Saturday, July 31, 2021

मन के ज्ञान से देखे तो बीती यादें में भवनाओ का असर होता है। मन की आदत वैसे ही बानी हुई रहती है। अच्छी चिजे निकल जाती है। क्योकि उसमे भावनाओ का असर होता है।

मन के ज्ञान में दिन प्रति दिन समय बीतते चला जा रहा है। 

मन के ज्ञान में देखे तो  बच्चे जन्म लेते है। बड़े होते है। अब हम सब बुढ़े होते जा रहे है। कई बार हम ये सोचते है की जिस तारीके से दिन बीतते जा रहा है। ऐसे गतिशील समय में ऐसा लगता है। कुछ सोचे तो कुछ और होता है। जो सोचते है वो फलित नहीं होता है। ऐसा लग रहा है जैसे सरे सोच व्यर्थ होते जा रहे है। उस सोच को पूरा होते देख कर हम अक्सर दुखी ही रहते है। आखिर ये सब का कारण क्या है। जो सोचते है। वो होता नहीं है। होता वो है। जिसके बारे में सोचते नहीं है। ऊपर से इन सभी के कारण दुःख का भाव। तो इसका रास्ता क्या निकलेगा। 

मन के ज्ञान में अपने मन से मजबूर होने पर भाई इसका कोई रास्ता नहीं निकलेगा। और नहीं निकलने वाला है। जो समय पीछे छूट गया है। उसे पूरी तरह से छोड़ दे। तो ही जीवन में फिर से ख़ुशी आयेगी। जो समय हमे आगे मिला हुआ है। कम से कम उसका सदुपयोग करे। और पुरानी  बाते को मन से निकला दे। तो ख़ुशी ऐसे ही हमें मिलाने लगेगी। हमें पता है। की ख़ुशी मिलने से ही हमें ताकत भी मिलती है। ख़ुशी से हमें ऊर्जा मिलता है। तो क्यों हम ख़ुशी के तरफ ही भागे। और पुरानी बाते को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ते जाय। जो बित गया उससे कुछ मिलाने वाला नहीं है। पिछली बात के बारे में जितना सोचेंगे दुःख के अलावा कुछ नहीं मिलाने वाला है 

मन के ज्ञान में बीती यादें में भवनाओ का असर होता है। मन की आदत वैसे ही बानी हुई रहती है। अच्छी चिजे निकल जाती है। क्योकि उसमे भावनाओ का असर होता  है। अच्छी चीजे वो है। जिसमे कोई भाव नहीं होता है। सिर्फ ख़ुशी का एहशास होता है। वो रुकता नहीं है। आगे जा कर दुसरो को ख़ुशी देता है। वो सब के लिए है। भावनाये तो वास्तव में उसका होता है। जो हमारे मन में पड़ा हुआ है। तीखी कील की तरह चुभता रहता है। तो ऐसे भाव को रख कर क्या मतलब होगा जो दुःख ही देने वाला है। 

मन के ज्ञान में निरर्थक भाव भावाना से बच कर ही रहे। तो सबसे अच्छ है। जो बित गया उसे भूल जाए। आगे का जीवन ख़ुशी से गुजारे। नए जीवन की प्रकाश ओर बढे। उसमे हमें क्या मिल पा रहा है। उस ओर कदम बढ़ाये। नए रस्ते चले। जहा पिछली कोई यादो का पिटारा ही हो। जहा पिछला कोई भाव भावना नहीं होना चहिये

मन के ज्ञान में समय दिन प्रति दिन भागते जा रहा है। हर पल को ख़ुशी समझ कर बढ़ते रहे। अच्छी चीजे को ग्रहण करे। जिसमे कोई पड़ेशानी कोई दुःख या कोई ब्यवधान हो। तो उसको पार करते हुए। अपनी मंजिल तक पहुंचे। दुविधाओ को मन से हटा के चले। जीवन में बहुत कुछ आते है। बहुत कुछ जाते है। उनसे ज्ञान लेकर आगे बढ़ते रहे।  खुशी से रहे, प्रसन्नचित रहे, आनंदित रहे।  

मन के ज्ञान में दुविधाए कुछ नहीं होता है। मन का भ्रम होता है।  सही सूझ बुझ से अपने कार्य को विवेक बुद्धि से करे तो हर रूकावट दूर होता रहता है। सय्यम  रखे। किसी भी प्रकार के विवाद को मन पर हावी ही होने दे। मन में सय्यम रखते हुए बुद्धि का उपयोग करे।  हर  कार्यो में सफलता अवस्य मिलेगा। 

