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Wednesday, January 5, 2022

धूर्त ये समझे की मैं जित गया हूँ और सामने वाला मेरे दर से हार गया है तो भी कोई बात नहीं है.

समझदार व्यक्ति अपनी समझदारी के वजह से चुप हो जाते है. मुर्ख को लगता है कि मेरे दर के वजह से चुप हो गया है.

 

समझदारी सरल व्यक्ति के सकारात्मक गुण है.

कभी कभी ऐसा भी होता है की कुछ मामले में चुप रहने में ही भलाई है. भले चुप रहने से अपना कुछ नुकसान हो रहा तो भी फिक्र करने की जरूरत नहीं है. ज्ञानवान व्यक्ति उसे दोबारा अर्जित कर सकते है. पर धूर्त व्यक्ति से किसी विषय वस्तु पर उलझना कभी भी ठीक नहीं होता है. ज्ञान सकारात्मकता को बढ़ावा देता है. अज्ञान अंधकर की ओर धकेलता है. जिससे निकल पाना इतना आसन नहीं होता है.

 

ज्ञान ही साझदारी है, और समझदारी ही ज्ञान है.

ज्ञान और समझदारी एक दुसरे से ऐसा संबंध रखते है मनो ये दोनों एक दुसरे के लिए ही बने हो. जिनके अन्दर समझदारी है वही ज्ञानी भी है ऐसा समझना चाहिए. समझदारी कभी भी नहीं कहता है की नासमझ बनो. जो काम शांति से बन सकता है उसमे उलझने की कोई जरूरत नहीं है. यही व्यक्तित्व में मर्यादा भी होना चाहिए. जो काम सुलह से बन सकता है उसमे बहस करने से कोई मतलब नहीं है. बहस करने में शक्ति परिक्षण होता है. शक्ति का दुरूपयोग बिलकुल भी ठीक नहीं है इसके स्थान पर शक्ति का सकारात्मक उपयोग होना चाहिए. जिससे मन को शांति मिले और सुलह कामयाब हो सुलह करने में भले अपना कुछ जाता है तो भी कोई बात नहीं है. अपने पास शक्ति है तो वो दोबारा प्राप्त किया जा सकता है. पर एक तुच्छ वस्तु के लिए किसी धूर्त से बहस करना बिलकुल भी ठीक नहीं है.

 

धूर्त ये समझे की मैं जित गया हूँ और सामने वाला मेरे दर से हार गया है तो भी कोई बात नहीं है. 

जगत विदित है की नकारात्मक प्रवृति वाले लोग के पास शक्ति ज्यादा होता है साथ में उसके शक्ति भी सक्रीय होते है पर वो किसी के भले के नहीं हो सकता है. अच्छाई के लिए तो बिलकुल भी नहीं होता है. आमतौर पर ऐसे लोग जित ही जाते है. चुकी एक भला इन्सान गलती कभी नहीं करता है उसके अन्दर सहनशीलता अपार होता है. वो कुछ खो कर भी बहूत कुछ प्राप्त कर लेता है इससे उसका ज्ञान ही बढ़ता है. सबसे बड़ी बात ये है की उसके हृदय में ख़ुशी और उत्साह के लिए जगह होता है. जिसे वो कभी भी ख़राब नहीं कर सकता है.

 

इसके विपरीत धूर्त व्यक्ति निर्दय, क्रोधी, जिसके मन में दूसरो से लेने और छिनने की भवन होता है.

जो दिन प्रति दिन बढ़ता ही जाता है. संभव हो तो ऐसे धूर्त लोगो को सदा निरादर करे इससे दुरी बना के रखे. किसी भी तरह से उससे उलझे नहीं. ऐसे लोगो से कोई मतलब नहीं रखे. यदि ऐसे लोगो को सजा देने या दिलाने में सक्षम है तो ऐसा जरूर करे. इससे समाज कल्याण भी होगा धीरे धीरे बुराई भी घटने लगेगा. 

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