Saturday, June 21, 2025

धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है

  

धनतेरस का महत्त्व

 

दिपावली के दो दिन पूर्व आने वाला त्योहार धनतेरस होता है 

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है.  इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है और इनके लिए दीपक मंदिर में स्थापित किया जाता है.

 

यमराज के लिए  दीपक जलाया जाता है 

मृतु के देवता यमराज के लिए भी दीपक जलाया जाता है. पर ये दीपक घर में सबके खाना खाने के बाद सोने से पहके घर के गृहिणी घर के बहार इस दीपक को जलाते है और सोने चले जाते है.

 

कुबेर के लिए  दीपक जलाया जाता है धनतेरस का महत्त्व

मान्यता है की धनतेरस का दीपक घर के अन्दर कुबेर के लिए और घर के बहार यमराज के लिये दरवाजे पर जलाया जाता है.

 

धन्वन्तरी का अवतार और अमृत कलश  

इसी दिन धन्वन्तरी का अवतार हुआ था. जिस समय देवता और असुर दोनों मिलकर बिच समुद्र में मंथन कर रहे थे. जिस दिन धन्वन्तरी जो विष्णु के अंश अवतार मने जाते है. महान वैद्य के तौर पर स्वस्थ लाभ के लिए उनका अवतरण हुआ था. उस दिन भी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ही थे.

 

अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए 

शास्त्र में वर्णित कथा के अनुसार धन्वन्तरी का अवतार जो एक कलश ले कर प्रगट हुए थे स्वस्थ लाभ के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. अमृत कलश जिसमे अमरता का वरदान सिद्ध था. १३ १४ आखरी रत्न के तौर पर समुद्र मंथन के तेरहवे साल में अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए थे.

 

समुद्र मंथन के लिए कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया

मन्दराचल पर्वत को मथानी बनाकर समुद्र मंथन हुआ था. जिसको कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया था. समुद्र मंथन में शेषनाग वासुकी के जरिये मंथन किया गया था. कहा जाता है की समुद्र मंथन १३ साल चला था.

 

सौभाग्य और समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है.

  धनतेरस का महत्त्व 

दुःख क्यों होता है? दुःख क्या होता है? लोग सोचते बहुत है बुरा वक्त दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है

  

दुःख क्या होता है?

दुःख  कुछ नहीं है। यदि ऐसा कुछ नही करे जो की भविष्य में  दुःख का सामना करना पड़े तो दुःख क्या होता है? ये समझ मे आना चाहिए।

तो दुःख क्यों होगा। लोग सोचते बहुत है। पर ऐसा कुछ कभी नही सोचे जो की आगे परेशानी का सामना करना पड़े।

जब अच्छा समय होता है।  तो उस समय कुछ ऐसा भी कर देते है। जो नहीं करना होता है।

सोचते भी नहीं है की क्या कर रहे है।  फिर भी कर बैठते है।

जब उसका परिणाम गलत निकलता है।  तब सोच में पड़ जाते है की ऐसा किया ही क्यों था।

जो कभी नहीं करना था। जब वही बुरा वक्त लेकर आता है।

तो अपनी गलती सुधरने का प्रयास करते है। तब सही जानकारी मिलता है। तो कोई गलती करे ही क्यों?

दुःख का कारण क्या है? दुःख क्यों होता है?

वास्तविक ज्ञान की बात को समझे तो सब समझ में आता है।

मनुष्य जब तक कोई गलती नहीं करता है। तब तक वास्तविक ज्ञान नहीं मिलता है।

उसे ही ज्ञान का अभाव कहा जाता है। ज्ञान के कई आयाम होते है।

मनुष्य का तो पूरा जीवन ज्ञान के लिए ही है। यहाँ तक की जब तक वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। तब तक मनुष्य कुछ उपार्जन भी तो नहीं कर पता है। जीवन में ज्ञान हर जगह आवश्यक है। किसी विषय वस्तु का दुःख मनुष्य को तब तक ही होता है। जब तक वास्तविकता से सामना नहीं होता है।

