Saturday, July 10, 2021

कर्म से बड़ा कुछ नहीं होता है कर्म ही महान है और वही अध्यात्म है वही जीने की राह है वही सच्ची ख़ुशी है और वही इंसानियत है।

कर्म से मन पर प्रभाव 

कर्म मनुष्य का धर्म है  जो जीवन के अध्यात्मिल प्रगति के लिए बहुत आवश्यक है  अध्यात्म मनुष्य के जीवन जीने की कला है जीवन उच्च आदर्श के सिखने कला है  यहाँ पर तीन ज्ञान रूपी अध्यात्म का जिक्र सात्विक राजसी और तामसी है मानसिक इस्तिथि चाहे कैसी भी हो  ज्ञान उसको परिवर्तित कर सकता है एक तामसी ब्यक्ति सही प्रकार से ज्ञान के रस्ते पे चले तो अपने आत्मिक उथ्थान में प्रगति कर सकता है  सात्विक राजसी तामसी स्वभाव होता है  जो अंतर्मन से जुड़ा होता है जिसमे परिवर्तन इतना आसान नहीं होता है मन आसानी से परिवर्तित नहीं किया जा सकता है  मन में परिवर्तन के लिए बहुत कुछ करने पड़ते है  वो माध्यम है कर्म करना  मन को लाख मना ले पर वो मानता नहीं है  कर्म से ही मन में परिवर्तन होता है  अच्छे कर्म करने वाले के मन प्रफुल्लित होते है हर्ष और उल्लास होने भरा होता है दुसरो के खुशिया देने के माध्यम से खुशिया स्थापित हो जाते है। 

 

कर्म से मन कैसे परिवर्तित होता है 

 मन लीजिये हम बुरा कोई काम करते है तो उससे उससे हमारा  मन उद्विघ्न हो जाता है जब उसी बुरे काम के जगह हम अच्छा काम किसिस के भली या सेवा के लिए करते है तो मन प्रस्सनता आता है  भले हम चाहे कितने भी बुरे क्यों हो या हम मिर्ची कहते है तो तीखा लगता है जब चीनी  मीठा लगता है  वैसे ही बुरे इंसान के द्वारा अच्छा सेवा भाव पर अच्छा कर्म करने से उस बुरे इंसान को कुछ समय के लिए या कुछ पल के लिए मन प्रफुल्लित जरूर होता है  इसलिए निस्वार्थ सेवा भाव से मन और जायदा प्रफुल्लित होता है जैसे समाज या ब्यक्ति विशेष के लिए कुछ अच्छा करते है पर वह पर मन के अंदर किसी विषय वास्तु के प्राप्त करने केलिए कल्पना नहीं होना चाहिए  तब निस्वार्थ सेवा भाव जरूर फलित होता है। 

सतत प्रयास से मन शांत और एकाग्र होता जिसमे प्रस्सनता, प्रफुल्लता, हौसला, साहसकिसी कार्य के लिए प्रयास करने का छमता, दृढ निष्चय, निरनरंतर काम करने की छमता प्राप्त होना 

मन को धीरे धीरे प्रफुलित किया जाता है  ये प्रयास निरंतर होना चाइये  बच्चो से पायरी पैरी बाते करने से उनको कुछ मीठा खिलने मन प्रस्सन होता है चाहे कोई भी प्यारे बच्चे को देखने से किसी का भी मन प्रस्सन होता है। सेवा, किसी  की कार्य को समय पर पूरा करने से से आलस्य दूर होता हैआलस्य दूर करने  के लिए भी निरंतर मेहनत करना पड़ता है जिससे एकाकी भाव उत्पन्न होता है जिससे किसी भी कार्य या सेवा भाव के लम्बे समय तक कायम रखने के लिए छमता प्राप्त होता है  जिसे आलस्य बिलकुल समाप्त हो जाता है। दृढ निश्चयत के गुन का विकास होता है। निस्वार्थ सेवा भाव कर्म से आत्मिक उन्नति बढ़ता है जिससे प्रस्सनता प्रफुल्लता मन में बढ़ता है जिसे मन में सच्चे मायने में ख़ुशी प्राप्त होता है, नकारात्मक भाव समाप्त होने लगते है, सकारात्मक ऊर्जा जीवन में फैलता है, निस्वार्थ कार्य सेवा भाव से जीवन में उन्नति मिलता है लोगो में पहचान बढ़ता है, यश और कृति प्राप्त होता है जिससे वह ब्यक्ति महान बनता है। वही वास्तव में इंसान कहलाता है। 

