Saturday, June 21, 2025

प्रेरणादायक वाक्य स्वयं के लिए प्रेरणादायक उदाहरण (Self motivational quote Self inspirational quote)

  

स्वयं के प्रेरणात्मक उद्धरण (self motivation quotes)

self motivation quotes दुःख अपनों से ज्यादा और परायो से कम होता है.

स्वयं के प्रेरित विचार (Self inspirational quote)

 

गरम मिजाज़ पर काबू और सरलता का बढावा देना.   किसी भी प्रकार के विवाद को काबू में रखने के लिए कामयाबी हासिल करता है.

दूसरो को चक्कर में डालने वाले कभी ये मत भूले की वो स्वयं सात चक्र के चक्कर में फसे हुए है, जिसमे से वो कभी भी नहीं निकल सकते है यदि ऐसा करना जारी रखते है तो.

गुलाब से सुगंध आती है तो उसके तन में भी कांटे रहते है, जीवन को सुगन्धित बनाने के लिए काँटों से भरे रास्ते पर भी चलाना होता है, यही वास्तविक जीवन का सच्चा ज्ञान है.

किसी की चाह में अपने मन के खुशियों का बलिदान कुछ समय के लिए शांति दे सकता है, पर दिल सोचता है की ये शांति कब तक टिका रह सकता है.

जीवन में खुशहाल जिंदगी जीने के लिए लड़ना जरूरी है तो खुद के ख़ुशी के लिए जरूर लड़े, पर किसी दिन दुखी मजलूम के लिए दिल में दया की भावना जरूर रखे इससे परमात्मा प्रसन्न होते है.

किसी के मन को जितना है तो खुद को पुरे मन से चाहना सीखिए, जिस दिन खुद से प्यार करने लग जायेंगे तो किसी के भी मन को जित सकते है.

जीवन को भागम भाग बनाने से मन को ख़ुशी नहीं मिलाती है, वास्तविक ख़ुशी तो जीवन के इस्थिरता में समाहित है.

कोई भी तो कुछ भी नहीं अपने साथ लाया है, जाने के समय भी तो वो कुछ भी नहीं ले जा पायेगा. self motivation quotes

जज्बात में रहने से व्यवहार नहीं बनता है, सोच समझकर व्यवहार करने से काम बनता है, किसी चीज की प्राप्ति के लिए बुद्धि विवेक से काम लिया जाता है.

तक़दीर को दोष देने से कोई फायदा नहीं है, इससे कोई काम नहीं बनता है, अपने कर्म को समझने से तक़दीर का दोष समझ में आता है.

उज्जवल भविष्य के लिए खुश और प्रसन्न रहना चाहिए, दुखी और निराश रहने से परमात्मा कभी साथ नहीं देते है इससे दुःख और बढ़ता है.

अपने हित के लिए दूसरो को आहात पहुचना कहाँ तक ठीक है, हम किसी को कुछ देते है तो हमें भी कुछ प्राप्त होता है, लेन देन प्रकृति की दें है इससे कोई बाख नहीं सकता है.

 

जीवन संघर्स से भरा हुआ है, सुख दुःख जीवन का साथी है, इससे चाहे जितना भागना चाहे, ये कभी भी अपना साथ नहीं छोड़ते है है.

मस्तिष्क पर सवार होने वाले सवाल से यदि व्यथित नहीं हो तो वही सवाल बिगाड़ने के बजाय बेकार हो जाते है.

जो जोश से भरकर बेहोशी में गलत कदम उठाता है, फिर उसके कदम कभी भी सही रास्ते पर नहीं जाते है.

किसी के दिल को दुखाने से पहले समझ ले की उसके दिल से निकले एक एक आह को बद्बुआ बनाने में बिलकुल भी समय नहीं लगता है.

दिल के जख्म को निदान देने के बदले यदि कुरेद दिया जाये तो इन्सान इसलिए शैतान बन जाता है.

घाव चाहे जैसा भी हो वो भर जाता है, यदि बारम्बार कुरेद रहे है तो उसको कभी भरने का मौका नहीं मिलाता है, फिर वो नासूर बन जाता है.

किसी के रास्ते को रोकने कोई फायदा नहीं मिलाता है, दुसरे रास्ते स्वतः ही खुल जाते है, पर रास्ते रोकने वालो के जीवन में हजारो रुकावट स्वतः ही उत्पन्न हो जाते है, जिसका उसे कभी पता नहीं चलता है.

जीवन के स्वास के आभा का रंग चमकदार होता है, चिंता फिक्र का प्रभाव उसका रास्ता रोककर उसे मलिनता में परिवर्तित कर देता है, इसके कारन से ही जीवन में अन्धकार फ़ैलाने लग जाता है.

जिसके साथी बनाने में कोई हर्ज नहीं है तो उसके दुश्मन बनाने से कोई फड़क नहीं पड़ता है, आत्मा को सबकुछ पता होता है, दुश्मनी करने वालो के जीवन में किसी भी सत्कर्म का परिणाम भी सकारात्मक नहीं निकलता है.

मन में लगी आग कभी भी जीवन में नहीं लगना चाहिए, मन इसी आग में जलकर एक दिन प्रखर होता है, पर जब मन की आग जीवन में लग जाती है, तो प्रखर होने के बदले पतन की ओर ले जाती है.

जीवन की खुबशुरती भावनाओ में खोजने के बदले अपने चरित्र में खोजने से मन मस्तिस्क में निखार आता है.

 

दुसरे के ह्रदय को सताने से खुद के पीड़ा का पता नहीं चलता है और जीवन का पतन भी समझ नहीं आता है.

एक न एक दिन सबको मरना है खुल कर जीना चाहिए.

सुख के तलाशा में खुद के जीवन को प्रताड़ित करने से आत्मा को कभी शांति नहीं मिलाती है.

सुख के खातिर सभ्यता छोड़ने से दुःख और भी बढ़ जाता है.

कितने भी कांटे जीवन हो पर पीड़ा सभी कांटे से नहीं होता है.

हमसे उलझकर के क्या फायदा उलझन को समझना है तो अहम् से उलझन देखे.

जीने की राह में पत्थर डालने वाले के जीवन में असंख्य पत्थर पहले से होते है, जिन्हें वो बटता रहता है.

कर्म के अनदेखी में न जाने कितने ऐसे कार्य हो जाते है जिसे कभी करना नहीं चाहिए.

चाहे जैसा भी समय हो पर सादगी जीवन से कभी जाना नहीं चाहिए.

झूठ के परदे से सच्चाई कभी भी उजागर हो सकता है.

 

असफलता ही सफलता के निशानी है, हार कर भी लोग जीतते है, प्रयास कभी कम नहीं होनो चाहिए.

संघर्स आखिरी दम तक करना होगा, भले जिंदगी में उतार आये या चढ़ाव,

अपने दायित्वों से कभी मुह नहीं मोरना होता है.

जीवन में विकाश के लिए अथक परिश्रम और संघर्स करना पड़ता है.

शरीर को चुस्त दुरुस्त रखना है तो सुबह जल्दी उठे पर रात को देर से न सोये.

जीवन में कुछ बनाना चाहते है तो मानसिक इच्छा का त्याग करना सीखे.

मनोबल मजबूत है तो कठिन से कठिन कार्य कर सकते है.

मन को शांत करने से अच्छा है की स्वयं शांत होकर रहे मन को शांति मिलेगी.

जीवन में ऊपर उठाना है तो किसी से कुछ लेने की भावना से बेहतर है देना सीखे.

ह्रदय में प्रसन्नता चाहते है तो मन के कठोरता का त्याग कर दे.

भोजन वही करे जिससे शरीर चलता है जो शरीर को लगे.

असत्य के पीछे भागने से अच्छा अपने मन में झाक कर देखे.

कौन से हम कितने बेहतर है क्यों किसी को दिल से बुरा कहे.

कथनी से करनी अच्छा है न की करनी से कथनी.

बीती यादो में भटकने से अच्छा है की वर्तमान में जीना सीखे.

कल्पना वही करे जिसे पूरा करने में सहूलियत हो.

कल्पना को कभी भी कल्पना के परे नहीं होने दे.

सोचसमझबुद्धिविवेक ये सभी गुण है.

 

अज्ञान के अँधेरे में रहने से अच्छा है की ज्ञान के प्रकाश में रहे.

सोच समझ कर किया गया कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता है.

अच्छा करे स्वयं के बारे में कभी बुरा नहीं सोचे.

दिन के कार्य को रात में कभी पूरा न करे रात को रात ही रहने दे.

जब रात गई और बात गई तो फिर पीछे मुड़कर क्यों देखना.

महत्वकांक्षी बनाने से अच्छा है सदाचारी बने.

