर थे, वो भी अच्छे प्रेरणादायक कलाकार थे।

आत्म प्रेरणा कारक की जानकारी 

बात उन दिनों की है,  जब वो ९ कक्षा में पढता था  ऐसे ही एक दिन उनके पिता जी के दोस्त किसी काम के सिलसिले में उनके घर पर आये तब वो देखे की बाप और बेटे दोनों घर पर ही है,  तभी उन्होंने उस लड़के से कहा ही की बेटा तुम अपने जीवन में क्या बनोगे ?  कुछ सोचा है या नहीं ! अभी तुम्हारा समय है, अभी नही सोचोगे तो आगे कैसे बढोगे ? तब उस लडक ने जवाब ,दिया की चाचा जी अभी तो पढाई कर रहा हूँ, कुछ सोचा नहीं हूँ, तब उन्होंने प्रेरक विचार बताया की बेटा तुम अपने पिता जी का काम क्यों नहीं सीखते हो ?  अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे ?  मेरा तो मानना है की यदि अपने पिता जी का काम  सिख लेते हो तो तुम्हे और अच्छे से सिखने को मिलेगा, उनको हर प्रकार के मूर्ति बनाने का ज्ञान है  तुम अच्छे से सिख भी लोगे तुम्हे कोई परेसानी भी नहीं होगी  पढाई लिखाई जैसे कर रहे हो वैसे ही चलता रहेगा  साथ में काम भी सीखते रहोगे अपनी मर्जी से यही समय हे कुछ सोचने का अभी नहीं सोचोगे तो बाद में बहुत देर हो जाएगी, इतना प्रेरणादायक विचार देकर और जिस काम के लिए आये थे, वो पूरा कर के चले गये।

आत्मनिर्णय के सिद्धांत 

सिद्धांत को देखा जय तो प्रेरक विचार उस बच्चे को जो प्रेरणा उनके पिता जी के दोस्त से मिला, वो उस बच्चे के लिए जीवन में एक प्रेरणा मिल गया, जिससे वो पढाई लिखाई के साथ साथ प्रेरणादायक उद्धरण से प्रेरित होकर थोड़ा बहुत अपने पीता जी के साथ भी काम करने लगा,  कक्षा १० की पढाई और परीक्षा में प्रथम स्थान ला कर पास हुआ आगे वो कक्षा १२ की तैयारी में लग गया, उच्च माध्यमिक की पढाई २ साल का होता है,  इसलिए उसके पिता जी ने उसके लिए एक कमरे की ब्यवस्था कर दिए,  ताकि सकररमक ढंग से एकाग्र हो कर पढाई और काम दोनों साथ साथ कर सके, ऐसा मौका मिलते ही आत्म प्रेरणा से प्रेरत उसने दोनों तरफ मेहनत सुरु कर दिया,  तब दिन में पढाई और देर रात तक मूर्ति बनाने के काम को शांत माहौल में सिखने लग गया, जिसमे उसके पिता जी भी साथ देते थे, देर रात तक जागने के लिए मना  करते थे  चुकी ऐसा करने से उसके स्वस्थ पे असर पर रहा था,  ऐसा करते करते वो कक्षा १२ उच्च माध्यमिक दूसरे स्थान से पास किया, तब उसने निर्णय लिया की आज जो भी सीखा हूँ  अपने पिता जी के ज्ञान से ही सीखा हूँ और पिता जी के दोस्त के दिए प्रेरणादायक विचार से ही प्रेरित होकर आज यहाँ तक पंहुचा हूँ,  पढाई पूरा करने के बाद वो उसी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए काम काज सुरु किया और आगे बढ़ा और दुसरो के लिए प्रेरणादायक उद्धरण बना।

लक्ष्य निर्धारण सिद्धांत के आधार

उस बच्चे ने आगे चलकर पढाई तो ज्यादा नहीं किया पर कला के सकारात्मक  दिशा में  व्यक्तिगत प्रेरणा से प्रेरित हो कर अपने पिता जी के ब्यापार में सहायोग देने लग गया।  इससे उसके लिए प्रेरक वक्ता के दिए हुए प्रेरणा से एक ब्यापार मंच पर अपने आप को खड़ा पाया।  उसके पास पूरी जानकारी और काम काज के तकनिकी बचपन से देखा था व्यक्तिगत प्रेरणा के माध्यम उनके पिता जी थे, जिससे उसको सिखने में  बहुत मदत मिला।

कला के दुनिया में पारंगत होने के बाद

उसने अच्छा खासा ब्यापार किया।   जितना सकारात्मक कलाकार होते है, जिस दिशा में कलाकार बढ़ते है, वो एक अद्यात्म से काम नहीं है,  कला वही पलता है, जहा सब कुछ सकारात्मक होते है। जिससे उस ब्यक्ति का जीवन भी सकारात्मक और प्रेरणादायक हो गया, आगे बढ़ता गया  मेहनत भी बहुत अच्छा किया जिससे उसके जीवन सकारात्मक चलता रहा