कर्म से बड़ा कुछ नहीं होता है कर्म ही महान है और वही अध्यात्म है वही जीने की राह है वही सच्ची ख़ुशी है और वही इंसानियत है। 


सकारात्मक जीवन के प्रेरणादायक के बारे में कहूँ तो मनुष्य के जीवन में तरक्की का बहुत बड़ा कारण प्रेरणा स्त्रोत होता है, जो की किसी ऐसे ब्यक्ति से मिलता है

जीवन के प्रेरणा स्त्रोत


सकारात्मक जीवन के प्रेरणादायक के बारे में जानकारी

मनुष्य के जीवन में तरक्की का बहुत बड़ा कारण प्रेरणा स्त्रोत होता है, जो की किसी ऐसे ब्यक्ति से मिलता है जिससे कुछ सिख के, प्रेरणा लेकर कर अपने क्षेत्र में उन्नति करता है, लोगो के बिच में सराहनीय कार्य करता है, सामाजिक कार्य हो या अपने काम काज, ब्यापार के विस्तार में बहुत अच्छा काम करता है,  ये सभी क्रिया कलाप अपने जीवन के प्रेरक वक्ता के प्रेरक विचार से प्रेरित होकर सीखता है, अपना विस्तार करता है,  वही ब्यक्ति उसके प्रेरणा स्त्रोत कारन बनता है। 


सकारात्मक जीवन के उद्धरण में प्रेरणा 

प्रेरणादायक ऐसे ही एक कलाकार का जिक्र है  जो की उस समय स्कूल में पढता था और  पढाई लिखाई में रहता था,  तब तक उसके जीवन का कोई उद्देश्य भी होता है वो ज्ञान नहीं था,  आम तौर पर सभी के जीवन में कोई न कोई दोस्त होते है या कई दोस्त होते है,  उसने किसी से दोस्ती नहीं किया था, उसके पिता अच्छे कलाकार थे,  मिटटी के मूर्ति के अच्छे कलाकार थे, अपना काम काज करते थे, उनके जीवन में कला का ही महत्व था  इसलिए वे सकारात्मक जीवन के उद्धरण और प्रेरणादायक कला के प्रेमी थे, उनके एक मित्र पेंटर थे, वो भी अच्छे प्रेरणादायक कलाकार थे। 


आत्म प्रेरणा कारक की जानकारी 

बात उन दिनों की है,  जब वो ९ कक्षा में पढता था  ऐसे ही एक दिन उनके पिता जी के दोस्त किसी काम के सिलसिले में उनके घर पर आये तब वो देखे की बाप और बेटे दोनों घर पर ही है,  तभी उन्होंने उस लड़के से कहा ही की बेटा तुम अपने जीवन में क्या बनोगे ?  कुछ सोचा है या नहीं ! अभी तुम्हारा समय है, अभी नही सोचोगे तो आगे कैसे बढोगे ? तब उस लडक ने जवाब ,दिया की चाचा जी अभी तो पढाई कर रहा हूँ, कुछ सोचा नहीं हूँ, तब उन्होंने प्रेरक विचार बताया की बेटा तुम अपने पिता जी का काम क्यों नहीं सीखते हो ?  अभी नहीं सीखोगे तो कब सीखोगे ?  मेरा तो मानना है की यदि अपने पिता जी का काम  सिख लेते हो तो तुम्हे और अच्छे से सिखने को मिलेगा, उनको हर प्रकार के मूर्ति बनाने का ज्ञान है  तुम अच्छे से सिख भी लोगे तुम्हे कोई परेसानी भी नहीं होगी  पढाई लिखाई जैसे कर रहे हो वैसे ही चलता रहेगा  साथ में काम भी सीखते रहोगे अपनी मर्जी से यही समय हे कुछ सोचने का अभी नहीं सोचोगे तो बाद में बहुत देर हो जाएगी, इतना प्रेरणादायक विचार देकर और जिस काम के लिए आये थे, वो पूरा कर के चले गये।  