ब्रहमचर्य और धर्म के रक्षा के लिए सत्यनिष्ठ और निडर बने.

जीवन हा तो संघर्स भी है स्वयं से फिर क्यों भागना.

डरने से अच्छा है अपने लक्ष्य को पार कर जाये.

रोटी कपडा मकान सबसे जरूरी चीज है.

पापी पेट के लिए चाहे कुछ भी करना पड़ेपर मन को कभी भी दुर्बल नहीं होने दे

 

मन से बड़ा जानुक और निष्ठुर दुनिया में कुछ भी नहीं हैमन के भाव के निष्ठुरता से बचने के लिए स्वयं के कठोरता को छोड़ दे.

जीवन में तन्हाई को स्वीकार करना सीखेआने जाने वाले ख्यालो से मन को बचाकर रखे.

भरोसे पर पूरी दुनिया कविज हैपर क्या स्वयं से एक भी भरोसा कर सकते है.

विश्वास मन की जित हैस्वयं से विश्वास मनोबल हैदूसरो पर विश्वास इच्छाशक्ति हैजब अपने मन का भेद ही विवादास्पद हो तो भरोसा कहाँ से हो.

हम रहे या नहीं रहेपर अहम् कभी नहीं रहना चाहिए.

जिसके अवगुण में भी गुण दिखेतो उससे बड़ा भला और कौन हो सकता है.

एकाकी जीवन के नाम पर विषय वस्तु से ऊपर भी तो ख़ुशी और प्रसन्नता हैएक बार समझ कर देखे.

मौजूदा समय में मौनव्रत जीवन के सच्चाई से परिचय करता हैसंघर्स के नाम पर हर समय विषय वस्तु में उलझे रहना कहाँ तक ठीक है.

जीवन है तो सच्चाई भी होनी चाहिएजीवन में मृतु से बड़ा सच कुछ और नहीं हो सकता हैकर्म से बड़ा फलसफा क्या हो सकता है.

जीवन और मृतु के बिच का फासला सिर्फ सांसे ही हैअच्छे और बुरे कर्म का फासला संतुलन ही हैयही सत्य है.

 

कथनी से करनी बहूत अच्छा माना जाता हैपर जीवन में कभी भी कुछ ऐसा नहीं करे की वो करनी खुद पर ही भरी न हो जायेफिर वो बोझ कभी हल्का नहीं होता है. self motivation quotes

दिल दरिया और मन समुद्र होना तो ठीक हैपर उसमे कभी प्रदुषण नहीं होने दे.

सुनो तो अपने दिल की और करो तो अपने मन कीपर मनमर्जी कभी को गलत बात सोचा नहीं करे.

चार दिशाचार पहरचौतरफा संसारचौथे पड़ाव में फसे मनुष्यये कैसी कुदरत का वरदान.

रिश्ते की दुहाई मत दो ए मालिकएक दिन सबको इस जमीन में मिल जाना हैतब न जाती बचे न धर्म सिर्फ बचेगा सत्कर्म.

समय जवाह है की जो जैसा किया हैपरिणाम वैसा ही मिला है.

संसार के आपाधापी में मनुष्य खुद को भूलने लग गया हैखुद के मन में झाकने के बदले दुसरे के मन में झाकने लग गया है.

जख्म को खुरेदकर नासूर बनाने से अच्छा है की उसे अपनी जगह पर रहने देकुछ दिन में वो अपने आप भार कर ख़त्म हो जायेगा.

जीवन की कर्म कमाई अपने बच्चे में झलकती हैजैसा खेल में बिज डालेंगे वैसा ही पैदावार होगा.

जीवन की संसार व्यवस्था सांसो से है अक्सर उझान और समस्या इसके रह रोक देते है.

सुभ मुहूर्त के पीछे भागने वाले कौन से मुहूर्त में आये है और कौन से मुहूर्त में चले जाते हैपता ही नहीं चलता है.

सच्ची चीज इसी संसार में है दिख रहा है पर समझ नहीं आ रहा है.

दिल बोला आँख से तुम देखना कम करोआँख बोला दिल से तुम तुम ज्यादा सोचा नहीं करो.

जीवन का रास्ता कई दिशा से निकालता हैसकारात्मक पहलू और सत्कर्म के उद्देश्य है तो हर कोई मददगार है.

 

जो व्यर्थ मन में पड़े हुए है जिनका कोई उपयोग नहीं हैउसको बहार निकलकर मन और आत्मा को तृप्त करे. self motivation quotes

सुबह सुबह ताजा स्वास के साथ नए विचार और नए धारणाये के साथ अच्छी सोच सदा उपलब्धि दिलाता है.

सच्चे मन की कल्पना अस्तित्व की पहचान करता है और यथार्थ से परिचय करता है.

दिलो में ज़ज्बात चाहे कुछ भी हो पर उसका प्रभाव मन पर नहीं पड़ना चाहिए.

कलपना में खुद को सँभालते हुए कल्पनातित कभी नहीं होना चाहिए.

कभी भी अपने सोच को अपने समझ तक ही रखना चाहिए.

विवादों में उलझने से अच्छा है की शांत रहकर समस्या को सुलझाये.

सोच समझ विवेक बुद्धि ये सब मन के गुण है जो दिमाग में सक्रीय रहते है.

जीवन में किसी से उपकार लेने की भावना से उठकर परोपकार की भावना रखना चाहिए.

मन की उड़ान असीमित हैस्वच्छता से सदाचारी बनाना चाहिए.

 

जीवन में जब तक मन में सहनशीलता नहींतब तक मन का विकार कभी दूर नहीं हो सकता है.

श्रधा शक्ति और विश्वास से आत्म बल बढ़ता हैये सकारात्मक गुण है.

जिज्ञासा वही तक सही है जहा तक मन समझ सकेजरूरत से जायदा समझ मन को उलझन में दाल देता है.

मन के भटकन को मन में ही रहने देबुद्धि विवेक से काम ले.

जीवन सुख का सागर हैदुःख को कभी भी जीवन पर हावी नहीं होने दे.

दूसरो के मन में झाकने से अच्छा हैखुद के मन में झाके.

कठिनाई को समझने से अच्छा खुद को समझने का प्रयाश करेकठिन से कठिन समस्य सुलझने लग जायेगा.

शांति का रास्ता तब पूर्ण होता है जब मन में किसी के प्रति कोई वैर न हो.

धतूरे और सोना को "कनक" की संज्ञा दी गई हैदोनों के मात्र मन में बढ़ने पर उथल पुथल महशुश होता है.

 

अन्धरुनी दुःख का कारनउन्मूलन स्वप्नलोक की छविया में है. self motivation quotes

जीवन है परमात्मा का वरदानइसमे है स्मृतयो की छाया.

अपनों के दुःख से दुखी होना स्वाभाविक हैपराये तो सिर्फ सांत्वना ही देते है.

सुख दुःख में अपने ही साथ देते हैपरये तो सिर्फ मददगार है.

अपने दिल के वेहद करीब होते हैपराये कभी अपने नहीं हो सकते है.

दुःख अपनों से ज्यादा और परायो से कम होता है.

समय और हालात से बदलावसफल जीवन की निशानी है.

मन सुख दुःख के लिए हो सकता हैपर ज्ञान बुद्धि विवेक के लिए होता है.

अज्ञानता अंधकार है तो ज्ञान प्रकाश है.

विधता का नियम है एक आता है तो एक जाता है.

 

कर्म इन्सान को सच्चे रास्ते पर लेकर जाता हैसत्कम जीवन की उन्नति है और दुष्कर्म अवनिती है.

कौन क्या कहता हैइसकी परवाह न करे तो बेहतर है.

दुनिया को समजना है तो खुद को पहले समझे.

खामोश क्यों है लोगो की बात सुनकरअपने समझ और विवेक से उसको जवाब जरूर देना चाहिए. self motivation quotes

निराशा में जीना छोड़ दीजिये. आशा का दमन पकड़ना सीखिए.

भलाई वही तक करिए जहा तक तक मन साथ देअन्यथा बेमन से किया गया कोई मदद फलित नहीं होता हैचाहे देने वालो को या लेने वाले को.

मन के हरकतों से संज्ञान होकर खुद से बेपरवाह होना छोड़ दीजिये.

अपने मन को मन ही में रहने दीजियेजो चल रहा है चलने दीजिये. जो जरूरी हो उसे ही सक्रीय होकर कर नियंत्रित करिए.

मन को बुद्धि वेवक से मत खेलिएहो सके तो समय को मन से देखिये और बुद्धि विवेक से काम लीजिये.

 

किसी को वेवजह मत उकसाइए की वो हरकत में आ जाये.