मन के ज्ञान में विवेक बुद्धि दिमाग के सकारात्मक पहलू होने चाहिए मन जब सकारात्मक होता है। तो शांत होता है। एकाग्र होता है। एकाग्र मन में सकारात्मक विचार होते है। जिससे सकारात्मक तरंगे दिमाग में जाते है। दिमाग ऊर्जा का क्षेत्र होता है। जो सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ता है। विवेक बुद्धि इससे सकारात्मक होता है। यदि विवेक बुद्धि सकारात्मक नहीं हो तो उसे विक्छिप्त माना जाता है।विक्छिप्त प्राणी के मन में भटकन होता है। उसके मन के उड़न बहुत तेज ख्यालो में रहता है। जिसको कभी पूरा नहीं कर सकता है। निरंतर ख्याल, विचार, मस्तिष्क में होने पर सक्रियता समाप्त होने लगता है। जो की थिक नहीं है। सक्रिय सकारात्मक सोच विचार ही कार्य को पूरा करने में मदत करता है। जिससे मन शांत रहता है। जरूरी कार्य में मदत करता है। कार्य पूरा होता है।  


Friday, July 30, 2021

ज्ञान इसलिए जरूरी है. जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है

ज्ञान के कई रूप होते है 

ज्ञान कई तरह से  प्राप्त किया जा सकता है. कोई किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई सुनी सुनाई बात के माध्यम से भी ज्ञान प्राप्त करता है. पर वे सच्चे पारखी होते है, जो सुनी सुनाई बात से ज्ञान प्राप्त करता है. जो कोई भी यदि सही संस्कार के बिच रहा हो. उसका आचरण अच्छा हो तो उसकी परख अच्छी होती है. उसको पता होता है कि सही क्या है?  गलत क्या है? उसकी ज्ञान की गहराई बहुत अच्छी होती है.  

 

ज्ञान जो व्यक्ति किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त  करते है 

ज्ञान  के मामले में उसकी सोच सीमित होती है. जो व्यक्ति किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है. उसकी सोच असीमित होती है. क्योंकि उस के हर सोच में गुरु की विद्या होती है. गुरु उसके हर जगह मददगार होते है. यदि वो व्यक्ति कही पर फस जाता है. तो वो गुरु की मदद से निकलने में या निर्णय लेने में. हर जगह गुरु मदत करते है. ये बात सिर्फ शिक्षा से ही जुड़े हुए नहीं है. हमें तो जीवन के हर मोड़ पर ज्ञान की आवश्यकता होती है. ताकि हम कही फसे नहीं या बिखरे नहीं. ये नियम तो रोज ही होते है. घर परिवार में, काम धंधे में, समाज में, दोस्तों में, जान पहचान में, किसी व्यवहार में, रस्ते पर, बहुत से ऐसे मौके है, जहा हर जगह  ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है. कल्पना करे ज्ञान नहीं होगा तो क्या होता?  ज्ञान के बगैर हर जगह हम फसते रहेंते, ज्ञान के बगैर मुसीबत में जाते रहेंते.  इसलिए ज्ञान बहुत जरूरी है.  सोच समझ कर निर्णय लेना होता है की हमें ज्ञान किस प्रकार का लेना है. 

 

ज्ञान का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से भी हो सकता है

ज्ञान के माध्यम से ये जरूरी है कि हर व्यक्ति को हर प्रकार का ज्ञान होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो हर जगह फसता जायेगा. जहा पर जैसा ज्ञान जरूरी है.  वैसे ही इस्तेमाल करे तो सब ठीक रहेगा. अब मान लीजिये की हम अपने काम धंधे में कोई मेहनत का काम कर रहे है. यदि सोचेंगे की कार्यालय में बैठ कर कोई काम करे और उस ज्ञान के पीछे भागेंगे तो क्या होगा. कल्पना का परिणाम अच्छा नहीं होगा. क्योंकि तब न मन से वो अपने काम प ध्यान दे पायेगा और मन लगातार नए काम के तरफ ध्यान दे पायेगा. जहा वो समय भी नहीं दे पा रहा हो. तब न ये होगा.  न वो होगा.  तब वहाँ एकाग्रता भांग होने का डर हो जायेगा. और अंत में दोनों ही काम बिगड़ जायेंगा. 

