Tuesday, August 24, 2021

मन ज्ञान का प्रवेश द्वार है कल्पना ज्ञान का द्वार है जब तक मन कुछ अपने में नहीं लेगा तब तक कल्पना सार्थक नहीं होगा

ज्ञान (Knowledge) का द्वार या ज्ञान का प्रवेश द्वार जो सही है

मन ज्ञान (Mind Knowledge) का प्रवेश द्वार है 

कल्पना ज्ञान (Imagination Knowledge) का द्वार है 

जब तक मन कुछ अपने में नहीं लेगा। तब तक कल्पना सार्थक नहीं होगा। मन तो अपने अन्दर बहूत कुछ अपने में समेटे रखता है। पर सक्रीय वही होगा जो कल्पना में समां जायेगा। कल्पना मन का विस्तार है। मन पहेली भी रच सकता है। कल्पना संधि विच्छेद तक कर सकता है। द्वार तो मन ही है। उद्गम कल्पना है। जब तक संस्कार और ज्ञान अन्दर नहीं जायेगा। तब तक कल्पना के उद्गम में ज्ञान का आयाम कैसे बनेगा। सार्थकता तो उद्गम तक पहुचना होता है। प्रवेश द्वार के अन्दर जा कर कोई वापस भी आ सकता है। पर उद्गम में विचरण का मौका सबको नहीं मिलता है। मन आडम्बर कर के चला भी जा सकता है। कल्पना में जो गया वो विस्तार ही कर बैठेगा। नजरिया सबका अपना अपना है। मन के हारे हर मन के जीते जित होता है। स्वाबलंबन ज्ञान बढ़ाएगा। कर्महीनता आडम्बर रचेगा। समझ वही जो समझ सके तो ज्ञानी नहीं तो बाकि सब समझते है।     

No comments:

Post a Comment

Post

Navratri Bhajan jagran Om Sai Mitra Mandal

 Navratri Bhajan jagran Om Sai Mitra Mandal https://www.youtube.com/@DurgaPandit