प्रेरक उद्धरण 

ये है की जो मेहनत करता है मेहनत से कभी नहीं भागता है भले ही पढाई लिखाई के समय उसने कंप्यूटर ज्ञान नहीं लिया था, तब वो पढाई लिखाई छोड़ने के ८ साल बाद कंप्यूटर के ज्ञान के लिए संस्थान में अध्यन किया जहा उसने आधुनिक ताकनिकी सिखने में पौने २ साल लगाया। वो एक कलाकार था, उसको पता था की किसी भी ज्ञान की बारीकियत सिखने में समझने में समय लगता है,आत्म प्रेरणा कौशल से प्रेरित होकर उसने समय दिया,  कंप्यूटर के अध्यन के लिए समय उसने ऐसा चुना की जो कोई सोच भी नहीं सकता है, दोपहर के एक बजे जब लोग खाना खाने जाते है ताकि काम काज का नुकसान न हो  चुकी उस समय कामगार लिए एक घंटा का छुट्टी करते है, आत्म प्रेरणा से उस  समय का उपयोग किया। अपने काम काज में नई तकनिकी को शामिल करके व्यक्तिगत प्रेरणा से अपने लक्ष्य तक पंहुचा। 

दो कारक सिद्धांत

सिद्धांत पर अब चलना सुरु कर दिया जिसमे कंप्यूटर के माध्यम से कला का प्रदर्शन और ब्यापार को बढ़ने में बहुत मेहनत किया।

प्रेरणादायक उद्धरण 

३ साल बाद वो पहला विदेश के काम सुरु किया और इस तरह से अपने काम ब्यापार को नए आयाम दे कर देशक विदेश तक पहुंचाया, इस तरह से उस ब्यक्ति ने प्रेरणादायक उद्धरण बन गया। 

इस माध्यम में एक अपने काम को सम्भालन और प्रचार और प्रसार को बढ़ाने में दिन रात मेहनत कर के दो करक सिद्धांत को पूरा करते हुए आगे बढ़ता रहा। 

प्रेरणा स्रोत

उनके जीवन का प्रथम प्रेरणा स्त्रोत उनके पिता जी  दोस्त थे जिन्होंने पढाई लिखाई के समय प्रेरणा दिया बाद में काम काज सिखने में उनके कलाकार पिता जी प्रेरणा स्त्रोत बनकर पूरा सहयोग किये।   

प्रेरक उद्धरण

उनके पढाई लिखाई  के समय जो उनके पिता जी के दोस्त से प्रेरणा मिला वही उनके लिए प्रेरक उदहारण बना।  

प्रेरणादायक उद्धरण

अपने जीवन जीवन के प्रेरणा स्रोत में पढाई लिखाई के साथ कलाकारी सीखना कंप्यूटर सीखना समय का सकारात्मक साबुपयोग करना उपयोग करना प्रेरक विचार को सुनकर आत्मसात अपने जीवन में आत्मसाध करना उनके द्वारा दुसरो लिए प्रेरणादायक उद्धरण है। 

सकारात्मक उद्धरण

जो कार्य अपने लिए प्रेरणा मिला सकारात्मक ढंग से उस क्षेत्र में सीखना, विकास के लिए आगे बढ़ना, आने वाले समय के हिसाब से खुद को नए आयाम में परिवर्तित कर ने तकनिकी को अपना कर बढ़ना सकारात्मक उद्धरण है। 

सफलता उद्धरण

सच्चे मन से जीवन के प्रेरणा स्रोत बनकर आये ब्यक्ति के प्रेरक विचार से प्रभावित हो कर सकारात्मक बनकर उस क्षेत्र में काम काज सीखना और बढ़ना सफलता उद्धरण है। 

प्रेरक विचार

विद्वान ब्यक्ति के दिए हुए विचार को जीवन में आस्थापित कर के आगे बढ़ना, विचार के हसाब से चलना, तरक्की में सफलता मिलाना, प्रेरक विचार है जो उनके पिता जी के दोस्त से मिला। 

सकारात्मक जीवन उद्धरण

जीवन में चाहे कोई भी अवस्था हो, हर प्रकार के हाला त में समय को सकारात्मक मन कर, अपने क्षेता में बढ़ना आने वाले दिक्कतों का हल निकलकर आगे बढ़ना तरक्की करना सकारात्मक जीवन उद्धरण है। 

जीवन पर प्रेरणादायक उद्धरण (Self motivation quotes)

अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने का करना जो प्रेरणादायक ब्यक्ति होते है जिनसे प्रेरणा मिलता जीवन पर प्रेरणादायक उद्धरण होते है। 

आत्म प्रेरणा उद्धरण

जीवन के प्रेरणा स्रोत मे जब हम अपने कार्य क्षेत्र या किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ते और आगे बढ़ने हौसला अपने अंतर मन से मिलता है, उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सफलता मिलता है, आत्म प्रेरणा उद्धरण होता है। 

