Saturday, June 21, 2025

रक्षा बंधन औन लाइन अपने भाइयो को भेजे जो दूर शहर गाँव में रहते है जहा हर समय जाना संभव नहीं है अभी ऑनलाइन बजे समय पर मिल जायेगा

  रक्षा बंधन औन लाइन अपने भाइयो को भेजे जो दूर शहर गाँव में रहते है जहा हर समय जाना संभव नहीं है अभी ऑनलाइन बजे समय पर मिल जायेगा   

Raksha Bandhan Send online to your brothers who live in distant cities, villages, where it is not possible to go all the time, now they will be available on time online.

 

https://amzn.to/3j3n2oc

M.R.P.:    ₹499.00

Price:       ₹90.00

You Save:       ₹409.00 (82%)

Inclusive of all taxes

रक्षा बंधन औन लाइन

 

M.R.P.:    ₹999.00

Price:       ₹149.00

You Save:       ₹850.00 (85%)

Inclusive of all taxes

 

 

 

 
 
 
 

M.R.P.:    ₹299.00

Price:       ₹165.00 Fulfilled

You Save:       ₹134.00 (45%)

Inclusive of all taxes

 

 

 

 

https://amzn.to/3iZtooC

M.R.P.:    ₹200.00

Price:       ₹147.00

You Save:       ₹53.00 (27%)

Inclusive of all taxes

 

 
 
 

M.R.P.:    ₹499.00

Price:       ₹162.00

You Save:       ₹337.00 (68%)

Inclusive of all taxes

 

यूकेजी (Ukg) और केजी (Kg) में प्रवेश के लिए कौन सा ज्ञान (Knowledge) आवश्यक है? भारतीय प्रणाली में ज्ञान की तुलना में प्रमाणपत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं?

  

शिक्षा का ज्ञान  (Knowledge of education)

 

यूकेजी (ukg) और केजी (kg) में प्रवेश के लिए कौन सा शिक्षा का ज्ञान आवश्यक है?

यूकेजी और केजी में प्रवेश के  लिए  बच्चे को अपना नाम अपने माता पिता का नाम बताने आना चाहिए। किताबी किसी भी ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। क्योकि पढाई लिखाई की सुरुआत स्कूल से होते है। सिर्फ बच्चे के समझ का अंदाजा लगाया जाता है। क बच्चे को यूकेजी या केजी में प्रवेश लिया जाए। बच्चो को सिर्फ सब्जी की पहचान या फल का पहचान होना चाहिए।

घर में उपयोग होने वाले वस्तु के पहचान होने ज़रूरी है।

बच्चा कितना साफ़ बोल पाता है। बच्चे का उम्र ३ साल से बड़ा और ४ साल से छोटा है। तो इसके अनुसार से केजी में प्रवेश लिया जाता है। बच्चा यदि पहले से कुछ किताबी ज्ञान घर में पढ़ा है। जैसे A B C D शब्द या 1 2 3 गिनती सिखा है। छोटे साधारण कविता घर में दुसरे बड़े बच्चो से सिखा हो। उम्र ४ साल से बड़ा और ५ साल से छोटा है।

यूकेजी में प्रवेश लिया जाता है। यूकेजी और केजी में प्रवेश के लिए इस प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होता है।

मेरे हिसाब से बच्चा जब तक ५ साल का न हो उनके ऊपर पढाई का बोझ डालना ठीक नहीं है। आधुनिक सभ्यता बहूत जल्दी बच्चे पर पढाई का बोझ डाल रहा है। हो सके तो जब तक बच्चा यूकेजी या केजी में प्रवेश के पहले किसी भी प्रकार का किताबी ज्ञान का बोझ न डाला जाये। बच्चे मासूम होते है।

  शिक्षा का ज्ञान 

बच्चे उम्र और सामान्य शिक्षा का ज्ञान जो घर के वस्तु के नाम के ज्ञान के हिसाब से यूकेजी या केजी में प्रवेश होते है।

न कि किसी किताबी ज्ञान के माध्यम से प्रवेश होते है। इसलिए बच्चे को स्कूल में प्रवेश के पहले किसी भी प्रकार का किताबी ज्ञान का बोझ न डाले। बच्चो को स्कूल जाने के पहले कुछ सिखाना चाह रहे है। तो सामान्य ज्ञान के तौर पर घर के बस्तु के नाम सिखा सकते है। इतने ही यूकेजी और केजी में प्रवेश के लिए ज्ञान आवश्यक है।   

