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Monday, August 9, 2021

कल्पना के जरिये ज्ञान को अपने जीवन में स्थापित किया जाता है मन लीजिये की पढाई लिखाई कर रहे है परीक्षा देना पढाई लिखाई का मुख्या उद्देश होता है

कल्पना ज्ञान से बेहतर है


कल्पना ज्ञान से बेहतर ही है ज्ञान हासिल करना ही चाहिये 

ज्ञान से ही सब कार्य होते है। जब तक ज्ञान नहीं होगा। तब तक कोई कम को पूरा भी नहीं कर सकते है। चाहे छोटा हो या बड़ा काम सब ज्ञान से जुड़ा हुआ है। पढाई लिखाई से ज्ञान मिलता है। खेलने कूदने से भी बहूत ज्ञान मिलता है। शारीर चुस्त दुरुस्त रहता है। मन साफ रहता है। शारीर के तंत्रिका तंत्र सक्रीय रहते है। खेलने कूदने से शारीर में चुस्ती फुर्ती मिलता है। कही न कही खेलने कूदने से ज्ञान ही मिलता है। भले वो भौतिक ज्ञान है। सबसे पहले शारीर होता है। शरीर से ही सब कुछ जुड़ा हुआ है। ज्ञान ही है। समाज में लोगो से बात विचार करने से भी नए नए ज्ञान मिलता है। क्या अच्छा है? क्या बुरा है? अछे बुरे का ज्ञान होता है। घर में संस्कार का ज्ञान मिलता है। आदर भाव का ज्ञान मिलता है। माता बच्चे को प्यार दुलार कर के अच्छे बात सिखाते है। ये भी ज्ञान ही है।


कल्पना ज्ञान से बेहतर क्यों है? सवाल बहूत अच्छा है 

कल्पना के जरिये ज्ञान को अपने जीवन में स्थापित किया जाता है। मन लीजिये की पढाई लिखाई कर रहे है। परीक्षा देना पढाई लिखाई का मुख्या उद्देश होता है। जिससे की आगे के कक्षा में स्थान मिले। अच्छा अंक मिले। इसके लिए विषय के पाठ को याद करना होता है। जब विषय के पाठ याद नहीं होता है। तब बारम्बार अपने पाठ को पढ़ा जाता है। अपने मन में विषय के पाठ को याद करने का प्रयाश किया जाता है। याद करने का प्रयास करना कल्पना ही है। जब कल्पना करते है। तब विषय के पाठ के शब्द मन में उभरने लगते है। क्योकि मन विषय के पाठ को कई बात पढ़ चूका होता है। तब कल्पना कर के याद को ताजा किया जाता है। ज्ञान एक बार में मिल जाता है। जब तक ज्ञान को तजा नहीं करेंगे। तब तक ज्ञान कोई कम का नही है। ज्ञान है। तो ज्ञान सक्रीय होना चाहिए। जब तक ज्ञान सक्रीय नहीं होगा। तब तक ज्ञान किस काम का होगा। ज्ञान को सक्रीय करने के लिए कल्पना करना ही होगा। इसलिए कल्पना ज्ञान से बेहतर है।        

Thursday, August 5, 2021

वास्तविक जीवन ज्ञान प्राप्त कर ले कई प्रकार के विशेषज्ञ भी बन जाये अपने काम धंदा के लिए उच्च से उच्च अध्ययन कर ले ये सभी ज्ञान अपने काम धंदा के लिए सिर्फ सहारा ही देता होता है

कल्पना ज्ञान से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

 

जीवन में चाहे जितनी भी ज्ञान प्राप्त कर ले। कई प्रकार के विशेषज्ञ भी बन जाये। अपने काम धंदा के लिए उच्च से उच्च अध्ययन कर ले। ये सभी ज्ञान हमें अपने काम धंदा के लिए सिर्फ सहारा ही देता होता है।  ज्ञान के प्रमाण पत्र ज्ञान में सक्षमता के है। 