अपने मार्ग पर चलते चलते मनुष्य संघर्स भी करता है। मनुष्य मेहनत भी करता है। मनुष्य विवेक बुध्दी का इस्तेमाल भी करता है। मनुष्य सोचता भी है। मनुष्य समझता भी है। मनुष्य अपने आयाम के एक एक कर के परते खोलते हुए अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता जाता है। धीरे धीरे अपने जीवन में ज्ञान के करी को जोड़ते हुए परिपक्वता के तरफ बढता है। जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता है। वैसे वैसे अभाव सब दूर होता है। दुःख दूर होता है। गलतिया समाप्त होता है। तब मनुष्य परिपक्व होता है। ज्ञानवान होता है। इसलिए दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है।

दरवाजा गैस क्रेटर सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने परिक्षण के बाद निकर्ष नकला की इस जगह पर तेल का बहूत बड़ा भंडार है

  

रहस्य से भरा दरवाजा गैस क्रेटर

 

नरक का दरवाजा के नाम से मशहूर ये गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान में दरवाज़ा नाम का जगह है. 

जहा ये १९७१ के बाद से लगातार एक बहूत बड़े गढ्ढे में दिन रात मीथेन गैस जल रहा है. जिससे ये एक जलते हुए बहूत बड़े कुए के सामान है. जो की नरक का दरवाजा के जैसा दिख रहा है इसलिए इसे नरक का दरवाजा भी कहा जाता है.

 

  दरवाजा गैस क्रेटर 

सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने परिक्षण के बाद निकर्ष निकला की इस जगह पर तेल का बहूत बड़ा भंडार है. 

तब विज्ञानिक वहा जाकर खुदाई करने लगे. खुदाई सुरु होने के कुछ दिन के बाद ही ये गढ्ढा निचे धस गया. जिससे २२६ फीट के व्यास और ९८ फीट गहरा बहूत बड़ा कुआ के आकर का बन गया. जिसमे से मीथेन गैस लगातार निकल रहे थे. जो की मनुष्य जीवन और पशु पक्षी के जीवन के लिए बेहद घातक थे. जिसके कारन वैज्ञानिक ने आपसी विचार से और वैज्ञानिक समूह के विचार से इसमे आग लगाना ही उचित समझा जिससे जिव, जंतु को खतरनाक मीथेन गैस जो की ज्वलनशील और जहरीला होता है. इस जहर को फैलने से बचाया जा सके.

 

वैज्ञानिकों का अंदाजा था की कुछ दिन तक मीथेन गैस जलकर ख़त्म हो जायेगा. 

पर उन्होंने आग लगाने के पीछे ये परिक्षण नहीं किया की यहाँ मीथेन गैस की मात्र कितना है. असीमित मात्र से भरा मीथेन गैस कुछ दिन के बाद भी नहीं बुझा तब से ये लगातार दिन रात जल रहा है.

 

सैलानियों और पर्यटक के लिए बाद में आकर्षण का केंद्र 

आकर्षण का केंद्र  बन गया जहा का रोमांच सिर्फ रात को देखने को मिलता है. दिन में आग जलते ही रहते है पर अँधेरी रात और सुनसान इलाका होने के कारन रात में जलते रौशनी देखने का नजारा कुछ और ही होता है.   

 

देश विदेश के पर्यटक यहाँ इस नरक के दरवाजा 

नरक के दरवाजा को तुर्कमेनिस्तान के दरवाज़ा में देखने आते है. जो की रहस्य से भरा दरवाज़ा गैस क्रेटर है. जो की अब विश्वविख्यात हो चूका है.  

ज्यादाकर मन में समय के नकारात्मक भाव ही नजर आते हैं कुछ ही बाते जो अच्छे होते हैं वो बाते सकारात्मक होते है बारंबर याद करने को मन करता है

  

