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Monday, January 3, 2022

अध्ययन के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में किस प्रकार का ज्ञान बढ़ रहा है? किस क्षमता का विकाश हो रहा है? विषय को याद रखने की क्षमता कितना है?

छात्रों की क्षमता को मापने के लिए ज्ञान और प्रदर्शन महत्वपूर्ण हैं

 

छात्रो के अध्ययन से निर्मित ज्ञान के क्षमता को प्रदर्शन के माध्यम से मापना महत्वपूर्ण है.

छात्र विद्यालय में पढ़ते है. समझ और ज्ञान से अध्ययन बढ़ता है. अध्ययन के परिणामस्वरूप विद्यार्थी में किस प्रकार का ज्ञान बढ़ रहा है? किस क्षमता का विकाश हो रहा है? विषय को याद रखने की क्षमता कितना है? पाठ्य पुस्तक के अन्धरुनी शब्द कहाँ तक याद रहता है? लेखन में साफ सफाई और सुन्दर लिखावट में कितना विकाश हो रहा है? इन सभी कारणों का अध्ययन करने के लिए और शिक्षा में विकाश करने के लिए स्कूल समय समय पर टेस्ट परीक्षा लेते रहते है. विद्यार्थी लम्बे समय तक पुस्तक के ज्ञान को कहाँ तक याद रखता है? इसके लिए वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षा साल में ६ महीने पर होता है. इसमे उन्नति होने पर ही आगे के कक्षा में पारित किया जाता है जिससे विद्यार्थी के आगे के शिक्षा का विकाश कराया जाता है. 

 

स्कूली शिक्षा न सिर्फ पाठ्य पुस्तक के ज्ञान को बढ़ता है जब की जीवन के विकाश में भी शिक्षा का ज्ञान काम में आता है.

शिक्षा हर तरह से जीवन के वास्तविक ज्ञान को विकशित करने के लिए ही होता है. विषय वस्तु के समझ और उसके गुणधर्म से वस्तु के प्रति ज्ञान जागरूक होता है. जीवन में विकाश में विषय वस्तु बहूत महत्पूर्ण है. शिक्षा में कमी है तो विषय और वस्तु के समझ में अंतर बहूत होता है. शिक्षा का आयाम ज्ञानी और विद्वान के जरिये बढाया जाता है. जिनको मनुष्य जीवन के बारे में सही और गलत क्या है? क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ये सभी ज्ञान और समझ पाठ्य पुस्तक में दर्ज किया जाता है, जिसे समय समय पर अध्याय के माध्यम से विद्यार्थी को समझाया जाता है.

 

समय समय पर होने वाले परीक्षा के माध्यम.

विद्यार्थी अपने प्रश्न पत्र का जवाब अपने उत्तर पुस्तक में कैसे प्रदर्शित करते है? विषय के ज्ञान से वो क्या समझे है? कैसे लिखते है? लिखाई में खुबशुरती कैसा है? शिक्षा के मापदंड को ध्यान में रखकर अध्यापक के द्वारा उचित और सही अंक देकर सभी विषय का तुलनात्मक अध्ययन से विद्यार्थी के क्षमता को विद्यार्थी के प्रदर्शन के माध्यम से परखा जाता है. विद्यार्थी के शिक्षा के ज्ञान का प्रदर्शन इसलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है विद्यार्थी के ज्ञान और उसके परिणाम का भी अध्यन प्रदर्शन से होता है.

Friday, August 27, 2021

हम ज्ञान (Knowledge) साझा करने के माध्यम से सुधार करने या आगे बढ़ने के लिए क्या कार्रवाई कर सकता हूं?

ज्ञान (Knowledge)

मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है। जीवन के विकाश और उन्नति के लिए साथ में अपने ज्ञान के माध्यम से दूसरो को भी मार्गदर्शन करना चाहिए। जिससे ज्ञान का सही उद्देश्य पूरा हो।

 

हम ज्ञान (Knowledge) साझा करने के माध्यम से सुधार करने या आगे बढ़ने के लिए क्या कार्रवाई कर सकता हूं?

