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Thursday, August 19, 2021

कल्पना का आधुनिक तरीका का प्रभाव से मन मस्तिष्क के काम करने का रफ़्तार बढ़ जाता है जैसा सोच और समझ सक्रिय होता है परिणाम वैसा ही मिलता है

कल्पना का आधुनिक तरीका क्या है?


जीवन के विकाश के कल्पना में आधुनिक समय में कल्पना का उतना ही महत्त्व है। जितना पौराणिक समय में हुआ करता था। सन्दर्भ तो सच्ची भावना और सकारात्मक विचार धरना पर निर्भर करता है।

कल्पना करना आधुनिक समय में जो ब्यक्ति अपने काम काज के प्रति और अपने कर्तब्य के प्रति जिम्मेवार है। उनके लिए कल्पना करना आसान है। पहले के मुकाबले कल्पना करना और खुद को प्रगतिशील विचार्धारना में रखना पहले से आसान जरूर है।

कर्तब्य और कार्य के विकाश के कल्पना में आज के समय में एक सबसे बड़ा समस्या है रोजगार, कम धंदा को प्रगति के रास्ते पर लाना। मनुष्य दिन प्रति दिन अपने काम धंदा में तरक्की के लिए नए नए रास्ते निकलते रहते है। और प्रयोग करते रहते है। सबको पता है। मार्केट में खड़ा रहने के लिए और अपने बुनियाद को मजबूत करने के लिए दिन रात मेहनत करन पड़ता है। मेहनत कभी ब्यर्थ नहीं जाता है। जैसा सोच और कार्य होता है। परिणाम वैसा ही मिलता है। उससे बड़ा समस्या तब होता है। जब मार्केट में खड़ा रहने के लिए प्रतियोगिता के दौर में सब एक दुसरे से आगे बढ़ने में सक्रीय होते है। अब सवाल उठता है? कल्पना का आधुनिक तरीका क्या है ? 

कल्पना, एकाग्रता, सोच, समझ, विवेक, बुध्दी, ज्ञान सब सक्रीय गुण है। एक दुसरे से गहरा संबंध रखते है। किसी चीज के प्राप्ति के लिए सक्रीय हो कर संघर्ष करने से सक्रीय गुण जरूर मददगार होते है। किसी भी चीज के प्राप्ति के लिए सक्रियता न सिर्फ नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। साथ में सजगता को भी बढ़ता है। एकाग्रता को कायम रखता है। सक्रियता सकारात्मक प्रभाव है। मनुष्य अपने कार्य और कर्तब्य के प्रति जीतना सक्रीय रहेगा सफलता उतना ही साथ देगा। सक्रीय कल्पना को साकार करने के लिए सोच सबसे पहले सक्रीय होना चाहिए। जब जरूरत निश्चित और महत्वपूर्ण होता है। तब सोच स्वतः ही सक्रीय हो जाता है। सक्रीय सोच सिर्फ मन को एकाग्र ही नहीं रखता है। मन पर नियंत्रण भी रखता है। जरूरत जब महत्वपूर्ण होता है। तब कार्य के हर रस्ते पर प्रतियोगिता हो तो सक्रियता बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच जाता है। प्रतियोगिता में इस बात का हर पल एहसास रहता है। सफलता हासिल करना है। तो जीतोर मेहनत करना ही पड़ेगा। और दूसरो से आगे निकलना है।, जब तक सक्रीय नहीं होने। तब तक सफलता बहूत दूर है। यही कारण है की आधुनिक समय में कल्पना करना आसान है। पौरानिक समय के अनुरूप, जीवन में कमी जरूरत को दर्शाता है। जरूरत सक्रियता बढ़ता है। सक्रियता कर्तब्य और कार्य को बढ़ता है। वैसे ही सक्रीय सोच हो तो कल्पना भी सक्रीय हो जाता है। जिसके प्रभाव से मन मस्तिष्क के काम करने का रफ़्तार बढ़ जाता है। फिर जैसा सोच और समझ सक्रिय होता है। परिणाम वैसा ही मिलता है। इसका प्रभाव कार्य और कर्तव्य पर पडता है।

Monday, August 16, 2021

सक्रिय कल्पना (Imagination) में सोच समझ विवेक बुद्धि स्वभाव मिलनसार और जागरूक ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है

