Thursday, June 19, 2025

ज्ञान के स्रोत में सवाल गजब का तब होता है जब ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

  

ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

 

अपने ज्ञान से जुड़े सवाल गजब का तब होता है जब कुछ ऐसे सवाल उठ जाये की आखिर क्या जवाब दिया जाये। ज्ञान के विकाश में प्रश्न शानदार तो तब बनता है जब तक की सोच मस्तिस्क में प्रबल न हो। आखिर वसा ज्ञान के विकाश में किस प्रकार योगदान देता है। मै तो समझता हूँ की ज्ञान की जड़ ही वासा है। मन का भाव, विवेक बुध्दी, कल्पना, सोचना, समझना, सुख, दुःख. हसना, रोना, प्रगति, अवनति, ये सब क्या है? इस सबको किस भाषा से समझेंगे? तो सही उत्तर मिलता है। ज्ञान, सब ज्ञान ही है। महत्त्व, आभास, सम्बेदना, सुखद पल, जैसा जीवन में आगमन या पारगमन होता है। तो मनुष्य को उसका ज्ञान होता है।

ज्ञान को समझा जाये तो ज्ञान का कोई भी परिभाषा आज तक कोई पुरा नहीं कर सका है। ज्ञान अनन्त है। जिसका कोई अंत ही नही है। जिसको कोई नही आज तक समझ पाया। ज्ञान कहा से आया और कहा तक जायेगा। मै तो ज्ञान को एक घटना समझता हूँ। जो स्वत ही घटित होता है। जैसा प्रयास करेंगे वैसा ही फायदा या नुकसान होगा। निर्णय तो मन को लेना होता है। मन को क्या पसंद है। सब तो ज्ञान ही है। जैसा इच्छा होता है। ज्ञान का परिणाम भी वैसा ही होता है। 

 

  ज्ञान के विकास 

ज्ञान के विकास में वसा कैसे योगदान देता है? 

अपने ज्ञान के अनुसार योग का मतलब जुड़ना होता है। जब कुछ जीवन में जुड़ता है। और कुछ जीवन से दूर जाता है। आना जाना चलता रहता है। और जो रुक जाता है। वो समझ ले की वो उसका अपना घर है। रास्ता कौन दिखाता है? मन, बुध्दी और कल्पना तीन महत्वपूर्ण विकल्प है। मन काल्पना को हवा देता है।, कल्पना का परिणाम बुध्दी पर पड़ता है। बुध्दी मन के अनुरूप होता जाता है। वैसे ही वसा एक तत्व है। मिट्टी तत्व उसका पहचान है। वासा का परिणाम चिकनाहट, मोटापा, चर्बीदार, मेद, उपजाऊ, स्थूल, मोटा ताजा जिसे जो समझ में आये। कोई रोक टोक नहीं है। मन के अनउपयुक्त उर्जा जो मन में पनपते है। जिसका कोई उपयोग नहीं किया जाता है।

कल्पना में घटना को घटित होने दिया जाता है। जिनसे हमेशा वेपरवाह रहते है।

सोच ऐसी होती है। सब सोचते जाते है। कार्य के नाम पर कुछ नहीं होता है। बस घटना को सोच सोच कर सुख या दुःख महशुस करना होता है। जिसका वास्तविक जीवन में कोई स्थान ही नही होता है, बल्कि उसका कोई उपयोग भी नहीं होता है। घटना मन में घटित होता रहता है। जब सोच से मन पर तबरतोर प्रभाव पड़ता है। जब सोच के प्रभाव से मन तुरंत सुख दुःख को महशुश कर लेता है। तो क्या अनउपयुक्त घटना का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ेगा। चिंता फिक्र में तो शरीर गलकर चिता हो जाता है। ये प्रत्यछ उदहारण है।

