Wednesday, August 18, 2021

कर्म का भावना ऐसे ही ब्यक्ति परमात्मा के बिलकुल करीब होते है परमात्मा रूपी इंसान ही होते है ऐसे व्यक्ति का आदर सम्मान जरूर करना चाहिए

निरंतर प्रयास करने वाला इंसान दुसरो की भलाई के लिए भी अपने जीवन का आदर्श होता है 

हम जीवन के कुछ ऐसे उपलब्धियों के बारे में बताते है। जिसे हम सभी जानते है। और हर किसी के जीवन में सम्मिलित भी होता है। निरंतर प्रयास करने वाला इंसान दुसरो की भलाई करते हुए और समाज की हर पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए आगे बढ़ता जाता है। वाकई वास्तव में वाही इंसान कहलाता है। जो सब की भलाई के लिए जाना जाता है। वही सच्चा इंसान होता है। जिनपर परमात्मा की असीम कृपया होती है।


सकारात्मक इंसान से मेलजोल बढाने से जो ज्ञान प्राप्त होता है उसे शांति औए सुकून महशुस करते है 

ऐसे इंसान से मिलने या मेलजोल बढाने से जो ज्ञान प्राप्त होता है। उसे सुकून और शांति कहते है। जिसमे पास जाने से आत्मा को सुकून महशुस होता है। ऐसे इंसान विरले ही दुनिया में होते है। ऐसे इंसान कही भी केवल जब हमें मिलते है तो बहुत ख़ुशी भी मिलती है। क्योंकि वो ख़ुशियों के बाटते रहते है। उनकी झोली से कभी खुशी समाप्त ही नहीं होती है। जितनी ख़ुशी वो देते है। खुशिया उतना ही बढ़ते जाते है। ऐसे इंसान अपने घर में हमारे माता ही होते है। दादा दादी भी होते है। समाज में बड़े बुजुर्ग भी हो सकते है। जिनको सच्चा ज्ञान होता है। जिन्होंने जीवन के हरेक पहलुओं को देख होता है। ऐसे इंसान को आदर सम्मान अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा कुछ और ऐसी भी होते है। जिनको समाज में या समाज के बहार से भी सम्मान मिलता है। जिनको देखने या मिलाने लोग जाते है। जो कभी भी अपने क्षेत्र या शहर में आते है। उनके प्रकाश से सब चमक उठता है। जिनके बोली वचन से सब प्रभावित होते है। वे सद्गुण सदाचार होते है। जिनको सम्मान करने का भी मन करता है। जिनके मन में कोई लालच नहीं होता है।  कोई मानशिक भाव नहीं होता है। तामशी भाव नहीं होता है। लोभी का भाव नहीं होता है। जो धन के पीछे नहीं भागते है। सिर्फ कर्म का भावना उनका होता है। ऐसे ही ब्यक्ति परमात्मा के बिलकुल करीब होते है। वे परमात्मा रूपी इंसान ही होते है। इसलिए ऐसे व्यक्ति का आदर सम्मान जरूर करना चाहिए।


जीवन की कल्पना में किसी को मान सम्मान देना बहूत बड़ी बात है 

जीवन की कल्पना में किसी को मान सम्मान देना या किसी से मान सम्मान लेना बहुत बड़ी बात होती है। समझ सूझ बुझ से जो ब्यक्ति अपने जीवन का निर्वाह करता है। जो सकारात्मक प्रवृति को समझता है। व्यक्तिव के सही भावना को जनता है। अपने जीवन में सक्रिय रहते हुए अपने कार्य या सेव के क्षेत्र में विकाश करता है।  लोगो को सच्चा ज्ञान देता है। जिनके अंदर इंसानियत कूट कूट भरा होता है। जो विषय वस्तु के प्रति जागरूक होता है। वही भला इंसान होता है। जिसके अंदर असिमित ज्ञान और शिक्षा होता है। जो क्रियावान होता है। ऐसे व्यक्ति को सम्मान जरूर करना चाहिये।


जीवन की कल्पना में आगे बढ़े

जीवन की कल्पना में यदि आगे बढ़ना चाहते है। तो ऐसे ज्ञानवान ब्यक्ति की प्रेरणा जरूर लेना चाहिये। ज्ञानवान ब्यक्ति का मुख्य लक्ष्य काम धंदा के क्षेत्र हो या सेवाभाव का क्षेत्र हो। सभी जगह सही और सकारात्मक ज्ञान का प्रचार और प्रसार करना ही उनका उद्देश्य होता है। जिससे उनको ख्याति प्राप्त होता है। कल्पना में इस प्रकार से अवश्य मनन करना चाहिये। 