सक्रिय कल्पना


सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है

सक्रिय कल्पना का जीवन में बहुत बड़ा महत्व रखता है।  खास करके ऐसे ब्यक्ति के लिए जो सकारात्मक होते है।  जो ब्यक्ति कई क्षेत्र में अपने खास स्वभाव और ब्यक्तित्व के वजह से अपनी ख्याति प्राप्त किया है।  उनका सोच, समझ, विवेक, बुद्धि, स्वभाव मिलनसार और जागरूक होते है।  ऐसे ब्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान के विकाश और ख्याति के लिए बहुत कुछ करते है।


सक्रीय कल्पना करने के लिए मन सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए

सक्रीय कल्पना करने के लिए मन को अच्छी तरह से सक्रीय होकर एकाग्र भाव में रहना चाहिए  मन, सोच, समझ, बुध्दी, विवेक सकारात्मक और संतुलित होना आवश्यक है।  जिससे अपने सोच समझ के दौरान कल्पना में स्पष्ट चित्रण हो सके।  जब कल्पना सहज होने लगता है।  तब जैसी कल्पना करते है। मन का स्वभाव भी वैसा ही होने लगता है।  इससे मन कल्पना के अनुसार कार्य में लग जाता है। कार्य सटीक और जल्दी होने लगता है।  ऐसे सक्रीय कल्पना के लिए प्रयास बारम्बार करना पड़ता है। जब तक की मन सहज भाव में कल्पना न करे। वैसे इस प्रयास में सबको सफलता नहीं मिलता है।  सक्रीय कल्पना के लिए एकाग्रता का निरंतर प्रयास करने वाले को ही सक्रीय कल्पना में सफलता मिलता है।

Friday, August 13, 2021

व्यक्तित्व प्रेरणा में मन विवेक बुद्धि सोच समझ सहज बोध एकाग्रता चिंतन मनन कल्पना सबका उन्नत होना जरूरी होता है

प्रेरणा


प्रेरणा स्त्रोत

जीवन के  उन्नति के पीछे किसी किसी का बहुत बड़ा हाथ होता है।  संघर्ष हर किसी के जीवम में होता ही है। सही दिशा दिखाने वाला ही प्रेरणा स्त्रोत के महत्त्व बनता है।  चाहे विद्यलय के पढाई लिखाई में किसी अच्छे अध्यापक का प्रेरणा स्त्रोत मिले। या किसी ऐसे गुरु का जो ज्ञान के माध्यम में प्रेरणा स्त्रोत बन जाए। किसी का प्रेरणा बहुत बड़ा ज्ञान देता है।  जिसके अपने जीवन में किसी से अच्छे जानकर से प्रेरणा मिलता है।  तो उससे अपना जीवन सफल हो जाता है


व्यक्तित्व प्रेरणा 

किसी भी ब्यक्ति का ज्ञान जन्म के साथ नहीं आता है।  जीवन के हर पहलू में ज्ञान हासिल करना ही पड़ता है।  जीवन में परिपक़्वता सिर्फ किताबी ज्ञान से नहीं मिलता है। किताबी ज्ञान के साथ मन, विवेक, बुद्धि, सोच, समझ, सहज बोध, एकाग्रता, चिंतन, मनन, कल्पना, सबका उन्नत होना जरूरी होता है।  जिस क्षेत्र से जो जुड़े होते है। उस क्षेत्र के दूसरे लोग जो अपने ब्यवसाय, कार्य क्षेत्र में जो सफल या बहुत सफल होते है।  उनसे भी ज्ञान लेना पड़ता है।  उनके कार्य क्षेत्र को समझा जाता है। उनसे मिलकर उनके ज्ञान और उपलब्धि को सुना और समझा जाता है।  उनके बात विचार को ज्ञान समझकर  प्रेरणा स्त्रोत मानकर आगे बढ़ा जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को सिर्फ ज्ञान ही नहीं समझा जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को आत्म मनन करके जीवन में स्थापित किया जाता है।  प्रेरणा स्त्रोत को महत्वपूर्ण ज्ञान समझकर अपने क्षेत्र में आगे बढ़ा जाता है। तब जीवन में सफलता प्राप्त करने का माध्यम प्रेरणा स्त्रोत होता है।

Wednesday, August 11, 2021

जीवंत कल्पना जीवन के विकास के लिए कुछ योजना वर्त्तमान में क्या चल रहा बिता हुआ समय कैसा आने वाला भविष्य कैसा हो तरक्की उन्नति और विकास कैसे हो?