बहूत लोग ऐसे घटना के ज्ञान को देखते और समझते भी है।

अनउपयुक्त घटना का ज्ञान भी इन्ही में से है। जो मन में बस गया अपना घर बना लिया। मनोबल से बहूत लोग सुख दुःख के भाव को कम कर लेते है। किसी को अपने मन के अन्दर क्या चल रहा है। भनक भी नहीं लगने देते है। मन का भाव उस घटना को स्वीकार कर लेता है। तब मन में वेदना कम होता है। बाहर दूसरो को नजर नहीं आता है। ऐसे घटना के बारम्बार होने से वसा तत्व अनउपयुक्त घटना से बढ़ भी सकता है। ज्ञान के विकास में वसा अनउपयुक्त घटना से निर्मित उर्जा को अपने अन्दर ले भी सकता है। ज्ञान के दृष्टी से उर्जा का उपयोग होना चाहिए। उर्जा को एक आयाम से दुसरे आयाम में परिवर्तित किया जा सकता है। उर्जा को कभी भी नस्त नहीं किया जा सकता है। वो कही न कही अनपयुक्त उर्जा असर दिखायेगा ही।

ज्ञान के रमना में संपत्ति वास्तविक सुहावना होना चाहिए ज्ञान के पार्क है तो रमना मन मोहक भी होना चाहिए फूलो के बाग़ में है तो खुशबूदार भी होना चाहिए

  

ज्ञान के रमना में संपत्ति खरीदने के क्या फायदे हैं

 

अपने ज्ञान के पार्क में संपत्ति वास्तविक है की सुहावना होना चाहिए। ज्ञान के रमना है। तो रमना मन मोहक भी होना चाहिए। फूलो के बाग़ में है तो खुशबूदार भी होना चाहिए। फलो के बाग़ में है तो मीठा रसीले भी फल भी खाने को मिलाना चाहिए। बगीचे में पेड़ पौधे झाड़ पतवार होना लाजमी है। दूर से खुबसुरत भी दिखे दिखावा अच्छा होना चाहिए।  बाग़ में बागवान भी होना चाहिए।

 

  ज्ञान के पार्क 

अपने ज्ञान के रमना में तो सब उपलध है 

ज्ञान के नजरिये से जीवन को देखे तो अच्छा दिखने के लिए सबसे पहले मनकर्मवचन से सकारात्मक जरूर होना चाहिए। मन शीतल और मोहक होगा तो खुशबूदार अपने आप हो जायेगा। मन को शीतल करने के लिए जितने भी कूड़ा कड़कत मन में है निकल फेके। नाही तो यही झाड़ और पतवार बन जायेंगे। इसलिए झाड़ और पतवार को हमेशा साफ़ करते रहिये। ताकि ज्ञान के पार्क में पेड़ पौधे ठीक से उग सके। मन की शीतलता ज्ञान को सिचता है। जिससे मन आकर्षक होता है। खुशबूदार फुल कि तरह सबके बिच आकर्षण का केंद्र बनता है। ऐसे ब्यक्ति के ज्ञानसोच समझविवेक बुध्दि से निकले ज्ञान मीठे रसीले फल की तरह उपयुक्त और फायदेमंद ही होते है। ऐसे ज्ञान के पार्क के बागवान निष्ठावान ब्यक्ति ही होते है।

 

जीवन का ज्ञान अच्छाई के लिए ही होना चाहिए। 

संसार में हरेक वस्तु को ख़रीदा जा सकता है। प्राकृतिक देन को कभी खरीद नहीं सकते है। ज्ञानकल्पनासोचसमझबुध्दी विवेक ये सभी प्रकृति के देन है। इसको सजगतासहजतानम्रतास्वभाव से जीवन में स्थापित किया जाता है। संसार का कोई भी कीमत इसका लगा ले और प्राकृतिक गुण को खरीद ले। ऐसा कोई हो तो हमें भी बताये। हम भी बहूत उत्सुक है। ज्ञान रूपी ये गुण अब बाज़ार में मिल रहे है। इसलिए ज्ञान के पार्क में संपत्ति खरीदने का मेरे नजर में कोई सवाल ही नहीं है। पर ज्ञान के पार्क में संपत्ति को अपने जीवन में स्थापित कर सकते है।

ज्ञान का आयाम कोई न कोई तथ्य से जुड़ा होता है

  

तथ्यात्मक ज्ञान और विशेषताएं

ज्ञान का आयाम कोई न कोई तथ्य से तथ्यात्मक ज्ञान जुड़ा होता है.

