Monday, August 2, 2021

वास्तविक ज्ञान मन मस्तिष्क के सोच समझ में बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करना सब के लिए मान मर्यादा हो मन बुध्दी विवेक सक्रिय हो

वास्तविक ज्ञान

 

वास्तविक ज्ञान को देखा जाय तो आज के समय में लोग एक दूसरे के लिए कुछ नहीं कर पता है और कही न कही एक दूसरे से जलष की भावना रहता है। ऐसा लगता है की इस संसार में हर कोई प्रत्योगिता के दौर में एक दूसरे से आगे निकलने की कोर्शिस में एक दूसरे की मान मर्यादा जैसे भूल ही गये है। वास्तव में ऐसा नहीं होना चाहिए।

वास्तविक ज्ञान मन में स्थिरता और करुणा की भावना से कुछ करे तो सफलता जरूर मिलेगी। संसार सब के लिए है। सभी का बराबर अधिकार है। कोई कम तरक्की करता है, कोई ज्यादा पर इससे कोई बात नहीं होना चाहिए। यदि लोग एक दूसरे से मिलजुलकर रहे। एक दूसरे के साथ दे तो जो कमजोर लोग है उनको थोड़ा सहारा मिल सकता है। 

वास्तविक ज्ञान में दया करुणा की भावना जब तक अपने मन के अंदर नहीं आयेगी, तब तक ये सब संभव नहीं है। दया करुणा से ही मन को अशीम शांति मिलती है।  जिसके पीछे इंसान भागता है। जब तक लोग एक दूसरे के लिए नहीं सोचना सुरु नहीं करेंगे।  तब तक जीवन में शांति नहीं मिलेगी।  जिस दिन ऐसी भावना जागेगा।  उस दिन से शांति महशुश होना सुरु हो जाइएगा। क्योकि शांति एक महशुस है। शांति एक आभाष है। शांति कोई कितनी भी धन संपत्ति से नहीं खरीद सकता है। वो स्वतः ही प्राप्त होता है।

वास्तविक ज्ञान कि परिभाषा भी कुछ ऐसे ही बाना है। जब तक हमारा मन मस्तिष्क शांत नहीं होगे। तक शांति नहीं मिलेगी।  जब तक एक दूसरे से आत्मीयता से नही जुड़ेंगे। तब तक विचार का अदन प्रदान नही होगा। जब एक दूसरे के लिए नहीं सोचेंगे। तब तक कुछ संभव नहीं है।  मुख्य अशांति का कारण यही है। एक दूसरे को ठीक से नहीं समझना।  जिस दिन हम एक दूसरे को मन से ठीक से समझने लगेंगे। शांति अपने आप मिलने सुरु हो जाएगी।

वास्तविक ज्ञान मन के कल्पना सोच समझ में जिस दिन से शांति मिलनी सुरु हो जाएगी। फिर नही कोई वाद न विवाद होगा। न झगड़ा न लड़ाई होगा। क्योकि तब तक सब एक दूसरे से जुड़ चुके होंगे। एक सम्पूर्ण परिवार की तरह। जहा एक सम्पूर्ण परिवार होता है। वहाँ लोग सजग और जानकार भी होते है। तभी वो परिवार चलता है। कोई गलती करता है। तो बड़े बुजुर्ग उसकी सहायता कर के उसकी गलती सुधाने में मदद करते है। जिससे उसका ज्ञान बढ़ता है। तरक्की करता है। 

वास्तविक ज्ञान जिस दिन होगा हम स्वयं शांति महशुस करने लगेंगे। अच्छा महाशुस करने लगेंगे। उस दिन से सब शांति महशुस करने लग जायेगा। सब अच्छ लगने लगेंगा। यही वास्तविक ज्ञान है।

वास्तविक ज्ञान में जीवन की कल्पना में सुख शांति होना चाहिये। मन मस्तिष्क के सोच समझ में बुद्धि विवेक का पूरा इस्तेमाल करना चाहिये। जिसमे सब के लिए मान मर्यादा हो। स्वयं अपने मन पर पूरा नियत्रण हो। जो जरूरी हो। जरूरी विषय और कार्य को करना चाहिये जिससे मन, बुध्दी, विवेक सक्रिय हो।


विपरीत परिस्तिथि एक ऐसा समय है जिसे सहन शक्ति के माध्यम से ही पर कर सकते है अपनी जरूरत को काम कर के बुनियादी तौर पर सिर्फ जरूरत के सामान ही खरीदे