अपने जीवन को कभी भी कटी पतंग मत समझियेजीवन का डोर बेहत कच्चे धागे से बना हैउसको सँभालने के लिए ज्ञान को परिपक्व करिए.

मन का धरनाओ में उसे ही जगह दीजिये जिससे कोई काम बन सके.

मन की हरेक बात सुनिए पर क्रियान्वित करने के लिए दिमागबुद्धिविवेक का सहारा लीजिये.

बेवजह के झंझट में पड़ने से अच्छा है की सूझ बुझ से काम करिए.

मन को कभी नहीं रुलाइएमन परमेश्वर का वरदान है.

 

भावनाओ को मन के साथ खेलने का प्रयाश नहीं करेमन को आज तक किसी ने भी नहीं समझ पाया है. self motivation quotes

अपने निर्णय को समझदारी से परखियेबगैर सोचे समझे कोई निर्णय नहीं लीजिये.

भोजन उतना ही करिए जो शरीर को लगेअसंतुलित भोजन शरीर को श्मशान बना देता है.

कर्वी निम भले जवान को कड़वा लगता हैरोग और विषाणु को वही नस्त करता है.

स्वादिस्ट भोजन मन को अच्छा लगता हैपेट में जाकर रोग बढ़ाने का जरिया बनता है.

ज़माने के दस्तूर के आगे नतमस्तक इन्सान ही स्वयं को अधर में डालकर प्रखर होता है.

निज मन की व्यथा से परिचित व्यक्ति को की सहनशक्ति प्राप्त होती है.

छल कपट से ऊपर सोचने वाला व्यक्ति ही संसार में नया आयाम लाने की क्षमता रखता है.

मिथ्या को समझने वाला ही इन्सान सच्चा होता हैमिथ्या में पड़ने वाला ही दुसरे को भ्रमित करता है.

अलंकार से शोभा और मान बढ़ता हैजबकि कलंककार से प्रसिद्धि समाप्त होती है.

 

इज्जत और सम्मान में व्यय समय ही पुरखो के मान मर्यादा को बचाते है. self motivation quotes

संघर्स करना सीखे कल्पना में ख़ुशी को खोजने से अच्छा है, उसको प्राप्त करने का प्रयास करे.

सोच और फिक्र में जीवन को सताने से अच्छा है, वही करे जो संभव हो.

असंभव को प्रयास से संभव बनाना सीखे.

गमों से कभी भी समझौता नहीं करे, जिस बात का दुःख है उसके बदले कुछ अच्छा सोचे.

बुराई को कभी भी मन में बढ़ावा नहीं दे, बुराई से लड़ना सीखे. 

मन को पहाड़ न बनाये, अपने मन के आयाम को पर्वत बनाये.

जीवन में मन को एकाकार बनाये रखे,

जो करे वही सोचे न की जो नहीं कर सकते है उसके बारे में सोचे.

बेख़ौफ़ ज़माने में रहना सीखे, मन के डर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करे.

हसी के हंगामे में शिरकत करे पर किसी के हसी और मजाक का कारन नहीं बने.

जीने के लिए दुनिया में बहूत कुछ है, अच्छी चीज़े ग्रहण करे, बुरे चीज को मन से निकाल फेके.

 

जिनके दिल में ख़ुशी और प्रसन्नता होता है परमात्मा वही विराजवान होते है. self motivation quotes 

माँ से बड़ा रक्षक और पिता से बड़ा ज्ञानदाता और भला कौन हो सकता है?

क्या माता पिता के सम्मन एके बिना इस्वर भक्ति संभव है, तो वो किस काम का? self motivation quotes

जिसके रक्षक माता पिता के आशीर्वाद होते है, उसका भक्षण करने का सामर्थ्य किसी में नहीं होता है.

प्यार दुलार और ममता बचपन से बच्चे को मिले. 

तो बच्चो में परवरिश के साथ ज्ञान और क्षमता ज्यादा बढ़ता है.

 self motivation quotes 

प्रश्न के लिए मूल्य बिंदुओं और ज्ञान बिंदुओं में ज्ञान का कोई ओर अंत नहीं सिर्फ समझ का फेर जितना अछा होगा उतना ही अच्छा ज्ञान अपना बढेगा

  

किसी प्रश्न के लिए मुल्य बिंदुओं और ज्ञान बिंदुओं में क्या अंतर है?

 

मुल्य और ज्ञान का मन से गहरा सम्बन्ध है। मन में हर पल कुछ न कुछ चला ही रहता है। मन सदा चलायेमन होता है। बुध्दि विवेक के सक्रिय होने से मन के अन्दर चलने वाला हर हरकत सक्रीय नहीं होता है। बुध्दी विवेक से हमें परिणाम मिलता है की क्या उचित है और क्या उचित नहीं है। परिणाम के अनुसार सक्रिय मन निर्णय लेता है की क्या करना है और क्या नहीं करना है। तब सक्रीय मन जो जरूरी होता है वही कार्य में लग जाता है। बाहरी रूप रेखा में वो कार्य क्रियान्वित होते हुए नजर आता है। स्वाभाविक है यही कल्पना का साकार होना कहलाता है। मन के अन्दर अचेतन ९० प्रतिशत है और सचेतन १० प्रतिशत है। कल्पना अवचेतन मन में होता है। ज्ञान के दृष्टी से सचेतन और अचेतन से बहूत ऊपर अवचेतन मन होता है। ज्ञान बिंदु उजागर होता है। 

 

  ज्ञान बिंदु

ज्ञान के दृष्टी से किसी विषय वस्तु को देखना और समझना दोनों जरूरी है।

जब तक किसी विषय वस्तु देखेंगे नहीं तब तक उसका रूप रेखा नहीं मालूम पड़ेगा। विषय वस्तु को देखने से ज्ञान होता है। वही ज्ञान समझ को बढाता है। किसी विषय वस्तु को जितना समझने का प्रयास करेंगे। उतना ही अपना ज्ञान बढ़ता जाता है। वैसे तो ज्ञान का कोई ओर अंत नहीं है। सिर्फ समझ का फेर है। समझ जितना अछा होगा। उतना ही अच्छा ज्ञान अपना बढेगा।

 

प्रश्न के लिए मुल्य बिंदुओं और ज्ञान बिंदुओं में अंतर को समझे तो प्रश्न का मूल्य बिंदु प्रशन का प्रारूप होता है।

जो सामने चारितार्थ होता है। प्रश्न के प्रकृति को दर्शाता है। प्रश्न के प्रभाव से निकालने वाला परिणाम साफ साफ समझ में आता है। प्रश्न के ज्ञान बिंदु प्रश्न से निकलने वाले परिणाम से जो चरितार्थ होता है। परिणाम को समझते हुए जो प्रतिक्रिया उचित होता है। समझ कर उत्तर देना ही ज्ञान बिंदु होता है। यही किसी भी प्रश्न के लिए मूल्य बिंदुओं और ज्ञान बिंदुओं में अंतर है।    

प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

  

बुद्धि और बुद्धिमान

मनुष्य को बुद्धिमान होना ही चाहिए.

जीवन निर्माण में मनुष्य के जन्म के साथ दिमाग भी मिला हुआ है,जिसकी देन बुद्धि है.

सकारात्मक मन के भाव में अच्छा और तीक्ष्ण बुद्धि होता है.

मन में किसी भी प्रकार के कुंथित्पना बुद्धि में विकार ला सकता है.

जिससे मस्तिष्क ठीक से काम नहीं करता है.

जिसकी उपज विक्क्षिप्त बुद्धि होता है.

जिससे कोई भी कार्य सफल नहीं होता है.

किसी भी कार्य को सफल होने के लिए तीक्ष्ण बुद्धि सकारात्मक होना चाहिए.

 

हिंदी में प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विचार नेतृत्व संगोष्ठी.

किसी एक विषय पर काम करने के लिए यदि पेचीदा विषय है.

बहूत सोच समझकर काम करना होता है.

जहा विषय एक है और उसे पूरा करने के लिए कई लोगो की जरूरत है तो वहा किसी न किसी ऐसे जानकार का नेतृत्व जरूरी हो जाता है.

साथ में जानकर होने के साथ विशेषग्य भी हो तो उनका नेतृत्व बहूत जरूरी होता है.

जरूरी खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए कार्य से सभी व्यक्ति विश्वासपात्र होना चाहिए.

तीक्ष्ण बुद्धि वाला होना चाहिए. सभी हाजिर जवाब व्यक्ति होना चाहिए. कार्य बिलकुल संतुलित और बताये हुए मार्गदर्शन से ही करना चाहिए.

कार्य के लिए मनोनीत सभी व्यक्ति के अन्दर समन्वय सामान होना चाहिए.