 

ज्ञान इसलिए जरूरी है 

ज्ञान के स्त्रोत जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है. इसके लिए अपने मन में सोचे की मन वास्तव में क्या कल्पना करना चाह रहा है. यदि मन की आवाज सुनाने में सक्षम  है. उसकी वास्तविकता को समझ रहे है. तो उस तरफ जरूर जाय. सफलता आपका इंतजार कर रहा है.  

 

अच्छी ज्ञान की परिभाषा 

ज्ञान मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाती है. उसी ज्ञान के माध्यम से हर जगह सफलता मिलती है. हर रस्ते में मार्गदर्शन मिलता है. उसके पास हर बात का जवाब होता है. वही सच्चा ज्ञानी है. 

जीवन के प्रेरणा स्त्रोत तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है. जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है

प्रेरणा स्त्रोत


प्रेरणा स्त्रोत जीवन के तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है. जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है. जिनके ज्ञान से अपने जीवन को लाभान्वित करता है. प्रेरणा का प्रभाव ऐसा होता है की जिसके जीवन किसी के प्रेरणा मिल जय तो ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में भर जाता है. जिनके जीवन में ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में स्थापित हो गया. समझ लीजिये उनका जीवन सफल है. किसी का प्रेरणा जीवन में बहुत कुछ लाता है.

प्रेरणा स्त्रोत विज्ञान के विषय में सुरु में जिन विज्ञानिको ने जो आविस्कर किया उससे प्रेरणा लेकर उनके बाद आने वाले विज्ञानिको ने दिन प्रति दिन आविस्कारो को बढ़ाते हुए आज हम सब के लिए जीवन सुलभ कर दिया है. यदि आज के समय में हम लोग किसी भी क्षेत्र में कुछ करना कहते है तो सभी कही न कही विज्ञान के ही देन है. इसलिए हमलोगों के लिए सबसे बड़ा प्रेरणा स्त्रोत विज्ञान ही है. भले लोग इस बात को माने या न माने. चाहे दुनिया के किसी भी क्षेत्र में जा कर देखे. सब जगह विज्ञान के ही आविस्कर है. जो दुनियाभर के विज्ञानिको ने ही किया है आज के समय में तो सबसे बड़ा प्रेरणा के स्त्रोत वैज्ञानिक ही है.

प्रेरणा स्त्रोत अविष्कारक ही सृष्टि के जननी होते है. जिस तरह कोई व्यक्ति सिर्फ ज्ञान से पूरा सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है. जब तक की अच्छा अनुभव नहीं प्राप्त हो अनुभव ही ज्ञान का विस्तार करता है. नए सृजन का निर्माण करता है. ज्ञान का अनुभव भी प्रेरणा के स्त्रोत होते है. सिर्फ अपने लिए ही नहीं अपितु अपने ज्ञान का अनुभव दूसरो के लिए भी प्रेरणा के स्त्रोत बनता है.   

ज्ञानी कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है.

कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते हैं. कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े है. तो आप किनके चरण स्पर्श करेंगे?  गुरु ने अपने ज्ञान के माध्यम से ही हमें अध्यात्म और भगवान से मिलने का रास्ता बताया है. इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर होता है. हमें गुरु के चरण स्पर्श करना चाहिए।

कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है. वही ज्ञानी ब्यक्ति गुरु हमारे जीवन में महत्त्व महत्पूर्ण होता है.

ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है. ज्ञान है तो उपार्जन जरूर होगा. ज्ञान है तो कर्म और सत्कर्म होगा. जब ज्ञान हमारे लिए इतना उपयोगी है. तो हम ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है. इसलिए ज्ञान देने वाले ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्पूर्ण है.

ज्ञान बचपन से अपने बच्चे को सिखाना चाहिए. ज्ञान सबसे पहले माता पिता से मिलना चाहिए.

ज्ञान भले जीवन में किसी से भी क्यों न मिले. ज्ञान हर किसी से सीखना चाहिए. ज्ञान ये मायने नहीं रखता है की ज्ञान देने वाला ब्यक्ति अच्छा है या बुरा है.

वास्तविक ज्ञान वही है जिसको अछे और बुरे की पहचान हो. ज्ञान बुराइयो से सामना करना सिखाता है. ज्ञान समझ का फेर है की कौन सा ज्ञान हम ग्रहण कर रहे है.