जिन चीजों से मुझे आप से नफरत है 

जब आपके मन में झाकते है तो बहुत कुछ जीवन में समझ में आने लग जाता है

जब अपने मन में झाकते है। बहुत कुछ समझ में आने लग जाता है। 

ज्यादाकर मन में समय के नकारात्मक भाव ही नजर आते हैं।

कुछ ही बात जो अच्छे होते हैं। जो बाते सकारात्मक होते है।

उन्हें बारंबर याद करने को मन करता है। जो बात मन को अच्छे नहीं लगते हैं।

उन बातो से किनारा करना कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है। 

तब गुसा भी ऐसा ही आता है।  जब कुछ पुरानी बात मन को झकझोर देता है। 

तब नकारात्मक बाते ही मन में उठने लगते हैं।  ऐसा मन का प्रबृत्ति होता है।

वास्तविक जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है

अक्सर जीवन के आयाम में सकारात्मक बातो के लिए कम जगह होता है। इसके पीछे कार ये है की ज्यदाकर मिलाने जुलने वाले लोगो का भावना कोई  कोई इच्छा से जुड़ा होता है। ज्यादाकर लोगो की इच्छा नकारात्मक ही होते है।  जिसका प्रभाव दोनों के मनपर पड़ता है। जिसके कार बात सुनानेवाला और बात कहने वाला दोनों के मन पर नकारात्मक इच्छा का प्रभाव पड़ता है।  इसलिए कल्पना के दौरानया कोई विशेष कार्य के लिए कुछ सोचते है। तो उससे जुड़ा हुआ भावना चरितार्थ होता है। इस प्रकार के जो नकारात्मक बाते जब मन में उठाते है। तो गुस्सा भी बहुत आता है। साथ में अपने सोच और कल्पना पर अपना प्रभाव डालता है।

जीवन में उन्नति के लिए प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है

अपने जीवन की प्रबृत्ति सकारात्मक होना बहुत जरूरी है।  वास्तव में सकारात्मक सोच में स्वयं के इच्छा के लिए कोई जगह नहीं होता है। यदि स्वयं के लिए कुछ  सोचते है। वह सोच के भावना में या कल्पना में लालच भी आता है। जो की एक निम्न प्रबृत्ति है। जिससे स्वयं के इच्छा  कुछ सोचना या कल्पना करना पूरी तरह से सार्थक नहीं होता है।  इसलिए सोच या कल्पना में कुछ प्राप्त करना चाहते है। तो कल्पना में जिस विषय पर सोच रहे है। मन का झुकाव उसी विषय वस्तु पर होना चाहिये। जिससे उस विषय वस्तु के कार्य में पूरा सफलता मिले। जब वह कार्य सफल हो जाता है। तब उस कार्य के परिणाम से फायदा मिलता है।  वही वास्तविक सफलता होता है। इसलिए कभी भी सोच और कल्पना में अपनी इच्छा को उजागर नही होने देना चाहिए।   

 जीवन के आयाम 

ज्ञानी कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है.

  

कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते हैं.

कबीर दास जी के अनुसार अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े है. तो आप किनके चरण स्पर्श करेंगे गुरु ने अपने ज्ञान के माध्यम से ही हमें अध्यात्म और भगवान से मिलने का रास्ता बताया है. इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर होता है. हमें गुरु के चरण स्पर्श करना चाहिए।

कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार

जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है. वही ज्ञानी ब्यक्ति गुरु हमारे जीवन में महत्त्व महत्पूर्ण होता है.

ज्ञान से सब कुछ होता है.

संज्ञान ही कर्म की जननी है. ज्ञान है तो उपार्जन जरूर होगा. ज्ञान है तो कर्म और सत्कर्म होगा. जब ज्ञान हमारे लिए इतना उपयोगी है. तो हम ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है. इसलिए ज्ञान देने वाले ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्पूर्ण है.

ज्ञान बचपन से अपने बच्चे को सिखाना चाहिए. ज्ञान सबसे पहले माता पिता से मिलना चाहिए.

ज्ञान भले जीवन में किसी से भी क्यों न मिले. ज्ञान हर किसी से सीखना चाहिए. ज्ञान ये मायने नहीं रखता है की ज्ञान देने वाला ब्यक्ति अच्छा है या बुरा है.

वास्तविक ज्ञान वही है

जिसको अछे और बुरे की पहचान हो. ज्ञान बुराइयो से सामना करना सिखाता है. ज्ञान समझ का फेर है की कौन सा ज्ञान हम ग्रहण कर रहे है.

ज्ञान के माध्यम से खुद को सामझ जायेंगे तो गलती क्यों होगी.