अपने ज्ञान के माध्यम से दूसरो को मदद जरूर करना चाहिए। ज्ञान है तो ज्ञान का प्रसार होना ही चाहिए। जो ब्यक्ति किसी कारण से कोई आभाव में कही फस रहा है। सबसे पहला कारन यही निकलता है की वो किस कारण से फसा रहा है। क्या उसे अपने कार्य या उद्देश्य का पूरा ज्ञान था? यदि नहीं था तभी फास गया है? ऐसे समय में हर ब्यक्ति अपने ज्ञान के माध्यम से उसको मदत कर के उसके ज्ञान के अभाव को दूर कर सके तो बहूत अच्छा है। अच्छा ज्ञान दूसरो को जरूर देना चाहिए। इससे परमात्मा खुश होते है। इससे अपना ज्ञान और बढ़ता है। मन लीजिये की आप ज्ञानी है। कोई ब्यक्ति आपसे कुछ अच्छा सलाह मांगे आया है। तो उसका मदत जरूर करिए।

समाज में ब्याप्त बुराई कलह को समाप्त करने के लिए लोगो को जागरूक कर के अच्छाई के लिए संघर्ष बहूत समाज सेवी संस्था कर रहे है। लोगो को बुराई से बचने के लिए अपने अपने ढंग से प्रचार प्रसार के माध्यम से प्रयास कर रहे है। ज्ञान साझा करने के माध्यम से सुधार करने या आगे बढ़ने के लिए प्रयास तो जरूर करना चाहिए। मन लीजिये की अपने पास कोई जानकारी के अभाव में कुछ बिगड़ रहा है? तो किसी अच्छे जानकर से विचार विमर्श जरूर करना चाहिए। उनके ज्ञान को प्रेरणा बनाकर आगे बढ़ना चाहिए। कोई बच्चा, बुदुर्ग या कोई रास्ता पूछ रहा है। तो सही जानकारी बताइए, यदि जानकारी नहीं मालूम है। तो किसी से पूछकर उनको जरूर मदद करिए। भले उसमे आपका थोडा समय ब्यस्त हो रहा है। तो कोई बात नहीं है। राहगीर को कभी भी सही रास्ता बताइए तभी आपका ज्ञान सफल है। अक्सर देखा गया है। कोई राहगीर पूछता है? तो लोग सीधे बोल देते है। हमें मालूम नहीं ऐसा नहीं। ऐसा नहीं होना चाहिए। यदि वही पर किसी से विचार ले कर राहगीर को मदद कर देते है। तो ज्ञान का वास्तविक उद्देश्य पूरा होता है। ज्ञान सदा दूसरो को मार्ग प्रदर्शन के लिए ही होता है। साथ में यदि किसी को किसी भी प्रकार के जानकारी की आवश्यकता है। तो संभव है तो जरूर मदद करना चाहिए।   







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Thursday, August 26, 2021

सार्वभौमिक (Universal) मानव व्यवस्था में तकनीकी ज्ञान (Knowledge) का उपयोग करने के तरीके वाणिज्य स्नातक कंप्यूटर साहित्य 1-2 वर्ष के अनुभव

ज्ञान (Knowledge)

 

आधुनिक ब्यवस्था में तकनिकी ज्ञान अतिआवश्यक है। आज कल के समय में कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब और मोबाइल के जरिये कार्यालय में काम करना अनिबार्य हो गया। जिसके ज्ञान के बिना अब कुछ संभव नहीं है। इसलिए किसी भी क्षेत्र में अत्याधुनिक इलेक्ट्रोनिक यन्त्र का ज्ञान बहूत जरूरी हो गया है। आने वाला भविष्य में अत्याधुनिक इलेक्ट्रोनिक यन्त्र का ज्ञान ही मानवता हो काम धंदा दे सकता है। इसलिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रोनिक यन्त्र का ज्ञान अतिआवश्यक और अनिवार्य है।  

 

सार्वभौमिक (universal) मानव व्यवस्था में तकनीकी ज्ञान (Knowledge) का उपयोग करने के तरीके