आज के समय की परिस्तिथि में जितना लोग जिंदगी चलाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।  ऊपर से समय की महामारी ने लोगो के काम धंधे को और व्यापार को पूरी तरीके से उलट पलट कर के रख दिया है। ऐसे समय में जिंदगी को चलाना  और  दिनचर्या  करना कितनी मुस्किल हो रहा  है। ये सभी जानते है।  कोई बच्चे की पढ़ाई में दिक्कत महशुश कर रहा है। तो कोई घर चलने में तो कोई समाज में चलने फिरने और दोस्तों से मिलाने में दिक़्क़त महशुश कर रहा है। चुकी हर कोई समय के मर के आगे किसी  न किसी से कोई न कोई कर्ज जरूर ले रखा  है। तो  ऐसे समय में लोग क्या करे।  


समय का तो यही कहना है। ये एक ऐसा समय है।  जिसे सहन शक्ति के माध्यम से ही पर कर सकते है। अपनी जरूरत को काम कर के बुनियादी तौर पर सिर्फ जरूरत के सामान  ही खरीदे।  जहा  खुद की गाड़ी में सफर न कर के बस और रेलगाड़ी में सफर करे। थोड़ी थोड़ी दूर जाने के लिए पैदल का ही इस्तेमाल करे। इससे शरीर की ऊर्जा बानी रहती है। और फुर्ती भी खूब रहती है।  खाने पीने  में  भी थोड़ा कराई रखे।  स्वस्थबर्धक ही भोजन करे। खूब कसरत करे। जो भी काम धाम कर रहे है। मन लगाकर करे। ताकि सकारात्मक ऊर्जा का विकास को और नकारात्मक ऊर्जा कम हो सके एक बार यदि सकरात ऊर्जा को पाने में सफलता मिल गई। तो सब दुःख अपने दूर होने लगेंगे। तब कोई भी काम धंधा में मन जरूरत लगेगा। मनोकामना जरूर पूरी होगी। यदि ऐसे समय में दुःख के साथ ले कर चलेंगे। और सोच विचार  को समय रहते नहीं बदलेंगे। तो इस समय से निकल  पाना बहुत मुश्किल होगा। 

       

लोग समझते ही है की इस समय में लोगो ने जितना मुश्किल का सामना किया है। बीमारी कम हो रही है। लोग उबर रहे है।  अब भी भी कई देश ऐसे है जाहा  बीमारी काम होने का नाम नहीं ले रहा है। जानकर सरकार और इलाज करने वाले यही कह है। सावधानी  का पालन करे।  उचित रोक  थम रखे। यही हम सब अभी रोकथाम नहीं किये। तो आगे बहुत देर हो जाएगी।  फिर निकलना  तब बहूत मुश्किल हो जायेगा।

अपनी कल्पना का सही इस्तेमाल करें अपनी कल्पना के मौजूदा समय में सकारात्मक कल्पना का इस्तेमाल करें सय्यम रखे

अपनी कल्पना का इस्तेमाल करें


 अपनी कल्पना के मौजूदा समय में 

अपनी कल्पना के मौजूदा समय में जैसा समय ख़राब चल रहा है। खासकर इस महामारी में जहा पूरा दुनिया अस्त ब्यस्त है। सेवा, ब्यवसाय सब उथल पुथल चल रहा है। कुछ ही उपक्रम ठीक से चल रहे है। रोजमर्रा का समय बिताना मुश्किल पड़ है। ऐसे हालात में सेवा ब्यवसाय को चलने के लिए अन्तर आत्मा पर ही विस्वास करना होगा। जहा कल्पना पनपता है। जहा कोई भी कल्पना ठीक नहीं चल रहा हो। सकारात्मक कल्पना करे। सोचे समझे नकारात्मक पहलू कहा उजागर हो रहा है। उस नकारात्मक पहलू पर विचार करे। ऐसा क्या रास्ता अपनाये की उस नकारात्मक पहलू में परिवर्तन हो सके। कल्पना में मन की बात सुने। उठाते सवाल का हल ढूंढने का प्रयास करे। जब तक कि उसका कोई उपाय नही मिले। विचार विमर्श करे। फिर भी नही समझ में आ हो तो जानकर से मिले। जो आपके सवाल दे सके। हर परिवर्तन में नया ज्ञान हासिल करना ही पड़ता है।  तभी जीवन में नया परिवर्तन आता है।