सकारात्मक ज्ञान के रास्ते पर चलेंगे तो और भी ज्ञानी महापुरुस मिलेंगे. हर ज्ञानि को गुरु बनाते हुए. जीवन को ज्ञान से भरते हुए. जो भी कर्म कार्य करेंगे सफलता निश्चित मिलेगी. इसलिए ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है. इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर होता है. हमें गुरु के चरण स्पर्श करना चाहिए।

ज्ञान हमें सिखाता है की विश्वास हमें बहुत सोच समझकर करना चाहिए

  

कोई विश्वास तोड़े तो उसका भी धन्यवाद करना चाहिए, क्योकि वही हमें सिखाता है की विश्वास हमें बहुत सोच समझकर करना चाहिए.

 

विश्वास एक बहूत बड़ी चिज है. इसपर पूरी दुनिया कायम है. 

आमतौर पर बगैर सोचे समझे जो मन को अच्छा लगा तो उस पर विश्वास कर लेते है. परिणाम जब बाद में कुछ और निकलता है तो ज्ञान होता है की हमने क्या कर बैठा. इससे अपना ज्ञान ही बढ़ता है साथ में समझ भी बढ़ता है. जीवन का मुख्य पहलू ज्ञान हासिल होना चाहिए। अच्छे बुरे का ज्ञान से समझ बढ़ता है। अच्छाई को बढ़ाते हुए बुराई को कम करने का प्रयश ही ज्ञान का मार्ग है। सबसे पहले अपने मन के बुराई को  समाप्त कर के मन मे अच्छे ज्ञान भर्ना चाहिए। जीवन मे मनुष्य कई बार धोखा खाता है। इससे ज्ञान लेकर आगे बढ़ता है ऐसा दोबारा न हो इस बात का धन रखता है। 

 

समझदारी का एहसास होता है.

मन चलायेमान होता है. हर किसी चीज को अपने तरफ आकर्षित करता है. भले बाद में दिल टूट जाये तो पता चलता है की हृदय पर कितना बड़ा आघात लगा है. फिर भी मन विश्वास करने से हटता नहीं है ये ज्ञान ही है. इससे समझ बढ़ता है की क्या सही है? क्या गलत है? मन सही गलत नहीं समझता है. उसे जो अच्छा लगे उस तरफ आकर्शित हो ही जाता है. गलती करने से ही विवेक बुद्धि बढ़ता है और सही गलत का अनुमान लगता है. एक बार गलती हो जाने के बाद उस गलती का एहसास हो जाता है और बाद में वो गलती दोबारा नहीं होता है.

  विश्वास सोच समझकर 

ज्ञान समानार्थी शब्द गुण अर्थ वास्तविकता से परिचय ज्ञान का उच्चारण ज्ञान प्रश्न के उठाते भाव

  

ज्ञान हिंदी में जानकारी ज्ञान के समानार्थी शब्द

जिससे कोई अनुभव हो जो जीवन में उठने वाले सवाल का जवाब मिलता हो।  हिंदी का महत्व भाषा से है। भारत देश का भाषा मुख्या तौर पर हिंदी में बोला जाता है। ज्ञान गुण है।ज्ञान के तरफ भागना सक्रियता है। भाषा हिंदी बोलचाल की भाषा है। 

 

प्रस्न के उठाते भाव 

ज्ञान प्रश्न के उठाते भाव का जवाब ज्ञान के माध्यम से मिल जाता है समय समय पे उठाने वाले हर सवाल का हल ज्ञान से ही हो सकता है इसलिए ज्ञान बहूत जरूरी है। 

 

ज्ञान के समानार्थी शब्द 

गुण, बिद्य, शिक्षण, शिक्षा, अध्ययन, पांडित्य, परिचय, विद्वता, विवेक, आत्मज्ञान, पढाई, लिखाई, अच्छा बोलना, अच्छा सुनना, अच्छाई, समझदारी, सहज भाव, समभाव, बुध्दी, भाव, आध्यात्म। 

 

ज्ञान का अर्थ 

वास्तविकता से परिचय जो जीवन में जरूरी है. अच्छा क्या है? बुरा क्या है? एक एक भाव का अनुभव जो अच्छाई का प्रतिक हो। उस तरफ अपने रस्ते को मोड़ लेना। हर संभव वास्तविकता को समझते हुए आगे बढ़ना। 

 

  ज्ञान के समानार्थी शब्द 

ज्ञान क्या है? 