आत्म वृद्धि

विद्वान ब्यक्ति का ज्ञान मन को अच्छा लगता है, उससे कुछ सिखने को मिलता है, मन में हौसला जगता है, कुछ करने की उसमे सफलता मिलाने लग जाता है तो आत्म वृद्धि कहलाता है। 

व्यक्तिगत प्रेरणा 

विद्वान ब्यक्ति का विचार, कार्य कौशल से प्रभावित हो कर जब कुछ खुद कुछ ऐसा करने का मन करे, अंदर से हौसला मिले उस क्षेत्र में सफलता मिले, वह व्यक्तिगत प्रेरणा है। 

  जीवन के प्रेरणा स्रोत Self motivation quotes 

शिपिंग में संकायों की भूमिका छात्र ज्ञान शिपिंग में संकायों की भूमिका काम फुल टाइम वर्क या पार्ट टाइम वर्क में उपलब्ध है

  

शिपिंग ज्ञान में संकायों की भूमिका

 

छात्र ज्ञान मे शिपिंग में संकायों की भूमिका ज्ञान किसी भी क्षेत्र में बहूत आवश्यक है। शिपिंग कई तरीके से  होते है। शिपिंग में संकायों की भूमिका में छात्र के ज्ञान के लिए बहूत अच्छा मौका है। जो छात्र पढाई लिखाई के साथ शिपिंग का भी कार्य सिखने के लिए कर सकते है।

 

कूरियर शिपिंग (Courier shipping)

कूरियर शिपिंग के तहत पत्र और सामान को घर घर पहुचना ये काम फुल टाइम वर्क या पार्ट टाइम वर्क में उपलब्ध है। फुल टाइम वर्क में आये हुए ग्राहक के पास से पत्र या सामान का बुकिंग लेनासामान का वजन करनासामान या पत्र जल्दी भेजना है या सामान्य गति से भेजना है। ग्राहक से पूछना,  सामान के पैकिंग बनानलेबल टैग लगानाग्राहक को बुकिंग का रसीद बनाकर देना। कौन कौन से सामान कौन कौन से एरिया से है उसको अलग अलग सजाकर रखना।

ऑफिस में आने वाले सामान को कायदे से रखना। फाइल और कंप्यूटर में सब सामान का एंट्री करना। ग्राहक को फ़ोन कर के बात चित करके जानकारी मुहैया करना। वापस आये हुए सामान को अलग कर के रखना और दुसरे दिन फिर वितरण के लिए भेजना। ग्राहक का पता न मिल पाने पर ग्राहक से फ़ोन पर बात करना। जो सामान का वितरण नहीं होने पर उसको भेजने वाले ग्राहक को वापस भेजना। इस प्रकार के कार्य का छात्र ज्ञान शिपिंग में संकायों की भूमिका होता है। जो छात्र कूरियर शिपिंग में कम करना चाहते है। बाकि अधिक जानकारी के लिए किसी भी कूरियर कंपनी में विचार विमर्श कर सकते है।

 

  छात्र ज्ञान में शिपिंग 

यातायात शिपिंग (Transport shipping)

यातायात शिपिंग मुख्या तौर पर परिवहन वाहक के जरिये होता है। यातायात शिपिंग में बड़े बड़े वाहन के जरिये सामान एक जगह से दुसे जगह जाते है। सामान एक जिले से दुसरे जिले और अपने राज्य के बाहर वाले जिले स्थान पर जो शिपिंग होता है। उसे यातायात शिपिंग कहते है। यातायात शिपिंग में छात्र ज्ञान शिपिंग में संकायों की भूमिका में कार्यालय में आये हुए ग्राहक से यातायात शिपिंग का बुकिंग लेना। सामान का वजन करवाना। बुकिंग का बिल्टी बनाना।

बिल्टी पर सामान का बजनसामान का मूल्यसामान का बिलसामान कहा जाना है। सब विवरण लिखना। वाहन के हिसाब से सामान का चयन करना। सामान के हिसाब से बिल्टी और बिल को एक साथ जोड़कर सजाना। वाहन में सामान को लोड करवाना। सामान के सब कागज पत्री वाहक को देना। यातायात से आये हुए सामान और जाने वाले सामान को अलग अलग रखवाना। ग्राहक को बिल्टी और बिल के हिसाब से पैसा लेना। सामान ग्राहक को वितरण करना। छात्र ज्ञान शिपिंग में संकायों की भूमिका तरह से हो सकता है।

 

अंतररास्ट्रीय शिपिंग (International shipping)