जीवंत कल्पना

 

जीवंत कल्पना खुशहाल जीवन के कल्पना में मनुष्य अपने अस्तित्व में आना

खुशहाल जीवन के कल्पना में। जब मनुष्य अपने अस्तित्व में आता है। अपने जीवन के विकास के लिए कुछ योजना बनता है। वर्त्तमान में क्या चल रहा है। बिता हुआ समय कैसा था?  आने वाला भविष्य कैसा होगा? तरक्की, उन्नति और विकास कैसे हो? जब ब्यक्ति ऐसा कुछ विचार कर के सोचता है।  भविष्य के जीवन के लिए खुशहाली की कामना करता है। जीवंत कल्पना मनुष्य को करना ही चाहिये। जब तक मनुष्य सोचेगा नहीं तब तक कुछ करने का भावना जागेगा नहीं। सोचना कल्पना करना किसी निर्माण के बुनियाद से काम नहीं होता है।

 

जीवंत कल्पना जिस विषय या कार्य पर सक्रिय होते है। कार्य की सफलता के लिए। जब सक्रीय हो कर विचार करते है। जीवंत कल्पना होता है।  जीवंत कल्पना करना ही चाहिए। 

 

जीवंत कल्पना में युवावस्था में अक्सर लोग जीवन में आकर्षण के लिए जीवंत कल्पना करते है

जीवंत कल्पना में युवावस्था में अक्सर लोग सकारात्मक सोच रखते है। जीवन में आकर्षण के लिए खासकर ऐसे युवा जीनके कोई प्रेमिका हो प्रसन्नचित मन के लिए  युवा जीवंत कल्पना करते है।  हालाकि कल्पना की दृस्टि से देखा जाए। तो उचित नहीं है। सोच समझ और कल्पना में जितना मनुष्य सरल और सहज हो कर संतुलित कल्पना करेगा।  उतना ही अच्छा है।  मन को जीवंत कल्पना में मनोरंजक करना। उतना ही तक ठीक है। बस वो कल्पना हो। कल्पनातीत नही होना चाहिए। क्योकि ये सब जीवंत कल्पना के दायरे में ही आते है। बहुत ज्यादा सक्रीय होते है। बहुत तेज गति से दिल और दिमाग पर प्रभाव डालते है।

जीवंत कल्पना सबसे अच्छा है। अपने मन, दिल, दिमाग, विवेक, बुद्धि, सोच, समझ के विकास और संतुलन के लिए करे। तो जीवंत कल्पना उपयोगी है।


Tuesday, August 3, 2021

कल्पना से परे होने का अर्थ जीवन सकारात्मक कल्पना से भरा हुआ हो सोच समझ कभी भी कल्पना से परे नहीं होना चाहिये जीवन में सोच और कल्पना संतुलित हो तो बहुत अच्छा है

आपकी कल्पना से परे


कल्पना से परे होने का अर्थ

जीवन सकारात्मक कल्पना से भरा हुआ होना ही चाहिये। सोच समझ कभी भी कल्पना से परे नहीं होना चाहिये। जीवन में सोच और कल्पना संतुलित हो तो बहुत अच्छा है। इससे जीवन में संतुलन बना हुआ रहता है। अपनी कल्पना से परे होने का मतलब जीवन अपनी जगह है। और कल्पना सातवे स्थान पर विचरण कर रहा होता है। मन का बहुत ज्यादा चलना भी अपनी कल्पना से परे होता है। अपनी कल्पना से परे सोचने से मन बेलगाम घोडा हो जाता है। जीवन में जो कुछ चल रहा होता है।  वास्तविक जीवन के संसार में वो मंद पड़ जाता है। जहाँ मन को अपने वास्तविक संसार में होना चाहिये। जो सक्रीय चल रहा होता है। तब मन अपने ही कल्पना के संसार में विचरण कर रहा होता है। इससे वास्तविक जीवन का संसार बिगड़ने लगता है। जो कल्पना में चल रहा होता है। कोई बाहरी सक्रियता नहीं होने के वजह से मन बेलाग हो जाता है। सक्रीय कार्य सुस्त पड़ जाता है। बात वही हुई जरूरत से ज्यादा खाना खाने से शरीर और मन दोनों में थकान लगता है। कोई काम करने के काविल नहीं होता है। तबियत ख़राब जैसा लगने लगता है। जो काम कर रहे होते है।  उसे भी तबियत ठीक होने तक छोड़ना पड़ता है। आमतौर पर जायदा खाना खाने से जो तबियत बिगड़ता है। जल्दी ठीक हो जाता है। पर मन के ख़राब होने पर जीवन पर प्रभाव पड़ता है। आपकी कल्पना से परे होने पर मन वास्तव में ख़राब होता जाता है।  मन के ख़राब होना से किसी कार्य में मन नहीं लगना है।  मन में उदाशी होना, एकाग्रता भंग होना, बिना कारन के गुस्सा आना, किसी से बात नहीं करना, हमेशा तनाव में रहना, लोगो का बात अच्छा नहीं लगना। मन के ख़राब होने से इनमे से कोई भी प्रभाव या कई प्रभाव जीवन पर हमेशा के लिए पड़ है। हर शारीरक विमारी का इलाज डॉक्टर के पास है। पर मन के विमारी का इलाज किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है। इसलिए आपकी कल्पना से परे कभी नहीं जाना चाहिये।