 अपनी सकारात्मक कल्पना का इस्तेमाल करें

अपनी सकारात्मक कल्पना का इस्तेमाल करें। जैसा उपाय समझ में आ रहा है। बुद्धि विवेक को सक्रीय कर के आगे बढ़े।  मन को सकारात्मक बनाकर रखे। कोई भी नया सवाल खड़ा हो रहा है। तो उसका हल ढूंढे। मन मस्तिष्क में हर सवाल का जवाब होता है। परिणाम कही न कही से अवश्य मिलता है। सही दिशा में कार्य करते रहे। संय्यम रखे स्वयं पर पूर्ण विश्वास रखे। निरंतर प्रयास और मेहनत के साथ विश्वास कभी भी ब्यर्थ नहीं जाता है। समय के थपेड़े से कभी घबराना नहीं चाहिए।  जीवन में उतार चढ़ाओ आते ही रहते है। समय की अवस्था को समझते हुए परिबर्तन जरूरी हो जाता है। 


अपनी कल्पना का इस्तेमाल करते समय सय्यम रखे 

अपनी कल्पना का इस्तेमाल करते समय सय्यम जरूर बरतना चाहिये। जिस विषय पर कार्य कर रहे है। मेहनत और समय अपने कार्य पर ही देना चाहिये। अपने कार्य के सफलता के लिए चिंतन जरूर करना चाहिये। जब तक चिंतन सकारात्मक नहीं होगा। मन एक जगह टिकेगा ही नहीं। मन को एक जगह टिकने के लिए अपने कार्य के सफलता के लिए कल्पना जरूर करना चाहिये। अपने कल्पना का इस्तेमाल इस तरह से कर सकते है। सफलता जरूर मिलगी।  

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Sunday, August 1, 2021

अंजान ब्यक्ति के ज्ञान को कैसे समझे? हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में क्या है? मनुष्य के ज्ञान को कैसे समझे?

मनुष्य के ज्ञान को कैसे समझे? 

मनुष्य के ज्ञान में अक्सर कहा जाता है। इंसान को नहीं उनके ज्ञान को समझना चाहिए।  हम तो कहते है की ज्ञान के माध्यम से इंसान को समझिये।  उसके मन में क्या है।  क्या ख़ासियत है की वो सब मे महान है।  उसके अंदर क्या अहमियत है। वो सबका प्यारा क्यों है।  क्यों उसके तरफ हर कोई आकर्षित होता है।  उसका स्वछन्द सोच विचार ही है। सबको अपने तरफ आकर्षित करता है।  ये मायने नहीं रखता है की वो अमीर है या गरीब है। ये भी मायने नहीं रखता है। वो छोटा है या बड़ा है।  यहाँ तक की हम कह रहे है। ये भी मायने नहीं रखता है की वो अपना है या पड़ाया है।  मायने तो यही रखता है की वो क्या बात रहा है। हम क्या उनसे ज्ञान का अनुशरण कर रहे है।  यदि उनकी बाते हमारी मन को छु जाती है। हमारे मन को अच्छी लगती है। जिससे हमें खुशी महशुस होती है। वास्तव में वो ज्ञानी है।  जो सबको आकर्षित किये हुए है।  इसलिए वे महान है।  कभी भी हमें ऐसे व्यक्ति की उसके शारीरिक दशा से नहीं आंका जाना चाहिए।  ऐसे ब्यक्ति को ज्ञान से आका जाना चाहिए।  जो वास्तव में वो सबको ज्ञान के माध्यम से समझना चाह रहा है  क्यों की वो हमें सिर्फ और सिर्फ ज्ञान हि देते है। हमें उनका अनुसरण भी करना चाहिए।  कही कही किसी  किसी रास्ते पर अक्सर मिलते है। हम अज्ञानवश उनको समझ नहीं पाते है।  बाद में पछताना होता है। 


 अंजान ब्यक्ति के ज्ञान को कैसे समझे? 