छात्र ज्ञान शिपिंग में संकायों की भूमिका में अंतर रास्ट्रीय शिपिंग में आयत निर्यात दोनो ही कम बहूत महत्वपूर्ण है। निर्यात में सबसे पहके शिपर से ३ पृष्ठ इनवॉइस और पैकिंग लिस्ट लेते है। उसके बाद पोर्ट से एडवांस कार्गो डिक्लेरेशन किया जाता है। कस्टम में रजिस्ट्रेशन करने के लिए चेक लिस्ट तयार किया जाता है। कस्टम से शिपिंग के कस्टम क्लीयरिंग के लिए तारीख लिया जाता है। शिपर को सूचित किया जाता है। कंटेनर बुक किया जाता है।

फुल कंटेनर लोडिंग के आधार पर कंटेनर शिपर के जगह पर भेजा जाता है। जब फैक्ट्री स्टफिंग का आदेश शिपर के पास हो तभी कंटेनर शिपर के यहाँ भेजा जाता है। नहीं तो फैक्ट्री स्टफिंग का आदेश शिपर के पास नही होने पर सामान कस्टम क्लीयरिंग पोर्ट पर ही सामान शिपर से मंगवाकर कंटेनर में कस्टम अधिकारी के सामने भरा जाता है। या लुज कंटेनर लोडिंग के आधार पर जब सामान पुरे एक कंटेनर से कम हो तो दुसरे शिपर के सामान के साथ किसी शिपिंग कंटेनर में जगह बुक कर के भेजा जाता है। जिसमे कई शिपर के सामान होते है। शिपर का मतलब निर्यातक होता है। जो सामान भेजने का कम करता हैउसको शिपिंग एजेंट कहा जाता है।

लकड़ी के पैकिंग होने पर फ्युमिगेसन सर्टिफिकेट लगाना पड़ता है।

सामान के हिसाब से कौन सा सामान किस विभाग से है उसके भी सर्टिफिकेट लेने पड़ते है तभी खरीदार सामान को अपने देश में छुड़ा पता है। कस्टम अधिकारी से सब परिक्षण करेने के बाद दस्तावेज पर हस्ताक्षर और मोहर करवाकर कस्टम अधिकारी के सामने कंटेनर सील करके शिपिंग पोर्ट पर कंटेनर भेजा जाता है। शिपिंग लाइन से सेलिंग होने के बाद सेलिंग डेट डाल कर बिल ऑफ़ लीडिंग के ३ पृष्ठ तयार किया जाता है।

जिस शिपिंग लाइन का कंटेनर होता है। उस शिपिंग लाइन से हाउस बिल ऑफ़ लीडिंग और ३ पृष्ठ मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंग इनवॉइसपैकिंग लिस्ट और कस्टम क्लीयरेंस कॉपी के आधार पर शिपिंग लाइन से तयार करबाया जाता है। हाउस बिल ऑफ़ लीडिंग शिपिंग लाइन को जाता है। इनवॉइसपैकिंग लिस्टकस्टम क्लीयरेंस कॉपी३ पृष्ठ बिल ऑफ़ लीडिंग के साथ अन्य जरूरी दस्तावेज को शिपर को भेज दिया जाता है।

शिपर को सूचित किया जाता है की १ पृष्ठ मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंगइनवॉइसपैकिंग लिस्ट खरीदार को भेज देशिपर के आग्रह पर शिपिंग एजेंट मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंग को अपने देश में सरंडर भी कर सकता है। तब कोई भी दस्तावेज खरीदार को भेजना नहीं पड़ता हैसिर्फ इनवॉइसपैकिंग लिस्टऔर मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंग की डिजिटल कॉपी ईमेल से खरीदार को भेजना पड़ता है। इससे वो सामान अपने देश में छुड़ा सकता है।

मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंग और इनवॉइस पैकिंग लिस्ट की ३ पृष्ठ इसलिए बनता है।

पहला मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंगइनवॉइस और पैकिंग लिस्ट खरीदार के के पास जाता है। दूसरा मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंगइनवॉइस और पैकिंग लिस्ट शिपर  को अपने बैंक भेजना पड़ता है। जो एडवांस पेमेंट शिपर  खरीदार से अपने बैंक में लेता है। उस पैसे का बैंक एक सर्टिफिकेट बनाकर शिपर को देता है। जिसे फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेट कहते है।

शिपर सब दस्तावेज फॉरेन इनवर्ड रेमिटेंस सर्टिफिकेटइनवॉइसपैकिंग लिस्टकस्टम क्लीयरेंस कॉपीदूसरा मास्टर बिल ऑफ़ लीडिंग बैंक को जमा कर देता है। तीसरा पृष्ठ शिपर के पास रहता है उसके खाता के जानकारी के लिए। तब बैंक शिपर को बिल रेगुलाईजेसन सर्टिफिकेट देता है तब निर्यात पूरा होता है।      

शांति जीवन का ज्ञान में जीवन का मजा आता है अपने घर परिवार में ख़ुशी पूर्वक रहते है सब के ऊपर खुशी बिखेरते रहते है, जिससे हम सबको अच्छा लगता है, जो साथ में हमारे परिवार जुड़े होते है

 