ज्ञान के माध्यम से खुद को सामझ जायेंगे तो गलती क्यों होगी. सकारात्मक ज्ञान के रास्ते पर चलेंगे तो और भी ज्ञानी महापुरुस मिलेंगे. हर ज्ञानि को गुरु बनाते हुए. जीवन को ज्ञान से भरते हुए. जो भी कर्म कार्य करेंगे सफलता निश्चित मिलेगी. इसलिए ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.

Thursday, July 29, 2021

जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं।

छोटी चीज़ें


जीवन में छोटी चीज़ें का बहुत महत्वपूर्ण होता है  छोटी चीज़ें को कभी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। मान लिजिये की कोई काम कर रहे हैं। या कोई उपकरण बना रहे हैं।  जिसमे बहुत सारे समान लगते हैं। उसमे से कोई छोटी चीज़ें भी बाकी रह जाता है  तो वो काम पूरा नहीं होता है।

बात सिर्फ उपकरण बनाने का नहीं है।  घर में रोजमर्रा में भी बहुत से ऐसे काम होते हैं।  जिनके छोटी चीज़ें बहुत होते हैं।  उनको एक कर के मिलाकर उस काम को पूरा किया जाता है।  उसमे से कोई वस्तु या कोई छोटी चीज़ें छुट जय तो दिमाग खराब हो जाता है। किया धरा सारा काम बेकार हो जाता है। बहुत जरूरी कम हो तो उसके लिए छोटी चीज़ें के वजह से वो काम ही खराब हो जाता है।  नौकरी या सेवा  में है तो छोटी चीज़ें के कारण से नौकरी जाने का भी खतरा रहता है।  क्योकी उससे उनका ब्यापार जुड़ा होता है।

छोटी चीज़ें का जीवन में या कल्पना में सोच समझ में जो सोचने में उसके बारे में विचार करने में भी कोई न कोई छोटी चीज़ें होता ही है। इसलिए कल्पना में भी बात का ख्याल रखा जाता है। की कोई भी महत्वपूर्ण  छोटी चीज़ें छूटे नहीं चाहे वो कोई बड़ा चीज़ें हो या छोटी चीज़ें हो। कल्पना में भी छोटी चीज़े बहुत महत्वपूर्ण स्तान रखता है। क्योकी मनुष्य जैसा  कल्पना करता है।  उसके अनुरुप ही कार्य करता है। सही कहा गया है।  जैसी सोच होते हैं  वैसा वर्ताव भी होता है। और वैसा काम काज भी होता है। सकारातमक मन की उपज सकारातमक ज्ञान को बढ़ावा देता है। जिससे जीवन सार्थक होता है।  काम काज व्यवहार और लेने दें में हर जगह किसी भी प्रसार का कोई भी अनुभव बाकी नहीं रहना चाहिए।  भले उससे जुड़ा हुआ कोई छोटी चीज़ें या बड़ी चीज़ें हो। इस बात का ख्याल रखना चाहिए।


सच्चे मन की कल्पना में सोच समझ से यथार्थ से परिचय के लिए संतुलित जीवन का होना बहुत जरूरी हैं.

सच्चे मन की कल्पना अस्तित्व की पहचान कराता है और यथार्थ से परिचय करता है.


सच्चे मन की कल्पना स्वतः होते है. 

इसमें किसी प्रकार का कोई जोर जबरदस्ती नहीं होता है. ये तब प्रकाश में आता है जब मन शांत हो एकाग्र हो. किसी प्रकार का कोई उथल पुथल का भाव नही हो. कर्म को प्रधानता देता हो. स्वबलंबी हो. कर्मठ हो. आदर्शवादी हो. ब्यक्ति का मन पवित्र होता है. उनके समझदारी में निष्पछता होन चाहिए है. इसलिए ऐसे ब्यक्ति अपने नियम के दायरे के बहार कभी नहीं जाते है. चाहे यथार्थ में या कल्पना. वे जो भी सोचते है या है वास्तविकता से परे नहीं होता है. इसलिए उनका कल्पना सोच समझ सच्चे होते है. जो आगे चलकर पुरे भी होते है.


सच्चे मन की कल्पना की सोच में अस्तित्व की पहचान एक मर्यादित ब्यक्ति के लिए है. जो वही करता जो सोचता है. 