अंजान ब्यक्ति के ज्ञान में कभी भी किसी अनजान व्यक्ति या कोई चाहे कही भी मिले उनको तुरंत जवाब ही दीजिये जब तक की वो पूरी तरीके से अपने बारे में बता दे उनकी मंसा क्या है आपसे मिलाने के कुछ देर बाद बात करने के बाद वो हमें समझ आने लग जायेगा  इससे फायदा ये होगा की वो कोई ज्ञानी है या कोई धूर्त है  कही वो हमें अपने जाल में तो नहीं फ़सा रहा है  इससे एक और फायदा होगा अपने बारे में उनको पता नहीं लगेगा और उनकी बातो को हम समझने लगेंगे  वो वास्तव में क्या है  यदि कोई शंका हो तो उनसे किनारा कर लीजिये  यदि उनकी कोई अच्छी बात अच्छी लगे तो और सुनिए  कोई भी इंसान अपने से मिलेगा  यदि वो लालच भरी बाते कर रहा है तो उनसे किनारा करे और अपने रास्ते पर चलते रहिये कई बार ऐसा होता है लोग उनके जाल में फस कर अपना बहुत कुछ गवा लेते है। 


 हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में क्या है?

हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में वही तक सही जहाँ हम अच्छी तरह से एक दूसरे को जानते है  जिनके बारे में हमें पूरा पता होता है  और हम एक दूसरे के मनोरंजन के लिए ही हाज़िर जवाब का इस्तेमाल करते है जरूरी सोच समझ के लिए हमें भी बहुत समझना होता है क्या सही है क्या गलत है ये हम सभी जानते है। 

मनुष्य के मन के बारे में जिस दिन ये पता चल जायेगा की स्वयं कितने बुरे है तो दुनिया में अपने बुरा कोई नहीं होगा। मान मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखते है। कुछ भी कह देते है

मनुष्य के मन में क्या है? क्यों अपना बचा हुआ समय जो उसको अपने काम काज से बाद मिलता है। अक्सर लोग ऐसे समय में लोगो की बातो में बिताते है। और बातो बातो में एक दूसरे की बुराई भी सुरु कर देते है। मान मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखते है। कुछ भी कह देते है ज्यादा करके समय उन्ही बुराई करने में ही चला जाता है। कभी  अपने अंदर झांक कर देखा है की अपने अंदर कितने बुराई है। जिस दिन ये पता चल जायेगा की स्वयं कितने बुरे है। तो दुनिया में अपने बुरा कोई नहीं होगा। जिस दिन इस बात का एहसास हो जायेगा तो  फिर किसी की बुराई नहीं करेंगे और न करने देंगे।

Saturday, July 31, 2021

दुःख क्यों होता है? दुःख क्या होता है? लोग सोचते बहुत है बुरा वक्त दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है

दुःख क्या होता है

दुःख  कुछ नहीं है। यदि ऐसा कुछ नही करे जो की भविष्य में  दुःख का सामना करना पड़े। तो दुःख क्यों होगा। लोग सोचते बहुत है। पर ऐसा कुछ कभी नही सोचे जो की आगे परेशानी का सामना करना पड़े। जब अच्छा समय होता है।  तो उस समय कुछ ऐसा भी कर देते है। जो नहीं करना होता है।  सोचते भी नहीं है की क्या कर रहे है  फिर भी कर बैठते है। जब उसका परिणाम गलत निकलता है।  सोच में पड़ जाते है की ऐसा किया ही क्यों था जो कभी नहीं करना था। जब वही बुरा वक्त लेकर आता है। तो अपनी गलती सुधरने का प्रयास करते है। तब सही जानकारी मिलता है। तो कोई गलती करे ही क्यों?


 दुःख का कारण क्या है? दुःख क्यों होता है?

वास्तविक ज्ञान की बात को समझे तो सब समझ में आता है मनुष्य जब तक कोई गलती नहीं करता है तब तक वास्तविक ज्ञान नहीं मिलता है उसे ही ज्ञान का अभाव कहा जाता है ज्ञान के कई आयाम होते है मनुष्य का तो पूरा जीवन ज्ञान के लिए ही है यहाँ तक की जब तक वास्तविक ज्ञान नहीं होता है तब तक मनुष्य कुछ उपार्जन भी तो नहीं कर पता है जीवन में ज्ञान हर जगह आवश्यक है किसी विषय वस्तु का दुःख मनुष्य को तब तक ही होता है जब तक वास्तविकता से सामना नहीं होता है अपने मार्ग पर चलते चलते मनुष्य संघर्स भी करता है मनुष्य मेहनत भी करता है मनुष्य विवेक बुध्दी का इस्तेमाल भी करता है मनुष्य सोचता भी है मनुष्य समझता भी है मनुष्य अपने आयाम के एक एक कर के परते खोलते हुए अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ता जाता है धीरे धीरे अपने जीवन में ज्ञान के करी को जोड़ते हुए परिपक्वता के तरफ बढता है जैसे जैसे ज्ञान बढ़ता है वैसे वैसे अभाव सब दूर होता है दुःख दूर होता है गलतिया समाप्त होता है तब मनुष्य परिपक्व होता है ज्ञानवान होता है इसलिए दुःख कुछ नहीं है सिर्फ ज्ञान का अभाव है      