ज्ञान मानव जीवन के जरूरी होने के साथ काम काज का भी माध्यम है। ज्यादाकर लोग आज कल के समय में कार्यालय में काम करते है। चाहे किसी भी क्षेत्रे में हो, काम करने का माध्यम अत्याधुनिक इलेक्ट्रोनिक यन्त्र कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब और मोबाइल के जरिये ही काम करते है। सार्वभौमिक मानव व्यवस्था  में तकनीकी ज्ञान का उपयोग करना अब आवश्यक हो गया है। कंप्यूटर के जरिये हिसाब किताब रखना, खाता के सभी जानकारी को कंप्यूटर लैपटॉप में एक-एक लेन देन का हिसाब संगणित करना, डिजाईन और काम के प्रदर्शन का कार्यक्रम बनाना। लैपटॉप के जरिये ग्राहकों को प्रदर्शन दिखाना, सामान के खरीदारी के लिए आकर्षित करना। ब्यावासिक प्रतिष्ठान के प्रचार प्रसार के लिए वेबसाइट बनाना। दूर देश में बैठे लोगो को ब्यावासिक प्रतिष्ठान प्रदर्शन दिखाने के लिए वेबसाइट बहूत अच्छा माध्यम है। लैपटॉप, टैब के जरिये ऑनलाइन ब्यवहार और बातचीत करने का सबसे अच्छा माध्यम है। जिसमे गूगल मेल, वाट्स अप्प, टेलीग्राम आदि अप्प के जरिये टैब और मोबाइल से बर्तालाप कर सकते है।  सामाजिक मीडिया  फेसबुक, ट्विटर, इन्स्ताग्राम, यूट्यूब, रेड्दित, मोज, के जरिये सार्वभौमिक मानव व्यवस्था में तकनीकी ज्ञान के जरिये प्रचार प्रसार करते है। मोबाइल मुख्य तौर पर बातचीत करने के लिए किया जाता है। सन्देश भेजने के लिए जाता है। ऑनलाइन और ऑफलाइन, जहा पर ऑनलाइन ब्यवस्था नहीं होते है। वह पर मोबाइल के जरिये बर्तालाप या सन्देश के जरिये लोगो को ब्यावासिक प्रतिष्ठान के बारे में प्रचार प्रसार करते है। जिससे काम धंदा फलता फूलता है। इस तरह से वर्त्तमान में सार्वभौमिक मानव व्यवस्था में तकनीकी ज्ञान का उपयोग करते है।    


मैं मोबाइल के माध्यम से सूक्ष्म कार्य का ज्ञान (Knowledge) कैसे प्राप्त करूं?

आज कल के समय में बहूत अच्छे अच्छे मोबाइल निकल गये है। जिसमे फोटो निकालने के लिए अत्याधुनिक तकनिकी के कैमरा आ चुके है। सूक्ष्म कार्य जो बहूत छोटे होते है। उनको फोटो निकाल कर बड़ा कर के देख सकते है। सूक्ष्म कार्य को पूरा कर सकते है। कोई काम कर रहे है। जिसके बारे में छोए मोटे जानकारी मोबाइल इन्टरनेट के जरिये निकल कर जिसका ज्ञान पहले से मालूम नहीं होता है। उस ज्ञान को पढ़कर काम को पूरा कर सकते है। कोई भी काम इतना आसान नहीं होता है। जितना लोग समझते है। किसी भी काम के गहराई में जाने के बाद ही मालूम पड़ता है। उस कम का आयाम क्या होता है। ये कोई जरूरी नहीं है की मनुष्य को पूरा ज्ञान होता ही है। कही न कही कुछ न कुछ बाकि जरूर रह ही जाता है। जैसे किसी काम का सूक्ष्म अनुभव के लिए कही न कही से ज्ञान और अनुभव का सहारा लेना ही पड़ता है। मौजूदा समय में हर ब्यक्ति के हाथ में कंप्यूटर लैपटॉप साथ में इन्टरनेट मौजूद हो ये जरूरी नहीं है। हर ब्यक्ति के हालत एक जैसे नहीं होते है। पर ज्यादाकर लोगो के हाथ में मोबाइल इन्टरनेट के साथ होते है। जिसमे खोज बिन कर के काम का सूक्ष्म अनुभव प्राप्त कर सकते है। आज के समय में इन्टरनेट पर हर प्रकार का ज्ञान मौजूद होता है। पढ़कर समझकर विडियो देखकर हर कार्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। इस तरह से मोबाइल के माध्यम से सूक्ष्म कार्य का ज्ञान कैसे प्राप्त कर सकते है।   


वाणिज्य स्नातक कंप्यूटर साहित्य 1-2 वर्ष के अनुभव के साथ अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान (Knowledge) आवश्यक

वाणिज्य स्नातक कंप्यूटर साहित्य 1-2 वर्ष के अनुभव के साथ अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान होना बहूत आवश्यक है। आज कल के समय में हर कार्य अंग्रेजी भाषा में ही होता है। अंग्रेजी भाषा अंतर रास्ट्रीय भाषा है। कंप्यूटर, लैपटॉप, टैब, मोबाइल सब मुख्य तौर पर मुख्य भाषा अंग्रेजी भाषा में ही चल रहे है। ब्यावासिक प्रतिष्ठान में ज्यादाकर अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया जाता है। सहकर्मी भी अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग करते है। इसलिए वाणिज्य स्नातक कंप्यूटर साहित्य 1-2 वर्ष के अनुभव के साथ अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान अतिआवश्यक है।





Electronics

कनिष्ठ तकनीकी (Technology) सहायक में व्यावसायिक ज्ञान (Knowledge) में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं? हिसाब किताब में सब बहूत जरूरी है

ज्ञान (Knowledge)

 

