Saturday, June 21, 2025

वनस्पति विशेषग्य के अनुसार अनजान वृक्ष एडंसोनिया डिजिटाटा प्रजाति का वृक्ष है

  

मुजफ्फरपुर का अंजान वृक्ष

 

किंवदंती के अनुसार ये मुजफ्फरपुर का अंजान वृक्ष ३०० साल पुराना था.

प्राचीन समय में कुछ लोगो से सुना गया था की एक साधु यहाँ आये और दातुन कर के लकड़ी को यहाँ गाड दिये थे.

जिससे ये वृक्ष हो गया और बढ़ने लग गया.

निचे से बहूत मोटा दिखने वाला यहाँ अंजान वृक्ष दो मुख्या शाखा थे.

उसमे से कई छोटे छोट शाखा थे. जिसके पत्ते सेमल के जैसा था

और इसमे कद्दू जैसे फल लगते थे. कनेर के जैसे फूल लगते थे.

वृक्ष के छाल को काटने या छिलने के बाद इसमे से रक्त जैसा तरल पदार्थ निकालता था.

बाद में यहाँ कोई साधू आये और इस पेड़ के निचे रहने लगे.

बच्चे वृक्ष के फल पर पत्थर मरते थे.

इस बात से व्यथित हो कर साधू ने वृक्ष को ही शाप दे दिए.

जिसके बाद वृक्ष से फल आना बंद हो गया. 

 

अंजान वृक्ष औषधी गुणों से भरा था. 

पत्ते के सेवन से पेट के कई प्रकार के दुःख दूर हो जाते थे.

इसके रस से चर्म रोग दूर होते थे.

बाद में इस वृक्ष में लोगो के आस्था बढ़ने से कुछ लोग पूजा पाठ भी करते थे.

बहूत समय पहले यहाँ पर लोगो के आस्था होने से महायज्ञ भी हुआ था.

लगभग २० साल से ज्यादा हो गया है.

मुजफ्फरपुर कुढनी प्रखंड के अंतर्गत तुर्की पंचायत में एक गाँव है जिसका नाम चैनपुर है.

तुर्की स्टेशन से बेहद करीब है. अंजान वृक्ष वही पर है.

एक बालिका विद्यालय है जो वृक्ष से बिलकुल लगा हुआ है.

वनस्पति विसेशग्य के अनुसार अनजान वृक्ष एडंसोनिया डिजिटाटा प्रजाति का वृक्ष है. पर ये उससे अलग है.

 

दुर्भाग्यवास अंजान वृक्ष कीड़े लगने से Jan 3, 2018 को ये वृक्ष दो टुकरा में फटकार बालिका विद्यालय पर सुबह ६ बजे गिर गया. 

सौभाग्यवास स्कूल में कोई बच्चे नहीं थे बिलकुल सुबह का समय था. जिसमे वृक्ष का बहूत बड़ा हिस्सा छतिग्रस्त हो गया. फिर दोबारा ये वृक्ष २४ सितम्बर २०१९ को पूरी तरह गिर कर ख़त्म हो गया. इस तरह से ३०० साल पुराना अनजान वृक्ष अपने अंजान रहस्यों को लेकर ख़त्म हो गया.

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