इसमे बेहद जरूरी है की कोई भी व्यक्ति किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझे. अपने मार्गदर्शक के हरेक बात का अनुशरण करना चाहिए. एक दुसरे के संपर्क में हमेशा रहना चाहिए. स्वयं पर पूर्ण विस्वास होना चाहिए.       

 

प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकासकर्ता के रूप में किसे श्रेय दिया गया है?

1916 में अमेरिका के मनोवैज्ञानिक टर्मेन ने बिने के बुद्धि परीक्षण को अपने देश की परिस्थितियों के अनुकूल बनाकर इसका उचित प्रकाशन किया. यह परीक्षण स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहलाता है. जिस परीक्षण का संशोधन स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर टर्मेन ने किया था. इस आधार पर इस परीक्षण को स्टेनफोर्ड बिने परीक्षण कहा गया है. प्रथम बुद्धि परीक्षण के विकाशकर्ता के रूप में अमेरिका के प्रोफेसर टर्मेन को श्रेय दिया गया है.

 

शिक्षा में बुद्धि परीक्षण के लाभ

शिक्षा मन से कापी और किताब से पढने और लिखने से होता है. जब तक पढाई के समय समय पर परीक्षा नहीं होगा, तब तक न बच्चे में जिम्मेवारी आएगी और न उनका तीक्ष्ण बुद्धि बढेगा. निम्न कक्षा से उच्च कक्षा में पदोन्नति परीक्षा माध्यम होता है. परीक्षा में प्राप्त अंक सामान्य अंक से कम होने पर पदोन्नति नहीं होता है. और एक साल फिर उसी कक्षा में बैठना पड़ता है. परीक्षा बच्चे का बुद्धि विवेक का एक परिक्षण है. जिसके प्रभाव से बच्चे में बुद्धि विवेक और जिम्मेवारी बढ़ता है. परीक्षा न केवल बुद्धि का विकाश करता है बल्कि बच्चे को स्वयं पर नियंत्रण करने का तरीका और ज्ञान भी सिखाता है.

 

  तीक्ष्ण बुद्धि 

प्रतियोगी परीक्षाएं अपने ज्ञान की परीक्षा लेती हैं बात सच है ज्ञान हासिल हम स्कूल और कॉलेज से करते है जो दुसरे ज्ञान को हासिल करने के लिए मदद करता है

  

क्या प्रतियोगी परीक्षाएं आपके ज्ञान की परीक्षा लेती हैं?

प्रतियोगी परीक्षाएं अपने ज्ञान की परीक्षा लेती हैं। ये बात सच है। ज्ञान हासिल हम स्कूल और कॉलेज से करते है। स्कूल और कॉलेज के ज्ञान हमें दुसरे ज्ञान को हासिल करने के लिए मदद करता है। स्कूल और कॉलेज से ज्ञान हासिल करके हम दुसरे ज्ञान किस माध्यम से प्राप्त करते है। इस बात पर आधारित होता है। हम ज्ञान के प्रति कितने जागरूक है।

कोई भी ज्ञान दुसरे ज्ञान को हासिल करने का माध्यम बनता है। जैसे रोज अख़बार पढना, पत्रिका पढना, किताब पढना, समाज में हो रहे क्रिया कलाप से क्या ज्ञान हासिल करते है। टीवी देखने से हम किस बात को ग्रहण करते है। टीवी सबसे बड़ा ज्ञान का माध्यम हो सकता है। उसमे सबकुछ सम्मिलित होता है। अब ये स्वयं को समझना होता है। हमारा मन टीवी से क्या सिख रहा है। ज्ञान इस बात पर आधारित होता है। टीवी में देश दुनिया के सब खबर समाचार के माध्यम से मिलते है। कार्यक्रम के माध्यम से बहूत ज्ञान मिलते है।

  प्रतियोगी परीक्षाएं 

टीबी के नाटक ज्ञान का माध्यम है की नहीं ये स्वयं समझ सकते है। टीवी नाटक बहुमुखी प्रतिभा का झलक है।

जीवन का सबसे बड़ा ज्ञान टीवी नाटक में भी है। प्रेरणात्मक ज्ञान टीवी नाटक में बहूत है। बात ये है की हम ज्ञान कहा कहा से हासिल करते है। यदि प्रतियोगी परीक्षाएं के पत्र या कुंजी में देखेंगे तो पता चलेगा की ये सब के सब सामान्य ज्ञान पर आधारित है। जो दैनिक जीवन में समाज में या देश में होता है। देश दुनिया के भूत और वर्त्तमान के ज्ञान पर प्रतियोगी परीक्षाएं के प्रश्न पत्र होते है।

इसलिए देश दुनिया के भूत और वर्त्तमान के खबरों से हम क्या क्या ज्ञान हासिल करते है? साथ में गणित हमारा कितना मजबूत है? जो हम स्कूल कॉलेज में सीखते है। हम अपने ज्ञान से गणित को कैसे समझते है। कितने कम समय में उत्तर देते है। सामान्य ज्ञान के प्रश्न के उत्तर को हम कितने समय में उत्तर देते है। ये सब हमारे अपने ज्ञान पर आधारित होता है। इसलिए प्रतियोगी परीक्षाएं अपने ज्ञान की भी परीक्षा लेता हैं।    

पैकिंग मटेरियल में सबसे ज्यादा कार्ड बोर्ड का इस्तेमाल होता है रद्दी पेपर को मशीन में रीसायकल करने के बाद ब्राउन पेपर का निर्माण किया जाता है

  

पैकिंग मटेरियलपैकिंग मटेरियलपैकिंग मटेरियल कार्टून बॉक्स

 

पैकिंग मटेरियल में सबसे ज्यादा कार्ड बोर्ड का इस्तेमाल होता है.

रद्दी पेपर को मशीन में रीसायकल करने के बाद ब्राउन पेपर का निर्माण किया जाता है.

जिससे कार्टून बनाया जाता है. कार्टून के लिए पेपर के कई तह को गोंड से चिपकाया जाता है.

जिसके दो प्लेन पेपर के बिच में धारीदार कोरोगेटेड पेपर लगाये जाते है.

कार्टून को रखने वाले वस्तु के आकर और वजन के अनुसार उसकी मोटाई तय की जाती है.

नरम या कड़क कार्टून के अनुसार उसमे गोंड की मात्र भी तय की जाती है.

जितना ज्यादा गोंड का मात्र होता है कार्टून उतना ही शक्त और मजबूत होता है.

 

कार्टून बनाने के लिए बड़े बड़े मशीन का उपयोग किया जाता है.

३ तह, ५ तह, ७ तह और जरूरत पड़ने पर इससे भी ज्यादा तह कार्टून बनाने में लगाया जाता है.

सभी तह के बिच में गोंड का इस्तेमाल किया जाता है.

सरे काम मशीन से किया जाता है. बने हुए पेपर के तह को प्रेस मशीन में चलाकर उसको ठीक से प्रेस किया जाता है.

इस दौरान उसमे गर्मी भी प्रबाहित ही जाती ही जिससे पेपर तुरंत चिपक कर और शक्त होकर मशीन से बहार निकले.   

 

कार्टून के कोरोगेटेड पेपर बनाने के लिए कोरोगेशन मशीन में दो रोल होते है.

पैकिंग मटेरियल कार्टून के कोरोगेशनमशीन के दोनों रोल में गियर के जैसा दांत बना होता है.

जो लम्बे लम्बे धारी के सामान होता है.

दोनों रोल के गियर के बिच से पेपर को इसमे से गुजरने के साथ इसमे थोडा गरमी उत्पन्न होने के लिए विद्युत् पवार से गरम करना पड़ता है.

जिससे दुसरे तरफ पेपर कोरोगेतेट हो कर बाहर निकले.

मशीन में ही कोरोगेतेट हुए पेपर को रोल किया जाता है.

जिससे कार्टून के लिए कोरोगेशनमें कोई प्रभाव नहीं पड़े और पेपर में उत्पन्न हुए गर्मी कुछ और समय तक बरक़रार रहे.

जिससे पेपर का कोरोगेशनकायदे से हो जाये और लम्बे समय तक कोरोगेशनबना रहे.

 

पैकिंग मटेरियल साइज़ के अनुसार कार्टून के कटिंग मशीन में कार्टून के बॉक्स को आकर देना

कार्टून कटिंग मशीन में कार्टून के बॉक्स को आकर के अनुसार कटिंग का काम होता है.

जरूरत पड़ने पर लेबल, नाम और सामान के विशेषता की प्रिंटिंग भी की जाती है.

जो कई रंग, रूप और चित्र के साथ भी हो सकता है.

वो भी मशीन से ही किया जाता है.

आकर के अनुसार कार्टून बोर्ड को मशीन कटिंग करता है.