ज्ञान जीवन में किसी भी क्षेत्र में बहूत जरूरी है। अब तक किसी भी कार्य ब्यवस्था के लिए उचित जानकारी या ज्ञान न हो तो उस उपक्रम को चलाना मुस्किल पड़ जाता है। ब्यापार क्षेत्र में औद्योगिकी पढाई की पूरी जानकारी होनी ही चाहिए। जब तक औद्योगिकी की सही ज्ञान नहीं होगा तब तक कुछ भी संभव नहीं है। जो लोग उत्पादन क्षेत्र में काम कर रहे है। उनको उत्पादन का पूरा ज्ञान होना चाहिए। कौन सा मशीन कैसे चलता है। क्या सामान लगता है। सामान को कैसे तयार किया जाता है। सभी माप और उपकरण के ज्ञान के बाद ही कोई काम संभव है। कोई कारीगर का मुखिया होता है तो उसको कम का पूरा ज्ञान होता है। तभी वो मुखिया बनता है। मुखिया को चाहिए की सभी कारीगर को सही ढंग से चलये। दिए हुए कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करे। साथ में कामगारों के साथ नम्रता से और हमसाथी बनकर काम करने का अच्छा ज्ञान होना चाहिए।

 

क्या सामान्य (General Knowledge) से अधिक सामान्य ज्ञान (Knowledge) होना बुरा है?

सामान्य से अधिक सामान्य ज्ञान होना कभी बुरा नहीं होता है। ज्ञान स्वयं सकारात्मक है। इसलिए ज्ञान सामान्य हो या सामान्य अधिक या असामान्य ज्ञान, सब ज्ञान ही होता है। कुछ लोग कभी कभी घमंड में आ कर बहूत ज्यादा ज्ञान के घमंड में उसको अपने ज्ञान का घमंड हो जाता है। तो दुसरे लोगो के के बिच सामान्य से अधिक सामान्य ज्ञान होना बुरा ही होता है। ज्ञान सबको होता है। क्या अच्छा है? क्या बुरा है? सबको पता है। इसलिए अत्यधिक ज्ञान का घमंड बुरा ही होता है। लोगो को उसकी मनसा पता चल चल जाता है। लोग उससे दुरी बनाने में लग जाते है। तब सामान्य से अधिक सामान्य ज्ञान होना उसके कोई काम का नहीं होता है। उसके लिए करनी से ज्यादा कथनी का बोध हो जाता है। फिर वो ज्ञान किस काम का होगा।  

 

कनिष्ठ तकनीकी सहायक में व्यावसायिक ज्ञान (Knowledge) में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं?

कनिष्ठ तकनीकी सहायक में व्यावसायिक ज्ञान में सबसे पहले स्नातक या उच्च माध्यमिक होना आवश्यक है। खाते लेखनी बहूत जरूरी है। शोर्ट टाइपिंग, कंप्यूटर ज्ञान, रोजमर्रा के हिसाब का तकनिकी, नकद लेन-देन, उधर सब प्रकार के हिसाब रखने का ज्ञान होना चाहिए। कामगार के हिसाब किताब रखने का ज्ञान होना बहूत जरूरी है। कामगार के रोज का हजारी और लेन-देन का हिसाब रखने का ज्ञान जरूरी है। सबसे जरूरी है बात करने के तरीके का ज्ञान अच्छा होना चाहिए। पढाई लिखाई में जो ज्ञान सीखे है। उसका याद रहना जरूरी है। हिसाब किताब में ये सब बहूत जरूरी है। कनिष्ठ तकनीकी सहायक में व्यावसायिक ज्ञान में इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।




Office bag

Thursday, August 19, 2021

कल्पना का आधुनिक तरीका का प्रभाव से मन मस्तिष्क के काम करने का रफ़्तार बढ़ जाता है जैसा सोच और समझ सक्रिय होता है परिणाम वैसा ही मिलता है

कल्पना का आधुनिक तरीका क्या है?


जीवन के विकाश के कल्पना में आधुनिक समय में कल्पना का उतना ही महत्त्व है। जितना पौराणिक समय में हुआ करता था। सन्दर्भ तो सच्ची भावना और सकारात्मक विचार धरना पर निर्भर करता है।

कल्पना करना आधुनिक समय में जो ब्यक्ति अपने काम काज के प्रति और अपने कर्तब्य के प्रति जिम्मेवार है। उनके लिए कल्पना करना आसान है। पहले के मुकाबले कल्पना करना और खुद को प्रगतिशील विचार्धारना में रखना पहले से आसान जरूर है।