आत्मनिर्णय के सिद्धांत 

सिद्धांत को देखा जय तो प्रेरक विचार उस बच्चे को जो प्रेरणा उनके पिता जी के दोस्त से मिला, वो उस बच्चे के लिए जीवन में एक प्रेरणा मिल गया, जिससे वो पढाई लिखाई के साथ साथ प्रेरणादायक उद्धरण से प्रेरित होकर थोड़ा बहुत अपने पीता जी के साथ भी काम करने लगा,  कक्षा १० की पढाई और परीक्षा में प्रथम स्थान ला कर पास हुआ आगे वो कक्षा १२ की तैयारी में लग गया, उच्च माध्यमिक की पढाई २ साल का होता है,  इसलिए उसके पिता जी ने उसके लिए एक कमरे की ब्यवस्था कर दिए,  ताकि सकररमक ढंग से एकाग्र हो कर पढाई और काम दोनों साथ साथ कर सके, ऐसा मौका मिलते ही आत्म प्रेरणा से प्रेरत उसने दोनों तरफ मेहनत सुरु कर दिया,  तब दिन में पढाई और देर रात तक मूर्ति बनाने के काम को शांत माहौल में सिखने लग गया, जिसमे उसके पिता जी भी साथ देते थे, देर रात तक जागने के लिए मना  करते थे  चुकी ऐसा करने से उसके स्वस्थ पे असर पर रहा था,  ऐसा करते करते वो कक्षा १२ उच्च माध्यमिक दूसरे स्थान से पास किया, तब उसने निर्णय लिया की आज जो भी सीखा हूँ  अपने पिता जी के ज्ञान से ही सीखा हूँ और पिता जी के दोस्त के दिए प्रेरणादायक विचार से ही प्रेरित होकर आज यहाँ तक पंहुचा हूँ,  पढाई पूरा करने के बाद वो उसी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए काम काज सुरु किया और आगे बढ़ा और दुसरो के लिए प्रेरणादायक उद्धरण बना।  


लक्ष्य निर्धारण सिद्धांत के आधार

उस बच्चे ने आगे चलकर पढाई तो ज्यादा नहीं किया पर कला के सकारात्मक  दिशा में  व्यक्तिगत प्रेरणा से प्रेरित हो कर अपने पिता जी के ब्यापार में सहायोग देने लग गया।  इससे उसके लिए प्रेरक वक्ता के दिए हुए प्रेरणा से एक ब्यापार मंच पर अपने आप को खड़ा पाया।  उसके पास पूरी जानकारी और काम काज के तकनिकी बचपन से देखा था व्यक्तिगत प्रेरणा के माध्यम उनके पिता जी थे, जिससे उसको सिखने में  बहुत मदत मिला। 

कला के दुनिया में पारंगत होने के बाद

उसने अच्छा खासा ब्यापार किया।   जितना सकारात्मक कलाकार होते है, जिस दिशा में कलाकार बढ़ते है, वो एक अद्यात्म से काम नहीं हैकला वही पलता है, जहा सब कुछ सकारात्मक होते है। जिससे उस ब्यक्ति का जीवन भी सकारात्मक और प्रेरणादायक हो गया, आगे बढ़ता गया  मेहनत भी बहुत अच्छा किया जिससे उसके जीवन सकारात्मक चलता रहा