वास्तविक जीवन ज्ञान

कल्पना वास्तविक जीवन ज्ञान में वास्तविकता से तब सामना होता है।  जब इस ज्ञान के माध्यम से कुछ करना होता है।तब उस कार्य के लिए विशेष अनुभव की आवश्यकता होता है। जब तक पूरी तारीके से अपने काम धंदा पर ध्यान नहीं देंगे। चिंतन मनन नहीं करेंगे।  तब कुछ नहीं हो सकता है।  चाहे जितना ज्ञान क्यों न हो।  ज्ञान सिर्फ उस कार्य को पूरा करने का माध्यम है।  जिससे काम करने के लिए उपयुक्त साधन मिलते है।  जब तक स्वयं प्रयास नहीं करेंगे।  कैसे कुछ होगा।  किसी कार्य को करने के लिए जब काम को अपनी जिम्मेवारी में लेते है। तो उससे जुड़े बहुत से दुविधाएं रूकावट पड़ेशानी भी आते है।  इसके लिए एक एक विषय पर चिंतन मनन करना पड़ता है।  उस कार्य के गहराई में जाने के लिए  मन में कल्पना करना पडता है।  कल्पना करने के लिए एकाग्र होना जरूरी होता है।  चुकी सक्रिय काम में सकारात्मक कार्य का दबाव होता है। इसमे एकाग्रता का पूरा सहारा मिल जाता है।  मन में चिंतन करने के लिए  किताबी ज्ञान तो मस्तिष्क में होता ही है।  जब तक उस कार्य के बारे में नहीं सोचेंगे। तब तक  उससे जुड़े ज्ञान मस्तिष में कैसे उभरेगा। इसलिए अपने कार्य को करने के लिए  एक एक विषय पर चिंतन मनन करना पड़ता है। मनम करने से मन कार्य के अनुकूल होता है।  जिससे कल्पना में उस कार्य को एकाग्र कर के कार्य से जुड़े उपयुक्त साधन के बारे में विचार करने से उस कार्य को पूरा करने में सक्रियता बढ़ जाता है।  फिर मन कार्य के अनुसार कार्य करता है। जिससे वो काम पूरा होता है। इसलिए कल्पना सोच समझ ज्ञान से महत्वपूर्ण है।

Monday, August 2, 2021

वास्तविक ज्ञान मन मस्तिष्क के सोच समझ में बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करना सब के लिए मान मर्यादा हो मन बुध्दी विवेक सक्रिय हो

वास्तविक ज्ञान

 

वास्तविक ज्ञान को देखा जाय तो आज के समय में लोग एक दूसरे के लिए कुछ नहीं कर पता है और कही न कही एक दूसरे से जलष की भावना रहता है। ऐसा लगता है की इस संसार में हर कोई प्रत्योगिता के दौर में एक दूसरे से आगे निकलने की कोर्शिस में एक दूसरे की मान मर्यादा जैसे भूल ही गये है। वास्तव में ऐसा नहीं होना चाहिए।

वास्तविक ज्ञान मन में स्थिरता और करुणा की भावना से कुछ करे तो सफलता जरूर मिलेगी। संसार सब के लिए है। सभी का बराबर अधिकार है। कोई कम तरक्की करता है, कोई ज्यादा पर इससे कोई बात नहीं होना चाहिए। यदि लोग एक दूसरे से मिलजुलकर रहे। एक दूसरे के साथ दे तो जो कमजोर लोग है उनको थोड़ा सहारा मिल सकता है। 

वास्तविक ज्ञान में दया करुणा की भावना जब तक अपने मन के अंदर नहीं आयेगी, तब तक ये सब संभव नहीं है। दया करुणा से ही मन को अशीम शांति मिलती है।  जिसके पीछे इंसान भागता है। जब तक लोग एक दूसरे के लिए नहीं सोचना सुरु नहीं करेंगे।  तब तक जीवन में शांति नहीं मिलेगी।  जिस दिन ऐसी भावना जागेगा।  उस दिन से शांति महशुश होना सुरु हो जाइएगा। क्योकि शांति एक महशुस है। शांति एक आभाष है। शांति कोई कितनी भी धन संपत्ति से नहीं खरीद सकता है। वो स्वतः ही प्राप्त होता है।

वास्तविक ज्ञान कि परिभाषा भी कुछ ऐसे ही बाना है। जब तक हमारा मन मस्तिष्क शांत नहीं होगे। तक शांति नहीं मिलेगी।  जब तक एक दूसरे से आत्मीयता से नही जुड़ेंगे। तब तक विचार का अदन प्रदान नही होगा। जब एक दूसरे के लिए नहीं सोचेंगे। तब तक कुछ संभव नहीं है।  मुख्य अशांति का कारण यही है। एक दूसरे को ठीक से नहीं समझना।  जिस दिन हम एक दूसरे को मन से ठीक से समझने लगेंगे। शांति अपने आप मिलने सुरु हो जाएगी।