कर्तब्य और कार्य के विकाश के कल्पना में आज के समय में एक सबसे बड़ा समस्या है रोजगार, कम धंदा को प्रगति के रास्ते पर लाना। मनुष्य दिन प्रति दिन अपने काम धंदा में तरक्की के लिए नए नए रास्ते निकलते रहते है। और प्रयोग करते रहते है। सबको पता है। मार्केट में खड़ा रहने के लिए और अपने बुनियाद को मजबूत करने के लिए दिन रात मेहनत करन पड़ता है। मेहनत कभी ब्यर्थ नहीं जाता है। जैसा सोच और कार्य होता है। परिणाम वैसा ही मिलता है। उससे बड़ा समस्या तब होता है। जब मार्केट में खड़ा रहने के लिए प्रतियोगिता के दौर में सब एक दुसरे से आगे बढ़ने में सक्रीय होते है। अब सवाल उठता है? कल्पना का आधुनिक तरीका क्या है ? 

कल्पना, एकाग्रता, सोच, समझ, विवेक, बुध्दी, ज्ञान सब सक्रीय गुण है। एक दुसरे से गहरा संबंध रखते है। किसी चीज के प्राप्ति के लिए सक्रीय हो कर संघर्ष करने से सक्रीय गुण जरूर मददगार होते है। किसी भी चीज के प्राप्ति के लिए सक्रियता न सिर्फ नकारात्मक प्रभाव को कम करता है। साथ में सजगता को भी बढ़ता है। एकाग्रता को कायम रखता है। सक्रियता सकारात्मक प्रभाव है। मनुष्य अपने कार्य और कर्तब्य के प्रति जीतना सक्रीय रहेगा सफलता उतना ही साथ देगा। सक्रीय कल्पना को साकार करने के लिए सोच सबसे पहले सक्रीय होना चाहिए। जब जरूरत निश्चित और महत्वपूर्ण होता है। तब सोच स्वतः ही सक्रीय हो जाता है। सक्रीय सोच सिर्फ मन को एकाग्र ही नहीं रखता है। मन पर नियंत्रण भी रखता है। जरूरत जब महत्वपूर्ण होता है। तब कार्य के हर रस्ते पर प्रतियोगिता हो तो सक्रियता बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बच जाता है। प्रतियोगिता में इस बात का हर पल एहसास रहता है। सफलता हासिल करना है। तो जीतोर मेहनत करना ही पड़ेगा। और दूसरो से आगे निकलना है।, जब तक सक्रीय नहीं होने। तब तक सफलता बहूत दूर है। यही कारण है की आधुनिक समय में कल्पना करना आसान है। पौरानिक समय के अनुरूप, जीवन में कमी जरूरत को दर्शाता है। जरूरत सक्रियता बढ़ता है। सक्रियता कर्तब्य और कार्य को बढ़ता है। वैसे ही सक्रीय सोच हो तो कल्पना भी सक्रीय हो जाता है। जिसके प्रभाव से मन मस्तिष्क के काम करने का रफ़्तार बढ़ जाता है। फिर जैसा सोच और समझ सक्रिय होता है। परिणाम वैसा ही मिलता है। इसका प्रभाव कार्य और कर्तव्य पर पडता है।

Wednesday, August 18, 2021

कर्म का भावना ऐसे ही ब्यक्ति परमात्मा के बिलकुल करीब होते है परमात्मा रूपी इंसान ही होते है ऐसे व्यक्ति का आदर सम्मान जरूर करना चाहिए

निरंतर प्रयास करने वाला इंसान दुसरो की भलाई के लिए भी अपने जीवन का आदर्श होता है 

हम जीवन के कुछ ऐसे उपलब्धियों के बारे में बताते है। जिसे हम सभी जानते है। और हर किसी के जीवन में सम्मिलित भी होता है। निरंतर प्रयास करने वाला इंसान दुसरो की भलाई करते हुए और समाज की हर पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए आगे बढ़ता जाता है। वाकई वास्तव में वाही इंसान कहलाता है। जो सब की भलाई के लिए जाना जाता है। वही सच्चा इंसान होता है। जिनपर परमात्मा की असीम कृपया होती है।


सकारात्मक इंसान से मेलजोल बढाने से जो ज्ञान प्राप्त होता है उसे शांति औए सुकून महशुस करते है 