जब तक तथ्यात्मक ज्ञान का समझ सार्थक नहीं होता है तब तक उसका तथ्य उजागर नहीं होता है.

ज्ञान के तथ्य को समझे तो जैसे कोई काम कर रहे है. 

उसमे होने वाला क्रिया कलाप में हर जगह कोई न कोई तथ्य जुड़ा होता है.

जिसको पूरा करने से वो कार्य पूरा होता है.

कार्य को पूरा करने के लिए कई प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होता है.

सभी ज्ञान के मेलजोल से जो आयाम बनता है उससे वो कार्य पूरा होता है. यद्यपि कार्य को मानव ही पूरा करता है पर जब तक समुचित ज्ञान का आयाम का अभ्यास न हो तो वो कार्य कही न कही रुक सकता है और आगे बदने में दिक्कत महशुश होने लगता है कारन ज्ञान का सही तरीके से उपयोग नहीं होना. एक कार्य को पूरा करने के लिए लगे ज्ञान में कई प्रकार के तथ्य होते है सबके अपना अपना विशेषता है. सभी का क्रम और अनुशासन भी बिगड़ जाने से कार्य में गड़बड़ी आता है. तथ्य के क्रम में परिवर्तन कभी नहीं करना चाहिए. ज्ञान उससे भी जुड़ा हुआ है.

 

तथ्य का अपना अनुशासन होता है वही से ज्ञान उजागर होता है.

  तथ्यात्मक ज्ञान 

ज्ञान इसलिए जरूरी है. जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है

  

ज्ञान के कई रूप होते है 

ज्ञान के कई रूप होते है ज्ञान कई तरह से प्राप्त किया जा सकता है.

कोई किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है. 

तो कोई सुनी सुनाई बात के माध्यम से भी ज्ञान प्राप्त करता है. 

पर वे सच्चे पारखी होते है, जो सुनी सुनाई बात से ज्ञान प्राप्त करता है.

जो कोई भी यदि सही संस्कार के बिच रहा हो.

उसका आचरण अच्छा हो तो उसकी परख अच्छी होती है.

उसको पता होता है कि सही क्या है?  गलत क्या है? उसकी ज्ञान की गहराई बहुत अच्छी होती है.  

ज्ञान के कई रूप जो व्यक्ति किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त  करते है 

ज्ञान के मामले में उसकी सोच सीमित होती है.

जो व्यक्ति किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है.

उसकी सोच असीमित होती है. क्योंकि उस के हर सोच में गुरु की विद्या होती है.

गुरु उसके हर जगह मददगार होते है. यदि वो व्यक्ति कही पर फस जाता है.

तो वो गुरु की मदद से निकलने में या निर्णय लेने में हर जगह गुरु मदत करते है.

ये बात सिर्फ शिक्षा से ही जुड़े हुए नहीं है.

हमें तो जीवन के हर मोड़ पर ज्ञान की आवश्यकता होती है.

ताकि हम कही फसे नहीं या बिखरे नहीं. ये नियम तो रोज ही होते है.

घर परिवार में, काम धंधे में, समाज में, दोस्तों में, जान पहचान में, किसी व्यवहार में, रस्ते पर, बहुत से ऐसे मौके है, जहा हर जगह  ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है. 

कल्पना करे ज्ञान नहीं होगा तो क्या होता? ज्ञान के बगैर हर जगह हम फसते रहेंतेज्ञान के बगैर मुसीबत में जाते रहेंते. 

इसलिए ज्ञान बहुत जरूरी है.  सोच समझ कर निर्णय लेना होता है की हमें ज्ञान किस प्रकार का लेना है. 