मोरने वाले भाग को मोरने के लिए फिर प्रेस मशीन में भेजा जाता है.

मोरने वाले भाग के धारी बनया जाता है.

जिससे सभी कार्टून एक जैसा बनकर तयार हो जाता है.

 

कटिंग से बचे हुए बेकार टुकरे को फिर से रीसायकल किया जाता है.

बचे हुए बेकार टुकरे को फिर से रीसायकल कर के कार्ड बोर्ड बनाया जाता है. कोई भी पेपर का बेकार टुकरा फेका नहीं जाता है. बचे हुए पेपर के बेकार टुकरे को रीसायकल किया जाता है जिससे नया पेपर बन कर निकालता है जिसका नये कार्टून बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. 

 

फोल्डिंग करने वाले मशीन में कार्टून बनाना

कार्टूनको अंत में बॉक्स का रूप देने के लिए फोल्डिंग मशीन में भेजा जाता है. जिससे बॉक्स आकर के अनुसार मुड़ कर बॉक्स बन जाता है. जरूरत के अनुसार बॉक्स बनाने में चपटी पिन वाला मशीनी स्टेपलर का उपयोग किया जाता है या ब्राउन टेप या सादे टेप से भी मशीन बॉक्स के निचले भाग को चिपका कर बॉक्स बनाकर बहार निकलता है.

 

कंप्यूटकृत मशीनी युग के चमत्कार से पैकिंग मटेरियल कार्टून बॉक्स बनाना हुआ आसान

सभी मशीनी काम स्वचालित और कंप्यूटकृत होते है. जिसे कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर से किया जाता है. जैसा कार्य करना वैसा प्रोगामिंग किया जाता है.

  पैकिंग मटेरियल 

पेन से लिखने के समय लगातार घूमता रहता है पीछे से इंक उसमे लगकर लिखने वाले जगह पर निशान बनता जाता है. जिसे बाल पेन का लिखावट कहते है

  

बॉल पेन

सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है.

पहले नरकट के कलम या साही के काटे, कबूतर, मोर के पंख इत्यादि उपयोग में लिए जाते थे.

जिसे स्याही के में डुबोकर लिखा जाता था.

परंपरा बदला उसके स्थान पर जीभ वाले कलम आ गए.

जिसके पीछे एक लम्बी डब्बी लगी रहती थी. आज के समय में जज इस पेन का उपयोग करते है.

समय बदला कलम के स्थान पर बॉल पेन ने अपना जगह बना लिए.

नित्य नए खोज से पहले के मुकाबले बाल पेन पहले से बहूत पतला लिखने में सफल हो गया है.

आमतौर पर प्लास्टिक के बने छरिनुमा पेन आता है.

जिसमे रिफिल भरा जाता है.

उससे भी अविष्कारक आगे बढ़ कर अब लिखो फेको पेन बना दिया है.

जो पतले होने साथ साथ बहुत सस्ता भी होता है.

इसमे न रिफिल की जरूरत न कोई ढक्कन के सिबाय तीसरा कोई वस्तु.

यदि पास में पेन नहीं तो अब ये किसी भी दुकान पर आराम से मिल जाता है.

भले किराणे की दुकान हो या छोटा मोटा कोई भी कटलेरी की दुकान सब जगह उपलब्ध है.

 

समय के अनुसार परंपरा बदला पर लिखाई के लिए अब भी पेन ही है पहले वो कोई अब पंख या नरकट का न हो कर लिखो फेको हो गया है. 

बात पेन के लीड की बनावट कहे तो वो मेटल का होकर स्टील पलिस किये होते है.

इसके शिर्ष पर एक बेहद छोटा छर्रा होता है.

जो पेन से लिखने के समय लगातार घूमता रहता है.

पीछे से इंक उसमे लगकर लिखने वाले जगह पर निशान बनता जाता है.

जिसे बॉल पेन का लिखावट कहते है.  

  बाल पेन 

पहनावे और वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार पहचान अच्छा बनता है। लोग जुड़ते भी है नामची लोग तो दिखावे पर बहुत पैसा भी खर्च करते है

  

मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है

सोच समझकर देखा जाये।  आज के समय में मनुष्य खूबसूरती के पीछे बहुत भागता है। 

पहनावा अच्छा होना चाहिए।  वेशभूषा बेहतरीन होना चाहिए। 

ऊपर से नीचे तक उच्च कोटि का दिखावा होना चाहिए। 

महिलाओं में तो पहनावे की खूबसूरती के बहुत ज्यादा चलन है और होना भी चाहिए।

खूबसूरती से व्यक्तित्व में निखार आता है। 

आज के समय में समाज जीवन में खूबसूरती का बहुत ज्यादा चलन भी है। 

पहनावे से लोग अपना दिखावा करते है।

अपनी काबिलियत कितनी अहेमियत रखता है। 

पहनावे और वेशभूषा से व्यक्तित्व में निखार आता है। 

लोगो में पहचान अच्छा बनता है।  लोग जुड़ते भी लगते है। 

नामची लोग तो दिखावे पर बहुत पैसा भी खर्च करते है। 

पहनावे और खूबसूरती से लोगों का काम धंधा पनपता है

पहनावे और खूबसूरती के दौर मेंसोचे उन लोगों का काम धंधा पनपता है। जो पहनावे और खूबसूरती के व्यापार में शामिल होते है।  उनके घर परिवार भी कही न कही उनके पहनावे और दिखावे पर ही चलते है।  इसके लिए सहर में बड़े से बड़े दुकान खुलते है।  दुकान के सजावटी में लाखो खर्च होते है।  इससे उन कामगार और कारीगर का घर परिवार चलता है।  जो ऐसे सजावटी के काम धंदे में जीवन यापन करते है।  कई बार तो ये सोचता हूँ कि काश ये सब न होता तो और कितने लोगो को दिक्कत होती।  समय के हिसाब से बेरोजगरी ऐसे भी है।  इस माध्यम से लोगो का गुजर बसर तो हो रहा है।  कही न कही देखा जाय तो सब एक दूसरे से जुड़े हुए है। एक दूसरे के रोजी रोजगार के माध्यम ही तो है।

संसार में खुश रहने का हक़ सबको है 

मन कभी कभी सोचता है। लोग ये सब बाते क्यों नहीं समझते?  लोग क्यों नहीं एक दूसरे से जुड़ करसद्भाव से रहते है?  इससे तो सबका विकाश ही होगा।  नया निर्माण होगा। नए उद्योग धंधे पनपेंगे।  लोगो का रोजी रोजगार का माध्यम भी तो खुलेगा।  जो लोग बेरोजगार है।  उनको कोई काम धंधा भी तो मिल जायेगा।  उनको भी तो संसार में खुश रहने का हक़ है।  संसार उनके लिए भी तो है। 

लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए

दिमागी बात यही कहना चाहूंगा।  जैसे हम बाहरी दिखावे के माध्यम से अपने आप को अच्छा बताने के होर में लोगो को रोजी रोजगार में जरूर साथ दिए है।  इसके लिए तहेदिल से धन्यवाद है।  उन सभी को जो कही न कही रोजगार के माध्यम में साथ दे रहे है। उन सभी को धन्यवाद है

मनुष्य का मन साफ सुथरा सब को अच्छा ही लगेगा

दिमागी सोच की बात यही कहूंगा। जिस तरीके से हमसब साज सज्जा करते है।  बाहरी दिखावा करते है।  खुद को अच्छा दिखने के लिए।  वैसे ही मन में पड़े जो कुछ भी गंदगी है। जो हम किसी को बता नहीं सकते है। हम स्वीकार करते है।  हमारे अंदर भी कुछ न कुछ जरूर है।  जिसको एक एक करके बहार निकल दिया जाये। त हम सब एक दूसरे से जुड़ते जायेंगे।  क्यों न इस तरफ भी थोड़ा प्रयास किया जाए।  ये बात सबके लिए कह रहा हूँ।  सिर्फ प्रयास कर रहा हूँ।  सफलता में तो आपको साथ देना है।  फिर न कोई दिक्कत, न पड़ेशानी, न बेरोजगारी होगा। फिर तो सब खुश ही रहने लगेंगे। क्योकि गन्दगी तब किसी के अंदर नहीं रहेगा।  सब का मन साफ सुथरा हो जायेगा।  फिर तो सब को अच्छा ही लगेगा न। 

  पहनावे और वेशभूषा 

नेल्लईअप्पार मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली में स्थित है। मंदिर में भगवन शिव की मंदिर ७वी शताब्दी में पांड्यों के द्वारा बनाया गया था।

  

खंभों से तबला के धुन जैसी मधुर ध्वनि निकलता है।

 

नेल्लई अप्पार मंदिर तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली में स्थित है

मंदिर में भगवन शिव की मंदिर ७वी शताब्दी में पांड्यों के द्वारा बनाया गया था। 

भगवान शिव की एक प्रतिमा इस मंदिर में स्थापित है। 

नेल्लईअप्पार मंदिर अपनी खूबसूरती और वास्तु कला का नायब नमूना है। 

मंदिर के खम्बे से संगीत के स्वर निकलते है। पत्थरो के बने खम्बे जो अन्दर से खोखला है.