कल्पना का अर्थ

आपकी कल्पना से परे होने अच्छा है। आपकी कल्पना से परे जीवन में सोच, समझ, बुध्दी, विवेक में संतुलन होना बहूत जरूरी है। जीवन वाही अच्छा है। जिसमे सब जरूरी क्रिया कलाप को ही लोग महत्त्व दे। जरूरत से जायदा सोचना या कुछ करना यदि जीवन के विकास में कोई करी जोर रहा है तो वो सकारात्मक है। बिना मतलब के कार्य या किसी से मिलना जुलना बिलकुल भी ठीक नहीं है। आपकी कल्पना से परे काम करने से या किसी से बात करने से व्यवस्था और मर्यादा दोनों बिगड़ता है। मन को गहरा ठेस पहुचता है। इसलिए जीवन में संतुलन बनाये रखे खुश रहे।  


मन के सोच भावानये के साथ 

व्यक्ति हर पल अपने मन में कुछ न कुछ सोच रहा होता है. पुराणी यादें को याद कर के कभी खुश होता है तो कभी दुखी होता है. वर्त्तमान में अपने उन्नति और जीवन में आगे बढ़ने के लिए सोचता है. भविष्य की चिंता में कुछ बचाने के लिए सोचता है. कभी सोचता है की कल हम क्या थे और हम क्या है? ये भी सोचता है की आने वाले समय में हम कैसे होने. व्यक्ति चाहे कुछ भी करे पर मिले हुए एकाकी समय में सोचना लगातार चलते रहता है.

 

व्यक्ति के मन के सोच कभी कभी सातवे आसमान पर भी चला जाता है.

मन की कलपनाये के साथ रहने वाला व्यक्ति का सोच कभी कभी सोच से पड़े होकर अपने मार्ग से भी अलग हो कर सोचता है. ये भी मन के कल्पना की कला है. दुखी और निराश इन्शान जब अपने जीवन में सफल नहीं हो पता है तो वो उस उर सोचने लग जाता है जो कभी जीवन में हो ही नहीं सकता है. वास्तविकता तो ये है की ऐसे सोच से उसको थोड़े समय के लिए अपने दुखी मन के भाव से अलग हो तो जाता है कल्पना के पृष्ठभूमि पर गलत और कल्पना से परे सोच भले उसे कुछ समय के लिए दिलशा दिला दे पर वास्तविक जीवन वो सोच सबसे बुरे पहलू को भविष्य में जन्म देता है. परिणाम स्वरुप वो जो सोचता है कभी करने का प्रयाश नहीं करता है जिससे खुशीके बिच में निराशा अपना जगह बनाने लग जाता है. जो अपने जीवन के पृष्ठभूमि पर कर रहा होता है उसमे सफलता से दूर होता जाता है. आने वाले समय समय में जब अपने जीवन के पृष्ठभूमि पर जब निराश होता है तो वही गलत और कल्पना से परे सोच उसके लिए दुःखदाई बन जाता है.