उनका सोचना या कल्पना वही तक होता है. जो पूरा हो सके. इससे उनको अपने जीवन का पूरा ज्ञान होता है. ऐसे ब्यक्ति के जीवन में एक तो कार्य क्षमता बहुत होते है. जिससे वो अपने वर्त्तमान को संभलकर रखते है. भविष्य की कल्पन ऐसे ब्यक्ति न के बराबर करते है. वर्त्तमान को सही रखने के लिए उनके पास संतुलित विवेक बुद्धि होते है. जिससे वो मन से नियंत्रण में रखते हुए स्वयं में संतुलित होकर संतुष्टि से रहते है. इसलिए उनका अस्तित्व की पहचान होते रहता है.


सच्चे मन की कल्पना में सोच समझ से यथार्थ से परिचय के लिए संतुलित जीवन का होना बहुत जरूरी हैं. 

संतुलित ब्यक्ति को पता होता है. की सब कुछ सोच समझ पर निर्भर होता है. अपने सोच समझ के बहार जाने का मतलब विवेक बुद्धि को ख़राब करना होता है. जब जरूरी विषय विमर्श करते है. तो परिणाम निश्चित ही मिलता है. अपने जरूरी क्रिया कलाप करने से ही यथार्थ से परिचय होता है.

सुबह सुबह ताजा स्वास के साथ नए बिचार और नए धारणाओं के साथ अच्छी सोच नए दिन के शुरुआत के साथ नए तरो ताजगी के साथ जीवन में आनंद भर देता है. मनो जैसे जीवन का आनंद ज्ञान का सागर हो

सुबह सुबह ताजा स्वास के साथ नए बिचार और नए धारणाओं के साथ अच्छी सोच सदा  उपलब्धि दिलाता है 

जो ब्यर्थ मन में पड़े भाव है. जिनका कोई उपयोग नहीं है. उसको बहार निकाल कर मन को शांत और आत्मा को तृप्त करता है.


नए दिन के शुरुआत के साथ नए तरो ताजगी के साथ जीवन में आनंद भर देता है.  

मनो जैसे जीवन का आनंद ज्ञान का सागर हो, बुनियादी तौर पर ताजे स्वाश के साथ नया  ऊर्जा का प्रवाह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भर देता है. जिससे ब्यर्थ भावनाये और विचार निकल जाते है, दबी हुई भावनाये समाप्त हो कर नए तारो  ताजगी से दिल दिमाग में सक्रियता भर देते है. जिससे मन मस्तिष्क शांत हो कर सक्रिय होता है. मन ख़ुशी से प्रफुल्लित होता है. सकारात्मक ऊर्जा सबसे पहले हमारे बुनियादी ज्ञान को बढ़ाता है जिससे जो कार्य जरूरी है सकारात्मक ऊर्जा उसको बढ़ता है.


सकारात्मक क्रिया स्वास लेना बहूत जरूरी है. 

सुबह सुबह जल्दी उठकर ढीला ढला वस्त्र पहनकर खली पैर हरी हरी घास पर चलने और नाक के दोनो भाग से एक साथ हौली हौली स्वास लेने से तन मन में तरोताजगी का प्रवाह होता है. ये प्रवाह सकारात्मक होना चाहिए. उस समय किसी भी प्रकार के काम काज का या कोई तनाव नहीं होना चाहिए. सुबह सुबह मन निश्चल होता है. इसलिए सुबह सुबह किसी भी प्रकार का तनाव नहीं लेना चाहिए. खुशिया और प्रशन्नता के लिए तरोताजगी के लिए सुबह सुबह खली पैर हरी हरी घास पर चलन चाहिए.   


सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है. मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही सोचे तो हर कार्य सफल होगा।  


विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है. 

जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है. सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है. सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है. जिससे मस्तिष्क शांत और सक्रीय होता है. सकारात्मक सोच विवेक बुध्दी को मजबूत बनता है. सकारात्मक सोच के साथ जो भी  कार्य होता है. उस कार्य को करने से मन में हर्स और उल्लास का महल पैदा होता है. जिससे कार्य को करने में मन लगा रहता है. किसी भी कार्य के सफलता के पीछे सबसे पहले मन का स्थिर होना अति आवश्यक है. मन के स्थिर रहने से से काम काज में मन लगता है. मन को स्थिर रखने के लिए सकारात्मक होना जरूरी है. सकारात्मक होने के लिए सोच को सकारात्मक रखना ही पड़ेगा तभी मन स्थिर होगा. एक तो सबसे बड़ी बिडम्बना है की मनुष्य का अचेतन मन, सचेतम मन से ज्यादा सक्रीय है. अवचेतन मन अचेतन मन और सचेतम मन से कही ऊपर होता है जिसका सीधा संपर्सक कल्पना से होता है. सचेतन को बढ़ाने का एक मात्र तरीका है. मन को एकाग्र भाव में स्थिर रखना. जब तक सोच और कल्पना सकारात्मक नहीं होगा. तब तक किसी एक विषय पर काफी समय रुकन बहूत मुश्किल है. इसलिए बेहतर है की अपने सोच को सकारात्मक करे तभी एकाग्रता का विकास होगा और जीवन में उन्नति होगी. एकाग्रता का मतलब है किसी एक विषय पर लम्बे समय तक रुकना. एकाग्रता एक सकारात्मक भाव है.


सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. 

एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है.

 

अहंकार क्या होता है? यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमे इंसान खुद को डुबो कर अपना सब कुछ ख़त्म करने के कगार पर आ जाता है इसका परिणाम जल्दी तो नहीं मिलता है

अहंकार मनुष्य के एकाग्रता सूझ बुझ समझदारी सरलता सहजता विनम्रता स्वभाव को ख़त्म कर सकता है 


अहंकार क्या होता हैयह एक ऐसी प्रवृत्ति है  जिसमे इंसान खुद को डुबो कर अपना सब कुछ ख़त्म करने के कगार पर  जाता है  इसका परिणाम जल्दी तो नहीं मिलता है. पर मिलता जरूर है.  जब इसका परिणाम मिलता है.  तब तक बहुत देर हो चुकी होती है  फिर कोई रास्ता नहीं बचता है.  इस अहंकार के वजह से पहले तो उनके अपना पराया उनसे छूट जाते है.  क्योकि वो कभी किसी की क़द्र नहीं करता है.  अपने घमंड में समाज में वो आपने  को सबसे बड़ा समझता है  तो वाहा से भी लोग उससे किनारा कर लेते है  भले ताकत और हैसियत के वजह से कोई उनके सामने तो कुछ नहीं कहता है. पर उनसे किनारा जरूर कर लेता है.  इसका परिणाम घर में भी नजर आता है.  जैसा स्वभाव उनका होता है. वैसे ही घर के सभी लोगो का भी होता जाता है.  तो उनसे भी लोग किनारा करने लग जाते है.  ये हकीकत है.  समाज में इस प्रकार के स्वभाव के लोगो को देखा गया है.  हम किसी  ब्यक्ति विशेष का जिक्र नहीं कर रहे हैं.  अहंकारी स्वभाव का जिक्र कर रहे है।  


ये अहंकारी स्वभाव का एक परिभाषा है.  

जो जीवन के राह में देखते आया हूँ.  ऐसे लोगों के बारे में सुनता हूँ.  समझता हूँ.  कि ऐसे लोगों का आखिर होगा क्यासब कुछ तो है. उनके पास सिर्फ सरलता नहीं,  सहजता नहीं,  मिलनसार नहीं,  एक दूसए के दुःख दर्द में साथ देने वाला नहीं  जो सिर्फ अपने मतलब के लिए जीता है। 

जीवन में सब कुछ करे, खूब तरक्की करे, नाम बहुत कमाए  लोगो से खूब जुड़े जरूरतमंद की मदत करे.  जिनके पास कुछ नहीं है.  उनके लिए   मददगार बने ऐसा करने से ये भावना ख़त्म हो जाएगा.  जीवन की निखार सहजता और सरलता से आते है.  इससे मन प्रसन्न होता है.  उदारता बढ़ता है.  उदारता से जीवन का आयाम में विकास होता है.  जिससे आत्मिक उन्नति होता है। 


वास्तव में मन का सीधा संपर्क तो आत्मा से होता  है. 

बाहरी उन्नति के साथ  आत्मिक विकास में बहुत अंतर होता है. दोनों साथ साथ चलता है.  अंतर्मन में घमंड जैसी कोई भवन घर कर ले तो  जीवन में खलबली ला देता है.  इससे मन की ख़ुशी समाप्त होने लगता  है. वाहा पर सब कुछ होते हुए भी जीवन निराश लगने लगता है.  इसलिए निराश जीवन को सही करने के लिए सरलता और अहजता की जरूरत होता है.  ईस से मन और आत्मा दोनों प्रसन्न होता वही वास्तविक ख़ुशी और प्रसन्नता है। 

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Two types of meditation for both types of meditation to happen automatically a little effort has to be made in the beginning, later meditation happens automatically

Meditation of the divine Meditation is done in many ways  Meditation is tried in the beginning, later meditation happens automatically. Me...