जीवन में जितनी शांति होती है। उतना अपने जीवन में ज्ञान बढ़ता है। 

तब जीवन का  मजा आता है। इससे सब अपने घर परिवार में ख़ुशी पूर्वक रहते है। सब के ऊपर ख़ुशी बिखेरते रहते है। जो सबको अच्छा लगता है। शांति जीवन का ज्ञान घर परिवार में फैला हुआ लगता है।   

पारिवारिक शांति के साथ सब अपने घर परिवार जुड़े होते है। 

परिवार के लोगो को  बहुत अच्छा लगता है। हमारा बेटा बहुत अच्छा है। हम पोता बहुत अच्छा है। हमारा भाई  बहुत अच्छा है। हमारा भतीजा बहुत अच्छा है। घर में शांति बनाये रखना ही अपने घरवालो के लिए सबसे बड़ा काबिलियत साबित होते है।  इस शान्ती को भंग करने के लिए कैसे कोई सोच सकता है। वो हम सब के घर और परिवार है। 

दोस्तो में तो शांति ज्यादा होता है ऐसे ही अपने समाज में लोगो के बिच में काम धंधे में । 

वाहा लोग आत्मीयता से एक दूसरे से जुड़े होते है। जिससे सभी के विचार एक जैसे होते है। सब संगठित होते है। शांत स्वभाव के लोग में ज्ञान बहुत होता है। समाज के हर वर्ग के लोग से मिलते है। बात विचार करते है। उनके अंदर कोई पड़ेशानी तकलीफ है। तो लोग पड़ेशानी तकलीफ से निकलने का रास्ता बताते है। शांत स्वभाव के लोगो का ज्ञान सबके लिए अच्छा होता है।  

अहम् का भाव कई मामले में होता है। लोगो की एक जुटता में पड़ेशानी उत्पन्न कर देता है।

कोई बोलता है। मै ऐसा हूँ। कोई बोलता है। मै वैसा हूँ। यहाँ पर फिर शांति नहीं रहता है। एक जुटाता नहीं रहता है। वहां शांती की भावना बिलकुल भी नहीं रहता है। वाहा सब बिखरने लगता है। टूटने लगता है। क्या ये सब थीक है?  बिलकुल भी नहीं। ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए। हम क्यों नहीं समझते की एक जुटाता हमें बहुत कुछ देती है। अपने संगठन को मजबूत बनता है। 

इंसानियत ऐसा होना चाहिए की घर परिवार, समज, में दोस्ती यारी हो। 

हर कोई काम काजी हो। सबलोग जहा भी रहे। सब एकसाथ मिलजुल कर रहे। मेलजोल से ज्ञान बढ़ता है। आपस में जो अभाव होते है। संघठन की मदत से दूर हो जाते है। जिनके अंदर कोई ज्ञान की कमी है। हाव भाव से दुसरो को पता चल जाता है। उसको क्या जरूरत है ? लोग आपस में कुछ बोल भी नहीं पता है। अपनी कमी नहीं बता पता है। ऐसे माहौल में जमकर दोस्त उसका मदत कर के उसका दुभिधा दूर कर देते है। अभावग्रस्त का जानकारी बढ़ जाता है। समाज में मिले जानकारी से जरूरतमंद दुबिधा को दूर कर लेते है। समाज में ज्ञानी जानकर लोगो के रहने से दूसरे आम लोगो को ख़ुशी और शांति मिलता है। 

संघठन अपने करी को मजबूत करते है। 

चाहे घर में हो या बहार हो चाहे समाज में हो या लोगो के बिच हो सब जगह संघठन एक मजबूत बिंदु साबित होता  है।  मान लीजिये की यदि घर में कोई किसी पर मुसीबत पड़ा है तो क्या होगा ?  यदि संघठन नहीं होगा। तो वाहा एकता भी नहीं होगा।  फिर कोई किसी का साथ भी नहीं देगा।  वो बेचारा टूट जायेगा।  यही बात समाज में लोगो के बिच भी हो सकता है। हम क्यों नहीं समझते की संघटनएकता कितनी जरूरी है।  यूवावस्था तो ज्ञान सिखने के लिए ही है।

बगैर ज्ञान के कुछ होता नहीं है।  चाहे कोई भी अवस्था क्यों  हो सब ज्ञान के लिए ही होता है। सबसे बड़ा ज्ञान एकता और अखंडता के संघठन का होता है।  जहा तक मेरा मनना है। यदि संघठन कायम हो गया तो हमें बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। आपसी मतभेद को दूर होने से तरक्की के दरवाजे खुलेगे। समाज और संसार में नए सिरे से विकाश कायम होगा। सभ्यताए बदलेंगे बनेंगे। संस्कार बढ़ेगा। नकारात्मक ऊर्जा काम होगा।  ऐसे अनगिनत फायदे होंगे। इन सब से दुनिया में शांति ही फैलेगा।  