 

अनैतिक सोच, गलत और कल्पना से परे सोच की पृष्ठभूमि गुप्त होता है

व्यक्ति कभी दुसरे को बता नहीं पता है. ऐसे ब्यक्ति गुप्त रूप से गलत राह पकड़ कर अपने जीवन को बर्बाद भी कर लेता है इसका परिणाम उसके घर वाले पत्नी और बच्चे को ज्यादा भुगतना पड़ता है. अक्सर लोग गलत कार्य के लिए गुप्त मार्ग क प्रयोग करते है जिससे जानकर और समझदार लोगो को इसकी कभी भनक नहीं लगता है की व्यक्ति क्या कर रहा है? गलत कार्य के वजह से वो लोगो से दुरी रखने लग जाता है और समाज से भी भिन्न रहने लग जाता है जिससे समाज के लोगो के बिच उसके पहचान मिटने लग जाते और अनजान बनकर रहने लग जाता है. कहने का मतलब की कल्पना से परे सोच कभी पूर्णता की और नहीं जाता है. इस मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति अपने पहचान को छुपाने से सब जगह बचता रहता है. जिससे कारन इनके कार्य और मार्ग सिमित होते है. पर जिस दिन इनके कार्य का बखान उजागर होता है तो परिणाम समाज और शासन से भी इन्हें ही भुगतना होता है.

 

कल्पना से परे सोच जरूरी नहीं की गलत हो.

कल्पना से परे व्यक्ति कभी उस मार्ग पर चलने का प्रयाश नहीं करना है जो एक दिन निराशा का कारन ही बनता है जो सिर्फ मन को ही दुखी करता है साथ में सफलता का तो कोई अर्थ ही नहीं है जहा प्रयाश ही नहीं हुआ तो वहा सफलता कहा हो सकता है. कहने का मतलब की कल्पना से परे वो चीजे है जिसको व्यक्ति कही प्राप्त करने का प्रयाश ही नहीं करता है. कल्पना में रहकर मन को झूठी ख़ुशी देखर प्रसन्न तो हो जाता है पर उसका कोई पृष्ठभूमि नहीं बन पाता है. जिसका परिणाम सक्रीय जीवन पर भी पड़ता है वहा सफलता कम हो जाते है. सोचता कुछ और है करता कुछ और है तो परिणाम भी तो भिन्न ही निकालेंगे. ऐसे में तो वास्तविक जीवन में निराशा आना तय ही है.   


Thursday, July 29, 2021

सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है. मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही सोचे तो हर कार्य सफल होगा।  


विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है. 

जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है. सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है. सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है. जिससे मस्तिष्क शांत और सक्रीय होता है. सकारात्मक सोच विवेक बुध्दी को मजबूत बनता है. सकारात्मक सोच के साथ जो भी  कार्य होता है. उस कार्य को करने से मन में हर्स और उल्लास का महल पैदा होता है. जिससे कार्य को करने में मन लगा रहता है. किसी भी कार्य के सफलता के पीछे सबसे पहले मन का स्थिर होना अति आवश्यक है. मन के स्थिर रहने से से काम काज में मन लगता है. मन को स्थिर रखने के लिए सकारात्मक होना जरूरी है. सकारात्मक होने के लिए सोच को सकारात्मक रखना ही पड़ेगा तभी मन स्थिर होगा. एक तो सबसे बड़ी बिडम्बना है की मनुष्य का अचेतन मन, सचेतम मन से ज्यादा सक्रीय है. अवचेतन मन अचेतन मन और सचेतम मन से कही ऊपर होता है जिसका सीधा संपर्सक कल्पना से होता है. सचेतन को बढ़ाने का एक मात्र तरीका है. मन को एकाग्र भाव में स्थिर रखना. जब तक सोच और कल्पना सकारात्मक नहीं होगा. तब तक किसी एक विषय पर काफी समय रुकन बहूत मुश्किल है. इसलिए बेहतर है की अपने सोच को सकारात्मक करे तभी एकाग्रता का विकास होगा और जीवन में उन्नति होगी. एकाग्रता का मतलब है किसी एक विषय पर लम्बे समय तक रुकना. एकाग्रता एक सकारात्मक भाव है.


सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. 

एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है.

 

Saturday, July 10, 2021

बुद्धि विवेक से किया गया हर कार्य सफल होता है। मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही करे तो हर कार्य सफल होगा

विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है, सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

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Two types of meditation for both types of meditation to happen automatically a little effort has to be made in the beginning, later meditation happens automatically

Meditation of the divine Meditation is done in many ways  Meditation is tried in the beginning, later meditation happens automatically. Me...