ज्ञान का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से भी हो सकता है

ज्ञान के माध्यम से ये जरूरी है कि हर व्यक्ति को हर प्रकार का ज्ञान होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो हर जगह फसता जायेगा. जहा पर जैसा ज्ञान जरूरी है.  वैसे ही इस्तेमाल करे तो सब ठीक रहेगा. अब मान लीजिये की हम अपने काम धंधे में कोई मेहनत का काम कर रहे है. यदि सोचेंगे की कार्यालय में बैठ कर कोई काम करे और उस ज्ञान के पीछे भागेंगे तो क्या होगा. कल्पना का परिणाम अच्छा नहीं होगा. क्योंकि तब न मन से वो अपने काम प ध्यान दे पायेगा और न मन लगातार नए काम के तरफ ध्यान दे पायेगा. जहा वो समय भी नहीं दे पा रहा हो. तब न ये होगा.  न वो होगा.  तब वहाँ एकाग्रता भांग होने का डर हो जायेगा. और अंत में दोनों ही काम बिगड़ जायेंगा. 

ज्ञान इसलिए जरूरी है क्योकि ज्ञान के कई रूप होते है।

ज्ञान के स्त्रोत जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होना चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है. इसके लिए अपने मन में सोचे की मन वास्तव में क्या कल्पना करना चाह रहा है. यदि मन की आवाज सुनाने में सक्षम  है. उसकी वास्तविकता को समझ रहे है. तो उस तरफ जरूर जाय. सफलता आपका इंतजार कर रहा है.  

अच्छी ज्ञान की परिभाषा 

ज्ञान मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाती है. उसी ज्ञान के माध्यम से हर जगह सफलता मिलती है. हर रस्ते में मार्गदर्शन मिलता है. उसके पास हर बात का जवाब होता है. वही सच्चा ज्ञानी है.
 
   ज्ञान के कई रूप 

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है

  

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है जब जलता है तो प्रकाश उत्पन्न होता है जिससे लोगो को रोशनी मिलती है उसी को गैस बत्ती के मेन्टल कहते है।  

जीवन के प्रकाश में जलना 

जलना क्या होता है? जलना सिर्फ ब्यर्थ और बेकार नहीं होता है जैसा लोग समझते है, जलना उसको भी कहा है जो ज्ञान की तलाश में कोई शोध करता है कुछ प्रकाशित करता है कुछ लोगो को ज्ञान कराता है, इससे वस्तुविक कोई फायदा नहीं होता है पर लोगो को बहुत कुछ दे जाता है। ज्ञान के प्रकाश में ही सब कुछ की प्राप्ति होता है, वही आविष्कार कहलाते है कही न कही शोध करते  हुए  कुछ न कुछ खो कर ही पाये है, ऐसे ही सबकुछ आज दुनिया नहीं प्राप्त हुआ है,  शोधकर्ता ने अपने पुरे जीवन को कोई एक विषय पे अपने दिल और दिमाग को लगाकर, केंद्रित करके जो शोध किये है, आज उसी से हम सबका जीवन सहज हो गया है। 

 जीवन का पहला उपलब्धि पहला शोध पहला आविष्कार

हम अपने जीवन को कैसे समझते हैं, क्या करते हमारा दिमाग किस तरफ  जाता है, क्या हम अच्छा या बुरा सोचते हैं, वास्तविक जीवन के प्रकाश में सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक ही सोच होता है जो कि कोई विरले ही उस समझ को शोध में परिवर्तित करता है और वो परिपक़्व  हो कर उजागर भी करता है, वो दुनिया के सामने एक मिशाल भी कायम करता है, सबसे पहली शोध दुनिया में चक्कर की हुई थी वो भी अनायश जो एक पहलु में आकर पुरा हो गया और एक बहुत बड़ी शोध बन गया, वही गोलनुमा चक्र बन गया।  