पीडीफ़ ज्ञान एक अनुभव है।  पीडीफ़ एक कंप्यूटर के एक संसकरण है। जिसमे एक समूह के चित्र या पंक्ति लिखावट को एक कर के जोड़ दिया जाता है। कंप्यूटर उसको पीडीफ़  में एक साथ एक पेज में सब बारी बारी से दिखता है या जो जरूरी है। उसे पेज के माध्यम से देख सकते है। वैसे ही जीवन के पीडीफ़ में ज्ञान में अछे शब्द और अच्छा ज्ञान संग्रह होना चाहिए। जिस ज्ञान का जरूरत है।उसके अनुसार उस ज्ञान को समझ कर उपयोग करना चाहिए। 

 

ज्ञान का उच्चारण कैसे करें? 

सहज भाव से, नम्रता से, आदर से, ध्यान से, ख़ुशी से, प्रसन्नता से उच्चारण करे। 

Friday, June 20, 2025

जीवन क्यों दुखी रहता है।

परमात्मा दिया हुआ मानव जीवन सुख दुख से घिरा रहता है मानव जीवन में सुख दुख दोनों बारी बारी आता है। परमात्मा ने मनुष्य को अंतहीन दुख और बेपनाह खुशिया भी प्रदान किया है जिससे दुख का ज्ञान लेकर मनुष्य मजबूत और साहसी होता है अपितु सुख मनुष्य को आंतरिक दृष्टि से कमजोर भी करता है। खुशियों से मन बेलगाम घोड़ा हो जाता है सही गलत का ज्ञान उसके भौतिक खुशी के करण दिखाता नहीं है जब की परमात्मा का दिया हुआ मानव जीवन आत्म के ज्ञान के लिए होता है। दुख मनुष्य को शोध और संघर्ष के तरफ बढ़ावा देता है। जिससे वो उत्कर्ष हो कर भले भौतिक खुशी प्राप्त नहीं करता पर आत्मिक खुशी जरूर प्राप्त करता है।
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Thursday, June 19, 2025

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार. ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है. होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है

  

ज्ञान का महत्त्व क्या है? ज्ञान अंतहीन है. 

अपने ज्ञान मे जितना डूबा जाये उतना ही कम है. 

ज्ञान का महत्त्व बहूत मायने रखता है की किसी के पास कम ज्ञान और किसी के पास ज्यादा ज्ञान है.

खुद के ज्ञान का  मायने मतलब बहूत है.

ज्ञान ही है की हम बोलते है, सुनते है, समझते है, स्वाद लेते है, देखते है, महशुस करते है. ये सभी शारीरिक ज्ञान है.

मानसिक ज्ञान भाव, मोह, आकर्षण, प्रत्याकर्सन, सुख, दुःख ये भी ज्ञान ही है.

इससे बढ़कर जीवन के विकाश में प्राप्त करने वाले जानकारी ज्ञान ही है.

सोचना समझना, कल्पना करना, प्रेरित होना, ज्ञान के ही रूप है.  

ज्ञान का महत्त्व मे अतिरिक्त ज्ञान क्या कहलाता है?

ज्ञान किसी भी प्रकार के जानकारी को ही कहते है.

कम जानकरी वाले इन्सान अपने जीवन को संतुलत कर के जिता है.

अपने जीवन में वही विषय वस्तु को महत्व देता है जो जीवन के निर्वाह के लिए जरूरी है.

इससे बढ़कर जिनमे अच्छी जानकारी और विशेषता होता है वो अपने जीवन को खुल कर जीते है.

हर प्रकार के पावंदी और रुकावट को उनमे दूर करने की खासियत होता है.

जिससे वे बहुआयामी होते है.

जिनसे लोग अपने उलझे सवाल या मुसीबत में विचार विमर्स करते है.

ऐसे लोग विचारक भी होते है.