ऐसे इंसान से मिलने या मेलजोल बढाने से जो ज्ञान प्राप्त होता है। उसे सुकून और शांति कहते है। जिसमे पास जाने से आत्मा को सुकून महशुस होता है। ऐसे इंसान विरले ही दुनिया में होते है। ऐसे इंसान कही भी केवल जब हमें मिलते है तो बहुत ख़ुशी भी मिलती है। क्योंकि वो ख़ुशियों के बाटते रहते है। उनकी झोली से कभी खुशी समाप्त ही नहीं होती है। जितनी ख़ुशी वो देते है। खुशिया उतना ही बढ़ते जाते है। ऐसे इंसान अपने घर में हमारे माता ही होते है। दादा दादी भी होते है। समाज में बड़े बुजुर्ग भी हो सकते है। जिनको सच्चा ज्ञान होता है। जिन्होंने जीवन के हरेक पहलुओं को देख होता है। ऐसे इंसान को आदर सम्मान अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा कुछ और ऐसी भी होते है। जिनको समाज में या समाज के बहार से भी सम्मान मिलता है। जिनको देखने या मिलाने लोग जाते है। जो कभी भी अपने क्षेत्र या शहर में आते है। उनके प्रकाश से सब चमक उठता है। जिनके बोली वचन से सब प्रभावित होते है। वे सद्गुण सदाचार होते है। जिनको सम्मान करने का भी मन करता है। जिनके मन में कोई लालच नहीं होता है।  कोई मानशिक भाव नहीं होता है। तामशी भाव नहीं होता है। लोभी का भाव नहीं होता है। जो धन के पीछे नहीं भागते है। सिर्फ कर्म का भावना उनका होता है। ऐसे ही ब्यक्ति परमात्मा के बिलकुल करीब होते है। वे परमात्मा रूपी इंसान ही होते है। इसलिए ऐसे व्यक्ति का आदर सम्मान जरूर करना चाहिए।


जीवन की कल्पना में किसी को मान सम्मान देना बहूत बड़ी बात है 

जीवन की कल्पना में किसी को मान सम्मान देना या किसी से मान सम्मान लेना बहुत बड़ी बात होती है। समझ सूझ बुझ से जो ब्यक्ति अपने जीवन का निर्वाह करता है। जो सकारात्मक प्रवृति को समझता है। व्यक्तिव के सही भावना को जनता है। अपने जीवन में सक्रिय रहते हुए अपने कार्य या सेव के क्षेत्र में विकाश करता है।  लोगो को सच्चा ज्ञान देता है। जिनके अंदर इंसानियत कूट कूट भरा होता है। जो विषय वस्तु के प्रति जागरूक होता है। वही भला इंसान होता है। जिसके अंदर असिमित ज्ञान और शिक्षा होता है। जो क्रियावान होता है। ऐसे व्यक्ति को सम्मान जरूर करना चाहिये।


जीवन की कल्पना में आगे बढ़े

जीवन की कल्पना में यदि आगे बढ़ना चाहते है। तो ऐसे ज्ञानवान ब्यक्ति की प्रेरणा जरूर लेना चाहिये। ज्ञानवान ब्यक्ति का मुख्य लक्ष्य काम धंदा के क्षेत्र हो या सेवाभाव का क्षेत्र हो। सभी जगह सही और सकारात्मक ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना ही उनका उद्देश्य होता है। जिससे उनको ख्याति प्राप्त होता है। कल्पना में इस प्रकार से अवश्य मनन करना चाहिये। 

Saturday, August 14, 2021

कल्पना में हर किसी को अपने अपने अनुसार से जिंदगी जीने का मौका किसी का समय आज तो किसी का बाद में अच्छा समय हर किसी के जीवन में जरूर नसीब होता है