विश्लेषणात्मक दिमाग में मन सकारात्मक होना चाहीये दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है सकारात्मक शब्द नकारात्मक शब्द अकारक शब्द होते है।

विश्लेषणात्मक दिमाग


अपना दिमाग सकारात्मक होना चाहीये। अपने दिमाग में बहुत सारे शब्द होते है। कुछ सकारात्मक शब्द होते है। कुछ नकारात्मक शब्द होते है। कुछ  अकारक शब्द होते है। जो ब्यर्थ में अपने  दिमाग को चलते रहते है। मन  उसके अनुरूप अपने दिमाग पर प्रभाव डालता है। 

 

मन में एकाग्रता होता चाहीये। जिससे  सूझ बुझ कर निस्कर्स निकल सके की क्या होना चाइये। मन को किस तरफ चलना चाइये। दिमाग अपने सोच समझ को नियंत्रित करता है। मन के भाव के हिसाब से दिमाग के विश्लेषण पर प्रभाव डालता है। दिमाग अपने लिए ऊर्जा का क्षेत्र होता है। हर प्रकार के मन के भाव का दिमाग में विश्लेषण होता है।  मन के भाव के अनुसार दिमाग विश्लेषण करके मन को नियंत्रित करता है। उसका प्रभाव अपने मन पर पड़ता है। मन का उड़ान बहुत तेज होता है। मन में उत्पन्न होने वाला एक एक शब्द दिमाग में संग्रह होता है। मन का जैसा भाव होता है। वैसा ही दिमाग का विश्लेषण कर के शब्द को उजागर करता है। 

 

कभी कभी मन में कोई पुराना यादगर याद आता है। तो उससे जुड़े हुए शब्द अपने दिमाग में विश्लेषण करने लगते है। कभी ऐसा होता है की कुछ समय पहले की बात भूल जाते है। याद करने पर भी याद नहीं आता है। कोर्शिस करने पर भी दिमाग में विश्लेषण के दौरान कुछ याद नहीं आता है। दिमाग को संकेत मन से मिलता है। मन के आधार पर ही दिमाग विश्लेषण कर के शब्द उभरता है। 

 

मन में जो भी चलता है। दिमाग उसका विश्लेषण करता है। मन दिमाग के चलाने का माध्यम होता है। क्रिया कलाप में जो हम करते है। जो शब्द मन ग्रहण करता है। वैसा ही शब्द दिमाग विश्लेषण करता है। बाकि बात विचार हमें याद नहीं रहता है। दिमाग क्रिया कलाप के प्रत्येक शब्द को संग्रह कर के रखता है। मन में जैसा भाव आता है। दिमाग वैसा ही भाव को विश्लेषण कर के मन में प्रसारण करता है। वैसा प्रभाव हमरे मन पर पड़ता है। परिणाम मन जिस तरफ चलता है। दिमाग चलते हुए मन को उस तरफ ही परिणाम देता है।  

 

मन कैसे चलता है?

मन के चलने का मतलब एक घटना होता है। जो घटित होता है। जब हम सक्रिय होते है। तो सब नियंत्रण में होता है। जब हम सक्रिय नहीं होते है। मन अनियंत्रत हो कर कुछ कुछ खुरापात करते रहता है। इंसान स्वयं मन के चलन को कभी नहीं समझ सका है। मन का चलना ऐसी घटना है। जो स्वयं घटित होते रहता है। इसको जितना नियंत्रण में करना चाहेंगे उतना ही तेज प्रवाह से भागता है। मन के उठाते हुए विचार कहा से कहा जाता है। आगे पीछे क्या होगा। कुछ नहीं कहा जा सकता है। मन अविरल प्रवाह से चलता जाता है। एक ही मार्ग है। मन के प्रवाह को रोकने के लिए। मन को किसी काम या किसी ऐसे क्रिया में ब्यस्त कर ले। जो स्वयं को अच्छा लगता हो। उस कार्य क्रिया में खुद पारंगत हो। तब मन उस ओर जब मन ठहर कर ब्यस्त होना पसंद करता है। 

 

दिमागी सोच का मतलब ?