अपने काम और व्यवस्था में ज्ञान के अच्छे जानकारी के वजह से बहूत सफल भी होते है.

समय और विशेषता के अनुसार वे अपने काम का नेतृत्व करते है और लोगो को उनके काम से और ज्ञान से मदद मिलता  है.

इसे ही अतिरिक्त ज्ञान भी कहा जाता है.

ज्ञान की प्रकृति का कोई अंत नहीं है. 

ज्ञान की प्रकृति ज्ञान ही है जो विशेषग्य भी बनता है.

किसी वस्तु के निर्माण में गुणवत्ता कायम करना बहूत बड़ी बात है.

ये सभी उच्च ज्ञान के कारण ही होता है.

वे विशेष और महत्वपूर्ण जानकारी वाले होते है.

वे आविष्कारक भी होते है. 

ज्ञान के एकीकरण से संबंधित समस्याएं क्या हैं?

ज्ञान भले सकारात्मक हो या नकारात्मक पर वो ज्ञान ही है.

इसमे समझ का अंतर होता है. संसार में बहुआयामी भाव वाले मनुष्य भी होते है.

जब किसी ज्ञान का प्रसारण किसी अच्छे विद्वान के द्वारा किया जाता है तो लोगो के विचार जरूरी नहीं की समान हो.

इसके पीछे कारण है लोगो का अपना अपना समझ.

इस कारन से ज्ञान के एकीकरण में समस्याए उत्पन्न होते है.

ज्ञान में समय और हालात के अनुसार समय समय पर जानकार और ज्ञानी परिवर्तन चाहते है. 

ज्ञान उत्पन्न समस्या को कम करने के लिए नए विकल्प लोगो को देते है.

जिससे सबका जीवन सुलभ होता है. पर होता क्या है?

हरेक मनुष्य का समझ एक जैसा नहीं होता है.

ये मन की प्रकृति है. जिसके कारण लोग अपने अपने अनुसर उस विचार पर क्रिया या प्रतिक्रिया करते है.

कुछ लोगो को अच्छा तो कुछ लोगो की अच्छा नहीं लगता है.

यही सभी समस्याए ज्ञान के एकीकरण में उत्पन्न होते है.

ज्ञान में सुधार के लिए उज्ज्वल विचार.

ज्ञान का समझ हरेक इन्सान के लिए अलग अलग होता है.

होना तो चाहिए की कोई कुछ बात या विचार बता रहा है तो उसको समझे बगैर प्रतिक्रिया नहीं दे.

यदि नहीं मानते है तो कोई बात नहीं पर दूसरो को नहीं मानने के लिए प्रेरित नहीं करे.

ज्ञान का महत्त्व मे ज्ञान का आयाम असीमित है.

लोग के समझ पर आधारित है की उसको लोग कैसे समझते है.

इस बहुआयामी दुनिया में लोगो के मन के भाव भी अलग अलग है.

यदि कोई विद्वान, विचारक या ज्ञानी कोई विचार प्रस्तुत करता है तो पहले समझे.

उस समझ से अपने समझ को परिस्कृत करे. मानना या नहीं मानना लोगो का अपना मत है.

सुझाये बात विचार को नहीं मानने के लिए दूसरो को प्रेरित कभी नहीं करे.

यदि बात सही तो समझने वाले को प्रेरणा अपने आप मिल जाता है.

 

  ज्ञान का महत्त्व 

ज्ञान के स्रोत में सवाल गजब का तब होता है जब ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

  

ज्ञान के विकास में वसा किस प्रकार योगदान देता है?

 

अपने ज्ञान से जुड़े सवाल गजब का तब होता है जब कुछ ऐसे सवाल उठ जाये की आखिर क्या जवाब दिया जाये। ज्ञान के विकाश में प्रश्न शानदार तो तब बनता है जब तक की सोच मस्तिस्क में प्रबल न हो। आखिर वसा ज्ञान के विकाश में किस प्रकार योगदान देता है। मै तो समझता हूँ की ज्ञान की जड़ ही वासा है। मन का भाव, विवेक बुध्दी, कल्पना, सोचना, समझना, सुख, दुःख. हसना, रोना, प्रगति, अवनति, ये सब क्या है? इस सबको किस भाषा से समझेंगे? तो सही उत्तर मिलता है। ज्ञान, सब ज्ञान ही है। महत्त्व, आभास, सम्बेदना, सुखद पल, जैसा जीवन में आगमन या पारगमन होता है। तो मनुष्य को उसका ज्ञान होता है।