भविष्य की कल्पना

कल्पना में हर किसी को अपने अपने अनुसार से जिंदगी जीने का मौका मिलता है। किसी का समय आज आता है। तो किसी का बाद में आता है। पर अच्छा समय हर किसी के जीवन में जरूर नसीब होता है। यही जीवन का इस संसार में नियम है। हा कभी कवाल मनुष्य को अपने अपने अनुसार से दुःख का भी सामना करना पड़ता है। भले उसमे उसकी कोई गलती हो या न हो। ये जरूरी नहीं हम अच्छा कर रहे है। तो हमेशा हमारे साथ अच्छा ही होगा। पर जीवन में कुछ बुरा होता है। तो उसमे भी संसार का ही नियम है। जब तक मनुष्य उस दौर से नहीं गुजरेगा। तब तक उसका ज्ञान अधूरा ही रहता है। जब मनुष्य विपरीत दौर से गुजरता है। उसे और अच्छा ज्ञान और तजुर्बा होता है। जीवन के कल्पना सब प्रकार के ज्ञान के लिए ही होता है। मनुष्य जीवन सुख दुःख से घिरा रहता है। यही सुख दुःख के मिश्रण में जीवन को जीते हुए। जो अपने मुकाम तक पहुँचता है। ये क्या है? ये ज्ञान ही है। जो ब्यक्ति सुख दुःख का सामना करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ता है। वही जीवन का सच्चा सारथी होता है। सबके अपने अपने समय के बात करे तो सब को अपना अपना समय मिलता है। फिर बाद में दुसरो को जिसके पास जैसा ज्ञान है। जैसे जैसे ज्ञान के श्रेणी में चढ़ता है। प्रखर होता जाता है। इसलिए कभी किसी को ऐसा नहीं सोचना चाहिए। मेरा समय आता ही नहीं है। हर किसी को हर चीज नहीं प्राप्त होता है। क्योकि वो प्राप्त कर के क्या करेगा। एक न एक दिन उसे अपने मुकाम पे ही जाना है। जो उससे बचता है। उसके आश्रितों को जाता है। जिसका वो भोग विलाश करता है। जिसको अपने पूर्वज से मिलता है। अक्सर वो कुछ नहीं कर पता है। क्योकि उसके पास सबकुछ होता है। जिसमें जिंदगी के थपेड़े को जिसने नहीं झेला। भला उसको क्या ज्ञान होगा। ज्ञान समय और अवस्था के साथ की मिलता है। क्योकि सुख दुःख तो उसको भी भोगना है। क्योंकि सुख में सरे एहसास नहीं होते है। दुःख में एक एक अनुभव का एहसास होता है। यही जीवन का ज्ञान है। इसी में जीवन के ज्ञान का रास्ता निकलता रहता है। जीवन के कल्पना में ज्ञान प्राप्त करते रहते है।

Wednesday, August 11, 2021

जीवन की आधारशिला माता पिता ही बच्चो के पालक माता पिता है भले सांसारिक ज्ञान में कोई न कोई मतभेद उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है।

जीवन एक संघर्ष  


जीवन के आधारस्तम्भ

जीवन की आधारशिला माता पिता ही होते है। बच्चो के पालक माता पिता ही होते है। भले सांसारिक ज्ञान में कोई कोई मतभेद हो। उसको अपने माता पिता के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। बड़े और गुरुजन भी मदत करते है। ज्ञान कभी भी छुपा नहीं रहता है। जैसा हाल जैसा माहौल हो तो धोखे खा कर भी लोग सीखते है। इसलिए जीवन ही एक संघर्ष है।

 

माता पिता के द्वारा शिक्षा ज्ञान

बच्चे जन्म से ही माता पिता के लाडले होते है। उनका भरण पोषण माता पिता करते है। ये तो जगत विख्यात है। सिर्फ भरण पोसन ही नहीं उनका देखभाल छोटे से बड़ा होना। घरेलु शिक्षा फिर पाठशाला में शिक्षा सब में हर जगह माता पिता के ही देख रेख में होते है। भले ही पाठशाला के ज्ञान का माध्यम अध्यापक हो भूमिका तो माता पिता के ही है। आगे चलकर उच्च महा विद्यालय की पढाई पूरा करवाना जब तक की कही नौकरी धंदा ही लग जाता है तब तक हर प्रकार से देख रेख माता पिता का ही होता है।

 

बच्चो के लिए माता पिता का संघर्ष

संघर्ष भरे माता के जीवन में क्या क्या बीतता है। किस किस रस्ते से गुजर कर। ये सभी इच्छाएं माता पिता पूर्ति करते है। कभी कभी ऐसे हालात भी होते है। जिसका अपने बच्चो को किसी प्रकार का शिक्षा और ज्ञान में व्यवधान नहीं आने देते है। हर बुरे हालत कों स्वयं पर झेलते है। अपने बच्चो को रत्ती भर भी तकलीफ नहीं होने देते है। ये सभी क्या है? संघर्ष ही तो है। संघर्ष तो जीवन जीने के लिए हर किसी को करना पड़ता है।


होनहार बच्चे का संघर्ष

संघर्ष तो उस होनहार बच्चे के लिए भी है। जो ज्ञानी और समझदार बच्चे है। माता पिता के दिए हुए ज्ञान से उनका आत्मज्ञान आत्मबल बढ़ता है। जिससे आगे चलकर अपने पढाई लिखाई में दिन रात मेहनत कर के आगे बढ़ते है। इससे ज्ञान तो बढ़ता ही है। मन की एकाग्रता का निर्माण होता है। मन की एकाग्रता से जीवन को सरल और सहज करने में बहुत मदत मिलता है। जीवन की सरलता और सहजता के मुख्य द्वार एकाग्रता ही है। किसी एक माध्यम में गुजर बसर से मिलता है। संघर्ष के लिए एकाग्रता का जीवन में होना बहुत महत्त्व है। एकाग्रता जीवन में स्थापित हो जाए तो चाहे जितनी भी मुसीबत या परेशानी जीवन आता है। उस ब्यक्ति के मानसिकता में कोई फड़क नहीं पड़ता है। अपने उद्देश्य पर सजग हो कर चलते ही रहता है। अपने जीवन का निर्वाह करते रहता है। संघर्ष भरे जीवन के ये पहचन है।