 

प्रेरक उद्धरण 

ये है की जो मेहनत करता है मेहनत से कभी नहीं भागता है भले ही पढाई लिखाई के समय उसने कंप्यूटर ज्ञान नहीं लिया था, तब वो पढाई लिखाई छोड़ने के साल बाद कंप्यूटर के ज्ञान के लिए संस्थान में अध्यन किया जहा उसने आधुनिक ताकनिकी सिखने में पौने साल लगाया। वो एक कलाकार था, उसको पता था की किसी भी ज्ञान की बारीकियत सिखने में समझने में समय लगता है,आत्म प्रेरणा कौशल से प्रेरित होकर उसने समय दियाकंप्यूटर के अध्यन के लिए समय उसने ऐसा चुना की जो कोई सोच भी नहीं सकता है, दोपहर के एक बजे जब लोग खाना खाने जाते है ताकि काम काज का नुकसान हो  चुकी उस समय कामगार लिए एक घंटा का छुट्टी करते हैआत्म प्रेरणा से उस  समय का उपयोग किया। अपने काम काज में नई तकनिकी को शामिल करके व्यक्तिगत प्रेरणा से अपने लक्ष्य तक पंहुचा। 


दो कारक सिद्धांत

सिद्धांत पर अब चलना सुरु कर दिया जिसमे कंप्यूटर के माध्यम से कला का प्रदर्शन और ब्यापार को बढ़ने में बहुत मेहनत किया। 

प्रेरणादायक उद्धरण 

साल बाद वो पहला विदेश के काम सुरु किया और इस तरह से अपने काम ब्यापार को नए आयाम दे कर देशक विदेश तक पहुंचाया, इस तरह से उस ब्यक्ति ने प्रेरणादायक उद्धरण बन गया। 


इस माध्यम में एक अपने काम को सम्भालन और प्रचार और प्रसार को बढ़ाने में दिन रात मेहनत कर के दो करक सिद्धांत को पूरा करते हुए आगे बढ़ता रहा।  



 

प्रेरणा स्त्रोत 

उनके जीवन का प्रथम प्रेरणा स्त्रोत उनके पिता जी  दोस्त थे जिन्होंने पढाई लिखाई के समय प्रेरणा दिया बाद में काम काज सिखने में उनके कलाकार पिता जी प्रेरणा स्त्रोत बनकर पूरा सहयोग किये।  

 

प्रेरक उद्धरण

उनके पढाई लिखाई  के समय जो उनके पिता जी के दोस्त से प्रेरणा मिला वही उनके लिए प्रेरक उदहारण बना। 

 

प्रेरणादायक उद्धरण

अपने जीवन में पढाई लिखाई के साथ कलाकारी सीखना कंप्यूटर सीखना समय का सकारात्मक साबुपयोग करना उपयोग करना प्रेरक विचार को सुनकर आत्मसात अपने जीवन में आत्मसाध करना उनके द्वारा दुसरो लिए प्रेरणादायक उद्धरण है। 

 

सकारात्मक उद्धरण

जो कार्य अपने लिए प्रेरणा मिला सकारात्मक ढंग से उस क्षेत्र में सीखनाविकास के लिए आगे बढ़ना, आने वाले समय के हिसाब से खुद को नए आयाम में परिवर्तित कर ने तकनिकी को अपना कर बढ़ना सकारात्मक उद्धरण है। 

   

सफलता उद्धरण

सच्चे मन से प्रेरणा स्त्रोत बनकर आये ब्यक्ति के प्रेरक विचार से प्रभावित हो कर सकारात्मक बनकर उस क्षेत्र में काम काज सीखना और बढ़ना सफलता उद्धरण है। 

 