वास्तविक ज्ञान मन के कल्पना सोच समझ में जिस दिन से शांति मिलनी सुरु हो जाएगी। फिर नही कोई वाद न विवाद होगा। न झगड़ा न लड़ाई होगा। क्योकि तब तक सब एक दूसरे से जुड़ चुके होंगे। एक सम्पूर्ण परिवार की तरह। जहा एक सम्पूर्ण परिवार होता है। वहाँ लोग सजग और जानकार भी होते है। तभी वो परिवार चलता है। कोई गलती करता है। तो बड़े बुजुर्ग उसकी सहायता कर के उसकी गलती सुधाने में मदद करते है। जिससे उसका ज्ञान बढ़ता है। तरक्की करता है। 

वास्तविक ज्ञान जिस दिन होगा हम स्वयं शांति महशुस करने लगेंगे। अच्छा महाशुस करने लगेंगे। उस दिन से सब शांति महशुस करने लग जायेगा। सब अच्छ लगने लगेंगा। यही वास्तविक ज्ञान है।

वास्तविक ज्ञान में जीवन की कल्पना में सुख शांति होना चाहिये। मन मस्तिष्क के सोच समझ में बुद्धि विवेक का पूरा इस्तेमाल करना चाहिये। जिसमे सब के लिए मान मर्यादा हो। स्वयं अपने मन पर पूरा नियत्रण हो। जो जरूरी हो। जरूरी विषय और कार्य को करना चाहिये जिससे मन, बुध्दी, विवेक सक्रिय हो।


Sunday, August 1, 2021

अंजान ब्यक्ति के ज्ञान को कैसे समझे? हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में क्या है? मनुष्य के ज्ञान को कैसे समझे?

मनुष्य के ज्ञान को कैसे समझे? 

मनुष्य के ज्ञान में अक्सर कहा जाता है। इंसान को नहीं उनके ज्ञान को समझना चाहिए।  हम तो कहते है की ज्ञान के माध्यम से इंसान को समझिये।  उसके मन में क्या है।  क्या ख़ासियत है की वो सब मे महान है।  उसके अंदर क्या अहमियत है। वो सबका प्यारा क्यों है।  क्यों उसके तरफ हर कोई आकर्षित होता है।  उसका स्वछन्द सोच विचार ही है। सबको अपने तरफ आकर्षित करता है।  ये मायने नहीं रखता है की वो अमीर है या गरीब है। ये भी मायने नहीं रखता है। वो छोटा है या बड़ा है।  यहाँ तक की हम कह रहे है। ये भी मायने नहीं रखता है की वो अपना है या पड़ाया है।  मायने तो यही रखता है की वो क्या बात रहा है। हम क्या उनसे ज्ञान का अनुशरण कर रहे है।  यदि उनकी बाते हमारी मन को छु जाती है। हमारे मन को अच्छी लगती है। जिससे हमें खुशी महशुस होती है। वास्तव में वो ज्ञानी है।  जो सबको आकर्षित किये हुए है।  इसलिए वे महान है।  कभी भी हमें ऐसे व्यक्ति की उसके शारीरिक दशा से नहीं आंका जाना चाहिए।  ऐसे ब्यक्ति को ज्ञान से आका जाना चाहिए।  जो वास्तव में वो सबको ज्ञान के माध्यम से समझना चाह रहा है  क्यों की वो हमें सिर्फ और सिर्फ ज्ञान हि देते है। हमें उनका अनुसरण भी करना चाहिए।  कही कही किसी  किसी रास्ते पर अक्सर मिलते है। हम अज्ञानवश उनको समझ नहीं पाते है।  बाद में पछताना होता है। 


 अंजान ब्यक्ति के ज्ञान को कैसे समझे? 