 

काम के संदर्भ में कर्मचारियों को दिए जाने वाले सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान (Knowledge) का अर्थ है

सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक ज्ञान ब्यक्ति को जिम्मेदार बनता है। खास कर के काम के संदर्भ में कर्मचारियों को अपने सिद्धांत और व्यावहार में पक्का होना बहूत जरूरी है। सिद्धांत ब्यक्ति को समय पर अपने काम पर आना सिखाता है। मन लगाकर काम करना। काम के प्रति अपने जिम्मेदारी को समझना। दिए गए कार्य को जिम्मेदारी से करना।

समय का खास ख्याल रखना की दिया गया काम अपने समय पर हो।

ताकि उद्यमी को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न हो। व्यावहारिक ज्ञान ब्यक्ति को दुसरे कामगार के बिच में समन्वय स्थापित करने में मदद करता है। जिससे किसी भी प्रकार का काम में कोई विवाद उत्पन्न नहीं होता है।

भले कामगार हो या उद्यमी दोनो के साथ समन्वय से शिक्षा का ज्ञान समान रहता है।

काम अपने जगह पर है। रहन सहन का तरीका अपने जगह पर है। भले ब्यक्ति काम में कितना ही माहिर क्यों न हो। यदि व्यावहार अच्छा नहीं है। तो वो किसी काम नहीं माना जाता है। उद्यमी के सामने वो किसी काम का नहीं होता है। अक्सर ऐसा देखा गया है। सिध्दांत उसके चरित्र को दर्शाता है। व्यावहार उसके भूमिका को दर्शाता है। इसलिए काम के संदर्भ में कर्मचारियों को दिए जाने वाले सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान बहूत जरूरी है।       

 

भारतीय प्रणाली में शिक्षा का ज्ञान की तुलना में प्रमाणपत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं?

ज्ञान की तुलना में प्रमाणपत्र क्यों महत्वपूर्ण हैं? ये सिर्फ भारतीय प्रणाली में नहीं बल्कि पुरे दुनिया में ऐसा ही मत है। कोई भी ब्यक्ति कही काम के तलाश में किसी ब्यावसाई के पास जाता है। अपने बारे में बताता है। ब्यावसाई उससे कुछ पूछ ताछ करता है।

इतना करने से कैसे कोई ब्यावसाई किसी अनजान ब्यक्ति पर विश्वास कर लेगा। जब तक की वो क्या जनता है? क्या तजुर्बा उसके पास है? कहाँ से आया है? इस ब्यावसाई में आने के पहले क्या कर रहा था? कहाँ कहाँ काम किया है? या नया है। काम पकड़ने के लिए सारा बात झूट तो नहीं बोल रहा है? कुछ भी हो सकता है? भारतीय सुरक्षा प्रणाली भी यही लोगो को समय समय अवगत पर कराता है।

किसी भी अनजान लोगो के संपर्क में सोच समझ कर विचार करे।

सिर्फ बात पर विश्वास नहीं करे। आये दिन हो रहे चोरी और धोखादारी से जगत विदित है। इसलिए भारतीय प्रणाली में ज्ञान की तुलना में प्रमाणपत्र महत्वपूर्ण है। ब्यक्ति कौन है? नाम पता कहाँ का है? ब्यक्ति कहाँ से है? कितना पढ़ा लिखा है? क्या क्या योग्यता उसके पास है? कौन कौन से काम में माहिर है? उसका सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक ज्ञान कैसा है?

सब जानकारी उसके प्रमाणपत्र में अंकित होता है। विद्यालय, महाविद्यालय, प्रतिष्ठान का मोहर और हस्ताक्षर होता है। जो की उसके योग्यता और उस ब्यक्ति को प्रमाणित करता है। 

 

 



 

मानव ज्ञान के वर्गीकरण मानव के लिए विषयो का ज्ञान आवश्यक है जब तक विषय का सही ज्ञान नहीं होगा तब तक विषय वस्तु पूरी तरह से समझ नहीं आएगा

  

मानव ज्ञान के विषय और विषयों में वर्गीकरण के दृष्टिकोण की आवश्यकता है

मानव ज्ञान के वर्गीकरण के लिए विषयो का ज्ञान आवश्यक है. 