प्रेरक विचार

विद्वान ब्यक्ति के दिए हुए विचार को जीवन में आस्थापित कर के आगे बढ़ना, विचार के हसाब से चलना, तरक्की में सफलता मिलानाप्रेरक विचार है जो उनके पिता जी के दोस्त से मिला। 

 

सकारात्मक जीवन उद्धरण

जीवन में चाहे कोई भी अवस्था हो, हर प्रकार के हाला  में समय को सकारात्मक मन कर, अपने क्षेता में बढ़ना आने वाले दिक्कतों का हल निकलकर आगे बढ़ना तरक्की करना सकारात्मक जीवन उद्धरण है। 

 

जीवन पर प्रेरणादायक उद्धरण

अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने का करना जो प्रेरणादायक ब्यक्ति होते है जिनसे प्रेरणा मिलता जीवन पर प्रेरणादायक उद्धरण होते है। 

 

आत्म प्रेरणा उद्धरण

जब हम अपने कार्य क्षेत्र या किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ते और आगे बढ़ने हौसला अपने अंतर मन से मिलता है, उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में सफलता मिलता हैआत्म प्रेरणा उद्धरण होता है। 

 

आत्म वृद्धि

विद्वान ब्यक्ति का ज्ञान मन को अच्छा लगता है, उससे कुछ सिखने को मिलता है, मन में हौसला जगता है, कुछ करने की उसमे सफलता मिलाने लग जाता है तो आत्म वृद्धि कहलाता है। 

 

 

व्यक्तिगत प्रेरणा 

विद्वान ब्यक्ति का विचार, कार्य कौशल से प्रभावित हो कर जब कुछ खुद कुछ ऐसा करने का मन करे, अंदर से हौसला मिले उस क्षेत्र में सफलता मिले, वह व्यक्तिगत प्रेरणा है। 

 

 

जीवन के उतार चढ़ाव में कल्पना का बहुत बड़ा महत्त्व होता है जिनके मनोबल कमजोर होता है जिनके पास आत्मबल और मनोबल मजबूत होता है उनके मन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है।

जीवन के उतार चढ़ाव में कल्पना का बहुत बड़ा महत्त्व होता है  


जीवन में आखिर किसी भी असफलता का कारन क्या होता है  

सबसे पहले सोचना चाइये की कहाँ क्या कमी रह गया है  कहाँ पर क्या करना था और क्या हो गया है  यही सोच विचार जब करते है तो उसको कल्पना कहा जाता है  मनुष्य चाहे किसी भी स्तर पर क्यों न हो  चाहे काम धंदा ब्यापार, समाज के बिच रहना बात बिचार करना, पढाई लिखाई, खेल कूद, उन्नति अवनति हर क्षेत्र में ब्यक्ति विकास करने के लिए कुछ न कुछ विचार करता है  उस सोच समझ को ही कल्पना कहते है।

 

सबसे गहन सोच कल्पना तब होता है 

जब किसी का बहुत बड़ा नुकशान होता है  मगर उस समय ज्यादाकर लोग विवेक बुद्धि के आहात होने के वजह से लोग कल्पनातीत भी हो जाते है  जिनके अंदर मनोबल कमजोर होता है या एकाग्रता का अभाव होता है  बहुत ज्यादा नुकशान होने से लोग नकारात्मक भी सोच लेते है या कल्पना में नकारात्मक भाव आता है  इसका मुख्य कारण मनोबल का कमजोर होना ही होता है  जो एकाग्रता को भंग  कर देता है  मन तो वास्तव में ऐसा होना चाइये की जो दुःख में हतोत्साहित न हो और सुख में उत्तेजना न हो  दोनो ही स्तिथि में सम रहने से जीवन में स्थिरता का निर्माण होता है  विवेक बुद्धि सक्रिय होता है  जीवन में सरलता और सहजता आता है  जो ब्यक्ति को निर्भय बनता है  आत्मबल और मनोबल मजबूत करता है।