एक ब्यक्ति कोई सामान घसीट कर ले जा रहा था  

तभी अचानक एक गोलनुमा वास्तु पर  वो समान सरकने लगा साथ में वो भी गोल गोल घुमने लगा और समान सहज तरिके से आगे बढ़ गया तब उस ब्यक्ति ने एक वास्तु को  एक गोलनुमा आकर देकर उसका उपयोग सुरु कर दिया।
बाद में परिवर्तन दर परिवर्तन विकास करता हुआ 
वही गोलनुमा वास्तु आज गाड़ी के पहिये बनकर, माशिनो के गोलनुमा आकार के पुरजे बनकर गाड़ी, कल कारखाने और अनगिनत बहुत सारे उपकरण, यहां तक की रोजमर्रा के जीवन उपयोग होने वाले बहुत सरे बस्तु बन गए जिसपे आज पूरा  दुनिया चलता है।

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है.

  

रिश्ते का महत्व

दोस्तों किसी से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रहना चाहिए.  इससे स्वयं खुद का भी मन व्यथित रहता है. भले लोग अपने हो या पराये ये मायने नहीं रखता है. किसी को जानते या पहचानते है तो कही न कही आत्मीयता से जरूर जुड़े हुए है. तभी कभी कवल उनका याद भी आता रहता है. जब किसी अपने या पराये से नाराज हो जाते है तो वो सदा याद रहते है. ऐसे लोगो का याद हरदम मन में रहता है जिनसे नाराज होते है. नाराजगी एक नकारात्मक गुण है जो सकारात्मक गुण से ज्यादा सक्रीय होता है. भले उनसे आप नाराज रहे पर उनकी याद सदा आपके मन में रहेगा ही. इसलिए नाराजगी ठीक है पर उतना ही की वो नाराजगी अपने मन में न बैठ जाये. इससे खुद का भी दिमाग ग्रसित होने लग जाता है. इसलिए सभी के साथ नाराजगी छोडिये और मिलजुल कर रहिये.

   रिश्ते का महत्व 

रिश्ते का महत्व मे ताली दोनों हाथ से बजता है. रिस्तो में इस बात का भी ध्यान रखिये.

एक तरफ़ा सम्बन्ध कभी मत रखिये.  आप चाहे तो मदद कर सकते है, पर उतना ही जो उचित हो और किसी प्रकार का अपना नुकसान नहीं होता हो.  यहाँ तक ठीक है. जब सामने वाला अपको कोई महत्त्व नहीं दे रहा है. तो उससे मतलब रखना बिलकुल ठीक नहीं है.  ऐसे व्यक्ति को दिल से निकल देना चाहिए. ये नुकसान दायक होता है. आप मदद करते जा रहे है.  वो किसी भी प्रकार से आपके लायक ही नहीं है तो वो मदद किस काम का. जबरदस्ती रिश्ता कभी ठीक नहीं होता है.  भले अपने से हो या पराये से रिश्ता दोनों तरफ सामान और आदर्श होना चाहिए, तभी वो रिश्ता महत्त्व रखता है.

जो रिश्ते को महत्त्व देते है उनके बिच भी नाराजगी होती है.

रिस्तो की नाराजगी ज्यादा दिन तक नहीं चलता है. उनमे सुलह हो कर फिर एक जैसे हो जाते है. ये बात उतना ही सही है, जैसे जहा कई बर्तन हो तो आपस में टकराते भी है. वैसे ही रिश्ता भी होता है. कभी ख़ुशी तो कभी नाराजगी पर वो नाराजगी नहीं समझ का फेर होता है और कुछ नहीं होता है. 

जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं।

  

जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है 

जीवन में छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं। या कोई उपकरण बना रहे हैं। 

जिसमे बहुत सारे समान लगते हैं। उसमे से कोई छोटी चीज़ें भी बाकी रह जाता है  तो वो काम पूरा नहीं होता है।

बात सिर्फ उपकरण बनाने का नहीं है।  घर में रोजमर्रा में भी बहुत से ऐसे काम होते हैं। 

जिनके छोटी चीज़ें बहुत होते हैं। उनको एक कर के मिलाकर उस काम को पूरा किया जाता है।