मन के उठाते सवाल या भाव को दिमाग दो भाग में कर दता है। एक भाग सकारात्मक दूसरा भाग नकारात्मक होता है दिमागी सोच  का मतलब मनके उठाते ख्यालात को उर्जा प्रदान करता है जिस ब्यक्ति में घटित हो रहा है। उस ब्यक्ति को उसके सवाल के जवाब मिलते है। साथ में उसके होने वाले प्रभाव के बारे पता चलता है। जो मन को अच्छा लगता है। सकारात्मक है। और जो बुरा महशुश होता है। नकारात्मक है। सोचने वाले को स्वयं निर्णय लेना होता है।  उसको किस रास्ते पर चलना है। अक्सर लोग मन से मजबूर होकर के ही चलते रहता है। जब की दिमाग हमेशा उसके परिणाम के बारे में सचेत  करता रहता है। मन से मजबूर लोग दिमाग की नहीं सुनते है। दिमागी सोच सटीक निर्णय लेने में सक्षम है। मन का प्रवाह दिमागी सोच को विखंडित कर सकता है। सही निर्णय दिमाग का होता है।  

 

मन के प्रकार

मन के प्रकार में बाहरी मन संसार में भटकता है। अंतर्मन मन अपने  मन के भीतर होता है। जो बाहरी मन के क्रिया कलाप को संग्रह कर के उसको सक्रिय करता है। अंतर्मन बाहरी मन से ज़्यादा सक्रिय होता है। अवचेतन मन अंतर्मन को आदे देने में सक्रिय होता है। अवचेतन मन के माध्यम से स्वयं में परिवर्तन कर सकते है। एक अचेतन मन होता है। जो सिर्फ चलता रहत है। जब हम सक्रिय नहीं रहते है। अपने  सक्रिय रहने का पहचान अचेतन मन है। अचेतन मन का ज्यादा चलना अपने  मन मस्तिष्क में विकार उत्पन्न करता है। 

 

मानव मस्तिष्क सोच प्रक्रिया

जब अपने मन में कोई सवाल उठा है। तो उसके तरंगे दिमाग को जाते है। दिमाग उसका विश्लेषण कर के मन को तरंगे देता है। जिससे मन में उठाने वाले सवाल का परिणाम मिलता है। साथ में मन के प्रभाव से हम किस ओर जायेंगे तो हमें क्या परिणाम मिलेगा। स्वयं को निर्णय लेना होता है। हमें किस ओर जाना है। मानव मस्तिष्क में सोच प्रक्रिया के सभी सवाल का परिणाम होता है। 

   

मन क्या है ?

मन घटना है। हम जीतना सक्रिय रहेंगे। मन उतना सक्रिय रहेगा। हमारा सक्रिय ही रहना मन का भटकन है। मन के भटकन से हमें बचना है। हमें सदा सक्रिय रहना है। 

 

क्या सोच रहा है

मन कभी खली नहीं रहता है। उचित या अनुचित कुछ कुछ चलता ही रहता है। किसी विषय वस्तुके बारे में सोचने की प्रक्रिया में जब हम उचित विषय कार्य पर जोर देते है। तब जो प्रक्रिया चलता है। उसको दिमाग के सोचने की प्रक्रिया होता है। सक्रिय होने पर दिमाग कार्य करता है।  

 

दिमाग बनाम मन

दिमाग बनाम मन  बहुत अच्छा शब्द है। जब सक्रियता प्रभावित होता है। तब बहोत जरूरी विषय पर मन टिकने लगता है। और दिमाग को साथ देता है। मन के गहराई से जो सवाल उठाते है। वो बहुत सक्रिय होते है। तब मस्तिष्क के दोनों भाग एक जैसा कार्य करता है। हा नकारात्मक भावना के लिए कोई जगह नहीं होता है। सवाल से उत्पन्न सवालो का चक्र मष्तिस्क में चलता है। दिमाग बनाम मन होता है तब हर सवाल का सटीक रास्ता मिलता है। ऐसे ब्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होते है। दिमाग के उच्तम सोच वाले ब्यक्ति होते है। जो नकारात्मक सोच समझ वाले ब्यक्ति होते है। वो  विक्छिप्त होते है। 

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Two types of meditation for both types of meditation to happen automatically a little effort has to be made in the beginning, later meditation happens automatically

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