 

मन पर अक्सर दो प्रकार का प्रभाव होता है 

एक सकारात्मक दूसरा नकारात्मक सकारात्मक प्रभाव वाले लोग अच्छे होते है  उनके अंदर ज्ञान होता है  उनका सोच समझ विचार कल्पना सब संतुलित होते है  वे कभी कल्पनातीत नहीं होते है सकारात्मक ब्यक्ति के बात विचार करने का ढंग सौम्य होता है  जो सबको अच्छा लगता है। 

 

जिनके मन में नकारात्मक प्रबृत्ति होता है  

ऐसे ब्यक्ति के मन एक जगह नहीं ठहरते है  उनके मन बिचलित रहते है  ऐसे ब्यक्ति अपने मन के पीछे भागता है  मन जैसा करता  है  उस और भागता है ऐसे ब्यक्ति के मन पर कोई नियंत्रण नहीं होता है  इसके पीछे मुख्या कारण है  ज्यादाकर कल्पनातीत रहना  जो कभी पूर्ण हो नहीं सकता है  उस विषय या कार्य के बारे में ज्यादा सोच विचार कल्पना करना  इससे बुद्धि विवेक कमजोर रहता है  मन में हमेशा उथल पुथल रहता है  ऐसे ब्यक्ति ज्यादा तर्क वितर्क करता है  स्वाभाविक है ज्यादा तर्क वितर्क से बनाबे वाला काम भी बिगड़ सकता है  किसी भी काम में सफलता या परिणाम तक पहुंचने के लिए सटीक सोच की आवश्यकता होता है जब कोई काम समझ कर करने पर भी पूरा नहीं होता है तो स्वाभाविक है  तर्क वितर्क उत्पन्न ही होगा  इसलिए मन में नकारात्मक प्रबृत्ति कभी नहीं होनी चाइये।     

 

बहुत ज्यादा सोचना या कल्पना करना भी उचित नहीं होता है 

इससे मन के भाव में बहुत फड़क पड़ता है  भले सरे सोच सकारात्मक ही क्यों न हो  सोच विचार के साथ किया गया कल्पना ही फलित होता है  बहुत जायदा सोचना या कल्पना करने से मस्तिष्क के साथ साथ मन पर भी बहुत असर होता है  जिससे स्वस्थ भी ख़राब हो सकता है  ऐसा तब होता है  जब सूझ बुझ कर किया गया कार्य या किसी विषय पर निर्णय के वजह से वह सब  ख़राब  हो जाता है  जिससे बर्बादी का कारण बन जाता है नाम मन मर्यादा प्रतिष्ठा सब  दाव पर लग जाता है  जब की इस बर्बादी के पीछे कारण कुछ और होता है  उस समय जो सोच समझ या कल्पना में विचार कुछ नही हो पता है  बहुत सोच विचार करने पर भी कोई जवाब नहीं मिल पता है  तब लोग कुछ गलत कदम भी उठा लेते है  जिनके मनोबल कमजोर होता है  जिनके पास आत्मबल और मनोबल मजबूत होता है  उनके मन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है।    

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है

जो सारा जीवन जलकर लोगो को प्रकाश देता है जिसे जलने में ही ख़ुशी मिलती है जब जलता है तो प्रकाश उत्पन्न होता जिससे लोगो को रोशनी मिलती है उसी को गैस बत्ती के मेन्टल कहते है।  

 