जब तक विषय का सही ज्ञान नहीं होगा तब तक विषय वस्तु पूरी तरह से समझ नहीं आएगा.

स्कूल में पढाई लिखाई में कुछ विषय होते है जिसमे शब्द, भाषा और प्रकार समझ में आता है.

गणित जोड़ना, घटाना, गुना और भाग सिखाता है.

भाषा क्षेत्रीय, राजकीय और देशीय भाषा का ज्ञान कराता है.

जो अपने राज्य के भाषा देश का भाषा और सार्वभौमिक अन्तररास्ट्रीय भाषा सिखाता है.

इतिहास पौराणिक, मध्य यूग, और वर्तमान के विषय वस्तु की जानकारी कराता है.

भूगोल खगोलीय, देश, प्रदेश, विदेश के जलबायु संरचन का ज्ञान करता है.

देश और स्थान के अनुसार जलवायु परिवर्तन और मौसन शर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम के बारे में जानकारी कराता है.

भूमिति संरचन के आकर, प्रकार के मापने के पद्धति और बनाने और गणना करने का तरीका सिखाता है.

सबसे जटिल विषय विज्ञान जिसके तीन भाग होते है.

जीव बिज्ञान जीवन के संरचन के बारे में बताता है.

प्राणी, पशु, पक्षी, किट, पतंग, जीवाणु और विषाणु इत्यादि के शारीरिक बनावट तत्व की जानकारी, स्वभाव, प्रकृति, संरचन की जानकारी देता है. इसे प्राणी विज्ञान भी कहते है.

रसायन विज्ञान में तत्व की जानकारी, पदार्थ की जानकारी, ठोस और तरज पदार्थ की जानकारी, तत्व और पदार्थ के गुणधर्म, प्रकृति इत्यादि की जानकारी मिलता है.

भौतिक विज्ञान मशीनरी के बनाने और उसके वास्तु के गुणधर्म प्रकृति आकर प्रकार के गणना की पद्धति सिखाता है.

 

मानव ज्ञान में वर्गीकरण के अलावा भी बहूत से क्षेत्र है

मानव ज्ञान में वर्गीकरण जो महाविद्यला में अर्थशास्त्र, पुस्तपालन विज्ञान के तकनिकी अध्ययन, वाणिज्य.

ऐसे बहूत से विषय है जो आर्ट्स कॉमर्स, और साइंस के पढाई के लिए वर्गीकृत किये गए है.

 

मानव ज्ञान में ज्ञान के वर्गीकरण से ज्ञान का आयाम बढ़ता है. 

ज्ञान के वर्गीकरण में अपने क्षेत्रे के अनुसार क्या ज्ञान आवश्यक है.

उसको एक संग्रह कर के विषयों का अध्यन कर के अपने क्षेत्र में बढ़ा जाता है.

सबसे पहले खुद के मन में झक के ये निर्णय लिया जाता है की मन किस विषय के लिए उपयुक्त है.

उसके अनुसार से विषय का चयन किया जाता है.

एक मुस्ट विषय को संग्रह कर के अध्यन कर के स्नातक या डिप्लोमा कर के अपने कार्य व्यवस्था को बनाकर कमाई का माध्यम बनाकर व्यापर या सेवा में कार्य किया जाता है.

तभी सफलता मिलने के लिए विषयों में वर्गीकरण के दृष्टिकोण की आवश्यकता होता है.

 

  मानव ज्ञान के वर्गीकरण 

महिलाये आज के समय में पुरुषो साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है

  

लडकियों के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक

 

माता पिता के लाडली बेटी जो आज के समय में पुरुषो साथ कदम से कदम मिलाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर रही है. 

कोई ऐसा क्षेत्र बाकि नहीं है जहा स्त्रीयां पुरुषो से कम हो.

कई क्षेत्र में तो स्त्रियां पुरुषो से आगे भी है खास कर स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर बहुताया में स्त्रियां आगे चल रही है.

भले प्राइवेट स्कूल हो या बच्चो के कोचिंग क्लासेज सब जगह अब स्त्रीयां विराजमान है.

 

आधुनिक समय में पुरुस के साथ स्त्री को भी बाहरी जानकारी होना अत्यंत आवशयक है. 

जिससे वो स्वयं की रक्षा कर सके और घर बैठे गृहिणी को भी चाहिए जी अपने जीवन में बाहरी संसार का पूरा ज्ञान हो.