ये बात का पता तब चला जब अंग्रेजो ने ये पता लगाने के लिए की स्वर कहाँ से आते है?

आजादी के पहले इसके दो खम्बे को तोड़े थे तो वो अन्दर से खोखला पाया गया था

 

नेल्लई अप्पार मंदिर 

नेल्लई अप्पार मंदिर का घेरा 14 एकड़ के क्षेत्र के चौरस फैला हुआ है

मंदिर का मुख्य द्वार 850 फीट लंबा और 756 फीट चौड़ा है मंदिर के संगीत खंभों का निर्माण निंदरेसर नेदुमारन ने किया था जो उस समय में श्रेष्ठ शिल्पकारी थे मंदिर में स्थित खंभों से मधुर धुन निकलता है जिससे पर्यटकों में कौतहूल का केंद्र बना हुआ है। इन खंभों से तबला के धुन जैसी मधुर ध्वनि निकलता है। आप इन खंभों से सात तरह के संगीत की धुन सा, रे, ग, म, प, ध, नि जैसे धुन पत्थरो के स्तम्ब को ठोकने पर निकलते हैं।

 

नेल्लई अप्पार मंदिर की वास्तुकला का विशेष उल्लेख है कि एक ही पत्थर से 48 खंभे बनाए गए हैं 

सभी 48 खंभे मुख्य खंभे को घेरे हुए है। मंदिर में कुल 161 खंभे हैं जिनसे संगीत की ध्वनि निकलती है। आश्चर्य की बात यह है कि अगर आप एक खंभे से ध्वनि निकालने की कोशिश करेंगे। तो अन्य खंभों में भी कंपन होने लगती है

 

नेल्लई अप्पार मंदिर के पत्थर के खंभों को तीन श्रेणी में बिभाजित गए हैं

जिनमें पहले को श्रुति स्तंभदूसरे को गण थूंगल और तीसरे को लया थूंगल कहा जाता है इनमें श्रुति स्तंभ और लया के बीच आपसी कुछ संबंध है। जिससे श्रुति स्तंभ पर कोई ठोकता है तो लया थूंगल से भी आवाज निकलता है उसी प्रकार लया थूंगल पर कोई ठोकता है तो श्रुति स्तंभ से भी ध्वनि निकलता है

  

लेपाक्षी मंदिर अनंतपुर आन्ध्र प्रदेश

 

अनेको रहस्य से भरा लेपाक्षी मंदिर जो की वीरभद्र मंदिर है. 

जो लेपाक्षी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. लेपाक्षी गाँव अनंतपुर आन्ध्र प्रदेश में स्थित है.

नजदीक प्रसिद्ध शहर बंगलौर से लगभग १४० किलोमीटर पर स्थित है.

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर के पेनुकोंडा हिन्दुपुर से भी वीरभद्र मंदिर जाया जा सकता है.

वहा से लगभग ३५ किलोमीटर है.

 

वीरभद्र मंदिर का निर्माण १६ शताब्दी में किया गया था. 

लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी नाना जाता है. मंदिर का निर्माण १५३० और १५४० दोनों समय का जिक्र है.

जिसे पेनुकोंदा में रहने वाले दो भाई विरुपन्ना नायक और वीरन्ना जो मूल रूप से कर्णाटक के निवासी थे.

उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया था.

जो राजा अच्युतराय के विजयनगर के सामाज्य में पेनुकोंदा में कार्यरत थे.

राजा के द्वारा उन्हें मंदिर के निर्माण का कार्य सौपा गया था.

 

लेपाक्षी मंदिर विजयनगर स्थापत्य कला और शैली के सबसे बड़ा उदाहरण है.

लेपाक्षी मंदिर प्रचीन मूर्तियों के लिए बहूत प्रसिद्ध है.

विजयनगर साम्राज्य के कारीगरों और कलाकारों द्वारा बनाए गए  वीरभद्रशिव जीभद्रकालीगणेश जी, विष्णु जी, लक्ष्मी जी नाग लिगम और नंदी की मूर्तियां हैं.

यहां भगवान शिव के अन्य रूप अर्धनारीश्वरकंकाल मूर्तिदक्षिणमूर्ति और त्रिपुरातकेश्वर भी मौजूद हैं.

 

लेपाक्षी मंदिर के पास स्थित जटायु के मूर्ति का रहस्य. 

रामायण में वर्णित कथा के अनुसार रावन के द्वारा सीता जी के हरण करने के बाद जटायु पक्षी ने रावन से युद्ध करते हुए प्राण त्याग दिये. 

इसी जगह लेपाक्षी मंदिर से १.२ किलोमीटर दूर पूरब के तरफ अपने प्राण त्याग दिए थे.

जटायु पक्षी सीता जी को बचाने के लिए बहूत प्रयास में असफल के बाद रावन दे द्वारा उसके तलवार से मारा गया था.

सीता जी के खोज करते हुए भगवन राम, भय्या लक्षमण और हनुमन जी को अधमरे हालत में जटायु पक्षी यही मिले.

करुनावश भगवान राम जी ने उस समय एक शब्द बोले थे.

जटायु के लिए वो था "ले पाक्षी" जिसके नाम पर उस गाँव का नाम लेपाक्षी पड़ा.

 

जटायु पक्षी के रूप में बहूत बड़ा पत्थर के उड़ाते हुए पक्षी की मूर्ति 

उड़ाते हुए पक्षी की मूर्ति  ठीक उसी जगह पर आज बना हुआ है.

एक उथली पहरी पर एक बड़ा सा चट्टान है जिसपर जटायु पक्षी पत्थर का बना हुआ है.

जिसपर जाने के लिए लोहे के सीरी बने हुए है.

जो रास्ते में लेपाक्षी मंदिर से १२०० मीटर पहले पड़ता है.  

 

नाग लिंगम शेषनाग वाला शिवलिंग लेपाक्षी मंदिर जो वीरभद्र मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है.

 

सात मुह वाला लिंगम लेपाक्षी मंदिर की मुख्या विशेषता है.

पुरे वीरभद्र मंदिर में कुल ५ लिंग है.

जिसमे से २ मंदिर के बहार है और ३ मंदिर के अन्दर है.

उसमे से ये विशेष महत्त्व वाला ७ मुह वाला शेष नाग पर विराजमान लिंग है.

बाहर वाला दूसरा लिंग मंदिर के पीछे विराजवान है.

जो आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है. छात्तेनुमा ७ नाग के फन के निचे लिंग स्थापित है.

इस लिंगम के बारे में कहा जाता है की जब कलाकार दोपहर के भोजन के लिए अपमे माँ का इंतजार कर रहे थे.

तब इस दौरान इस नाग लिंगम प्रतिमा का निर्माण हुआ था.

लिंगम प्रतिमा एक ही पत्थर को तरास कर बनाया गया है.

 

नंदी की पत्थर की मूर्ति शिवलिंग लेपाक्षी मंदिर जो वीरभद्र मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यहाँ से १२०० मीटर दूर पशिम में है.

 

जटायु पक्षी के मूर्ति के ठीक सामने रोड के दुसरे किनारे पर नंदी का एक विशाल प्रतिमा बना हुआ है.

जो एक ही पत्थर को तरास कर बना हुआ है.

विश्व में इससे बड़ा कोई इकलौते पत्थर की मूर्ति नहीं है.

२७ फीट लम्बा और १५ फीट चौड़ा ये प्रतिमा एक बगीचे के बिच में मंदिर की ओर मुह कर के नंदी बैठा हुआ है.

बगीचा बहूत बड़ा है जो एक उद्यान की तरह है.

स्थापत्य कला ये एक अनूठा नमूना है. समय बिताने और शान को टहलने के लिए उद्यान बहूत अच्छा है.

 

लेपाक्षी मंदिर सदियों से एक टंगा हुआ पत्थर का स्तम्भ मंदिर वीरभद्र मंदिर के नाम से भी विख्यात है.

लेपाक्षी मंदिर में मुख्या मंदिर वीरभद्र जी का है साथ में भगवन विष्णु जी और भगवन शिव जी भी मंदिर में विराजवान है.