जीवन का आत्म ज्ञान 

वास्तविक जीवन का ज्ञान सबसे पहले घर परिवर में माता पिता से मिलता है। उनके प्यार दुलार से हमें सबको आदर करने का ज्ञान मिलता है। मन सम्मना का ज्ञान बढ़ता है। बड़े छोटो का लिहाज समझ आने लग जाता है। करी मेहनत करने का ज्ञान अपने मेहनती साथी सलाहकार से मिलता है। जीवन में संस्कार बढ़ता है। आगे चलकर ज्ञान स्कूल से मिलता है। उसके बाद समाज में हमें ज्ञान मिलता है। श्रेष्ठ ज्ञान शांति का ज्ञान ही होता है।  

जीवन का आत्म ज्ञान स्कूल

आत्म ज्ञान हमें सबसे ज्यादा स्कूल में मिलता है। पुस्तके पढ़ते है। सभी प्रकार के ज्ञान से भरे होते है। कविता कहानी नाटक के माध्यम से गुरुजन के अच्छे बताये बात विचार से ज्ञान  मिलता है।  सभी ज्ञान का माध्यम जीवन का विकाश के लिए ही होता है ज्ञान जीवन में शांति बनाये रखने का ही माध्यम होता है। 

जीवन का ज्ञान कहाँ पर मिलता है

जीवन के ज्ञान से स्वयं का विकाश, जीवन में शांति, समाज में आदर भाव के साथ जीवन में शांति सौहाद्र बनाते हुए जीवन का विकाश करना होता है।  

आत्म ज्ञान जीवन की पाठशाला

जीवन की पाठशाला में सौहाद्र, शांति, एकता, आदर भाव, सम्मन, बड़े छोटे का लिहाज, समाज के लोगो बीच आत्मीय बनाये रखना। दुखियो का सहारा देना, जरूरत मंद को मदत करना। समाज में अच्छा काम करना। जीवन की पाठशाला में सीखना होता है। 

अपने जीवन का स्कूल, आत्म ज्ञान

जीवन में होने वाले घटना के प्रति सक्रिया रहना बहूत जरूरी है। अच्छे बुरे का भेद भाव का समझ कर अच्छाई प्रति जागरूक रहना। आदर सम्मान से मिलता। सौहाद्र पूर्वक बात विचार करना। शांति से हर पड़ेशानी के उलझन को दूर करना। अपने और दूसरो के जीवन में शांति बनाये रखना। जीवन के स्कूल का आत्म ज्ञान है। 

ज्ञान के पवित्र तरीके, जीवन के स्रोत

ज्ञान के पवित्र तरीके जो जीवन के स्रोत है। आदर भाव, बढे छोटे का लिहाज, मान सम्मना, मर्यादा, समाज में जरूरतमंद को मदत करना। दुखिओं को सहारा देना। लोगो के बिच आदर समझदारी से बात करना। 

पारिवारिक शांति जीवन का ज्ञान

माता पिता की सेवा करना सर्वोत्तम धर्म और जिम्मेदारी है। घर परिवार के लोगो का सहारा बनाना। घर में हर किसी  से सम्मान से बात करना। बच्चो को प्यार से बातचीत करना। घर में हसी ख़ुशी से रहना। 

शांति जीवन का ज्ञान

अपने मन को सदा शांत रखना। दुसरो के हित का ख्याल रखना। निस्वार्थ भाव से सेवा करना। 

शांति मन का ज्ञान

अपने मस्तिष्क को शांत रखना। विवेक बुद्धि का उपयोग करना। मन को एकाग्र रखना। 

 

व्यक्तित्व प्रेरणा में मन विवेक बुद्धि सोच समझ सहज बोध एकाग्रता चिंतन मनन कल्पना सबका उन्नत होना जरूरी होता है

  