सरकार ने हर क्षेत्र में स्त्री को प्रोत्साहन के लिए मार्ग खोल रखे है. जिससे की स्त्री को हर प्रकार के जानकारी और स्वतंत्रता मिल सके.

 

आज के समय में स्त्री को भी स्वाभिमानी होना अत्यंत आवशयक है. 

रूढी परंपरा ने जैसे महिलाओ को घर में बंद कर रखा है.

मनो जैसे महिलाये का काम सिर्फ घर में खाना बनाना और परिवार बढ़ाने की ही जिम्मेवारी हो.

अब महिलाओ को खुद के पैर पर खड़ा होना होगा.

रूढीवादी परंपरा के बंधन को तोड़ना होगा. तब जाकर दुनिया का बाहरी ज्ञान मिलेगा.

शहर हो या गाँव में अभी भी बहूत ऐसे परिवार है तो प्राचीन परम्परा को संजोकर महिलाये को ऊपर उठाने नहीं देते है.

बहूत ऐसे भी परिवार है जो महिलाये को घर के बहार तक नहीं निकालने देते है.

यहाँ तक की सैकरो ऐसे परिवार है जो खास कर ग्रामीण इलाके में बचपन में अपने बेटी को स्कूल तक नहीं भेजते है.

 

समय का दौर परिवर्तित हो रहा है. 

आज वैज्ञानिक युग चल रहा है. कुछ कर दिखाने का समय है.

हर किसी के अन्दर कोई न कोई खासियत होता है.

अपने खासियत को परिपक्व करने के इए संसार को अपने आँख से देखना बहूत जरूरी है.

अपने प्रतिभा को उभारना बहूत जरूरी है. देश तरक्की की राह पर चल रहा है.

संसार को ज्ञानवान व्यक्ति की तलाश है, जिससे आगे का समय अच्छा व्यतीत हो.

 

बेटियों के शिक्षा बचपन से ही जरूरी है. लडकियों के लिए शिक्षा कई बरसो से देखा जा रहा है.

मध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में बेटी अव्वल आ रही है.

खुद के अच्छा नाम के साथ अपने माता को भी सम्मान के पात्र बना रही है.

शिक्षा के उच्चतम स्तर को प्राप्त कर रही है. 

 लडकियों के लिए शिक्षा 

मनुष्य के मन के बारे में जिस दिन ये पता चल जायेगा की स्वयं कितने बुरे है तो दुनिया में अपने बुरा कोई नहीं होगा। मान मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखते है। कुछ भी कह देते है

  मनुष्य के मन में क्या है? क्यों अपना बचा हुआ समय जो उसको अपने काम काज से बाद मिलता है। अक्सर लोग ऐसे समय में लोगो की बातो में बिताते है। और बातो बातो में एक दूसरे की बुराई भी सुरु कर देते है। मान मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखते है। कुछ भी कह देते है ज्यादा करके समय उन्ही बुराई करने में ही चला जाता है। कभी  अपने अंदर झांक कर देखा है की अपने अंदर कितने बुराई है। जिस दिन ये पता चल जायेगा की स्वयं कितने बुरे है। मनुष्य के मन तो दुनिया में अपने बुरा कोई नहीं होगा। जिस दिन इस बात का एहसास हो जायेगा तो  फिर किसी की बुराई नहीं करेंगे और न करने देंगे।

मनुष्य के जीवन में कर्म का ही महत्व होता है, कर्म से ही सब कुछ है, कर्म के बिना कुछ नहीं, जीवन के आयाम में कर्म की बड़ी उपलब्धि है, माता पिता की सेवा बड़े बुजुर्गो की सेवा समाज में मदद गरीब दुखी को सहारा देना ये सभी कर्म के माध्यम है

 

मनुष्य के जीवन में कर्म का ही महत्व होता है। 

कर्म से ही सब कुछ है, कर्म के बिना कुछ नहीं, कर्म का महत्व के आयाम में कर्म की बड़ी उपलब्धि है, माता पिता की सेवा बड़े बुजुर्गो की सेवा समाज में मदद गरीब दुखी को सहारा देना  ये सभी कर्म के माध्यम है, अपना काम धाम करना स्वयं में व्यस्त रहना ये मनुष्य  का काम, ब्यापार और रोजगार है, इससे मन को संतुष्टि होती है, ऐसा होना ही चाहिए मन सकारात्मक हो कर अपने काम धंदा को करता है तो अच्छा ही है, क्योकि कर्म तो काम धंधा की उपलब्धि से ही प्राप्त होता है, जिससे ऊपर उठ कर मनुस्य कर्म करता है।  समाज में नाम होता है, ये सब जो काम निस्वार्थ भाव से किया जाता है  उसे ही कर्म कहते है। 