मंदिर ७० खम्बे का बना हुआ है. जिसे पंक्तिबद्ध तरीके से सजाया गया है.

बाहर से दूसरी पंक्ति में स्थित ८ फीट का स्तम्भ जो मंदिर के सतह से तकरीबन आधा इंच सदियों से ऊपर है.

जानकार का कहना है की लटकते हुए स्तम्भ को समजने के लिए ब्रिटिश काल में इनलैंड से आये ब्रिटिश इंजिनीयर यहाँ आये थे.

परिक्षण के दौरान इस स्तम्भ को हथौरे से मारकर थोडा हिलाया जिससे पूरी मंदिर की बुनियर और स्तम्भ में कम्पन पैदा हो गया था.

जीस के बाद वो ब्रिटिश इंजिनीअर यह समझकर की पुरे मंदिर का बुनियाद इसी स्तम्भ पर टिका है.

यह समझकर वो वहा से भाग गया.

बाद में फिर इस रहस्य का पता लगाने की किसी के अन्दर क्षमता नहीं हुई की ऐसा दोबारा किया जाये.

 

लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर में कल्याण मंडप.

लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर के प्रांगन में एक खुले जगह में कुछ स्तम्भ खड़े है जो अधुरा जैसा दीखता है.

इसके पीछे एक दर्द भरी रहस्यमई कहानी है. बात उन दिनों की है.

जब विजयनगर के राजा देशाटन पर थे.

उनके अनुपस्थिति में उस समय के कल्याण मंडप के निर्माणकर्ता लेखाकार ने कल्याण मंडप का निर्माण सुरु कर दिया था.

जिसमे राज्यकोस के बहूत सारा पैसे खर्च हो गए थे.

वापस आने के बाद जब राजा को इस अनुचित खर्च के बारे में बात का पता चला तो उन्होंने तत्काल कल्याण मंडप का निर्माण रोकवा दिए.

साथ में लेखाकार को सजा दे दिए, लेखाकार के दोनों आँख निकाल देने का फैसला सुना दिए.

इससे लेखाकार दुखी हो कर स्वयं ही अपने दोनों आँख निकलकर वीरभद्र मदिर के एक दीवार पर मार दिया.

जिससे दीवाल में दो निशान बन गए और एक निशान में रक्त के चिन्ह अभी भी देखे जा सकते है.   

 

लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर की विशेषताये.

वीरभद्र मंदिर वीरभद्र जी जो की भगवन शिव के एक रूद्र अवतार है उनको समर्पित है.

मंदिर के गर्भगृह ने ३ कक्ष है जिसमे भगवन शिव, भगवन विष्णु और मध्य में वीरभद्र का मंदिर में कक्ष है.

ऐसे से ही मंदिर ३ कक्ष में बिभाजित है जिसे मुख्या मंडप, अरदा मंतपा और गर्भगृह है.

 

गर्भगृह के प्रवेशद्वार पर भगवन शिव १४ अवतार के चित्र, दैविक प्राणी, संत, संगीतकार और नर्तकी के चित्र छत में चित्रित किये गए है. 

ऐसा विश्व में कही और किसी जगह नहीं मिला है.

इसे भित्ति चित्र कहते है. जिसे दीवाल पर या छत में बनाया जाता है.

इसका माप 23 फीटी x 13 फीट बताया गया है.

जिसे निचे से देखने के लिए ऊपर छत की ओर देखना पड़ता है.

बाकि पुरे मंदिर में रामायण महाभारत और पुरानो के पात्र के भित्ति चित्र छत में बने हुए है.

कही कोई जगह खली नहीं है.

 

वीरभद्र मंदिर में एक स्तम्भ पर भृंगी के ३ पैर वाले मूर्ति है. 

पार्वती जी के मूर्ति है. जिसको महिला परिचालक के साथ दिखाया गया है.

ब्रह्मा जी के मूर्ति एक ढोलकिया के साथ है.

नृत्य मुद्रा में भिक्षाटन जैसे देवी देवताओं के मूर्ति बने हुए है.   

 

लेपाक्षी मंदिर में रहस्य अविरल बहती जलधारा सीता जी के पदचिन्ह.

लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर के प्रांगन में एक जगह सीता जी के पदचिन्ह बने हुए है. एक विशाल पदचिन्ह उस समय बना था. जब दैत्य रावन सीता जी को उठा कर ले जा रहे थे. तब जटायु के बिच में आने के बाद कुछ समय के लिए दैत्य रावन को जटायु से युद्ध करने के लिए रुकना पड़ा था. तब जहा सीता जी रुकी थी वही ये विशाल पद चिन्ह बने थे.

 

हलाकि उस युद्ध में दैत्य रावन से जटायु हारकर घायल हो गये थे. 

तब दैत्य रावन के द्वारा सीता जी को ले जाने के बाद भगवन राम के आने के बाद घायल अवस्था में जटायु ने बताया जी सीता माता जो दैत्य रावण उठा ले गया है जो लंकापति है.

 

जटायु के मृतु के समय कुछ बात ऐसी भी हुई की भगवन राम के मुख से एक शब्द निकल गई "ले पाक्षि"  जिसके नाम से उस जगह का नाम लेपाक्षी पड गया.

 

लेपाक्षी में जहा सीता जी के पदचिन्ह है. 

पदचिन्ह हमेशा गिला ही रहता है. अभी तक ये कोई नही पता लगा सका है की इस रहस्यमय पदचिन्ह में पानी कहाँ से आता रहता है. भले बेहद गर्मी का समय ही क्यों न हो तब भी पानी नहीं सूखता है. 

  लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर 

धूर्त ये समझे की मैं जित गया हूँ और सामने वाला मेरे दर से हार गया है तो भी कोई बात नहीं है.

  

समझदार व्यक्ति अपनी समझदारी के वजह से चुप हो जाते है.

मुर्ख को लगता है कि मेरे दर के वजह से चुप हो गया है.

 

समझदारी समझदार व्यक्ति के सकारात्मक गुण है.

कभी कभी ऐसा भी होता है की कुछ मामले में चुप रहने में ही भलाई है.

भले चुप रहने से अपना कुछ नुकसान हो रहा तो भी फिक्र करने की जरूरत नहीं है.

ज्ञानवान व्यक्ति उसे दोबारा अर्जित कर सकते है.

पर धूर्त व्यक्ति से किसी विषय वस्तु पर उलझना कभी भी ठीक नहीं होता है.

ज्ञान सकारात्मकता को बढ़ावा देता है.

अज्ञान अंधकर की ओर धकेलता है. जिससे निकल पाना इतना आसन नहीं होता है.

 

ज्ञान ही साझदारी है, और समझदार व्यक्ति के लिए समझदारी ही ज्ञान है.

ज्ञान और समझदारी एक दुसरे से ऐसा संबंध रखते है मनो ये दोनों एक दुसरे के लिए ही बने हो.

जिनके अन्दर समझदारी है वही ज्ञानी भी है ऐसा समझना चाहिए. समझदारी कभी भी नहीं कहता है की नासमझ बनो.

जो काम शांति से बन सकता है उसमे उलझने की कोई जरूरत नहीं है.

यही व्यक्तित्व में मर्यादा भी होना चाहिए. जो काम सुलह से बन सकता है उसमे बहस करने से कोई मतलब नहीं है.

बहस करने में शक्ति परिक्षण होता है.

शक्ति का दुरूपयोग बिलकुल भी ठीक नहीं है इसके स्थान पर शक्ति का सकारात्मक उपयोग होना चाहिए.

जिससे मन को शांति मिले और सुलह कामयाब हो सुलह करने में भले अपना कुछ जाता है तो भी कोई बात नहीं है.

अपने पास शक्ति है तो वो दोबारा प्राप्त किया जा सकता है.

पर एक तुच्छ वस्तु के लिए किसी धूर्त से बहस करना बिलकुल भी ठीक नहीं है.

 

धूर्त ये समझे की मैं जित गया हूँ और सामने वाला मेरे दर से हार गया है तो भी कोई बात नहीं है. 

जगत विदित है की नकारात्मक प्रवृति वाले लोग के पास शक्ति ज्यादा होता है।

साथ में उसके शक्ति भी सक्रीय होते है पर वो किसी के भले के नहीं हो सकता है.

अच्छाई के लिए तो बिलकुल भी नहीं होता है. आमतौर पर ऐसे लोग जित ही जाते है.

चुकी एक भला इन्सान गलती कभी नहीं करता है उसके अन्दर सहनशीलता अपार होता है.

वो कुछ खो कर भी बहूत कुछ प्राप्त कर लेता है इससे उसका ज्ञान ही बढ़ता है.

सबसे बड़ी बात ये है की उसके हृदय में ख़ुशी और उत्साह के लिए जगह होता है.