जीवन के प्रकाश में जलना 

जलना क्या होता है? जलना सिर्फ ब्यर्थ और बेकार नहीं होता है जैसा लोग समझते है, जलना उसको भी कहा है जो ज्ञान की तलाश में कोई शोध करता है कुछ प्रकाशित करता है कुछ लोगो को ज्ञान कराता है, इससे वस्तुविक कोई फायदा नहीं होता है पर लोगो को बहुत कुछ दे जाता है। ज्ञान के प्रकाश में ही सब कुछ की प्राप्ति होता है, वही आविष्कार कहलाते है कही न कही शोध करते  हुए  कुछ न कुछ खो कर ही पाये है, ऐसे ही सबकुछ आज दुनिया नहीं प्राप्त हुआ है,  शोधकर्ता ने अपने पुरे जीवन को कोई एक विषय पे अपने दिल और दिमाग को लगाकर, केंद्रित करके जो शोध किये है, आज उसी से हम सबका जीवन सहज हो गया है। 

 

 जीवन का पहला उपलब्धि पहला शोध पहला आविष्कार

हम अपने जीवन को कैसे समझते हैं, क्या करते हमारा दिमाग किस तरफ  जाता है, क्या हम अच्छा या बुरा सोचते हैं, वास्तविक जीवन के प्रकाश में सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक ही सोच होता है जो कि कोई विरले ही उस समझ को शोध में परिवर्तित करता है और वो परिपक़्व  हो कर उजागर भी करता है, वो दुनिया के सामने एक मिशाल भी कायम करता है, सबसे पहली शोध दुनिया में चक्कर की हुई थी वो भी अनायश जो एक पहलु में आकर पुरा हो गया और एक बहुत बड़ी शोध बन गया, वही गोलनुमा चक्र बन गया।  


एक ब्यक्ति कोई सामान घसीट कर ले जा रहा था  

तभी अचानक एक गोलनुमा वास्तु पर  वो समान सरकने लगा साथ में वो भी गोल गोल घुमने लगा और समान सहज तरिके से आगे बढ़ गया तब उस ब्यक्ति ने एक वास्तु को  एक गोलनुमा आकर देकर उसका उपयोग सुरु कर दिया। 


बाद में परिवर्तन दार परिवर्तन विकास करता हुआ 

वही गोलनुमा वास्तु आज गाड़ी के पहिये बनकर, माशिनो के गोलनुमा आकार के पुरजे बनकर गाड़ी, कल कारखाने और अनगिनत बहुत सारे उपकरण, यहां तक की रोजमर्रा के जीवन उपयोग होने वाले बहुत सरे बस्तु बन गए जिसपे आज पूरा  दुनिया चलता है। 

बुद्धि विवेक से किया गया हर कार्य सफल होता है। मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है मन को सकारात्मक पहलू के तरफ ले जाए और सकारात्मक ही करे तो हर कार्य सफल होगा

विवेक बुद्धि बुनियादी ज्ञान है जो की मस्तिष्क में ज्ञान के विकास से विवेक बुद्धि बढ़ता है, सही सोचन, सही करना, धरना को सकारात्मक रखना, मन में सेवा का भाव रखना, दुसरो के लिए सम्मान और हित का ख्याल रखें तो मन सकारात्मक होता है, सकारात्मक मन मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगे उठाते है जिससे मस्तिष्क शांत और सक्र्य होता है।

इसलिए विवेक बुद्धि से किया गया हर कार्य सफल होता है।

अहंकार मनुष्य के एकाग्रता सूझ बुझ समझदारी सरलता सहजता विनम्रता स्वभाव को ख़त्म कर सकता है

अहंकार मनुष्य के एकाग्रता सूझ बुझ समझदारी सरलता सहजता विनम्रता स्वभाव को ख़त्म कर सकता है 

 