अंजान ब्यक्ति के ज्ञान में कभी भी किसी अनजान व्यक्ति या कोई चाहे कही भी मिले उनको तुरंत जवाब ही दीजिये जब तक की वो पूरी तरीके से अपने बारे में बता दे उनकी मंसा क्या है आपसे मिलाने के कुछ देर बाद बात करने के बाद वो हमें समझ आने लग जायेगा  इससे फायदा ये होगा की वो कोई ज्ञानी है या कोई धूर्त है  कही वो हमें अपने जाल में तो नहीं फ़सा रहा है  इससे एक और फायदा होगा अपने बारे में उनको पता नहीं लगेगा और उनकी बातो को हम समझने लगेंगे  वो वास्तव में क्या है  यदि कोई शंका हो तो उनसे किनारा कर लीजिये  यदि उनकी कोई अच्छी बात अच्छी लगे तो और सुनिए  कोई भी इंसान अपने से मिलेगा  यदि वो लालच भरी बाते कर रहा है तो उनसे किनारा करे और अपने रास्ते पर चलते रहिये कई बार ऐसा होता है लोग उनके जाल में फस कर अपना बहुत कुछ गवा लेते है। 


 हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में क्या है?

हाज़िर जवाब बात चित के ज्ञान में वही तक सही जहाँ हम अच्छी तरह से एक दूसरे को जानते है  जिनके बारे में हमें पूरा पता होता है  और हम एक दूसरे के मनोरंजन के लिए ही हाज़िर जवाब का इस्तेमाल करते है जरूरी सोच समझ के लिए हमें भी बहुत समझना होता है क्या सही है क्या गलत है ये हम सभी जानते है। 

Friday, July 30, 2021

ज्ञान इसलिए जरूरी है. जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है

ज्ञान के कई रूप होते है 

ज्ञान कई तरह से  प्राप्त किया जा सकता है. कोई किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है, तो कोई सुनी सुनाई बात के माध्यम से भी ज्ञान प्राप्त करता है. पर वे सच्चे पारखी होते है, जो सुनी सुनाई बात से ज्ञान प्राप्त करता है. जो कोई भी यदि सही संस्कार के बिच रहा हो. उसका आचरण अच्छा हो तो उसकी परख अच्छी होती है. उसको पता होता है कि सही क्या है?  गलत क्या है? उसकी ज्ञान की गहराई बहुत अच्छी होती है.  

 

ज्ञान जो व्यक्ति किताब के माध्यम से ज्ञान प्राप्त  करते है 

ज्ञान  के मामले में उसकी सोच सीमित होती है. जो व्यक्ति किसी गुरु के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करता है. उसकी सोच असीमित होती है. क्योंकि उस के हर सोच में गुरु की विद्या होती है. गुरु उसके हर जगह मददगार होते है. यदि वो व्यक्ति कही पर फस जाता है. तो वो गुरु की मदद से निकलने में या निर्णय लेने में. हर जगह गुरु मदत करते है. ये बात सिर्फ शिक्षा से ही जुड़े हुए नहीं है. हमें तो जीवन के हर मोड़ पर ज्ञान की आवश्यकता होती है. ताकि हम कही फसे नहीं या बिखरे नहीं. ये नियम तो रोज ही होते है. घर परिवार में, काम धंधे में, समाज में, दोस्तों में, जान पहचान में, किसी व्यवहार में, रस्ते पर, बहुत से ऐसे मौके है, जहा हर जगह  ज्ञान की आवश्यकता पड़ती है. कल्पना करे ज्ञान नहीं होगा तो क्या होता?  ज्ञान के बगैर हर जगह हम फसते रहेंते, ज्ञान के बगैर मुसीबत में जाते रहेंते.  इसलिए ज्ञान बहुत जरूरी है.  सोच समझ कर निर्णय लेना होता है की हमें ज्ञान किस प्रकार का लेना है. 

 

ज्ञान का इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से भी हो सकता है

ज्ञान के माध्यम से ये जरूरी है कि हर व्यक्ति को हर प्रकार का ज्ञान होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो हर जगह फसता जायेगा. जहा पर जैसा ज्ञान जरूरी है.  वैसे ही इस्तेमाल करे तो सब ठीक रहेगा. अब मान लीजिये की हम अपने काम धंधे में कोई मेहनत का काम कर रहे है. यदि सोचेंगे की कार्यालय में बैठ कर कोई काम करे और उस ज्ञान के पीछे भागेंगे तो क्या होगा. कल्पना का परिणाम अच्छा नहीं होगा. क्योंकि तब न मन से वो अपने काम प ध्यान दे पायेगा और मन लगातार नए काम के तरफ ध्यान दे पायेगा. जहा वो समय भी नहीं दे पा रहा हो. तब न ये होगा.  न वो होगा.  तब वहाँ एकाग्रता भांग होने का डर हो जायेगा. और अंत में दोनों ही काम बिगड़ जायेंगा. 