उसमे से कोई वस्तु या कोई छोटी चीज़ें छुट जय तो दिमाग खराब हो जाता है।

किया धरा सारा काम बेकार हो जाता है।

बहुत जरूरी कम हो तो उसके लिए छोटी चीज़ें के वजह से वो काम ही खराब हो जाता है। 

नौकरी या सेवा  में है तो छोटी चीज़ें के कारण से नौकरी जाने का भी खतरा रहता है। 

क्योकी उससे उनका ब्यापार जुड़ा होता है।

छोटी चीज़ें का जीवन में या कल्पना में

सोच समझ में जो सोचने में उसके बारे में विचार करने में भी कोई न कोई छोटी चीज़ें होता ही है। इसलिए कल्पना में भी बात का ख्याल रखा जाता है। की कोई भी महत्वपूर्ण  छोटी चीज़ें छूटे नहीं चाहे वो कोई बड़ा चीज़ें हो या छोटी चीज़ें हो। कल्पना में भी छोटी चीज़े बहुत महत्वपूर्ण स्तान रखता है। क्योकी मनुष्य जैसा  कल्पना करता है।  उसके अनुरुप ही कार्य करता है। सही कहा गया है।  जैसी सोच होते हैं  वैसा वर्ताव भी होता है। और वैसा काम काज भी होता है। सकारातमक मन की उपज सकारातमक ज्ञान को बढ़ावा देता है। जिससे जीवन सार्थक होता है।  काम काज व्यवहार और लेने दें में हर जगह किसी भी प्रसार का कोई भी अनुभव बाकी नहीं रहना चाहिए।  भले उससे जुड़ा हुआ कोई छोटी चीज़ें या बड़ी चीज़ें हो। इस बात का ख्याल रखना चाहिए।

 

जीवन में छोटी चीज़ें

जीवन को कैसे देखते हैं? जीवन की मुख्य मात्रा क्या हैं? जीवन को सबसे पहले ज्ञान (Knowledge) के माध्यम से समझना चाहिए

  

जन्म से मृतु तक समय को जीवन कहते है 

बचपन में हस खेल कर बच्चे पढाई लिखाई करके मस्ती सरारत करते हुए रहते है। अपना जीवन बिताते हुए आगे बढ़ते है। किशोरावस्था में सही, गलत, अच्छा, बुरा सब प्रकार के ज्ञान को समझते हुए आगे बढ़ते है। शिक्षा प्राप्त करते है। जीवन के रंग को समझते है। जिंदगी में आगे बढ़ाते है। युवावस्था में जीवन के जिम्मेवारी को समझते है। घर परिवार के देख रेख, काम काज, लोग समाज में उठना बैठना सब प्रकार के ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करते है।

अपने जीवन के साथ जीवन संगिनी को प्राप्त कर के साथ साथ जीवन बिताते है। नए पीढ़ी के साथ आगे बढ़ते है। प्रौढ़ावस्था में जीवन के उतर चढ़ाव को समझते है। अपने अग्रज को अपने ज्ञान और अनुभव से शिक्षा देते है। समाज घर परिवार के देख रेख करते है। जीवन ब्यतित करते हुए आगे बढ़ते है। वृद्धावस्था में सब प्रकार के दुःख सुख का अनुभव करते है। एक एक कर के अपने ज्ञान और अनुभव को दूसरो को देकर अपने जीवन के समापन की और बढ़ते है। बाद में मृतु को प्राप्त करते है। इस तरह से जन्म से मृतु तक जीवन ब्यतित होता है।    

 

 

आप जीवन को कैसे देखते हैं?