 

मनुष्य  एक बार सोच ले की हमें कर्म करना है कुछ अच्छा करना ही तो सहारा होगा

कर्म का महत्व दिन दुखी की मदद करने ने तृस्ना मिटटी है जिससे मनुष्य का मन शांत रहता है, समाज में मदद करने से आयाम बढ़ता है  जैसे समाज में कुछ बुरा हो रहा हो, कोई एक वर्ग दूसरे वर्ग की अवहेलना कर रहा हो तो वह उनको ज्ञान के माध्यम से जागरूक कर के सभी वर्ग को एक सामान समझना और लोगो को प्रेरित करना ताकि सब एक जैसे एक सामान बने रहे, बड़े बुजुर्गो की सेवा बड़ा ही सुफल कर्म होता है  जिनकी यात्रा समाप्त होने वाला होता है, उनको सहारा देने से मन को अद्भुत शांति और ख़ुशी का एहसास होता है, यदि सक्षम हो तो उन बच्चो की भी सहारा दिया जाए जिनके कोई नहीं होते है जो अनाथ होते है, उनको सहारा देने से उपलब्धि प्राप्त होता है  समाज में नाम होता है, ये सब जो काम निस्वार्थ भाव से किया जाता है  उसे ही कर्म कहते है।

मनुष्य अपने व्यक्तिव मे बहूत से परिभाषा ले कर जीता है।

  मनुष्य अपने व्यक्तिव मे बहूत से परिभाषा ले कर जीता है। जीवन के उत्थान के लिए सपना देखना कल्पना करना सोचना ये सभी उसके अंधुरूनी क्रियाकलाप होते है। विषय वस्तु को समझकर क्रियान्वित करने से पहले सोचना विचार विमर्स करना उस कार्य के सफलता के लिए जरूरी है जो करना चाहता है। सोच मे पृस्थ्भिमी के निर्माण होने से कार्य मे आने वाली दिक्कत और सही मार्गदर्शन मिलता है। दिक्कत वाले रास्ते से हटकर सहज मार्ग को चुनना सोचने का महत्व होता है। कार्य के सफलता के लिए निरंतर प्रयाश उसको सकारात्मक परिणाम तक लेकर जाता है। काम की बारीकीयत जीवन मे दूसरे कम को सहज करने के लिए अनुभव प्रदान करता है। निरंतर प्रयाश और अथक परिश्रम जीवन मे अनुभव दिलाता है। जिससे व्यक्ति पारंगत कर अपने कार्य को पल भर मे पूरा कर लेता है।

 

बहूत जादा सोचना और कुछ भी नहीं करना व्यर्थ है वो सोच भी व्यर्थ हो जाता है जिसका कोई परिणाम जीवन मे नहीं मिले। इससे जीवन निराशा मे काटने लगता है। दिन प्रति दिन जीवन मे उत्साह घटने लग जाता है। कार्य करने की क्षमता समाप्त होने लग जाता है। शरीर मे हमेशा थकावट और आलश्य का निर्माण होता है। मानव शरीर मेहनत नहीं करने पर जल्दी जल्दी विमार पड़ता है। जिससे अनेकों बड़े बड़े रोग उत्पन्न होते है।

जीवन के उत्थान के लिए व्यायाम से शरीर निरोगी रहता है। कार्यालय मे दिमागी कार्य होने से मन और दिमाग थकता है जिसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है। ऐसे व्यक्ति को सुबह शाम थोड़ा मेहनत करना चाहिए जिसे शरीर निरोगी रहे। इसका सबसे अच्छा जरिया व्यायाम है जिससे शरीर को चुस्ती फुर्ती और हलकापन मिलता है। कार्य करने की क्षमता बढ़ता है। शरीर चलाएमान होता है।

मन में हरदम कुछ न कुछ खिचड़ी पका रहा होता है पर कभी उस खिचड़ी के स्वाद को भी लेने का प्रयास भी तो करे

  

प्रेरक विचार एक सोच है कर्म हमेसा सक्रीय है बहूत कुछ सोचने से अच्छा है कि कुछ करे और कुछ बन के दिखाए 