 

ज्ञान इसलिए जरूरी है 

ज्ञान के स्त्रोत जिस तरफ अपने मन का झुकाओ हो, जिस तरफ अपना मन अच्छे से लग रहा हो, सोच समझ और कल्पना अच्छा होन चाहिए. उसी ज्ञान के पीछे भागे तो सब अच्छा है. इसके लिए अपने मन में सोचे की मन वास्तव में क्या कल्पना करना चाह रहा है. यदि मन की आवाज सुनाने में सक्षम  है. उसकी वास्तविकता को समझ रहे है. तो उस तरफ जरूर जाय. सफलता आपका इंतजार कर रहा है.  

 

अच्छी ज्ञान की परिभाषा 

ज्ञान मनुष्य के जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि दिलाती है. उसी ज्ञान के माध्यम से हर जगह सफलता मिलती है. हर रस्ते में मार्गदर्शन मिलता है. उसके पास हर बात का जवाब होता है. वही सच्चा ज्ञानी है. 

जीवन के प्रेरणा स्त्रोत तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है. जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है

प्रेरणा स्त्रोत


प्रेरणा स्त्रोत जीवन के तब कहा जाता है. जब किसी के जीवन में कोई प्रेरणा किसी अछे व्यक्ति से मिलता है. जिससे वो अपने जीवन में परिवर्तन कर के प्रगति करता है. जिनके ज्ञान से अपने जीवन को लाभान्वित करता है. प्रेरणा का प्रभाव ऐसा होता है की जिसके जीवन किसी के प्रेरणा मिल जय तो ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में भर जाता है. जिनके जीवन में ख़ुशी और प्रसन्नता जीवन में स्थापित हो गया. समझ लीजिये उनका जीवन सफल है. किसी का प्रेरणा जीवन में बहुत कुछ लाता है.

प्रेरणा स्त्रोत विज्ञान के विषय में सुरु में जिन विज्ञानिको ने जो आविस्कर किया उससे प्रेरणा लेकर उनके बाद आने वाले विज्ञानिको ने दिन प्रति दिन आविस्कारो को बढ़ाते हुए आज हम सब के लिए जीवन सुलभ कर दिया है. यदि आज के समय में हम लोग किसी भी क्षेत्र में कुछ करना कहते है तो सभी कही न कही विज्ञान के ही देन है. इसलिए हमलोगों के लिए सबसे बड़ा प्रेरणा स्त्रोत विज्ञान ही है. भले लोग इस बात को माने या न माने. चाहे दुनिया के किसी भी क्षेत्र में जा कर देखे. सब जगह विज्ञान के ही आविस्कर है. जो दुनियाभर के विज्ञानिको ने ही किया है आज के समय में तो सबसे बड़ा प्रेरणा के स्त्रोत वैज्ञानिक ही है.

प्रेरणा स्त्रोत अविष्कारक ही सृष्टि के जननी होते है. जिस तरह कोई व्यक्ति सिर्फ ज्ञान से पूरा सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है. जब तक की अच्छा अनुभव नहीं प्राप्त हो अनुभव ही ज्ञान का विस्तार करता है. नए सृजन का निर्माण करता है. ज्ञान का अनुभव भी प्रेरणा के स्त्रोत होते है. सिर्फ अपने लिए ही नहीं अपितु अपने ज्ञान का अनुभव दूसरो के लिए भी प्रेरणा के स्त्रोत बनता है.   

ज्ञानी कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है.

कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से कहते हैं. कि अगर हमारे सामने गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े है. तो आप किनके चरण स्पर्श करेंगे?  गुरु ने अपने ज्ञान के माध्यम से ही हमें अध्यात्म और भगवान से मिलने का रास्ता बताया है. इसलिए गुरु की महिमा भगवान से भी ऊपर होता है. हमें गुरु के चरण स्पर्श करना चाहिए।

कबीर दास जी के ज्ञान के अनुसार जो ब्यक्ति हमें कोई रास्ता बताता है. ज्ञान देता है. वही ज्ञानी ब्यक्ति गुरु हमारे जीवन में महत्त्व महत्पूर्ण होता है.