अपने जीवन को सबसे पहले ज्ञान के माध्यम से समझना चाहिए। जीवन का सबसे बड़ा मूल्य शिक्षा और ज्ञान ही होता है। जिसपर जीवन का विकाश तरक्की उन्नति आधारित होता है। जीवन में शिक्षा और ज्ञान यदि भरा हुआ है तो सफलता उससे कभी दूर नहीं रहेगा। समझदारी जीवन में लोगो के बिच में कार्य ब्यवस्था में अनुभव को दर्शाता है। सरलता सहजता जीवन में सुख दुःख के समय अपने जीवन को किस तरह ब्यतित करते है। मुस्किल के समय और हार्स उल्लास में जीवन को सहज और सजग कैसे रखना है। बहूत ही उपयोगी गुण दर्शाता है। जीवन में अपने कार्य ब्यवस्था के तरफ  सक्रियता जिम्मेवारी को दर्शाता है। घर परिवार बच्चो बुजुर्गो के प्रति जिम्मेवारी बहूत जरूरी है। मनुष्य के जीवन के लिए, सदाचार सद्भाव जीवन के संरचना में बहूत अहेमियत रखता है।       

 

जीवन की मुख्य मात्रा क्या हैं?

जीवन के मुख्य मात्र १० प्रतिशत ही होते है। आध्यात्मिक ज्ञान के अनुसार मनुष्य सक्रीय चेतन मन १० प्रतिशत होते है। बाकि ९० प्रतिशत अचेतन होते है। सचेतन मन की सक्रियता जीवन के लिए विकाश और सफलता का कारण है। इसलिए जीवन की मुख्य मात्रा १० प्रतिशत सक्रिय मन हैं।

जीवन के विकाश और उन्नति के लिए अतिआवश्यक है ज्ञान श्रीष्ठाचार सिखाता है अदब सिखाता है आचरण सिखाता है व्यवहार सिखाता है

  

विषयों के ज्ञान के बिना एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति सफल कैसे हो जाता है?

 

ज्ञान जीवन के विकाश और उन्नति के लिए अतिआवश्यक है ज्ञान श्रिस्ताचार सिखाता हैअदब सिखाता है आचरण सिखाता है। व्यवहार सिखाता है बातचित करने की कला सिखाता हैकोई भी विषय का ज्ञान अपने ज्ञान को बढ़ाने का ही काम करता हैज्ञान प्राप्त करने के लिए विषय एक माध्यम होता है। जिससे जीवन में ज्ञान का विकाश होता है

  जीवन के विकाश 

 

जीवन में ज्ञान के प्रभाव से रहन सहन में सृस्ताचार, अदब, आचरण, व्यवहार, सरलता, सहजता, निर्भीकता, जिज्ञासा जैसे महान गुण जीवन में स्थापित होते हैजो ब्यक्ति को सफल और निर्भीक बनाता हैइसलिए विषयों के ज्ञान के बिना एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति सफल हो जाता है

जीवन के मुख्य गुण क्या हैं? जीवन के मुख्या गुण सरलता सहजता एकाग्रता संतुलित सोच समझ

  

जीवन के मुख्य गुण क्या हैं?

अपने जीवन के मुख्य गुण सरलता, सहजता, एकाग्रता, संतुलित सोच समझ, विवेक बुध्दी पूर्ण कार्य और कर्तब्य, सौम्यता, करुना, जरूरी कल्पना, शांति, बौद्धिक, चंचलता, अपने कार्य में गतिमान, गतिशीलता, निर्भीक, संतुलन, अमीरी, गरीबी, सुख, दुःख, अपनापन, कोमलता, सम्मानित, जानकर, ज्ञानी, निर्मलता, गंभीरता ऐसे बहूत से सकारात्मक गुण है।

जीवन के गुण में नकारात्मक गुण भी होते है कठोरता, निर्ममता, संकुचितपना, निर्दैता, निष्ठुरता, दरिद्रता, असहज, असंतुलित सोच समझ, विवेकहीनता, बुध्दिहीन, मतलावी, मन की कल्पनो में डूबना, कर्म हीनता।  

जीवन के मुख्य गुण

क्या पिछले जन्म (Past life) मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है?

अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं है। जो की इस बात को प्रमाणित करे की क्या पिछले जन्म मृत्यु तिथि और वर्तमान जन्म तिथि के बीच कोई संबंध है। कई जगह देखा गया है। पुनर्जन्म कही भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला है। 

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