प्रेरणा स्त्रोत

जीवनके  उन्नति के पीछे किसी  किसी का बहुत बड़ा हाथ होता है। 

संघर्ष हर किसीके जीवम में होता ही है।

सही दिशा दिखाने वाला ही प्रेरणा स्त्रोत के महत्त्व बनता है। 

चाहे विद्यलयके पढाई लिखाई में किसी अच्छे अध्यापक का प्रेरणा स्त्रोत मिले।

या किसी ऐसे गुरु का जो ज्ञान के माध्यम में प्रेरणा स्त्रोत बन जाए।

किसी का प्रेरणा बहुत बड़ा ज्ञान देता है। 

जिसकेअपने जीवन मेंकिसी से अच्छे जानकर से प्रेरणामिलता है। 

तो उससे अपना जीवन सफल हो जाता है

व्यक्तित्व प्रेरणा 

व्यक्तित्व प्रेरणा किसी भी ब्यक्ति का ज्ञान जन्म के साथ नहीं आता है।  जीवन के हर पहलू में ज्ञान हासिल करना ही पड़ता है।  जीवन में परिपक़्वता सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं मिलता है। किताबी ज्ञान के साथ मन, विवेक, बुद्धि, सोच, समझ, सहज बोध, एकाग्रता, चिंतन, मनन, कल्पना, सबका उन्नत होना जरूरी होता है।  जिस क्षेत्र से जो जुड़े होते है। उस क्षेत्र के दूसरे लोग जो अपने ब्यवसाय, कार्य क्षेत्र में जो सफल या बहुत सफल होते है।  उनसे भी ज्ञान लेना पड़ता है।  उनके कार्य क्षेत्र को समझा जाता है। उनसे मिलकर उनके ज्ञान और उपलब्धि को सुना और समझा जाता है।  उनके बात विचार को ज्ञान समझकर  प्रेरणा स्त्रोत मानकर आगे बढ़ा जाता है। 

प्रेरणा स्त्रोत को सिर्फ ज्ञान ही नहीं समझा जाता है। प्रेरणा स्त्रोत को आत्म मनन करके जीवन में स्थापित किया जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को महत्वपूर्ण ज्ञान समझकर अपने क्षेत्र में आगे बढ़ा जाता है। तब जीवन में सफलता प्राप्त करने का माध्यम प्रेरणा स्त्रोत होता है।

  व्यक्तित्व प्रेरणा 

विश्लेषणात्मक दिमाग में मन सकारात्मक होना चाहीये दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है सकारात्मक शब्द नकारात्मक शब्द अकारक शब्द होते है।

  

विश्लेषणात्मक दिमाग मे मन क्या है?

मन क्या है? अपना दिमाग सकारात्मक होना चाहीये।

अपने दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है। कुछ सकारात्मक शब्द होते है।

कुछ नकारात्मक शब्द होते है। कुछ  अकारक शब्द होते है।

जो ब्यर्थ में अपने  दिमाग को चलते रहते है। मन  उसके अनुरूप अपने दिमाग पर प्रभाव डालता है। 

मन में एकाग्रता होना चाहिए। जिससे सूझ बुझ कर निस्कर्स निकल सके की क्या होना चाइये।

अपने मन को किस तरफ चलना चाइये। दिमाग अपने सोच समझ को नियंत्रित करता है।

मन के भाव के हिसाब से दिमाग के विश्लेषण पर प्रभाव डालता है।

दिमाग अपने लिए ऊर्जा का क्षेत्र होता है।

हर प्रकार के मन के भाव का दिमाग में विश्लेषण होता है। 

मन के भाव के अनुसार दिमाग विश्लेषण करके मन को नियंत्रित करता है।

उसका प्रभाव अपने मन पर पड़ता है। मन का उड़ान बहुत तेज होता है।

मन में उत्पन्न होने वाला एक एक शब्द दिमाग में संग्रह होता है। 

मन का जैसा भाव होता है। वैसा ही दिमाग का विश्लेषण कर के शब्द को उजागर करता है। 

 

कभी कभी मन में कोई पुराना यादगर याद आता है।

तो उससे जुड़े हुए शब्द अपने दिमाग में विश्लेषण करने लगते है।

कभी ऐसा होता है की कुछ समय पहले की बात भूल जाते है।

याद करने पर भी याद नहीं आता है।

कोर्शिस करने पर भी दिमाग में विश्लेषण के दौरान कुछ याद नहीं आता है।

दिमाग को संकेत मन से मिलता है।

मन के आधार पर ही दिमाग विश्लेषण कर के शब्द उभरता है। 

 

मन में जो भी चलता है दिमाग उसका विश्लेषण करता है।

अपने मन दिमाग के चलाने का माध्यम होता है।

क्रिया कलाप में जो हम करते है।

जो शब्द मन ग्रहण करता है।

वैसा ही शब्द दिमाग विश्लेषण करता है।

बाकि बात विचार हमें याद नहीं रहता है।

दिमाग क्रिया कलाप के प्रत्येक शब्द को संग्रह कर के रखता है।

मन में जैसा भाव आता है। दिमाग वैसा ही भाव को विश्लेषण कर के मन में प्रसारण करता है।

वैसा प्रभाव हमरे मन पर पड़ता है। परिणाम मन जिस तरफ चलता है। 

दिमाग चलते हुए मन को उस तरफ ही परिणाम देता है।  

 

मन कैसे चलता है?

मन के चलने का मतलब एक घटना होता है।

जो घटित होता है। जब हम सक्रिय होते है।

तो सब नियंत्रण में होता है। जब हम सक्रिय नहीं होते है।

 मन अनियंत्रत हो कर कुछ न कुछ खुरापात करते रहता है।

इंसान स्वयं मन के चलन को कभी नहीं समझ सका है।

मन का चलना ऐसी घटना है। जो स्वयं घटित होते रहता है।

इसको जितना नियंत्रण में करना चाहेंगे उतना ही तेज प्रवाह से भागता है।

मन के उठाते हुए विचार कहा से कहा जाता है। आगे पीछे क्या होगा।

कुछ नहीं कहा जा सकता है। मन अविरल प्रवाह से चलता जाता है।

एक ही मार्ग है। मन के प्रवाह को रोकने के लिए।

मन को किसी काम या किसी ऐसे क्रिया में ब्यस्त कर ले।

जो स्वयं को अच्छा लगता हो। उस कार्य क्रिया में खुद पारंगत हो।

तब मन उस ओर जब मन ठहर कर ब्यस्त होना पसंद करता है। 

 

दिमागी सोच का मतलब मन क्या है?