Tuesday, August 10, 2021

चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है।

कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है

कोई भी काम काज या काम काज का ज्ञान कोई छोटी बात नहीं है। चाहे काम काज छोटा हो या बड़ा हो। काम कम फायदे वाला हो या ज्यादा फायदे वाला हो। उस काम काज के समझ का तजुर्बा कम नहीं होता है। जिस काम के तजुर्बे में शामिल है।  उसकी बारिकियत को जितना आका जय उतना ही कम है। कोई भी तजुर्बा जिसके गहराई में पहुंचे तो काम काज के ज्ञान का समझ और तजुर्बा ज्यादा बढ़ता है। बस कमी तो यही है की सही मार्गदर्शन करने वाला। या तो कम है। या कोई उन तक पहुंच ही नहीं पता है। वास्तव में यदि किसी को सही मार्गदर्शन करने वाला मिल जाय। और उनकी रह पर चल कर उनके समझ और ज्ञान पर भरोसा कर के सीखते रहे। तो फिर किसी जानकारी की कमी नहीं रहेगी। 


कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है

कोई भी काम के बारीकियत का समझ बहुत बड़ा महत्त्व होता है। मन लगाकर यदि किसी भी काम को जानकर के सानिध्य में करे। तो उसकी गहराई में जाकर नए रूप रंग को दे सकते है।  इससे अपना ज्ञान और भी बढ़ेगा। जब तक किसी काम में अपना मन लगा लेते है। और मन वास्तव में लगकर जब काम करने लग जाता है। इससे मन की एकाग्रता का विकास होता है। सोचने समझने की शक्ति बढ़ता है।  जिससे शरीर कभी थकता नहीं है कोई बाहरी बातचित से उसमे रूकावट नहीं पड़ता है।  मन लगातार अपने काम में ब्यस्त रहता है।  इससे अपना ज्ञान और बढ़ता जाता है।  बाद में मन को काम काज करने की आदत लग जाती।


ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है

ये कोई छोटा मोटा ज्ञान नहीं है। बहुत बड़ी कर्म की परिभाषा है। जिस रस्ते पे चलकर सब अपने योग्यता को प्राप्त करते है। समाज में घर परिवार में देश में अपना नाम करते है।  


काम छोटा हो या बड़ा ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं

अब बात ये रहा काम छोटा हो या बड़ा। ये मायने रखता है की उसमे ज्यादा फ़ायद है या नहीं उसका भी महत्व है। एक सफाई कर्मचारी दिन भर झाड़ू मा कर रोड की सफाई करता है। उसमे भी वही ज्ञान है। जिसने मन लगाकर अपना काम किया। तो साफसुथरा जल्दी हो जाता है। और जिसने मन नहीं लगाया तो जल्दी सफाई भी नहीं होती है। सब बिखड़ा बिखड़ा सा नजर आता है। साफ सफाई देख कर अपने को भी उतना ही अच्छ लगता है। जितना सफाई कर्मचारी को क्योंकी वो उसका काम है। उसका कर्म है। और उस काम में उसका मन भी लगता है। इसलिए वो सबको अच्छ लगता है। और वही जब सब बिखड़ा बिखड़ा सा रहत है। तब वो किसी को अच्छा नहीं लगता है। 


कर्म के ही रूप है 

वैसेही जब कोई बहुत बड़ा विख्यात ब्यक्ति अपने काम काज को अच्छे तारीके से करता है। तो वो सब लोग और जान कल्याण के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। वही उलट यदि उनसे कोई गलत काम हो जाती है। जिसमे मन अच्छे से नहीं लगा हुआ होता है। तो उसका परिणाम उलट जाता है। जिससे लोगो का बड़ा नुकसान होता है। समाज का भी नुकसान होता है। जिसका खामियाजा उनसे जुड़े हुए सब को भुगतना पड़ता है। ये सब कर्म के ही रूप है।  

 

कोई भी काम करे सोच समझ कर करे

इसलिए कभी भी कोई भी काम करे। सोच समझ कर करे। भूल होने की स्थिति में किसी किसी जानकर से मदत जरूर ले। ताकि गड़बड़ी का कोई नामोनिशान ही हो। अच्छा काम करे। मन लगाकर करे। मन लगाकर किया हुआ काम सफलदाई सिद्ध होती है। जिससे सबको अच्छा लगता है।  

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