जिसे वो कभी भी ख़राब नहीं कर सकता है.

 

इसके विपरीत धूर्त व्यक्ति निर्दय, क्रोधी, जिसके मन में दूसरो से लेने और छिनने की भवन होता है.

जो दिन प्रति दिन बढ़ता ही जाता है.

संभव हो तो ऐसे धूर्त लोगो को सदा निरादर करे इससे दुरी बना के रखे.

किसी भी तरह से उससे उलझे नहीं. ऐसे लोगो से कोई मतलब नहीं रखे.

यदि ऐसे लोगो को सजा देने या दिलाने में सक्षम है तो ऐसा जरूर करे.

इससे समाज कल्याण भी होगा धीरे धीरे बुराई भी घटने लगेगा. 

  समझदार व्यक्ति 

धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है

  

धनतेरस का महत्त्व

 

दिपावली के दो दिन पूर्व आने वाला त्योहार धनतेरस होता है 

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ये त्यौहार मनाया जाता है.  इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है और इनके लिए दीपक मंदिर में स्थापित किया जाता है.

 

यमराज के लिए  दीपक जलाया जाता है 

मृतु के देवता यमराज के लिए भी दीपक जलाया जाता है. पर ये दीपक घर में सबके खाना खाने के बाद सोने से पहके घर के गृहिणी घर के बहार इस दीपक को जलाते है और सोने चले जाते है.

 

कुबेर के लिए  दीपक जलाया जाता है धनतेरस का महत्त्व

मान्यता है की धनतेरस का दीपक घर के अन्दर कुबेर के लिए और घर के बहार यमराज के लिये दरवाजे पर जलाया जाता है.

 

धन्वन्तरी का अवतार और अमृत कलश  

इसी दिन धन्वन्तरी का अवतार हुआ था. जिस समय देवता और असुर दोनों मिलकर बिच समुद्र में मंथन कर रहे थे. जिस दिन धन्वन्तरी जो विष्णु के अंश अवतार मने जाते है. महान वैद्य के तौर पर स्वस्थ लाभ के लिए उनका अवतरण हुआ था. उस दिन भी कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष के त्रयोदसी के दिन ही थे.

 

अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए 

शास्त्र में वर्णित कथा के अनुसार धन्वन्तरी का अवतार जो एक कलश ले कर प्रगट हुए थे स्वस्थ लाभ के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. अमृत कलश जिसमे अमरता का वरदान सिद्ध था. १३ १४ आखरी रत्न के तौर पर समुद्र मंथन के तेरहवे साल में अमृत कलश के साथ धनवंती अवतरित हुए थे.

 

समुद्र मंथन के लिए कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया

मन्दराचल पर्वत को मथानी बनाकर समुद्र मंथन हुआ था. जिसको कुर्म अवतार कछुए के ऊपर मन्दराचल पर्वत को स्थापित किया गया था. समुद्र मंथन में शेषनाग वासुकी के जरिये मंथन किया गया था. कहा जाता है की समुद्र मंथन १३ साल चला था.

 

सौभाग्य और समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन चांदी या धातु के वस्तु ख़रीदना सौभाग्य करक और लाभ दायक होता है.

  धनतेरस का महत्त्व 

दुःख क्यों होता है? दुःख क्या होता है? लोग सोचते बहुत है बुरा वक्त दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है

  

दुःख क्या होता है?

दुःख  कुछ नहीं है। यदि ऐसा कुछ नही करे जो की भविष्य में  दुःख का सामना करना पड़े तो दुःख क्या होता है? ये समझ मे आना चाहिए।

तो दुःख क्यों होगा। लोग सोचते बहुत है। पर ऐसा कुछ कभी नही सोचे जो की आगे परेशानी का सामना करना पड़े।

जब अच्छा समय होता है।  तो उस समय कुछ ऐसा भी कर देते है। जो नहीं करना होता है।

सोचते भी नहीं है की क्या कर रहे है।  फिर भी कर बैठते है।

जब उसका परिणाम गलत निकलता है।  तब सोच में पड़ जाते है की ऐसा किया ही क्यों था।

जो कभी नहीं करना था। जब वही बुरा वक्त लेकर आता है।

तो अपनी गलती सुधरने का प्रयास करते है। तब सही जानकारी मिलता है। तो कोई गलती करे ही क्यों?

दुःख का कारण क्या है? दुःख क्यों होता है?

वास्तविक ज्ञान की बात को समझे तो सब समझ में आता है।

मनुष्य जब तक कोई गलती नहीं करता है। तब तक वास्तविक ज्ञान नहीं मिलता है।

उसे ही ज्ञान का अभाव कहा जाता है। ज्ञान के कई आयाम होते है।

मनुष्य का तो पूरा जीवन ज्ञान के लिए ही है। यहाँ तक की जब तक वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। तब तक मनुष्य कुछ उपार्जन भी तो नहीं कर पता है। जीवन में ज्ञान हर जगह आवश्यक है। किसी विषय वस्तु का दुःख मनुष्य को तब तक ही होता है। जब तक वास्तविकता से सामना नहीं होता है।

अपने मार्ग पर चलते चलते मनुष्य संघर्स भी करता है। मनुष्य मेहनत भी करता है। मनुष्य विवेक बुध्दी का इस्तेमाल भी करता है। मनुष्य सोचता भी है। मनुष्य समझता भी है। मनुष्य अपने आयाम के एक एक कर के परते खोलते हुए अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता जाता है। धीरे धीरे अपने जीवन में ज्ञान के करी को जोड़ते हुए परिपक्वता के तरफ बढता है। जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता है। वैसे वैसे अभाव सब दूर होता है। दुःख दूर होता है। गलतिया समाप्त होता है। तब मनुष्य परिपक्व होता है। ज्ञानवान होता है। इसलिए दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है।

दरवाजा गैस क्रेटर सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने परिक्षण के बाद निकर्ष नकला की इस जगह पर तेल का बहूत बड़ा भंडार है

  

रहस्य से भरा दरवाजा गैस क्रेटर

 

नरक का दरवाजा के नाम से मशहूर ये गैस क्रेटर तुर्कमेनिस्तान में दरवाज़ा नाम का जगह है. 

जहा ये १९७१ के बाद से लगातार एक बहूत बड़े गढ्ढे में दिन रात मीथेन गैस जल रहा है. जिससे ये एक जलते हुए बहूत बड़े कुए के सामान है. जो की नरक का दरवाजा के जैसा दिख रहा है इसलिए इसे नरक का दरवाजा भी कहा जाता है.

 

  दरवाजा गैस क्रेटर 

सोवियत रूस के वैज्ञानिकों ने परिक्षण के बाद निकर्ष निकला की इस जगह पर तेल का बहूत बड़ा भंडार है. 

तब विज्ञानिक वहा जाकर खुदाई करने लगे. खुदाई सुरु होने के कुछ दिन के बाद ही ये गढ्ढा निचे धस गया. जिससे २२६ फीट के व्यास और ९८ फीट गहरा बहूत बड़ा कुआ के आकर का बन गया. जिसमे से मीथेन गैस लगातार निकल रहे थे. जो की मनुष्य जीवन और पशु पक्षी के जीवन के लिए बेहद घातक थे. जिसके कारन वैज्ञानिक ने आपसी विचार से और वैज्ञानिक समूह के विचार से इसमे आग लगाना ही उचित समझा जिससे जिव, जंतु को खतरनाक मीथेन गैस जो की ज्वलनशील और जहरीला होता है. इस जहर को फैलने से बचाया जा सके.

 

वैज्ञानिकों का अंदाजा था की कुछ दिन तक मीथेन गैस जलकर ख़त्म हो जायेगा. 

पर उन्होंने आग लगाने के पीछे ये परिक्षण नहीं किया की यहाँ मीथेन गैस की मात्र कितना है. असीमित मात्र से भरा मीथेन गैस कुछ दिन के बाद भी नहीं बुझा तब से ये लगातार दिन रात जल रहा है.

 

सैलानियों और पर्यटक के लिए बाद में आकर्षण का केंद्र 

आकर्षण का केंद्र  बन गया जहा का रोमांच सिर्फ रात को देखने को मिलता है. दिन में आग जलते ही रहते है पर अँधेरी रात और सुनसान इलाका होने के कारन रात में जलते रौशनी देखने का नजारा कुछ और ही होता है.   

 

देश विदेश के पर्यटक यहाँ इस नरक के दरवाजा 

नरक के दरवाजा को तुर्कमेनिस्तान के दरवाज़ा में देखने आते है. जो की रहस्य से भरा दरवाज़ा गैस क्रेटर है. जो की अब विश्वविख्यात हो चूका है.  

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