ज्ञान से सब कुछ होता है. ज्ञान ही कर्म की जननी है. ज्ञान है तो उपार्जन जरूर होगा. ज्ञान है तो कर्म और सत्कर्म होगा. जब ज्ञान हमारे लिए इतना उपयोगी है. तो हम ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति कर सकते है. इसलिए ज्ञान देने वाले ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्पूर्ण है.

ज्ञान बचपन से अपने बच्चे को सिखाना चाहिए. ज्ञान सबसे पहले माता पिता से मिलना चाहिए.

ज्ञान भले जीवन में किसी से भी क्यों न मिले. ज्ञान हर किसी से सीखना चाहिए. ज्ञान ये मायने नहीं रखता है की ज्ञान देने वाला ब्यक्ति अच्छा है या बुरा है.

वास्तविक ज्ञान वही है जिसको अछे और बुरे की पहचान हो. ज्ञान बुराइयो से सामना करना सिखाता है. ज्ञान समझ का फेर है की कौन सा ज्ञान हम ग्रहण कर रहे है.

ज्ञान के माध्यम से खुद को सामझ जायेंगे तो गलती क्यों होगी. सकारात्मक ज्ञान के रास्ते पर चलेंगे तो और भी ज्ञानी महापुरुस मिलेंगे. हर ज्ञानि को गुरु बनाते हुए. जीवन को ज्ञान से भरते हुए. जो भी कर्म कार्य करेंगे सफलता निश्चित मिलेगी. इसलिए ज्ञानी ब्यक्ति गुरु ही हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.

Thursday, July 29, 2021

सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है. मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही सोचे तो हर कार्य सफल होगा।  


विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है. 

जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है. सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है. सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है. जिससे मस्तिष्क शांत और सक्रीय होता है. सकारात्मक सोच विवेक बुध्दी को मजबूत बनता है. सकारात्मक सोच के साथ जो भी  कार्य होता है. उस कार्य को करने से मन में हर्स और उल्लास का महल पैदा होता है. जिससे कार्य को करने में मन लगा रहता है. किसी भी कार्य के सफलता के पीछे सबसे पहले मन का स्थिर होना अति आवश्यक है. मन के स्थिर रहने से से काम काज में मन लगता है. मन को स्थिर रखने के लिए सकारात्मक होना जरूरी है. सकारात्मक होने के लिए सोच को सकारात्मक रखना ही पड़ेगा तभी मन स्थिर होगा. एक तो सबसे बड़ी बिडम्बना है की मनुष्य का अचेतन मन, सचेतम मन से ज्यादा सक्रीय है. अवचेतन मन अचेतन मन और सचेतम मन से कही ऊपर होता है जिसका सीधा संपर्सक कल्पना से होता है. सचेतन को बढ़ाने का एक मात्र तरीका है. मन को एकाग्र भाव में स्थिर रखना. जब तक सोच और कल्पना सकारात्मक नहीं होगा. तब तक किसी एक विषय पर काफी समय रुकन बहूत मुश्किल है. इसलिए बेहतर है की अपने सोच को सकारात्मक करे तभी एकाग्रता का विकास होगा और जीवन में उन्नति होगी. एकाग्रता का मतलब है किसी एक विषय पर लम्बे समय तक रुकना. एकाग्रता एक सकारात्मक भाव है.


सकारात्मक सोच समझ और सकारात्मक कल्पना से बढ़ता है. 

एकाग्रता ज्ञान को बढाता है. ज्ञान से बुध्दी विवेक सकारात्मक और सक्रीय होता है. इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है.

 

Saturday, July 10, 2021

बुद्धि विवेक से किया गया हर कार्य सफल होता है। मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही करे तो हर कार्य सफल होगा

विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है, सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

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Two types of meditation for both types of meditation to happen automatically a little effort has to be made in the beginning, later meditation happens automatically

Meditation of the divine Meditation is done in many ways  Meditation is tried in the beginning, later meditation happens automatically. Me...