 

प्रेरक विचार एक सोच है। कर्म हमेसा सक्रीय है। बहूत कुछ सोचने से अच्छा है कि कुछ करे और कुछ बन के दिखाए। ख्वाबो में घुमाने से अच्छा है की जो स्वप्न देख रहे है, दिन में अच्छा लगता है। पर उस स्वप्न को सच्ची हकीकत में बदने के लिए आगे बढना पड़ता है। बैठकर सोचने से कुछ नहीं होता है। जब तक तन और मन दोनों को सक्रीय नहीं करेंगे तब तक कुछ नहीं होने वाला है। प्रेरक उदहारण किसी से लेना बहूत आसान है। पर प्रेरणा के अनुरूप प्रेरणादायक उदाहरण बन के दिखाए तो किसी  का प्रेरणा कारगर हो। तब प्रेरक उदहारण जीवन में सफल होता है। 

 

प्रेरणा मन में हरदम कुछ न कुछ खिचड़ी पका रहा होता है। पर कभी उस खिचड़ी के स्वाद को भी लेने का प्रयास भी तो करे। 

आज कुछ स्वाद मिल जाता है तो उम्मीद पर पूरी दुनिया काबिज है। प्रयास से भले कल सफलता कम मिले पर कुछ दिन बाद खिचड़ी को स्वादिस्ट होने से कोई रोक नहीं सकता है। असफलता मन का डर है जो की निराशा को ही उत्पन्न करता है। साहस और प्रयास आशा की किरने है जो निडरता को उत्पन्न करता है। प्रयास स्वाबलंबी है। प्रेरणा मिलाने के बाद स्वाबलंबन कभी रुक नहीं सकता है। जिसने ठाना है वो तो जरूर कर गुजरेगा। तब न परवाह किसी डर का न असफलता का होता है। फिर जीत और सफलता किसी के रोके नहीं रुकेता है। प्रेरणा का यही तो मुख्य प्रभाव होता है।

 

प्रेरित होता हूँ। ये बात सुनकर की मन के हारे हार है मन के जीते जीत है। 

प्रेरक विचार एक सोच जब समझ सकारात्मक और स्वाभाविक है तो हारने का सवाल ही क्यों? उससे तो अच्छा है की उसे जीतने का प्रयास किया जाये। कर्महिनता हार के पहचान है। कर्मठता को जितने से कोई रोक नहीं सकता है। भले अध्याय कितना भी कठिन क्यों न हो। कर्मठता की प्रेरणा योग्य व्यक्ति को सफलता से कोई चूका नहीं सकता है। 

 प्रेरक विचार एक सोच 

मन में ईस्वर का नाम और बगल में छुरी ऐसे भी व्याख्या है.

  

दिलो में वही बसते है जिनके मन साफ़ होसुई में वही धागा प्रवेश करता है, जिसमे कोई गाठ नहीं हो.

 

मन में ईस्वर का नाम सच्चे मन की व्याख्या उस धागा से कर सकते है,जिसमे कोई गाठ नहीं हो. बिलकुल सीधा साधा सरल सहज होने पर ही मन शांत और उत्साही होता है. जिसे किसी को भी एक नजर में अच्छा लगने लग जाता है. वो सबके दिलो पर राज करता है. सच्चा और सरल होना ये बहूत बड़ी बात है.

 मन में ईस्वर का नाम 

 

अपने मन में ईस्वर का नाम और बगल में छुरी ऐसे भी व्याख्या है.

उन लोगो के लिए जो होते कुछ और है, पर दखते कुछ और ही.  ऐसे लोग न जल्दी किसी के दिल में बसते है और नहीं समझ में आते है.  ये कब क्या कर बैठेंगे. ऐसे लोगो के पास शक्ति अपार होती है. पर वो कभी भी सकारात्मक पहलू के लिए नहीं होते है.  हमेशा कुछ न कुछ खुरापाती ही करते रहते है. ऐसे लोगो से बच कर रहे तो उतना ही अच्छा है.

 

मन के हारे हार और मन के जीते जित.