अहंकार क्या होता है?  यह एक ऐसी प्रवृत्ति है  जिसमे इंसान खुद को डुबो कर अपना सब कुछ ख़त्म करने के कगार पर आ जाता है  इसका परिणाम जल्दी तो नहीं मिलता है, पर मिलता जरूर है  जब इसका परिणाम मिलता है  तब तक बहुत देर हो चुकी होती है  फिर कोई रास्ता नहीं बचता है  इस अहंकार के वजह से पहले तो उनके अपना पराया उनसे छूट जाते है  क्योकि वो कभी किसी की क़द्र नहीं करता है  अपने घमंड में समाज में वो आपने  को सबसे बड़ा समझता है  तो वाहा से भी लोग उससे किनारा कर लेते है  भले ताकत और हैसियत के वजह से कोई उनके सामने तो कुछ नहीं कहता है पर उनसे किनारा जरूर कर लेता है  इसका परिणाम घर में भी नजर आता है  जैसा स्वभाव उनका होता है वैसे ही घर के सभी लोगो का भी होता जाता है  तो उनसे भी लोग किनारा करने लग जाते है  ये हकीकत है  समाज में इस प्रकार के स्वभाव के लोगो को देखा गया है  हम किसी  ब्यक्ति विशेष का जिक्र नहीं कर रहे हैं  अहंकारी स्वभाव का जिक्र कर रहे है।  

 

ये अहंकारी स्वभाव का एक परिभाषा है  जो जीवन के राह में देखते आया हूँ  ऐसे लोगों के बारे में सुनता हूँ  समझता हूँ  कि ऐसे लोगों का आखिर होगा क्या?  सब कुछ तो है उनके पास सिर्फ सरलता नहीं  सहजता नहीं  मिलनसार नहीं  एक दूसए के दुःख दर्द में साथ देने वाला नहीं  जो सिर्फ अपने मतलब के लिए जीता है। 

 

जीवन में सब कुछ करे, खूब तरक्की करे, नाम बहुत कमाए  लोगो से खूब जुड़े जरूरतमंद की मदत करे  जिनके पास कुछ नहीं है  उनके लिए   मददगार बने ऐसा करने से ये भावना ख़त्म हो जाएगा  जीवन की निखार सहजता और सरलता से आते है  इससे मन प्रसन्न होता है  उदारता बढ़ता है  उदारता से जीवन का आयाम में विकास होता है  जिससे आत्मिक उन्नति होता है। 

 

 

वास्तव में मन का सीधा संपर्क तो आत्मा से होता  है, बाहरी उन्नति के साथ  आत्मिक विकास में बहुत अंतर होता है दोनों साथ साथ चलता है  अंतर्मन में घामड़ जैसी कोई भवन घर कर ले तो  जीवन में खलबली ला देता है  इससे मन की ख़ुशी समाप्त होने लगता  है, वाहा पर सब कुछ होते हुए भी जीवन निराश लगने लगता है  इसलिए निराश जीवन को सही करने के लिए सरलता और अहजता की जरूरत होता है, ईस से मन और आत्मा दोनों प्रसन्न होता वही वास्तविक ख़ुशी और प्रस्सनता है। 

Friday, July 9, 2021

Imagination is the expansion of one's desire in life, it is called imagination, after organizing the desire and collecting deep thoughts on it

Imagination meaning


Fantasy meaning

The importance of expanding one's desire in life is called imagination. Collecting deep positive thoughts in the mind by organizing the desire. To go in the direction of fulfilling the desire of the mind. Fulfilments of desire is the meaning of imagination. It is not just about imagining. It takes hard work to make a creative imagination come true. Positive thinking fulfils creative imagination. Positive desires of the mind are fulfilled. The main purpose of imagination is to organize positive desire and work in a positive direction to fulfil the desire in the mind. Arise mind move in the direction of fulfilling your positive desire. The mind is activated. It doesn't take much to fulfil a positive desire. The imagination is balanced by the positive will. Those who are appropriate according to the time, eligibility and merit. When the sense of imagination is positive and balanced, positive desire becomes active in the mind. There is no interruption or interference. The spirit of karma moves in the direction of fulfilling a positive desire. Desire in imagination should be different from good deeds. The feeling of real mind is only positive. One cannot trust every kind of desire that runs in the mind. Desire is the imprint of the external mind. Hence desire can be positive, negative or even mixed. Imagination for an active mind means to activate the desire in the mind with the spirit of the mind.


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