मन के उठाते सवाल या भाव को दिमाग दो भाग में कर दता है।

एक भाग सकारात्मक दूसरा भाग नकारात्मक होता है

दिमागी सोच का मतलब मनके उठाते ख्यालात को उर्जा प्रदान करता है

जिस ब्यक्ति में घटित हो रहा है।

उस ब्यक्ति को उसके सवाल के जवाब मिलते है।

साथ में उसके होने वाले प्रभाव के बारे पता चलता है।

जो मन को अच्छा लगता है।

सकारात्मक है। और जो बुरा महशुश होता है। नकारात्मक है।

सोचने वाले को स्वयं निर्णय लेना होता है।  उसको किस रास्ते पर चलना है।

अक्सर लोग मन से मजबूर होकर के ही चलते रहता है।

जब की दिमाग हमेशा उसके परिणाम के बारे में सचेत  करता रहता है।

मन से मजबूर लोग दिमाग की नहीं सुनते है।

दिमागी सोच सटीक निर्णय लेने में सक्षम है।

मन का प्रवाह दिमागी सोच को विखंडित कर सकता है।

सही निर्णय दिमाग का होता है।  

 

मन के प्रकार मे मन क्या है?

अपने मन के प्रकार में बाहरी मन संसार में भटकता है।

अंतर्मन मन अपने  मन के भीतर होता है।

जो बाहरी मन के क्रिया कलाप को संग्रह कर के उसको सक्रिय करता है। 

अंतर्मन बाहरी मन से ज़्यादा सक्रिय होता है।

अवचेतन मन अंतर्मन को आदे देने में सक्रिय होता है।

अवचेतन मन के माध्यम से स्वयं में परिवर्तन कर सकते है। एक अचेतन मन होता है।

जो सिर्फ चलता रहत है। जब हम सक्रिय नहीं रहते है।

अपने  सक्रिय न रहने का पहचान अचेतन मन है।

अचेतन मन का ज्यादा चलना अपने  मन मस्तिष्क में विकार उत्पन्न करता है। 

मानव मस्तिष्क सोच प्रक्रिया मे मन क्या है

जब अपने मन में कोई सवाल उठा है। तो उसके तरंगे दिमाग को जाते है।

दिमाग उसका विश्लेषण कर के मन को तरंगे देता है।

जिससे मन में उठाने वाले सवाल का परिणाम मिलता है।

साथ में मन के प्रभाव से हम किस ओर जायेंगे तो हमें क्या परिणाम मिलेगा।

स्वयं को निर्णय लेना होता है। हमें किस ओर जाना है।

मानव मस्तिष्क में सोच प्रक्रिया के सभी सवाल का परिणाम होता है। 

 

मन क्या है?

मन घटना है। हम जीतना सक्रिय रहेंगे। मन उतना सक्रिय रहेगा।

हमारा सक्रिय नही रहना मन का भटकन है।

मन के भटकन से हमें बचना है। हमें सदा सक्रिय रहना है। 

क्या सोच रहा है

मन कभी खली नहीं रहता है।

उचित या अनुचित कुछ न कुछ चलता ही रहता है।

किसी विषय वस्तुके बारे में सोचने की प्रक्रिया में जब हम उचित विषय कार्य पर जोर देते है।

तब जो प्रक्रिया चलता है। उसको दिमाग के सोचने की प्रक्रिया होता है।

सक्रिय होने पर दिमाग कार्य करता है।  

दिमाग बनाम मन

दिमाग बनाम मन  बहुत अच्छा शब्द है। जब सक्रियता प्रभावित होता है।

तब बहोत जरूरी विषय पर मन टिकने लगता है। और दिमाग को साथ देता है।

मन के गहराई से जो सवाल उठाते है। वो बहुत सक्रिय होते है।

तब मस्तिष्क के दोनों भाग एक जैसा कार्य करता है।

हा नकारात्मक भावना के लिए कोई जगह नहीं होता है।

सवाल से उत्पन्न सवालो का चक्र मष्तिस्क में चलता है।

दिमाग बनाम मन होता है तब हर सवाल का सटीक रास्ता मिलता है।

ऐसे ब्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होते है।

दिमाग के उच्तम सोच वाले ब्यक्ति होते है। 

जो नकारात्मक सोच समझ वाले ब्यक्ति होते है। वो  विक्छिप्त होते है। 

  मन क्या है 

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