जिनको किसी से कुछ मिले नहीं तो भी खुश और कुछ मिले जाये तो भी खुश.संतुलित व्यक्ति सरल और सहज होते है. वो कुछ भी करते है भले उसमे कोई फायदा हो या न हो पर मन में आ गया तो वो कर गुजरते है. इससे मन को शांति और उत्साह महशुस होता है. अच्छा करने वाला अच्छाई के लिए ही जीते है. कुछ भी करते है. वो अच्छाई के लिए ही होता है. इसलिए ऐसे सरल व्यक्ति किसी के दिल में एक वर में बैठ जाते है. जिनका प्रसंसा और जिक्र हमेशा होता रहता है.

मन मस्तिष्क की सक्रियता मन में एकाग्रता काल्पना जीवन में डर भय दूर होता है बात विचार सरल सहज और आकर्षक होता है ग्राहक आकर्षित होते है।

  

कल्पना सोच समझ के बारे  कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए

जीवन के कल्पना सोच समझ के बारे  कहा जाता है की कभी भी अच्छे शब्द ही बोलता चाहिए। किसी से भी भले अनजान से ही क्यों नही

साफ़ सुथरा बात चित करना चाहिए। कब कौन अपने साथ मददगार हो जायेगा क्या पता।

जीवन सदा एक जैसा नहीं होता है।

उतार चढ़ाओ होता ही रहता है।

यही अपना बोलना साफ सुथरा होगा तो कोई भी अपना साथ देगा।

भले जान पहचान के हो या अनजान सभी को अच्छे शब्द पसंद है।

हो सकता है। अपने बुरे समय वो कभी भी अपना साथ मददगार हो।

एक बात और है की जब अपना  बोली वचन ठीक ठाक  होगा। 

सुख हो या दुःख अपने को एहसास नहीं होगा।

चुकी अच्छे बोल वचन अपने को ज्ञान भी देता है।

जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है

अपने जीवन के कल्पना में सब अपने स्वयं के सुधार के लिए सोचते है। कभी पिछली बात को याद करते है। तो कभी आने वाले भविष्य की कल्पना करते है।  अक्सर ऐसा तब करते ही जब अपना मस्तिष्क विकशित होता है। सोच  समझ का ज्ञान समझने लग जाते है।  तो  आगे का रास्ता निकालने के लिए  भविष्य की कल्पना करते है। जिसका मुख्य उद्देश्य होता है। जीवन का विकास करना।

जीवन के कल्पना में अपने काम धंदे के बारे में सोचते है आर्थिक स्तिथि मजबूत हो

जीवन के कल्पना में अपने काम धंदे के बारे में सोचते है। जिससे आर्थिक स्तिथि मजबूत हो। घर परिवार खुशहाल ।जीवन के विकास में बहुत सारे ऐसे उद्योग धंदा है। जैसे विपणन और सामान के बिक्री से जुड़े उद्योग धंदा और ब्यापार सेवा।  इस व्यवसाय में मुख्या तौर पर महत्त्व होता है की  ग्राहक को कैसे आकर्षित करते है।  खरीदारी के लिए और सामान के बिक्री की मात्रा को बढ़ाते है। विपणन के व्यवसाय में अपना बात चित करने का तरीका ही अपने व्यवसाय को बढ़ाने में भूमिका निभाता है।  जिससे सामान की बिक्री का मात्रा बढ़ता है। आवश्यकता बात करने की कला होता है।  जीवन में बात विचार के कला और ज्ञान के लिए किसी के प्रेरणा का सहारा लिया जा सकता है। आत्मज्ञान पर पूर्ण विस्वाश करना होता है। स्वयं के मन में झांककर वो सभी प्रकार के गन्दगी को निकालना होता है।

कल्पना के दौरान सोच समझ में रोड़ा अटकने वाला विचार आता है। 

उसकी सफाई कर के सकारात्मक विचार को बढ़ाया जाता है। मन को सरल और सहज रखने का  प्रयास किया जाता है।  विपणन के व्यवसाय में कभी भी खली समय को व्यर्थ नहीं गवाना चाहिये।  खली समय में भी कुछ न कुछ कार्य करते रहना चाहिए। जिससे मन मस्तिष्क सक्रिय रहता है।  हमेशा मन में एकाग्रता का ख्याल रहना चाहिये।  जिससे मन का डर भय दूर होता है।   बात विचार सरल सहज और आकर्षक होता है। ग्राहक आकर्षित होते है।

  जीवन के कल्पना 

Post

Book about Knowledge does a well behaved person become successful without knowledge of subjects with the influence of knowledge

   Book about knowledge for real life   Well behaved person become successful without knowledge of subjects Knowledge is essential for the g...