हम भावावेश में कहाँ तक सोच जाते कुछ पता नहीं चलता कहा तक केवल इतना सोच जाते है

हम क्या कर रहे 

हम क्या कह रहे है? और हम कहा तक कह रहे है? कभी सोचे है? हम क्या है? हम भावावेश में कहाँ तक सोच जाते है? कुछ पता नहीं चलता है। कहा तक केवल इतना सोच जाते है। और सोचते ही रहते है। सारी की सारी सोच हवा में ही रह जाती है। जिसका कोई परिणाम नहीं निकलता है। और न फल देने वाला ही होता है। फिर क्यों इतना सोचते है। उससे तो बेहतर है। हम उतना हो सोचे जो की कोई परिणाम तक पहुंच जा सके। और नतीजा सबके लिए अच्छा हो। हम यही खुद से पूछते है। वो सोच और समझ किस काम का जो कोई परिणाम तक ही नही पहुंच पाए? सब हवा में ही रह जाये। उससे क्या फायदा होगा ? सब ब्यर्थ हो जायेगा। इसलिए कम सोचे, अच्छा सोचे, बढ़िया सोचे, फल देने वाला चीज सोचे जो अपने और दुसरो के लिए कारगर हो। जीवन सफल हो। समाज के लिए उन्नतिकारक हो। तभी सोच समझ सकारात्मक होगा।

सकारात्मक संकल्प शक्ति से ही इच्छा शक्ति बढ़ता है सकारात्मक संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ा योगदान होता है

सकारात्मक संकल्प शक्ति के बारे में  कभी सोचा है


सकारात्मक संकल्प शक्ति खुद से जुड़ा हुआ है। 

सकारात्मक संकल्प शक्ति अपने जीवन का हिस्सा है  अपने बारे में क्या जानते है? कभी हमने सोचा है की हम क्या है? हम कहा है?  क्यों हम अपने पर इतना गर्व करते है? किस बात के लिए गर्व करते है? हम ये है! हम ऐसे है! हम ऐसा कर सकते है! हम ये सब भी कर सकते है! यहाँ तक की हम कुछ भी चाहे वो सब कर सकते है! आखिर इतना गर्व आखिर क्यों? ऐसा नहीं होना चाहिए। यदि हम ऐसा सोचते है। दुनिया बहुत बड़ी है। हम तो दुनिया को इतना भी नहीं देखे है। इतना भी हमारे पास समय नहीं है। पूरी दुनिया देख सके और समझ सके। याद रहे की हम उत्पन्न हुए है। एक न एक दिन हमें मिटना भी है। ये बात एक बार मन में घर कर जाय तो हमारी इच्छा सुधर जाएगी। हम अभी जो कर रहे है। उससे और भी अच्छा कर सकते है। हमारी इच्छा शक्ति सही होनी चाहिए। हम और भी तो क्या जो चाहे वो अच्छा से अच्छा कर सकते है।


सकारात्मक संकल्प शक्ति में इच्छा शक्ति सकारात्मक होता है 

सकारात्मक संकल्प शक्ति ज्ञान है हम अपने घमंड के मधमस्त हो कर बहुत सरे इच्छा को मन में पाल लेते है। जिससे भविष्य में अनिच्छा ही नजर आता है। क्योकि इच्छा सब पुरे नहीं होते है। इच्छा पूरा होता है जो कारगर हो। जिस इच्छा में कर्म की भावना हो। जो इच्छा सकारात्मक हो। जिस इच्छा में किसी और के लिए कोई गलत भवन न हो। कोई इच्छा किसी और के मान मर्यादा को ठेस नही पंहुचा रहा हो। ऐसा इच्छा सकारात्क इच्छा कहलाता है। जो जरूर पूरा होता है। निस्वार्थ सेवा भाव से जो कार्य किया जाता है। जिसमे स्वयं के लिए कोई फायदा नहीं होता है। ऐसा कार्य करने से मन प्रफुल्लित होता है। जिससे कार्य छमता और संकल्प शक्ति बढ़ता है। किसी भी कार्य या सेवा को पूरा करने लिए के सकारात्मक संकल्प शक्ति का होना बहुत बड़ा योगदान होता है। सकारात्मक संकल्प शक्ति से ही इच्छा शक्ति बढ़ता है।


सकारात्मक संकल्प शक्ति से अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होता है

सकारात्मक संकल्प शक्ति के जरिये कभी भी अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होता है। अनैतिक इच्छा इंसान की गर्क की ओर ले जाता है। जो बिलकुल भी उचित नहीं है। आमतौर पर लोगो के अनैतिक इच्छा पूर्ण नहीं होते है। जो ऐसे भावना रखते है। उनके बुद्धि विवेक सकरात नहीं रहते है। उनके हर बात विचार में गुस्सा, तृष्णा, लालच, ठगी का भावना नजर आता है। कई बार लोग अपने शक्ति के घमंड और आत्मविश्वास में ऐसे निर्णय ले लेते है। जिसमे ऐसी नकारात्मक भावनाए होते है। जिससे मस्तिष्क में विकार आने का दर हो जाता है। जिससे बुद्धि विवेक विक्छिप्त होने लगता है। गुस्सा मस्तिष्क में सवार रहता है। गुस्सा बहुत कुछ बिगड़ सकता है। स्मरण शक्ति पर प्रभाव डालता है। जिससे सकारात्मक ज्ञान का हनन होता है। संकल्प शक्ति कमजोर होकर समाप्त हो जाते है। ब्यक्ति निम्न से निम्नस्तर तक गिर जाता है। इसलिए ऐसे भावनाये को मन पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

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