ज्ञान को समझा जाये तो ज्ञान का कोई भी परिभाषा आज तक कोई पुरा नहीं कर सका है। ज्ञान अनन्त है। जिसका कोई अंत ही नही है। जिसको कोई नही आज तक समझ पाया। ज्ञान कहा से आया और कहा तक जायेगा। मै तो ज्ञान को एक घटना समझता हूँ। जो स्वत ही घटित होता है। जैसा प्रयास करेंगे वैसा ही फायदा या नुकसान होगा। निर्णय तो मन को लेना होता है। मन को क्या पसंद है। सब तो ज्ञान ही है। जैसा इच्छा होता है। ज्ञान का परिणाम भी वैसा ही होता है। 

 

  ज्ञान के विकास 

ज्ञान के विकास में वसा कैसे योगदान देता है? 

अपने ज्ञान के अनुसार योग का मतलब जुड़ना होता है। जब कुछ जीवन में जुड़ता है। और कुछ जीवन से दूर जाता है। आना जाना चलता रहता है। और जो रुक जाता है। वो समझ ले की वो उसका अपना घर है। रास्ता कौन दिखाता है? मन, बुध्दी और कल्पना तीन महत्वपूर्ण विकल्प है। मन काल्पना को हवा देता है।, कल्पना का परिणाम बुध्दी पर पड़ता है। बुध्दी मन के अनुरूप होता जाता है। वैसे ही वसा एक तत्व है। मिट्टी तत्व उसका पहचान है। वासा का परिणाम चिकनाहट, मोटापा, चर्बीदार, मेद, उपजाऊ, स्थूल, मोटा ताजा जिसे जो समझ में आये। कोई रोक टोक नहीं है। मन के अनउपयुक्त उर्जा जो मन में पनपते है। जिसका कोई उपयोग नहीं किया जाता है।

कल्पना में घटना को घटित होने दिया जाता है। जिनसे हमेशा वेपरवाह रहते है।

सोच ऐसी होती है। सब सोचते जाते है। कार्य के नाम पर कुछ नहीं होता है। बस घटना को सोच सोच कर सुख या दुःख महशुस करना होता है। जिसका वास्तविक जीवन में कोई स्थान ही नही होता है, बल्कि उसका कोई उपयोग भी नहीं होता है। घटना मन में घटित होता रहता है। जब सोच से मन पर तबरतोर प्रभाव पड़ता है। जब सोच के प्रभाव से मन तुरंत सुख दुःख को महशुश कर लेता है। तो क्या अनउपयुक्त घटना का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ेगा। चिंता फिक्र में तो शरीर गलकर चिता हो जाता है। ये प्रत्यछ उदहारण है।

बहूत लोग ऐसे घटना के ज्ञान को देखते और समझते भी है।

अनउपयुक्त घटना का ज्ञान भी इन्ही में से है। जो मन में बस गया अपना घर बना लिया। मनोबल से बहूत लोग सुख दुःख के भाव को कम कर लेते है। किसी को अपने मन के अन्दर क्या चल रहा है। भनक भी नहीं लगने देते है। मन का भाव उस घटना को स्वीकार कर लेता है। तब मन में वेदना कम होता है। बाहर दूसरो को नजर नहीं आता है। ऐसे घटना के बारम्बार होने से वसा तत्व अनउपयुक्त घटना से बढ़ भी सकता है। ज्ञान के विकास में वसा अनउपयुक्त घटना से निर्मित उर्जा को अपने अन्दर ले भी सकता है। ज्ञान के दृष्टी से उर्जा का उपयोग होना चाहिए। उर्जा को एक आयाम से दुसरे आयाम में परिवर्तित किया जा सकता है। उर्जा को कभी भी नस्त नहीं किया जा सकता है। वो कही न कही अनपयुक्त उर्जा असर दिखायेगा ही।

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